16.2.21
गीत सरस्वती पूजन
8.2.21
नक़ारने के निराले अंदाज
न्यू मीडिया यानी सोशल मीडिया टि्वटर फेसबुक व्हाट्सएप आदि आदि ब्लॉग्स, माइक्रो ब्लॉगिंग, ऑडियो और पॉडकास्ट वीडियो ब्लॉगिंग।
इन सब का प्रयोग पॉजिटिव होगा यह मान के इन्हें विकसित किया जाता रहा है। परंतु प्रचुर मात्रा में उपलब्ध संसाधनों का दुरुपयोग प्रचुरता से ही किया जाता है यह स्वयं सिद्ध सिद्धांत है।
जब इंटरनेट नहीं था तब इनकी जरूरत भी नहीं थी और जब इंटरनेट आया तो इनके बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। नार्थ कोरिया में जनता को यह नहीं मालूम कि इंटरनेट का विश्व में किस तरह इस्तेमाल हो रहा है। चीन में भी लगभग ऐसा ही कुछ माहौल है। परंतु वहां सोसाइटी पर मनोरंजन के लिए किसी तरह का नकारात्मक प्रतिबंध नहीं है। परंतु इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि-"सत्य उजागर न हो..!"
पश्चिमी देश दक्षिण एशिया के देश इंटरनेट सर्विसेज का भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
और इस बीच ग्लोबल विलेज एक ऐसा वर्चुअल विलेज बन गया है जहां सत्य पर असत्य थी हावी है। कोविड-19 के पहले हम मित्रों आपस में बात कर रहे थे। और इस संवाद का केंद्र बिंदु था टीवी मीडिया पर होने वाली अराजक अशिष्ट बहसें...!
तभी एक मित्र ने अचानक कहा-"अभी सोशल मीडिया को तो वाइब्रेंट होने दीजिए..! फिर देखिए कमाल लगता है तीसरा विश्व युद्ध सोशल मीडिया पर लड़ा जाएगा जिसकी भूमिका टेलीविजन तैयार कर रहा है..!"
19-20 मार्च 2020 से अस्त व्यस्त हुआ भारतीय जीवन इंटरनेट पर अधिक वक्त गुजारने लगा । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए इंटरनेट कंपनियों एप्स निर्माताओं को जनता के रुझान का ट्रेंड समझ में आने लगा। बस यही से नैरेटिव प्रसारित करने उसे माइंड सेट के साथ सिंक्रोनाइज करने तथा स्थाई तो देने वाली स्ट्रैटेजी विकसित की जाने लगी । ग्लोबल वर्चुअल विलेज मार्केटिंग का एक जबरदस्त तरीका बन गया।
अब तो सत्य भी सहजता से नकारा जाता है। ग्लोबल पोजीशन प्राप्त कर चुके बहुत सारे मीडिया हाउस भी इस व्यापार में कूद गए। पॉलीटिशियंस थिंकर्स ग्लोबल लीडर्स की तुलना सेलिब्रिटीज़ से की जाने लगी । कल ही एक व्यक्ति ने सरेआम टेलीविजन पर प्रधानमंत्री के फॉलोअर्स की तुलना एक सिंगर से करते हुए सिंगर को श्रेष्ठ साबित कर दिया। किसी को नकारने की हद इससे ज्यादा और क्या हो सकती है..?
और जिस अंदाज से नकारा जा रहा है उस पर रश्क हो जाता है।
6.2.21
किसान आंदोलन का आयतन
अगर संवाद ही नहीं करना चाहते तो फासीवादी हो आंदोलन कुल मिलाकर पैरासाइट बन चुका है अस्थिरता के पैरोंकारियों का ।
भारतीय गणतंत्र पर्व पर दो महान ध्वजाओं का अपमान हुआ । एक तिरंगा दूसरा निशान साहिब ।
अगर किसी ने भी भारत से जनतंत्र का समापन कराने का प्रयास घोर साम्यवाद के आगमन की आहट होगा। शेष आप सब समझदार है ।
5.2.21
रामराज साम्यवाद और भारत
4.2.21
अगर कुंठित है तो क्या आप आध्यात्मिक हैं? कदापि नहीं,
अगर कुंठित है तो क्या आप आध्यात्मिक हैं? कदापि नहीं, धर्म अध्यात्म दर्शन सब कुछ वस्तु वाद को प्रवर्तित नहीं करता। ना ही वस्तु वाद से सनातन का कोई लेना देना है। सनातन इस बात की अनुमति देता है कि- हम आप वसुधैव कुटुंबकम की विराट कांसेप्ट को अंतर्निहित करें। किसी का भी गलत स्केच बनाना यानी उसको गलत तरीके से पोट्रेट करना मलिनता की निशानी है।
29.1.21
28.1.21
ओह तो मेघा पाटकर भी भटके हुए लोगों के आंदोलन की हिस्सा हैं ?
लाल किले कांड पर के संदर्भ में लोगों का यह मानना है कि यह आंदोलन भटक गया है वास्तविकता तो यह है कि यह भटके हुए लोगों का आंदोलन है जो भारत को विश्व में बदनाम करने की साजिश थी।
अपने हाथों में फैक्चर का दर्द भोगने वाली एस एच ओ बलजीत सिंह ने बताया कि-" असलहे लेकर आए थे और हमने धीरज नहीं खोया।'
कमर में गंभीर फैक्चर होने के बावजूद घायल जोगिंदर सिंह सहायक इंस्पेक्टर पुलिस ने पंजाब भारतीयता और देश प्रेम का संदेश दिया .
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि- "लगभग 394 पुलिसकर्मी विभिन्न अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं 19 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं 50 आरोपियों को हिरासत में रखा है किसान निर्धारित समय और निर्धारित रूट से बाहर जाकर ट्रैक्टर रैली प्रारंभ कर दी।"
इस सूचना के साथ कि भानु सिंह एवं वीएम सिंह के गुट ने आंदोलन से स्वयं को अलग कर लिया है।
वी एम सिंह के नेतृत्व में एवं श्री भानु जी जो चिल्ला बॉर्डर पर मौजूद आंदोलनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। यह दोनों नेता भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अपमान से शुद्ध थे और इन्होंने 27 जनवरी 2021 की शाम होते-होते आंदोलन से ही अपने आप को अलग कर लिया .
आप जो शेष बचे हैं उनमें राकेश टिकैत योगेंद्र यादव मेघा पाटकर जैसी वामपंथी विचारकों के हाथ में किसान आंदोलन की बागडोर है जो वास्तविक रूप में शुरू से ही थी।
इस बीच मृत युवक की पहचान ऑस्ट्रेलिया निवासी युवक के रूप में की गई है। जो विगत कुछ माह पूर्व भारत आया था और आंदोलन में किसान के रूप में शामिल हुआ। इस युवा की मृत्यु ट्रैक्टर के पलटने से हुई है।
राकेश टिकट मेघा पाटकर और योगेंद्र यादव की परिकल्पना को आकार देने वाला दीप सिंधु का सीधा रिलेशन वर्तमान में धर्मेंद्र देओल सनी देओल परिवार से नहीं है इसकी पुष्टि स्वयं सनी देओल ने 6 दिसंबर 2020 में ट्वीट करके कर दी थी ।
मित्रों अगर कभी पंथ या धर्म के ध्वज की बात होगी तो उसे किसी भी स्थिति में तिरंगे से ऊपर या उसके समानांतर इस भावना से नहीं ठहराया जा सकता जिससे भारतीय एकात्मता को चोट पहुंचे।
मित्रों 26 जनवरी 2021 के दिन रिकॉर्ड वीडियो भविष्य के लिए साक्ष्य बनेंगे ।
आरएसएस के विरुद्ध बोलने वाले कर्नल दानवीर सिंह चौहान ने तक अपने वक्तव्य में माना एवम कहा है कि - "पंजाब में खालिस्तान आंदोलन का कोई विचार वर्तमान समय में जीवित नहीं है। कर्नल दानवीर से चौहान खालिस्तान आंदोलन के विदेशी कनेक्शनस् अवश्य है। आम भारतीय कर्नल दानवीर सिंह चौहान के वक्तव्य से आंशिक सहमति रख सकता है और रखता भी है । यदि यह सही है तो सिखों को भी इस तथ्य को समझ लेना चाहिए । अर्थात अब वो समय है कि सिख समाज के नेता इसकी खुल के निंदा करें । साथ ही साथ मुखर होकर इस घटना को राष्ट्र विरोधी घटना मानते हुए राष्ट्र विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग मुखर होकर ही करें । कर्नल दानवीर इस आंदोलन को शुद्ध रूप से किसान आंदोलन नहीं मानते हैं।
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