1.7.16

असली विकास भैया बनाम सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें

               
एक टी वी के एंकर एवं प्रस्तोता को सरकार की इतनी चिंता थी कि वे वेतन आयोग के विरोध में उतरने वाले कर्मियों का डी एन ए टेस्ट करने लगे वे दार्शनिक होकर चाणक्य को भी अपने संवाद में ले आए. उधर तो सरकार ने विकास भैया की वज़ह से  वेतन आयोग, की सिफारिशों के लिए लगभग 24 फीसदी इजाफा कर पाई ...... यूं तो विकास भैया की उम्र   इस 15 अगस्त को 69 साल की हो जाएगी. पर   सत्ता पर जिस दल को भी जनता जब से  काबिज कराती है तब से वो दल प्रचारित करता है कि- "विकास पैदा हो गया है .. अब" अब आप तय करो कि विकास भैया की वास्तविक उम्र क्या है. मेरे हिसाब से विकास भैया 15 अगस्त 2016  को 69 के हो जाएंगें.
            हम मुद्दे पे आते हैं.....  टी वी के एंकर महाशय कह रहे थे कि - "कर्मचारी निकम्मे हैं.. हालांकि उनकी शैली इतनी अच्छी है कि महाराज ने बड़ी चतुराई से निकम्मा और भ्रष्ट कहा.. विदेशियों का हवाला देकर व्यवस्था को दोषपूर्ण बताया." 
     यहाँ मुझे अचरज हो रहा है देख महान हस्तियों से अटा-पड़ा है क्या 69 सालों  में व्यवस्था सुधारने में कोई भी सकम्मा अभ्रष्ट व्यक्ति न प्रसूता ... जो कथित भ्रष्ट और कामचोर अधिकारीयों के लिए सुधारात्मक प्रयास करता ? तो फिर  देश  का नाम विश्व में रोशन हो रहा है उसकी कलगी किसके माथे पर बांधी जाएगी. एक चैनल की टीआरपी बढ़ती है तो उसके ज़मीनी कार्यकर्ता से लेकर सीइओ तक को श्रेय जाता है. 52 दिन मेरे प्रदेश का अधिकारी कर्मचारी  कड़ी धूप में गाँव गाँव घूमा जब आप एसी स्टूडियो से खबर ले दे रहे थे तब किसी को नकारा कर्मचारी कितना सकारा है देखने की इच्छा भी न हुई होगी. 
              मैं ये नहीं कहता कि मै भी सप्ताह के सातों दिन कम से कम  10 घंटे के मान से सरकारी काम में खुद को व्यस्त रखता हूँ.. तो रेल चलाने वाला ड्रायवर, दफ्तर का चपरासी, हाईकोर्ट का अधिकाँश स्टाफ मुझे काम करता नज़र आता है. एक रात मुझे एक शासकीय आदेश से एक नि:सहाय गरीब व्यक्ति को 50 किलोमीटर दूर एक गाँव से सरकारी अस्पताल लाना पडा तो देखा कि विक्टोरिया का ड्यूटी डाक्टर पूरे उत्साह से काम कर रहा था. 
            स्कूल का मास्टर हो या आँगनवाडी वाली बहनजी सब काम ही तो कर रहें हैं ...... आपको काम नज़र नहीं आ रहा.. इसका साफ़ मतलब है कि आपने ऐसा चश्मा लगा लिया है जो कर्मठता को न देख कुछ कामचोरों को ही भली भाँती देख सकता है. मैंने ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की स्वास्थ्य कर्मचारियों को निपट अकेली जंगल में घूमते देखा है ..  
            भारत का जनतंत्र  महान क्यों है..? जानतें ही होगे आप ... मुझ जैसे जाने कितने लोग होंगे जो इस जनतंत्र के सम्मान के लिए  के लिए पूरी मुस्तैदी से  मतदान प्रक्रिया कराते हैं. तब जाकर आप विकास-के पापाओं चाचाओं को देख पाते हैं . 
            इधर यह स्वाभाविक है कि सारा समूह एक सी दक्षता एवं उच्च चरित्र वाला हो कुछेक नकारात्मक उदाहरण हैं जिनका प्रतिशत उतना नहीं है जितना उनकी चर्चा होती है. हालिया कुम्भ मेले की बात कीजिये तो आप  पाएंगे कि प्रदेश के श्रमिक से लेकर मुख्यसचिव तक ने जो अंतरात्मा एवं मनोयोग से काम किया उनके कार्यों को अपमानित करने के बराबर है सभी सरकारी कर्मचारियों को नाकारा निकम्मा कहना. 
           मित्रो आर्मी और पुलिस महकमों से जुड़े कर्मियों पर मुझे बेहद गर्व होता है .. जो हमेशा आम जीवन के सुख के लिए अपने पारिवारिक स्नेह से दूर रहा करते हैं. 
          पता नहीं दिल्ली का वर्क कल्चर कैसा है .. अधिक नहीं जानता पर इतना अवश्य मालूम है कि मेरे प्रदेश में अगर तनिक भी खुशहाली है अथवा 69 साल के विकास भैया हँसबोल रहें हैं तो इसमें इस प्रदेश के मानव-संसाधन का विशेष अवदान कहीं न कहीं अवश्य है. 
            बेशक वेतन न बढ़े ज़रुरत भी नहीं है वेतन बढाने की पर नीति नियंता ये अवश्य जान लें कि शिक्षा, स्वास्थ्य, नि:शुल्क एवं यू एस ए अथवा ब्रिट्रेन की तरह सहज, सस्ती हो . इसे असली विकास माना जाएगा. दैनिक जीवन यापन में आने वाली वस्तुओं के मूल्यों के अचानक बढ़ने की प्रवृत्ति को रोकना भी असली विकास है. सरकारी कर्मचारी वाकई वेतन में बढ़ोत्तरी नहीं चाहेगा क्या आप असली विकास-भैया को लाने में सक्षम हैं.  
                 

30.6.16

उसे रास्ता अब दिखा ही दो ,यारो नशे में वो चूर है ....!

*उसे रास्ते की तलाश है ,ये बात तुम न समझ सके !*
*यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए –ये बात हम न समझ सके !!*
::::::::::
हर कोई किसी , किताब में
कुछ है लिखा कुछ पढ़ रहा !
जिसने जिसे जैसा सुना-
उसे वैसा ही वो  गढ़ रहा ..!!
हर कोई देखे कान से –
कोई आँख से न परख सके !!
यहाँ क्यों हैं चेहरे, डरे हुए  – ये बात हम न समझ सके !!
::::::::::
*तकरीर थी याकि आग थी*
*कि जल उठे हैं शहर शहर !*
*नई त्रासदी भोपाल की-*
*अब जल उठेगी डगर डगर !!*
 *उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके !!*
 ::::::::::
*उसे रास्ता अब दिखा ही दो*
*यारो नशे में  वो    चूर है ....!*
*भूलो  पुरानी कहावतें–*
*दिल्ली न अब कोई दूर है !!*
उसे रास्ते की तलाश है , ये बात तुम न समझ सके !  
                                     *गिरीश “मुकुल”*




28.6.16

*“एसपी सिंह स्मृति व्याख्यान में निशाने पर रहा सोशलमीडिया”* पुष्कर पुष्प की रपट


भारत में आधुनिक टेलीविजन पत्रकारिता के जनक और आजतक के संस्थापक संपादक स्वर्गीय सुरेन्द्र प्रताप सिंह (एसपी सिंह) की याद में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 26 जून की शाम को मीडिया खबर कॉनक्लेव और एसपी सिंह स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह आयोजन मीडिया खबर डॉट कॉम द्वारा किया गया। मीडिया कॉनक्लेव में मीडिया जगत के दिग्गजों ने भाग लिया।इस मौके पर हैशटैग की पत्रकारिता और ख़बरों की बदलती दुनिया पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया जिसमें राहुल देव(वरिष्ठ पत्रकार), केजी सुरेश (डायरेक्टर,आईआईएमसी), नीरेंद्र नागर (संपादक,नवभारतटाइम्स.कॉम), सतीश के सिंह (ग्रुप एडिटर,लाइव इंडिया), मुकेश कुमार(वरिष्ठ पत्रकार), सईद अंसारी(न्यूज़ एंकर,आजतक), बियांका घोष (चीफ कंटेंट ऑफिसर,एचसीएल टेक्नोलॉजी) और अनुराग बत्रा (एडिटर-इन-चीफ,बिज़नेस वर्ल्ड) ने अपनी बात रखी।
हैशटैग पत्रकारिता व्यक्ति की वस्तुनिष्ठता को प्रतिबिंबित नहीं करता – राहुल देव
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने सोशल मीडिया के संदर्भ में कहा कि हैशटैग की बड़ी दिक्कत है कि यह व्यक्ति की वस्तुनिष्ठता को प्रतिबिंबित नहीं करता . लेकिन यदि  सचेत होकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाए तो ये उपयोगी सिद्ध होगा. लेकिन नवभारत टाइम्स.कॉम के संपादक नीरेंद्र नागर ने हैशटैग को पत्रकारिता के लिए खतरनाक मानते हुए कहा कि ट्विटर ने पत्रकारों को निकम्मा बना दिया है. इसका असल इस्तेमाल तो राजनीतिक दल  अपने फायदे के लिए कर रहे हैं. वैसे हैशटैग से ज्यादा खतरनाक चीजकीबोर्ड’ है. वहीं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कहा कि हैशटग जर्नलिज्म कोई अलग जर्नलिज्म नहीं है. दरअसल जिस जर्नलिज्म की हम चर्चा करते आए हैं, यह उसी का एक हिस्सा है. अहम सवाल ये नहीं है कि सोशल मीडिया अच्छा है या बुरा. बड़ा सवाल ये है कि इसे कौन और कैसे इस्तेमाल कर रहा है? लेकिन सच्चाई ये है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल समृद्ध और पावरफुल लोग कर रहे हैं. वास्तव में हैशटैग मुख्यधारा की पत्रकारिता का एक्सटेंशन है.
सोशल मीडिया एजेंडा त्रकारिता के लिए हाइजैक हो गया है – के जी सुरेश
भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के जी सुरेश ने हैशटैग पत्रकारिता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं खुद सोशल मीडिया का समर्थक हूं और उसपर सक्रिय भी हूँ. लेकिन जिस संस्थान (भारतीय जनसंचार संस्थान) के महानिदेशक का पद मिला वहां डिजिटल मीडिया का कोई कोर्स ही नहीं था, अब जाकर वहां नयी मीडिया का विभाग शुरू हुआ. लेकिन हैशटैग पत्रकारिता ऐसी निरर्थक बहस को भी बढ़ावा देता है और दो लोगों की बेमतलब की बहस को राष्ट्रीय बहस में तब्दील कर देता है. मुझे कभी कबी ताज्जुब होता है कि हम किसका एजेंड़ा सर्व कर रहे हैं. सोशल मीडिया एजेंडा त्रकारिता के लिए हाइजैक हो गया है और ये एक खतरनाक स्थिति है. सोशल मडिया को वापस सोसाइटी के हाथ में जाना चाहिए.
हैशटैग जर्नलिज्म से लोकतंत्र का विस्तार होता है – अनुराग बत्रा
लेकिन बिजनेस वर्ल्ड के संपादक अनुराग बत्रा ने सोशल मीडिया और हैशटैग जर्नलिज्म का पक्ष लेते हुए कहा कि हैशटैग जर्नलिज्म खतरा नहीं,समाज के लिए एक अवसर है. इससे लोकतंत्र का विस्तार होता है. वही एचसीएल की कंटेंट हेड बियांका घोष ने कहा कि आज की तारीख में ब्रांडेंट कंटेंट और एडीटोरियल के बीच की विभाजन रेखा पूरी तरह से खत्म हो गई है.हैशटैग पत्रकारिता को मैं पसंद नहीं करती,लेकिन इससे आप इंकार भी नहीं कर सकते.
लाइव इंडिया के ग्रुप एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के संदर्भ में कहा कि आजकल सोशल मीडिया की आड़ में पत्रकार ही पीआर कर रहा है.पीआर कंपनियों के लिए कुछ बचा नहीं. ये बहुत ही खतरनाक स्थिति है.
                    तीन करोड़ ट्विटर अकाउंटधारी सवा सौ करोड़ की आबादी की आवाज नहीं- सईद अंसारी
सबसे अंतिम वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए आजतक के मशहूर न्यूज़ एंकर सईद अंसारी ने कहा कि क्या ट्विटर के स्टेटस किसी भी व्यक्ति के विचार को व्यक्त करे के लिए पर्याप्त है? क्या तीन करोड़ ट्विटर अकाउंटधारी सवा सौ करोड़ की आबादी की आवाज बन पा रहे हैं? यदि आवाज़ है तो किसी व्यक्ति का स्टेटस क्यों ट्रेंड नहीं करता. दरअसल ये बहुत ही एलीट, सिलेब्रेटी का माध्यम है. हालाँकि हम इसकी जरूरत को नकार नहीं सकते. बुलेटिन के बीच में हमें भी कई बार किसी की ट्वीट को शामिल करना होता है और खबरें वहां से दूसरी दिशा में मुड़ती है. ट्विटर पर जो ट्रेंड हो रहा है, वो मेनस्ट्रीम मीडिया में बतौर खबर शामिल किया जा रहा है लेकिन कभी आपने देखा है कि किसी सामान्य व्यक्ति की कोई खबर ट्रेंड कर रही हो? आप लाख तर्क देते रहिए कि इससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो रही है लेकिन क्या ये सचमुच इतना मासूम माध्यम है ?
                                        एसपी की याद में मीडिया कॉनक्लेव में बड़ी संख्या में पत्रकार और बुद्धिजीवी शामिल हुए. विषय परिचय मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार ने दिया जबकि जबकि मंच संचालन हिन्दुस्थान समाचार के संपादक निमिष कुमार और स्वागत भाषण मीडिया खबर वेबसाईट के संपादक पुष्कर पुष्प ने दिया.


(संपर्क – पुष्कर पुष्प , मोबाईल – 9999177575)

26.6.16

बाल-भवन जबलपुर द्वारा उठाया सराहनीय क़दम ।*

   

संचालनालय महिला सशक्तिकरण भोपाल से आए अधिकारी श्री हरीश खरे जी के परामर्श पर संभागीय बालभवन संचालक ने  संगीत की विशेष साप्ताहिक  क्लास राज कुमारी  बाल निकेतन में प्रातः 11 बजे से संचालित करने की तैयारियां पूर्ण कर लीं है. । बालनिकेतन के 46 बच्चों को प्रशिक्षण के लिए पंजीकृत किया गया है । संस्थान के अध्यक्ष एवं सचिव ने इस हेतु आयुक्त महिला सशक्तिकरण को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि - *संस्थान में बेहद अनिवार्य सेवा देकर विभाग ने अत्यंत संवेदनशीलता का परिचय दिया है.. एकीकृत बाल संरक्षण सेवा के बेहतर क्रियान्वन केवल दिशा संभागीय बाल-भवन जबलपुर द्वारा  उठाए कदम की सराहना की है ।*   

 संचालक बाल भवन ने बताया इस सुविधा के प्रारम्भ होने से जहां एक ओर  विशेष श्रेणी परिवार विहीन बच्चों को प्रादेशिक एवं  राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों में भागीदारी का अवसर मिलेगा, वहीं राष्ट्रीय-बालश्री एवार्ड में शामिल होने के अवसर भी बच्चों को प्राप्त हो सकेंगें.  । प्रशिक्षण के लिए सुश्री शिप्रा सुल्लेरे एवं श्री सोमनाथ सोनी इस हेतु प्रभारी नियुक्त किये गए है। प्रशिक्षक के रूप में कुमारी मुस्कान सोनी भी जावेंगी. प्रयोग सफल रहा हो  भविष्य में आवश्यकतानुसार चित्र-कला कराते, कम्यूनिकेशन, व्यक्तित्व-विकास कक्षाएं भी लगाईं जा सकतीं हैं. 
                        दानदाताओं से सीधे  बाल निकेतन को संगीत उपकरण दान देने का आग्रह है*                

23.6.16

यक-ब-यक जागके, खुद से ही लिपट जाना

सरकती रात  से सहर तक जागता  हूँ  मैं -
हर इक लम्हा तुम्ही को देखा  लजाते देखा !!

वही लम्हा तुम्हारी हसरतें करता है बयाँ
इश्क में भीग के बैठी हो – तुम जाने कहाँ    
अपनी आँखों पे आकाश उठाती होगी -
उन सितारों को  आँखों में समाते देखा..!

हौले-हौले तुम्हारा इस तरह करीब आना
तन्हा रातों में मेरे ख्वाब में सिमट  जाना
यक-ब-यक जागके, खुद से ही लिपटते देखा
जब भी आँखें लगीं तुम्हें ख्वाब  आते देखा !!

कुण्डियों से बहुत तेज़ खनकते कंगन
चुनरिया थी कि प्रीत का महकता परचम
मेरी मौजूदगी का तुमको जो एहसास हुआ –
हथेलियों से चेहरे को छिपाते देखा ..

सरकती रात  से सहर तक जागता  हूँ  मैं -
हर इक लम्हा तुम्ही को देखा  लजाते देखा !!
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल**

21.6.16

*प्रत्यूषा के बचपन का रोल निबाहेंगी बालभवन की श्रेया खंडेलवाल*

*प्रत्यूषा के बचपन का रोल निबाहेंगी बालभवन की श्रेया खंडेलवाल*

       सुधा प्रोडक्शन द्वारा बनाई जाने वाली प्रत्यूषा बैनर्जी के जीवन पर आधारित फिल्म जिसका निर्देशन  मुकेश नारायण अग्रवाल कर रहे हैं में प्रत्युषा के बचपन का रोल करने के लिए श्रेयाखंडेलवाल को चुना है. १२ वर्षीय श्रेया बालश्री की नामिनी भी हैं तथा बालभवन में नाट्य नृत्य एवं संवाद कविता लेखन की छात्रा हैं  तथा बालभवन के नुक्कड़ नाटकों में भी श्रेया ने कई भूमिकाएं निभाईं हैं
 श्रेया ने विवेचना रंगमंडल द्वारा मंचित नाटक हम आपके हैं कौन?” में  जिसका निर्देशन   श्री अरुण पांडे एवं श्री संतोष राजपूत  ने किया में प्रमुख भूमिका निबाही थी   .
 08 जून 2016 को मुंबई में हुए आडिशन में श्रेया का अंतिम रूप से चयन कर लिया गया . श्रेया का नृत्य भी इस अनाम फिल्म में शामिल किया.

पिता श्री विकास खंडेलवाल एवं माँ श्रीमती अर्चना अपनी बेटी उपलब्धियों का   ईश्वर एवं   बालभवन के साथ साथ स्माल वंडर्स स्कूल के शिक्षकों को देते हैं 
साल भर पहले अपनी सहेली पलक गुप्ता के साथ बालभवन जबलपुर में नृत्य कक्षा में प्रवेश लेने वाली श्रेया खंडेलवाल  एवं उनकी क्लासमेट  पलक गुप्ता अदभुत प्रतिभा की धनी हैं .  दौनों  ही वर्सटाइल कलाकार हैं . मैंने दौनों में सामान्य से कुछ एक्स्ट्रा एनर्जी देखी. दोनों को अभिनय में हाथ आज़माने का सुझाव दिया और पाया कि श्रेया और पलक बेहतरीन अभिनय कर सकतीं हैं . इतना ही नहीं मंच संचालन में उनकी क्षमता एक दूसरे पर हावी है. 
  हिन्दी,अंग्रेज़ी, राजस्थानी भाषाओं की जानकार श्रेया बुन्देली सीखे बिना खुद को अधूरा मानती है. कविता, मानवीय विकास आध्यात्मिक विषयों में पर बात करने की उत्कंठा आज के कान्वेंट ब्रांड बच्चों में कम ही देखने मिलती है. श्रेया उन कुछ बच्चों में से एक है जो संस्कारधानी जबलपुर को यश प्रदान करेगी आभास जोशी के बाद जिन बच्चों के लिए मुझे कुछ करने का अवसर मिला उनमे संगीत के क्षेत्र में ईशिता विश्वकर्मा, कुमारी प्रिया सौंधिया, मास्टर नयन सोनी,  चित्रकला के क्षेत्र में रोहित गुप्ता,  शुभमराज अहिरवार , कुमारी तान्या बडकुल, यशी पचौरी,   अभय सौंधिया, तबला - सेजल तपा, मनु कौशल ,  कराते में दुर्गा-ब्रिगेड की रिंकी राय एवम वीरनायण ब्रिगेड के लीडर मास्टर गजेंद्र डेहरिया , साहित्य में शिवा नामदेव कुमारी सुनीता केवट, कुमारी उन्नति तिवारी , नृत्य में कुमारी समृद्धि असाटी, सहित इस वर्ष बालश्री नामिनी क्रमश: कु.   मनु कौशल ,तबला  श्रेया खंडेलवालअभिनय   प्रवीन उद्दे   गायन , विशेष श्रेणी नेत्र दिव्यांग, आकाश कोहली  पेंटिंग , विशेष श्रेणी, [बालग्रह], सृष्टि गुप्ता, संवाद-लेखन,अभय सौंधिया - मूर्तिकला. कुमारी माया पटेल कविता-लेखनविशेष-श्रेणी नेत्र दिव्यांग कुमारी अपूर्वा गुप्ता विज्ञान-माडल सौम्य नागवंशी विज्ञान माडल विशेष श्रेणी, अस्थि दिव्यांग में असीम संभावनाएं हैं .
             बालभवन के बच्चों को यशस्वी बनाने में मैंटर्स क्रमश:  श्री मति रेनू पाण्डे, सुश्री शिप्रा सुल्लेरे, श्री देवेन्द्र यादव, श्री सोमनाथ सोनी, श्री इंद्र पांडे,  कुमारी मनीषा तिवारी की सेवाएं सराहनीय हैं
श्रेया सहित सभी बाल प्रतिभाओं  को मेरी अनवरत शुभकामनाएं शुभाशीष       

 Link's :- 
https://www.youtube.com/watch?v=CjJ-yj-fIO4
Palpal-India http://www.palpalindia.com/2016/06/21/jabalpur-mp-Cheryl-auditioned-Bhojpuri-film-Bal-little-artist-in-Jabalpur-news-in-hindi-146712.html
http://www.patrika.com/news/jabalpur/child-artist-of-bal-bhavan-have-given-audition-for-bhojpuri-film-1329676 

Common Yoga Protocol-Hindi (full version), International Day of Yoga - 2016



संभागीय बालभवन जबलपुर मध्य-प्रदेश
         21 जून  2016 दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हेतु सामान्य योग अभ्यासक्रम ( CYP )

                                                          प्रथम चरण
A)     प्रार्थना ---
ॐसंगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसीजानताम् !
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते !!    
दूसरा चरण
B) शिथिलीकरण अभ्यास/चालन क्रियाएं
1] ग्रीवा चालन खडे होकर सिर को धीरे धीरे आगे और पीछे  करना : प्राणायाम युक्त  1मिनट.
2]ग्रीवा चालन दाई एवं बाई ओर गर्दन झुकाना है .                                              1मिनट.
3] ग्रीवा चालन दाएं एवं बाएं ओर गर्दन घुमाना है.                                               1मिनट.
4] ग्रीवा चालन गर्दन को पुरा गोलाकार घुमाना है.                                               1मिनट.
5] स्कंध संचालन दोनों बगल से हातों को ऊपर उठाएं और निचें लें जाएं .                1मिनट.
6]स्कंध चक्र एवंम स्कंध चालन दोनों कोहनियों को पुरी तरह चक्राकार घुमाएं .          1मिनट.
7] कटि चालन / कटिशक्ति विकासक कटिचक्रासन का तिसरा अभ्यास  है.               1मिनट .
8]घुटना संचालन / खुर्चिसन के जैसा करना है.                                                   1मिनट .
                तीसरा चरण
C) खडे होकर किए जाने वाले आसन .
1] ताडासन ( उर्धव ताडासन स्थिति)                                                               2मिनट.
2] वृक्षासन ( वृक्ष की स्थिति)                                                                          2मिनट .
3] पादहस्तासन                                                                                           2 मिनट.
4] अर्धचक्रासन हा   कमरपें.                                                                           2 मिनट.
5] त्रिकोणासन.कोनासन जैसा.                                                                        2 मिनट.
                चौथा चरण
D) बैठकर काए जानेवाले आसन.
1] भद्रासन तितली के जैसे बैठी हुई स्थिति में स्थिर होना है.                                   2 मिनट.
2] वज्रासन / वीरासन                                                                                    2 मिनट.
3] अर्ध उष्ट्रासन हाथों कमर पर रखें .                                                              2 मिनट.
4] उष्ट्रासन ऊंट जैसी स्थिति.                                                                       2 मिनट.
5] शशांकासन खरगोश जैसी स्थिति .                                                              2 मिनट.
6] उत्तानमंडुकासन उर्धव दिशा में मेढक जैसा स्थिर होना.
कोहनियों के सहारे सिर को थामा जाता है.                                                        2 मिनट.
7] वक्रासन/मरीच्यासन. वक्रासन का तिसरा अभ्यास है.                                      2 मिनट.
                पाँचवाँ चरण
E) उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन.
1] मकरासन. सुप्तमकरासन के जैसा शिथिल हो जाना है.                                      1 मिनट.
2] भुजंगासन.सरल याँ अर्धहस्त  कि स्थिति है.                                                1मिनट.
3] सलभासन .द्वीपाद का अभ्यास है.                                                             1 मिनट.
               छँटवाँ चरण
F) पीठ के बल लेटकर  किए जाने वाले आसन.
1] सेतुबंधासन/ स्कधंरासन का स्थिति है.                                                       2 मिनट .
2] उत्तानपादासन 30%.                                                                             2 मिनट.
3] अर्धहलासन30%60%90%.                                                                   2 मिनट.
4] पवनमुक्तासन---                                                                                     2 मिनट .
                साँतवाँ चरण
G) नैसर्गिक स्वास--प्रस्वास प्रक्रिया
पर ध्यान केंद्रित करना है. शवासन --                                                           3 मिनट .
              आँठवाँ चरण
H) प्राणायाम
1] कपालाभाति                                                                                         2 मिनट .
2] अनुलोम विलोम नाडी शोधन प्राणायाम                                                       2 मिनट.
3] शीतली प्राणायाम .जीभा से साँस भरना है.                                                  2 मिनट.
4] भ्रामरी प्राणायाम .                                                                                 2 मिनट.
5] ध्यान --ध्यान लगातार चिंतन--मनन की प्रणव क्रिया है.                                 2 मिनट.
               नवाँ चरण
I) संकल्प--योग सत्र का समापन इस संकल्प के साथ करना है.
हमें अपने मन को हमेशा संतुलित रखना है. इसमें ही हमारा आत्मविकास समाया है,
मैं खुद के प्रति कुटुंब के प्रति काम समाज और विस्व के प्रति
शांति--आनंद और स्वास्थ्य के प्रचार के लिए बद्ध हूं !!
               दसवाँ चरण
J) शांति पाठ
                     ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः।
               सर्वे भद्रणिपश्यन्तु मा कश्चिद्दुःख भाग भवेत्॥                   
                              ॐशान्तिः शान्तिः शांतिः।
                                                 
                                                                Meaning

May all be happy.
May all enjoy health and freedom from disease.
May all have prosperity and good luck.
May none suffer or fall on evil days.
This mantra is for Peace invocation. It is intended to be recited for the welfare of humanity as a whole. The reason it is one of my favorite mantras in Hinduism is simple — the mantra is the most selfless prayer ever. You are not asking anything for you by reciting this, but rather the goodwill and welfare of everybody in the world is being prayed for. In my humble opinion, it is a representation of Hinduism, a non-violent, peaceful religion.


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विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...