
हैशटैग
पत्रकारिता व्यक्ति की
वस्तुनिष्ठता को प्रतिबिंबित नहीं करता – राहुल देव
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने सोशल मीडिया के संदर्भ में कहा कि
हैशटैग की बड़ी दिक्कत है कि यह व्यक्ति की वस्तुनिष्ठता को प्रतिबिंबित नहीं करता . लेकिन यदि सचेत
होकर सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाए तो ये उपयोगी सिद्ध होगा. लेकिन नवभारत टाइम्स.कॉम के संपादक नीरेंद्र
नागर ने हैशटैग को पत्रकारिता के लिए खतरनाक मानते हुए कहा कि ट्विटर ने पत्रकारों
को निकम्मा बना दिया है. इसका असल इस्तेमाल तो राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं. वैसे हैशटैग से ज्यादा खतरनाक चीज ‘कीबोर्ड’ है. वहीं
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कहा कि हैशटग
जर्नलिज्म कोई अलग जर्नलिज्म नहीं है. दरअसल जिस जर्नलिज्म की हम चर्चा करते आए हैं, यह उसी का एक हिस्सा है. अहम सवाल ये नहीं है कि सोशल मीडिया अच्छा है या बुरा. बड़ा सवाल ये है कि इसे कौन और कैसे इस्तेमाल कर रहा है? लेकिन सच्चाई ये है कि सोशल मीडिया का
इस्तेमाल समृद्ध और पावरफुल लोग कर रहे हैं. वास्तव में हैशटैग मुख्यधारा की
पत्रकारिता का एक्सटेंशन है.
सोशल
मीडिया एजेंडा पत्रकारिता
के लिए हाइजैक हो गया है – के जी सुरेश
भारतीय
जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के जी सुरेश ने हैशटैग पत्रकारिता पर टिप्पणी करते
हुए कहा कि मैं खुद सोशल मीडिया का समर्थक हूं और उसपर सक्रिय भी हूँ. लेकिन जिस
संस्थान (भारतीय जनसंचार संस्थान) के महानिदेशक का पद मिला वहां डिजिटल मीडिया का
कोई कोर्स ही नहीं था, अब जाकर वहां नयी मीडिया का विभाग शुरू हुआ. लेकिन हैशटैग
पत्रकारिता ऐसी निरर्थक बहस को भी बढ़ावा देता है और दो लोगों की बेमतलब की बहस को
राष्ट्रीय बहस में तब्दील कर देता है. मुझे कभी कबी ताज्जुब होता है कि हम किसका
एजेंड़ा सर्व कर रहे हैं.
सोशल मीडिया एजेंडा पत्रकारिता
के लिए हाइजैक हो गया है और ये एक खतरनाक स्थिति है. सोशल मडिया को वापस
सोसाइटी के हाथ में जाना चाहिए.
हैशटैग
जर्नलिज्म से लोकतंत्र का
विस्तार होता है – अनुराग बत्रा
लेकिन बिजनेस
वर्ल्ड के संपादक अनुराग बत्रा ने सोशल मीडिया और हैशटैग जर्नलिज्म का पक्ष लेते
हुए कहा कि हैशटैग जर्नलिज्म खतरा
नहीं,समाज के लिए एक अवसर है. इससे
लोकतंत्र का विस्तार होता है. वही एचसीएल की कंटेंट हेड बियांका घोष ने
कहा कि आज की तारीख में ब्रांडेंट कंटेंट और एडीटोरियल के बीच की विभाजन रेखा पूरी
तरह से खत्म हो गई है.हैशटैग पत्रकारिता को मैं पसंद नहीं करती,लेकिन इससे आप
इंकार भी नहीं कर सकते.
लाइव इंडिया
के ग्रुप एडिटर और वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया के संदर्भ
में कहा कि आजकल सोशल मीडिया की आड़ में पत्रकार ही पीआर कर रहा है.पीआर कंपनियों के
लिए कुछ बचा नहीं. ये बहुत ही खतरनाक स्थिति है.
तीन करोड़
ट्विटर अकाउंटधारी सवा सौ करोड़ की आबादी की आवाज नहीं- सईद अंसारी
सबसे अंतिम
वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए आजतक के मशहूर न्यूज़ एंकर सईद अंसारी ने कहा
कि क्या ट्विटर के स्टेटस किसी भी
व्यक्ति के विचार को व्यक्त करे के लिए पर्याप्त है? क्या तीन करोड़ ट्विटर
अकाउंटधारी सवा सौ करोड़ की आबादी की आवाज बन पा रहे हैं? यदि
आवाज़ है तो किसी व्यक्ति
का स्टेटस क्यों ट्रेंड नहीं करता. दरअसल ये बहुत ही एलीट, सिलेब्रेटी का माध्यम है. हालाँकि हम इसकी
जरूरत को नकार नहीं सकते. बुलेटिन के बीच में हमें भी कई बार किसी की ट्वीट को
शामिल करना होता है और खबरें वहां से दूसरी दिशा में मुड़ती है. ट्विटर पर जो
ट्रेंड हो रहा है,
वो मेनस्ट्रीम मीडिया में बतौर खबर शामिल किया जा रहा है लेकिन कभी
आपने देखा है कि किसी सामान्य व्यक्ति की कोई खबर ट्रेंड कर रही हो? आप लाख तर्क
देते रहिए कि इससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो रही है लेकिन क्या ये सचमुच इतना
मासूम माध्यम है ?

(संपर्क – पुष्कर
पुष्प , मोबाईल – 9999177575)