12.12.14

शिव की आँखें खुलीं थी उस रात में !


रास्ते खोजते भीगते भागते, जिसके दर पे  थे  उसने  बचाया  नहीं
कागज़ों पे लिखे गीत सी ज़िंदगी- जाने क्या क्या हुआ उस रात में ?
तेज़ धारा बहा ले गई ज़िंदगी रेत से बह रहे थे नगर के नगर  –
क्रुद्ध बूंदों ने छोड़ा नहीं एक भी, शिव की आँखें खुलीं थी उस रात में !
हर तरफ़ चीखतीं भयातुर देहों को तिनका भी मिला न था इक हाथ में-
बोलिये क्या लिखें क्या सुनें क्या कहें- जो बचा सोचता ! क्यूं बचा बाद में ?
जो कुछ भी हुआ था वज़ह हम ही थे- पर सियासत को मुद्दों पे मुद्दे मिले.
 बेरहम चैनलों पे लोग थे,   गिद्धों की तरह  आदमी थे जुटे-
 काटकर अंगुलियां मुद्रिका ले गये  हाथ काटे गये चूड़ियों के लिये
निर्दयी लोगों के इस नगर में कहो क्या लिखूं, शब्द छुपते हैं आघात में .
मत कहो गीत गीले होते नहीं, अबके गीले हुये हैं वो बरसात में...
                                                                          * गिरीश बिल्लोरे ”मुकुल”

  

8.12.14

Bhopal : A Prayer For Rain के निर्देशक हैं जबलपुर के डाक्टर रवि कुमार शकरगाए

इस वक्त में दुनियां की सबसे  चर्चित  फिल्म  "Bhopal : A Prayer For Rain " का निर्देशन   लेखन जबलपुर के अनिवासी भारतीय चिकित्सक ने किया है ।
         मुझे स्मरण हो आया अपने स्वर्गीय मित्र क्रिकेटर   स्व. डाक्टर संजय श्रीवास्तव का जिनके डा. रवि बाल सखा है ।  डा. रविकुमार राइट टाउन जबलपुर निवासरत शकरगाए परिवार सदस्य हैं यह परिवार नार्मदीय ब्राह्मण परिवारों में से एक है जो बहुधा संयुक्त परिवार की मिसाल होते हैं  ।      पिता श्री मदन मोहन शकरगाए स्वयं  सेवानि:वृत बुजुर्ग हैं परंतु वृद्ध होने का एहसास वे होने नहीं देते । नार्मदीय ब्राह्मण समाज में सतत सक्रिय शकरगाए दादा जी गायकी के शौकीन हैं आज भी गीत भजन गाते हैं , जब मन हुआ यात्रा पर कुल मिला कर आत्मसाहस के साथ ज़िंदादिली के साथ जीवन का आनंद लेते शकरगाए जी के मन में उत्साह का संचार होना स्वाभाविक है .... डा. रवि का जन्म 11 अक्टूबर 1961 को मध्यप्रदेश के  बैरागढ़ भोपाल में हुआ । प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा भी भोपाल में ही हुई । 
                  घर के मुखिया  की सरकारी नौकरी के चलते समूचा   परिवार को 1976 में जबलपुर आया । संस्कारधानी की तासीर ही कला साधना के सबसे अनुकूल है युवा विद्यार्थी रविकुमार की प्रतिभा को निखारने का मौका यहीं मिला ।
                मेरे  मित्र  स्व. ( डा.) संजय श्रीवास्तव मुझे इनकी रुचियों के बारे में बताया करते थे ।   मुझे पता था कि डा. रवि का नाता चिकित्सा से तो है ही पर वे थियेटर में भी रुचि रखते हैं किन्तु इंग्लैण्ड के सेंट मेरी एवं सेंट जांस हास्पिटल्स के  पीडियाट्रिशियन डा. रवि फिल्म निर्माण से अभी भी जुड़े हैं इस बात से अनभिज्ञ रहा हूँ । परिजनों के अनुसार नाटक एवं लेखन में डॉ. रवि की विशेष रूचि एवं वर्तमान कार्यों की पुष्टी हुई  है । माँ श्रीमती कुसुम ने बताया कि – “ रवि विश्व में अपनी फिल्म साधना को स्थापित करना चाहते हैं , रचनात्मकता उनके जीवन की  अभिन्न ज़रूरत है   ”
         डा. रवि शकरगाए ने नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कालेज से एम बी बी एस की डिग्री हासिल कर मूलचंद हास्पिटल दिल्ली में इटर्नशिप करने के बाद 1988 में M. D.  Pediatrics के लिए लन्दन गए । वहीं Child Heart Specialist की उपाधि प्राप्त की. डा. रवि की पत्नी श्रीमती मेरली भी जीवन साथी होने के साथ साथ उनके प्रतिभावान व्यक्तित्व की हमकदम हैं ।   
 भोपाल : ए प्रेयर फॉर रेन का निर्माण एवं प्रदर्शन  
            चर्चित  फिल्म भोपालः ए प्रेयर फॉर रेन को बनाने में आठ साल लगे यह फिल्म लगभग पांच बरस पहले बनके तैयार हो चुकी थी. इसका प्रदर्शन पहली बार  सितंबर 2014 को अमेरिका में किया गया । फिर 7 नवंबर 2014 को अमेरिका में छोटे पैमाने पर किया गया । वहां  इसे कैलिफोर्निया, लास एंजलिस, शिकागो सहित कई स्थानो पर प्रदर्शित करने की मांग की गई है ।  अमेरिकी फिल्म समीक्षक एवं दर्शक इस  फिल्म को टायटेनिक के समतुल्य मानते हैं ।
भारत में प्रदर्शन  : -  
            भारत में फिल्म का प्रदर्शन गैस हादसे की तीसवीं बरसी पर 3 दिसंबर 2014 को भोपाल के   आशिमा मॉल के सिनापोलिस थियेटर किया गया । अगले ही दिन यानी 4 दिसंबर 2014 को इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग में  सलमान खान , रितिक रौशन, रितेश देशमुख , महेश भट्ट आदि मौजूद थे । स्मरण हो की इस फिल्म को देखने के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने प्रदेश में कर मुक्त करने की घोषणा भी की है ।   

 समीक्षकों की नज़र में  
          एक अन्य फिल्म समीक्षक *स्टेसी यंट्स ने कहा कि – “मैं इस फिल्म को  कोई रेटिंग अंक नहीं दे रहा हूँ क्योंकि यह फिल्म रेटिंग वाले मानदंड से सर्वथा ऊपर है ।
काबिले गौर तथ्य आपके सामने लाना ज़रूरी है कि - कांस एवं टोकियो  फिल्म त्यौहारों  में ही नहीं वरन स्विटज़रलैंड में भी इसे अनूठी फिल्म माना है. यद्यपि हम अभी इसे देख नहीं पाए हैं. जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि अमेरिकी फिल्म समीक्षक एवं दर्शक इस  फिल्म को टायटेनिक के समतुल्य मानते हैं इस फिल्म को देखने के बाद मैं  निर्विवाद रूप से पुष्टि करता हूँ कि रवि भाई में  भविष्य में  निर्देशक के रूप में हालीवुड के चुनिन्दा श्रेष्ठ निर्देशकों में से एक होंगे । घटना के बाईस बरस बाद रवि जी के दिमाग में मिक बनाम भोपाल वाला घटनाक्रम तैर गया और उनने आर्थिक विकास की अंधी भागमभाग के दौर को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सतर्क व्यवहार के लिए फिल्म के जरिये आगाह किया तो मान लेना चाहिए कि लेखक के रूप में  रवि जी का विज़न अधिक सक्रिय है ।  
          फ़िल्मकार रवि ने अपनी  फिल्मकारी की श्रेष्ठता  उत्कृष्ट  2001 में बनाई  लघु फिल्म  My other wheelchair is a porshe में  ही   सिद्ध कर दी है ।
          नियोमी केंटोन की नज़र में यह फिल्म – स्लम डाग मिलेनियर एवं ट्वेलव ईयर अ स्लेव से बेहतर है ।

*स्टेसी यंट्स : "I cannot g ive this film a rating, as it is so much more than that. I can only simply say it is important that everyone see this devastating tale, to learn, to know, to feel and to act." { देखें -  Stacey Yount's  Special Review – Bhopal: A Prayer For Rain } ]
          मैं भारतीयों को लेकर अत्यधिक आशावादी हूँ मुझे मालूम है कि पंद्रह वर्षों में भारत सम्पूर्णविश्व में अपनी सोच समझ एवं ज्ञान की शक्ति के सहारे सर्वोत्तम साबित होंगे । तब डा.रवि कुमार शकरगाए का अपना मुकाम हॉलीवुड में  सबसे अलग होना तय है ।  
डा. रविकुमार शकरगाए का  फिल्मों में योगदान
निर्देशक के रूप में
2001 : My other wheelchair is a porshe (Short Film )
2003 : Notting Hill Anxiety Festival (Short Film )
लेखक  के रूप में
2003 : Notting Hill Anxiety Festival (Short Film )
निर्माता 
Uproot (short film )
परिवार का परिचय
पिता -  श्री मदन मोहन शकरगाए, सेवा नि:वृत शासकीय अधिकारी, अधिवक्ता, एवं गायक
माता – श्रीमती कुसुम शकरगाए गृहणी
भाई –
v श्री ब्रजभूषण  शकरगाए, पत्रकार , जबलपुर,
v श्री चंद्रभूषण शकरगाए, पत्रकार एवं प्रबंधन क्षेत्र में , जबलपुर
v डा. रविकुमार पीडियाट्रिक्स एवं फ़िल्मकार , हालीवुड / लंदन
v श्री विवेक आनंद शकरगाए , टोरंटो
v श्री भारत भूषण शकरगाए, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के  प्रबंधकीय – विभाग में सेवारत


7.12.14

मेरा मानना है कि उच्च दर्जे की आय अर्जित कर सकेंगे हिन्दी ब्लागर : रवि रतलामी

हिन्दी के मशहूर ब्लागर श्री रविशंकर श्रीवास्तव   जिनको हम रविरतलामी के नाम से जानते  हैं  गूगल की विज्ञापन नीति से से उत्साहित हैं । उनका मानना है कि भविष्य में ब्लागिंग रोजगार का जरिया हो सकती है । इस सिलसिले में उनसे हुई बातचीत का पॉडकास्ट सुनिए .....

गूगल की हिन्दी ब्लागिंग के लिए विज्ञापन नीति पर अनूप शुक्ल फुरसतिया जी का वक्तव्य

 गूगल की हिन्दी ब्लागिंग के लिए विज्ञापन नीति पर अनूप शुक्ल फुरसतिया जी का वक्तव्य पॉडकास्ट के रूप में प्रस्तुत है -
SoundCloud Dot Com Cirish_Billore V/s Furasatiya

सुनो साक़ी ! अपनी पायलों में ताज़गी लाना ।

न मैखाने का पैमाना, न पैमाने का मैखाना
कोई नाता नहीं इनमें गर सूना हो मैखाना ।
यही समझाने आया हूँ कि हर रिश्ते में कारण है –
ये दुनियाँ इक तिजारत है इसे जब चाहो को अज़माना ।।
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मयकश आने वाला है सुराही सामने लाओ
सुनो साक़ी ! अपनी पायलों में ताज़गी लाना ।   
उसे जो हो  पसंदीदा - गज़ल वो साज पे गाओ -
उसी की हो यकीं ये  उसको हर कतरे से समझाना ।।
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बिना मयकश के मैखाना उजड़ी इक इबारत है
कौन साक़ी ? कैसा प्याला ? सुराही क्या ? क्या मैखाना ?
कवि कोई कैसे लिखता जीवन की मधुशाला ...?
मयकश है तो मधुशाला मयकश है तो पैमाना ।।   
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24.11.14

बाल गायिका जयालक्ष्मी में मौज़ूद सुरसाधना के दैवीय गुण


16. नवंबर 2014 को एक वीडियो अचानक मुझे फ़ेसबुक पर देखने को मिला. फ़ेसबुक पर अलाहाबाद के किसी सदस्य श्री महेश सेठ जी ने शेयर किया था.  वीडियो में एक बेटी ने पंडित नरेंद्र शर्मा  के गीत “सत्यं शिवम सुंदरम ”  गाया था.  अनोखी आवाज़ उम्र भी कोई खास नहीं. मुझे लगा नौ-दस बरस से अधिक क्या होगी. 
हम सभी हतप्रभ थे, आवाज़ अनोखी एवम रेशमी सी.. अटूट संभावनाओं से भरी इस आवाज़ को बहुतों ने सुना. उसी दिन से मेरी तलाश [ जो सिर्फ़ नेट तक सीमित थी ] शुरु हुई.  सरस्वती की कृपा पात्र बेटी के बारे में जानने की इच्छा बलवति हुई. वीडियो एंबेड कर तुरंत किलकारी ब्लाग  [ http://kilakari.blogspot.in ] चस्पा कर दिया. रोज़ उसे सुनने लगा. हज़ारों लोगों  को यह आवाज़ मोहित करती है . फ़िल्म सत्यं-शिवम-सुंदरम का यह गीत वास्तव में पंडित नरेंद्र शर्मा का कालजयी गीत है. लता दीदी के मानस भाई पंडित नरेंद्र शर्मा ने यह गीत तब लिखा जब स्वयं उनके अंतस का कवि सत्य की तलाश में शब्दों से अक्षरों से भाव प्रदेश में संवाद कर रहा होगा. तब शायद स्वयं शिव ने उनमें समा कर इस गीत की रचना की होगी. गीत विशुद्ध रूप से जीवन का दर्शन है, अध्यात्म है, उनकी पुत्री मेरी चिट्ठाकार मित्र श्रीमति लावण्या शाह ने इस गीत के रचना काल एवम रचना काल की परिस्थियों पर ज़िक्र किया था जिसका सार ये है कि गीत एक महान आध्यात्मिक-अभिव्यक्ति है.
सत्यम-शिवम- सुंदरम के टायटल गीत को लेकर मेरी मान्यता ये है कि - किसी भी गायक के लिये इतना शुभ होता है कि तुरंत उसे आशीर्वाद मिलता है.. फ़िल्म सत्यं-शिवम-सुंदरम के हिट होने में इस गीत का अविस्मरणीय अवदान किसी से छिपा नहीं है. 
 आभास जोशी जैसे  वर्स्टाइल सिंगर को इसी गीत ने ऊर्ज़ा दी थी . सिंगर्स चाहें तो आज़मा कर देख सकते हैं.  
केरल के अलप्पी जिले के पल्लीपुरम की 11 वर्ष की जयलक्ष्मी 03.03.2003 को जन्मी. मां प्रीता जयकुमार  से सुर साधना का पहला पाठ सीखा .  पिताश्री जयकुमार   [ एक्स सर्विसमैन भारतीय सेना ]  लेकिन जयलक्ष्मी के  गुरु ने ज्यों ही वाट्सअप पे अपलोड किया वीडियो तुरंत वायरल हो गया.  इसे डा. कुमार विश्वास ने हाथौं हाथ लिया और प्रमोट भी किया . 
प्रशांत ने भी किया कमाल – 
पल पल इंडिया  की मानें तो व्हाट्सएप्प से पहले किसी परिचित के माध्यम से मुंबई में रहनेवाले वाइस ओवर आर्टिस्ट और प्ले बेक सिंगर प्रशांत जी को यह वीडियो प्राप्त हुआ था.उन्होंने 17 नवंबर को इसे यू ट्यूब पर अपलोड कर दिया.प्रशांत ने ही उस आवाज़ में सुनहरे कल को जाना पहचाना और ठाना कि इस आवाज़ को जन जन तक पहुंचाएं . प्रशांत ने इसे यू ट्यूब के अलावा सोशल मीडिया फ़ेसबुक, व्हाट्सएप्प, और अपने मेल से निरंतर   कैम्पेनिंग की . बावज़ूद इसके कि वे तेज़ बुखार में थे.  प्रशांत जी ने  चार रात दिन और रातें जगते-जगते आज बुखार से होने की खबर की पुष्टि करते हुये मुझे फ़ोन पर आज बताया कि –“मैं बिटिया की योग्यता पर मोहित एवम भावुक इस हद तक था कि उसे किसी न किसी तरह एक मुक़ाम हासिल हो.. आज़ मैं बेहद खुश हूं.. ” सोशल-मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो 
  यू ट्यूब चैनल के यूज़र पवन आर चावला यह वीडियो   छै दिन पहले अपलोड कर चुके थे. किंतु प्रशांत ने उसे लोगों तक बांटने का ज़िम्मा लिया  . 
जया  लता जी को आदर्श मानती है. लता जी ने बेटी जया की तारीफ़ करते हुए रियाज़ पर ज़ोर देने सलाह के साथ आशीर्वाद दिया .
ज़ी टी.वी. ने सुर की संभावना जया को पब्लिक के सामने पेश किया बेशक अद्वितीय काम किया. टीम को बधाईयां . किंतु ज़ी टी.वी. पर मौज़ूद जस्पिंदर नरूला एवम लता दी की सलाह को पूरा परिवार एवं स्वयं जया को माननी होगी … कि यश सदा मानस से हटा देना चाहिये . ताकि साधना जारी रहे. महान कलाकार होने का भ्रम साधना को खंडित कर देती है.  ललित्या सी.ई.ओ. रेडरिबन म्यूज़िक  ने अपने  " रेडरिबन म्यूज़िक कंपनी " से एक एलबम निकालने की घोषणा भी की है. 
सपना अवस्थी ने आवाज़ में परिवर्तन की ओर आगाह करते हुए.. सलाह दी है कि साधना सदा जारी रहे .

मलयाली भाषी इस बिटिया जैसी प्रतिभाएं कम नहीं हैं. पर इनको पहचान दिलाने में ऐसी ही पहल होनी जाहिये . रीयलिटी शोज़ प्रतिभाएं सामने ला रहे हैं किंतु उनकी अपनी  व्यवसायिक मज़बूरियां हैं.  सीमा हैं… 

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आखिरी काफ़िर: हिंदुकुश के कलश

The last infidel. : Kalash of Hindukush"" ہندوکش کے آخری کافر کالاشی لوگ ऐतिहासिक सत्य है कि हिंदूकुश पर्वत श्रृंख...