20.2.14

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!

               
साभार : Poetic Remnants से 

  हे देवर्षि "आप" इन दिनों भूमंडल के चक्कर काहे नहीं लगाते हो ?
           इंद्र की बात सुन नारद जी को अपना एडवांस टूर प्रोग्राम की सुध आई सो  हडबड़ा के उठे और वीणा करताल आदि गैजेट्स शरीर के साथ चस्पा कर बिना कुछ बोले चल पड़े ।
     सुदूर आकाश में नारायण नारायण की अनुगूंज बिखर रही थी क्षीरसागर नाथ ने लक्ष्मी से कहा - देवी आज गोया नारद को ए टी पी की एप्रूवड कापी मिल गई । पर एक बात समझ नहीं पा रहा हूँ कि स्वर्ग में कम्यूनिकेशन सिस्टम इतना कमजोर क्यों है ?
लक्ष्मी जी बोलीं- प्रभू नारद जी को इसी काम के लिए बोला था पर वो हैं कि अल्लसुबह से ही फेसबुक पर इत्ते बिजी हो जाते हैं कि कुछ पूछिए मत । फिर दिन भर ट्वीटते हैं ।
  अरे स्वर्ग में आपकी आज्ञा से एक मात्र ब्राडबैंड लगा है उससे भी पूरा किधर होता है । सारे देवता खासकर अप्सराएं आज़कल लाइफ़ स्टाइल फैशन साइट्स पर सर्फिंग करतीं नज़र आतीं हैं ।
      और देवता ......?
                               उनकी न पूछिये वो तो खैर जाने दीजिए नारद जी ने कहा था कि -"प्रभू, आपसे ट्विटर पर जुड़ा रहता पर वाट्सअप  कुछ समय के लिये फ़्री है .. आप भी डाउनलोड कर लीजिये फ़्री में संदेशों की आवाज़ाही हो जावेगी .
     इधर जाने कैसे  जी को  नारद जी के आगमन की खबर मिली कि झट वे ललित शर्मा जो चमचों को साधने में लगे हैं बस फ़िर क्या था हो गया हंगामा . को पता नहीं विष्णु भगवान और नारद जी की वार्तालाप का पता लगा कि बस्स एलान कर दिया - अपनी भैंस और मिस.रामप्यारी  के सामने- बोल दिये . बोले का कि सारे बड़का-छुटका ब्लागरन, माइक्रो ब्लागरन, फ़ेसबुकियन में हो हल्ला मच गया.
                 नारद के आते ही लोग उनके एकाऊंट पर ट्वीट करते नज़र आए .इधर नारद जी ने वाट्सअप के रास्ते प्रभू को संदेशा भेजा -"प्रभू, देश में सर्वत्र अमन चैन है पर..."
प्रभू- पर क्या नारद ...?
नारद बोले प्रभू - राजनगरी में झाड़ू चल रही है.. एक विशाल भवन में तरह तरह की आवाज़ें आ रहीं हैं.. सुना है किसी मानव ने एक स्प्रे की बोतल खोल दी ...
अर्र्र प्रभू ... एक प्रदेश में तो एक एक गण वस्त्र उतार रहा है..
         प्रभू ने संदेशा बांच के लक्ष्मी जी को सुनाया . और वही मनमोहनी मुस्कान बिखेर दी बिना कुछ बोले . फ़िर अचानक बोले - हे देवी, अब क्षीरसागर में काफ़ी दिन व्यतीत कर लिये .. मानव प्रज़ाति आपकी अनुपस्थिति में बेहद पीढा भोग रही है . जाओ सबका कल्याण करो .
और आप प्रभू...?
        हम तो सब पर इधर से ही नज़र रखेंगे ?
  प्रभू इधर से नज़र ...  क्षमा कीजिये नेट कनेक्शन भी कमज़ोर है.. ड्राप हो जाता है.. उधर वेबकास्टर   भी अस्थमेटिक हमले का शिकार है .. आप तो चलिये आर्यावर्त्य जहां संतुलन की अत्यंत आवश्यकता प्रतीत होती है.
              प्रभू ने लक्ष्मी जी की बात स्वीकार ली और चल पड़े ... धरा पर वैसा ही सब कुछ था जैसा कि नारद जी ने बताया ... लोग सुबह से अपने अपने कामकाज़ पे निकलते देर रात घर वापस आते पर सभी क्या अधिकांश लोग सुबह से "नमो-नमो" की ध्वनियां निकालते . प्रभू अति प्रसन्न हुए
इस पर लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया  - "प्रभू ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " से सिर्फ़ एक ही शब्द क्यों उच्चारित हो रहा है..?
      प्रभू असमंजस में थे कि - नारद जी ने संदेशा भेजा .. प्रभू आप किधर है ?
भूमंडल पर ही तो हूं.. देवी लक्ष्मी भी साथ हैं.   तत्क्षण प्रभू को अपनी वीणा पर लगे रडार पर पाकर देवर्षि प्रत्यक्ष हुए ...
   प्रभू विस्मित भाव से बोल पड़े - नारदजी ..... "आप"
   नारद जी - प्रभू, यहां "आप" शब्द का प्रयोग न करें बस नमो कहें.. नमो...!!
               प्रभू क्या बताऊं , यहां का मानव बेहद कंफ़्यूज़ है जब बाहर निकलता है तो "आप" और "नमो" शब्दों का अनुप्रयोग सम्हलकर करता है.
तो पूरा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! क्यों नहीं बोलता... मानव... ? प्रभू ने पूछा
नारद- प्रभू, भागो भागो पीछे देखो कंधे पे कैमरा लटकाए लोग आपकी तरफ़ आ रहे हैं..! तत्क्षण प्रसारित हो जाएगें आपके कहे शब्द और फ़िर आप किस किस को ज़वाब देते फ़िरेंगे. यहां इंद्रासन के लिये चुनाव प्रक्रिया ज़ारी होने वाली है. आप फ़ंसे तो  इस सृष्टि का क्या होगा ..?
प्रभू - पलायन करने पर बचेगा क्या ये जम्बू द्वीप..?
नारद- प्रभू, आज़तक बचा है तो बचेगा ही न .. इसकी अखण्डता को कौन खण्डित कर सकता है . सत्तालयों में जो भी कुछ होता है वो इन मानवों के लिये फ़िज़ूल की बातें हैं.. ये महान परिश्रम  से देश को बचाते हैं..
सत्तालय जाने के लिये कुछ लोग सिर्फ़ मुंह चलाते हैं..   मुंह चलाने से देश चलता है क्या..
        देवी लक्ष्मी विष्णु भगवान और नारद को भूमंडल के वातावरणवश भूख लग आई.. एक किसान के झोपड़े से आती रोटियों की गंध ने उनको अपनी ओर खींचा प्रभू ने झोपड़ी में जा सदतगृहस्थ से भूख लगने की बात कही . अतिथि देवो भव: का अनुसरण करते तीनों को भोजन परोसा गया.. तृप्ति उपरांत तीनों अंतर्ध्यान हो गये पर किसान को वरदान दे गये न तुम भूखे रहोगे न अतिथि .. अन्नदेव ...

17.2.14

योगी श्री अनन्तबोध चैतन्य

गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी श्री विश्वदेवानन्द पुरी जी
के सानिध्य में स्वामी 
अनन्तबोध चैतन्य

श्री अनन्तबोध चैतन्य का जन्म इतिहास प्रसिद्ध हरियाणा के पानीपत जिले के अधमी नामक गांव में हुआ । बचपन मे उनका नाम सतीश रखा गया। सतीश की बुद्धि बहुत ही तीव्र रही । घर का वातावरण धार्मिक होने के कारण इनको अनेक दंडी स्वामी और नाथ पंथ के महात्माओ का सानिध्य अनायास ही मिला। विभिन्न गुरुकुलों मे शिक्षा होने के कारण 18 वर्ष की छोटी उम्र मे ही इन्हें व्याकरण के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टाध्यायी आदि के साथ-साथ न्याय वेदान्त के अनेक  ग्रंथ जैसे तर्कसंग्रह, वेदांतसार आदि  तथा वेदों के भी कुछ अंश कंठस्थ हो गए । उपनिषदों का  भी इन्हे अच्छा बोध हो गया । इनके पिता पंडितश्रीमौजीराम की सत्संग प्रियता एवं सौम्य प्रकृति के फलस्वरूप भगवतसत्ता के प्रति ललक एवं आत्म जिज्ञासा ने इन्हे अध्यात्म की राह मे लगा दिया। अनन्तबोध चैतन्य बाल्यकाल से ही शक्ति के उपासक रहे।
शिक्षा
प्रारम्भिक शिक्षा के बाद अनेक गुरुकुलों एवं विद्यालयो में अद्ध्यन करते हुए इन्होंने कतिपय आचार्यों से शिक्षा प्राप्त की। इन्होने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय,कुरुक्षेत्र से  संस्कृत भाषा , भारतीय दर्शन के साथ स्नातक (शास्त्री) तथा दर्शन विषय में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की बाद मे भारतीय दर्शन मे ज्ञान विषय से पी एच डी वाराणसी से प्रस्तुत की ।  
दीक्षा
सबसे पहले गंगा जी के पावन तट बिहार घाट मे परम विरक्त तपस्वी दंडी स्वामी श्री विष्णु आश्रम जी के दर्शनों ने इनके जीवन की दिशा को बदल दिया उनकी आज्ञा से धर्मसम्राट करपात्रि जी महाराज की तपस्थली नरवर मे श्री श्यामसुंदर ब्रह्मचारी जी से स्वल्प समय मे ही प्रस्थानत्रयी  का अद्ध्यन किया तथा आत्मा एवं ब्रह्म की एकता को स्वीकार किया। इसके बाद अप्रेल 2005 मे विश्व प्रसिद्ध गोविंद मठ की महान परंपरा मे पूज्य महाराज आचार्य महामंडलेश्वर निर्वाण पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी श्री विश्वदेवानन्द पुरी जी से  अद्वैत मत में दीक्षित हुए एवं इनका नाम अनन्तबोध चैतन्यपड़ा।


प्रारम्भिक जीवन
अनन्तबोध चैतन्य की आध्यात्मिक यात्रा हिमालय की तलहटी के अनेक महान संतों और साधुओं की संगत में गहन आध्यात्मिक प्रशिक्षण के माध्यम से आध्यात्मिक उत्कृष्टता प्राप्त करने में आठ साल बिताने के साथ शुरू हई । .
इन्होने आदि शंकराचार्य संप्रदाय से संबंधित महानिर्वाणी अखाडे मे वैदिक शास्त्रों की सेवा करने के लिए और भारतीय विरासत और संस्कृति के आध्यात्मिक मूल्यों के लिए अपना जीवन समर्पित करने के का संकल्प लिया।
• बचपन की गतिविधियों एवं आध्यात्मिक जीवन के लिए बहुत गहरा आकर्षण को देखते हुये कुछ महापुरुषों ने कह दिया था कि एक दिन ये बालक आत्मबोध और मानवता की सेवा के लिए अपने पूरे जीवन समर्पित करेंगे।  

सनातन धारा की स्थापना
देश के सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक  और राष्ट्रीय नवजागरण के लिए सनातन धारा की स्थापना की। मानव मात्र को इससे नई चेतना मिली और अनेक संस्कारगत कुरीतियों से छुटकारा मिला। उन्होंने जातिवाद और बाल-विवाह का विरोध किया और नारी शिक्षा तथा विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया।
अद्ध्यापन अनुभव
अनन्तबोध चैतन्य जी हमेशा शास्त्र , संस्कृत भाषा , भारतीय दर्शन और संस्कृति के अपने विशाल ज्ञान के प्रसार में रुचि रखते है ।  .
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान छात्रों की सैकड़ों करने के लिए इन विषयों सिखाया है।  .
शिव डेल स्कूल, हरिद्वार में एक आध्यात्मिक सलाहकार के रूप में तीन वर्ष का अनुभव।
वह हमेशा उनके उन्नत शोध और अध्ययन में भारतीय और विदेशी दोनों प्रकार के लोगों को मदद प्रदान करते रहते है।
उन्होने माल्टा, यूरोप में एक मुद्रा अनुसंधान समूह शुरू किया है जो मानव मात्र को चिकित्सा एवं अध्यात्म मे सहायता मिल रही है ।
प्रकाशन
• कई पत्र और पत्रिकाओं के लिए लेख लिखने के अलावा संस्कृत अनुसंधान के महान वेदांत साहित्य संपादन में सहायता प्रदान की।  
.सनातन धारा और उपनिषदों  के रहस्य का आध्यात्मिक और सार्वभौमिक महत्व अंग्रेजी में अनुवाद किया है .
संस्कृत भाषा में एक विशेष पाठ्यक्रम जल्द ही छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा
श्री विद्या पर
• " श्री विद्या साधना सोपान " पुस्तक  जल्द ही प्रकाशित होने जा रही है .
                                                समाज सेवा और क्रियाएँ
बच्चों के कल्याण , स्वास्थ्य देखभाल आदि के लिए 2000 में वीर सेवा समिति की स्थापना
दोनों भाषाओं के छात्रों के लिए 2009 में अंग्रेजी संस्कृत अकादमी की स्थापना की। 
2011 में वैश्विक मिशन के साथ सनातन धारा फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना की।
अन्य लोगों और आश्रमों द्वारा अपनाई परोपकारी और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उनकी नि: स्वार्थ सेवाओं ने सभी संन्यासियों और भिक्षुओं के बीच में उसे बहुत लोकप्रिय बना दिया है।
2005 सभी दुनिया भर से छात्रों को उपनिषदों, श्रीमद भगवतगीता और श्री यंत्र मंदिर, कनखल, हरिद्वार  में योग सूत्र पर नियमित प्रवचन देते हैं.
कई संस्थाओं के सदस्य के रूप में और एक योग्य प्रशासक के रूप में वह उनके विकास के लिए अपने मूल्यवान गाइड लाइनों दिया है।
श्री विद्या पर प्रवचन देने के लिए मलेशिया में एक महीने के दौरे पर गए ।
 गीता और योग सूत्र पर उपदेश देने के लिए ऑस्ट्रेलिया में 3 महीने के दौरे पर गए।
 • बैंकाक, थाईलैंड में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया ।
• Bonatng , Kalimantan, इंडोनेशिया में धर्मों के बीच सद्भाव पर व्याख्यान दिया .
वह एक आध्यात्मिक नेता के रूप बाली इंडोनेशिया में हिंदू शिखर सम्मेलन 2012 और 2013 में आमंत्रित किया गए ।
वह इंडोनेशिया, जकार्ता , इंडोनेशिया के बैंक में रामायण के अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान अपने बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए एक मुख्य वक्ता के अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च प्रशंसा के साथ सम्मानित किए गए ।  .
उन्होने जनवरी 2014 में माल्टा, यूरोप में ' मुदाओ के द्वारा चिकित्सा ' के विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
उन्होने धार्मिक सद्भाव और विश्व बंधुत्व के एक मिशन के साथ दुनिया भर की यात्रा कर रहे   है।



रोज़ एक जन्म लेता हूँ

हर रोज़ जन्मता हूँ
ज़रूरी है रोज़ जन्मना
फिर हौले हौले बड़े  होने का
एहसास करना ।
कभी लगता है
एक बार फिर
बचपन आ गया
रोज़िन्ना भयभीत हो जाता हूँ
जब ये आभास होता है
कि मै
केवल एहसास कर सकता हूँ

2.2.14

गाँव में घर-घर तक पानी पहुँचाया जायेगा : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान डिण्डोरी

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गाँव को समूह में जोड़कर पाइप लाइन से घर-घर में पानी पहुँचाया जायेगा।साथ ही खेतों तक सड़कों का निर्माण करने का काम भी शुरू हो गया है। श्री चौहान आज डिण्डोरी में 'आओ बनायें अपना मध्यप्रदेशसम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 30 हजार 491 हितग्राही को विभिन्न योजना में 91 करोड़ 28 लाख रुपये के चेक वितरित किये। उन्होंने लगभग 27 करोड़ रुपये के लागत के निर्माण कार्यों का भूमि-पूजन एवं लोकार्पण किया। साथ ही 51 करोड़ के निर्माण कार्यों को मंजूरी दी।
शिलान्यास
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरी उतरेगी। समाज के हर वर्ग के सहयोग से प्रदेश को और समृद्ध तथा उन्नत बनाया जायेगा। उन्होंने इसके लिये सभी लोगों से सरकार के प्रयासों में भागीदार बनाने का आहवान किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासी अंचलों के चौतरफा विकास पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में डिण्डोरी जिले में सिंचाई की सुविधाओं के साथ-साथ खेती और उद्योग को बढ़ावा दिया जायेगा। जिले में खाद्य प्र-संस्करण इकाई खोलने के प्रयास भी किये जायेंगे। नये औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान भी खोले जायेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे अनुसूचित जातियों के लिये छात्र आवास योजना शुरू की गई है। इसमें किराये पर कमरा लेने वाले विद्यार्थियों का किराया सरकार चुकाती है।
बच्चों को लेपटाप दूंगा : शिवराज सिंह
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गरीबों को एक रुपये किलो गेहूँचावल और आयोडीनयुक्त नमक दिया जा रहा है। गरीबों के लिये अगले पाँच साल में 15 लाख आवास बनाये जायेंगे। अभी तक लाख लोगों को वनाधिकार-पत्र दिये जा चुके हैं और यह कार्य निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि सरकारी जमीन पर टपरियाँ बनाकर रहने वाले लोगों को मालिकाना हक के पट्टे दिये जायेंगे। उन्होंने उपस्थित जन-समुदाय को प्रदेश की उन्नति में भागीदार बनने का संकल्प भी दिलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा काम करने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को पुरस्कृत किया जायेगा। वहीं लापरवाह लोगों को सजा दी जायेगी।
इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री श्री शरद जैन,विधायक श्री ओमप्रकाश धुर्वे और श्री ओमकार मरकाम ने भी सम्बोधित किया।
विकलांग को देख मुख्यमंत्री ने रोका अपना काफिला


अपनी गहरी संवेदनशीलता के लिये जाने जाने वाले मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी डिण्डोरी यात्रा में एक विकलांग को घुटने के बल जाता देख अपना काफिला रोक लिया। वह सम्मेलन में शामिल होने जा रहा था। उन्होंने विकलांग अमर सिंह तेकाम से उसकी व्यथा सुनी और अपने काफिले के साथ वाली गाड़ी में बैठा लिया। वे उसे न केवल कार्यक्रम स्थल पर ले गये बल्कि मंच पर भी बैठाया। उन्होंने इस युवक की समस्याओं के निराकरण के लिये अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने सम्मेलन में स्वास्थ्य अधिकारियों को सभी नि:शक्तजन के स्वास्थ्य परीक्षण के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सरकारी खर्च पर इलाज के लिये दिल्ली-मुम्बई भेजा जायेगा।
बिदाई के पल 

14.1.14

कवि की तरह ही ब्रांडिंग कर नेता बनना चाहते हैं कुमार विश्वास : बीपी गौतम स्वतंत्र पत्रकार

बीपी गौतम (स्वतंत्र पत्रकार)8979019871
सार्वजनिक कवि सम्मेलनों के साथ एकल मंच पर श्रृंगार रस के प्रख्यात कवि
कुमार विश्वास श्रोताओं से अक्सर यह अपील करते रहे हैं कि अगली पंक्ति पर
तालियों की आवाज इलाहाबाद तक पहुंचनी चाहिए, इस अपील के साथ जब वह
श्रोताओं को सुनाते थे कि “दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं,
उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं, वो पगली लड़की मेरी
खातिर नौ दिन भूखी रहती है, चुप-चुप सारे व्रत करती है, मगर मुझसे कुछ ना
कहती है, जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ, लेकिन मैं
हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ, उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी
अधिकार नहीं बाबा, सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा, बस
उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना
भी भारी लगता है”, तो आईआईटी खड़गपुर के युवा हों या आईआईटी बीएचयू के,
आईएसएम धनबाद के युवा हों या आईआईटी रूड़की के, आई आईटी भुवनेश्वर के
युवा हों, चाहे आईआईएम लखनऊ के साथ एनआईटी जालंधर और एनआईटी त्रिचि के
युवा रात-रात भर उनकी रचनाओं पर झूमते रहे हैं, इसी तरह जब वे मदहोश होकर
यह गाते थे कि “दिल बरबाद कर के इस मेँ क्यों आबाद रहते हो, कोई कल कह
रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो, के ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे
मौला, मैं सब कुछ भूल जाता हूँ मगर, तुम याद रहते हो” तो वह रातों-रात
युवाओं के दिलों में बस गये। “हमारे शेर सुनकर के भी जो ख़ामोश इतना है,
ख़ुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है, किसी प्याले से पूछा है
सुराही ने सबब मय का, जो खुद बेहोश हो वो क्या बताए होश कितना है।”, ऐसी
रचनाओं के सहारे कुमार विश्वास युवाओं के दिलों पर बहुत कम समय में ही
राज करने लगे। ट्वीटर, फेसबुक, यू-ट्यूब सहित दुनिया भर की सोशल साइट्स
पर मौजूद उनकी रचनाओं के हिंदी कविता प्रेमी दीवाने हैं और लगातार उनकी
रचनाओं को पढ़ रहे हैं और यू-ट्यूब पर देख रहे हैं। हिंदी कवियों में
जितने हिट उनके वीडियो को मिलते हैं, अन्य किसी कवि का वीडियो लोकप्रियता
की दृष्टि से उनके वीडियो के आसपास भी नहीं है, यह सब यह सिद्ध करने के
लिए काफी है कि हिन्दुस्तान के साथ दुनिया भर में फैले हिंदी कविता
प्रेमियों के बीच वह बेहद लोकप्रिय हैं। दुनिया भर में फैले उनके प्रशंसक
यह भी जानते हैं कि कुमार विश्वास की कोई प्रेमिका है, जो इलाहाबाद में
रहती है, जिसका उल्लेख वह अक्सर करते रहे हैं और यू-ट्यूब पर मौजूद उनके
वीडियो में कही गई बातें आज भी सुरक्षित हैं, जिससे साफ़ है कि अपनी
रचनाओं में सत्य का अहसास कराने भर के लिए उन्होंने एक अनाम लड़की को भी
दुनिया भर में ख्याति दिला रखी है। खुद को इलाहाबाद में रह रही एक अनाम
लड़की का प्रेमी सिद्ध करते हुए तालियाँ बटोरते रहे हैं।
कुमार विश्वास अब तक सिर्फ कवि थे, जिससे उनकी इस तरह की बातों पर
अधिकाँश लोग गौर नहीं करते थे। मंच की मस्ती समझ कर भुला देते थे, लेकिन
वह अब राजनीति की राह पर चल पड़े हैं। उनकी एक-एक बात पर अब विपक्षियों की
नज़र है। उनकी पिछली कही बातों को भी लोग अब गंभीरता से ले रहे हैं। जिस
तरह वह इलाहाबाद की एक अनाम लड़की के सहारे मस्ती करते थे और श्रोताओं को
कराते थे, वैसे ही उन्होंने कभी हिंदू और मुस्लिम धर्म के देवताओं और
इमाम पर भी टिप्पणियां की थीं, जिसको लेकर अब बवाल हो रहा है। पिछले
दिनों लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन पर एक मुस्लिम युवा ने
धार्मिक टिप्पणी को लेकर ही अंडा मारा था, जिस पर खूब बवाल हुआ, ऐसे ही
किसी ने इलाहाबाद की उस अनाम लड़की का नाम-पता और फोटो सार्वजनिक कर दिया,
तो उस लड़की के जीवन का क्या होगा?
खुद को आशिक सिद्ध करने भर के लिए, अपनी रचनाओं में जान डालने के लिए,
युवाओं के बीच लोकप्रिय होने के लिए और एक लड़की के नाम के सहारे छिछोरी
मस्ती करने के लिए कुमार विश्वास ने उस अनाम लड़की की एक तरह से जिंदगी
बर्बाद कर दी है, वो हमेशा इस डर में ही जीती होगी कि कहीं उसके बारे में
पति को पता न चल जाये, कहीं पड़ोसियों और शहर के लोगों को पता न चल जाये,
इतना ही नहीं, कुमार विश्वास के राजनीति में आने के बाद से तो उसका डर और
भी बढ़ गया होगा। कुमार विश्वास की इस अशोभनीय और अनैतिक हरकत के
दुष्परिणाम का अंदाज़ा नरेंद्र मोदी के चर्चित कथित जासूसी प्रकरण से
लगाया जा सकता है। कथित जासूसी प्रकरण जैसे मीडिया में छाया, वैसे ही
सोशल साइट्स पर उस लड़की का नाम-पता और फोटो सार्वजनिक हो गया, जिसके कारण
उस लड़की का देश में रहना तक मुश्किल हो गया। बताया जा रहा है कि वो लड़की
परिवार सहित देश छोड़ गई है। देश न भी छोड़े, तो भी सामाजिक दृष्टि से उस
लड़की की जिन्दगी बर्बाद होने में कोई कसर बाकी नहीं रह गयी है, जबकि अभी
तक उस लड़की ने कोई बयान नहीं दिया है और न ही उसने किसी तरह की आपत्ति
जताई है, पर नरेंद्र मोदी के दुश्मनों ने उनकी छवि को तार-तार कर
राजनैतिक लाभ लेने भर की नीयत से एक लड़की की जिन्दगी से खिलवाड़ कर दिया।
ऐसे ही अब कुमार विश्वास के भी हजार दुश्मन हैं, उन्हीं में से किसी ने
ऐसा कुछ कर दिया, तो उनका कुछ हो न हो, पर उस लड़की का जीवन जरूर बर्बाद
हो जायेगा।
अब जो हो गया, सो हो गया। अतीत को बदला नहीं जा सकता और न ही मिटाया जा सकता
है, पर अतीत से सबक अवश्य लिया जा सकता है और कुमार विश्वास भी सबक ले
लें, तो यह उनके आने वाले राजनैतिक जीवन के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
वह पिलखुआ जैसे बड़े शहर में जन्मे हैं, एक शिक्षक की संतान हैं, उनका
शैक्षिक परिवेश भी अच्छा रहा है, खुद प्रवक्ता रहे हैं, कवि हैं और एमए व
पीएचडी के साथ उनके पास डी-लिट् की उपाधि भी है, धनाढ्य हैं, इतना सब
किसी को सिर्फ किस्मत से नहीं मिलता, यह सब पाने में उनकी अपनी मेहनत भी
है, लेकिन यह सब जिस किसी के पास होता, वह बेहद संवेदनशील और गंभीर होता।
उसकी हर बात वेद वाक्य की तरह होती। अब उम्मीद है कि कुमार विश्वास भी
अपने अंदर वह गंभीरता उत्पन्न करेंगे। किसी के भी बारे में भद्दी और ओछी
टिप्पणी करने से पहले सोचेंगे, क्योंकि उनके कहे अब शब्द इतिहास में दर्ज
होते हैं। शायद, गंभीरता उनके अंदर हो भी, पर आवश्यक है कि उस गंभीरता का
अब प्रदर्शन भी करें। साहित्य के मंच पर उन्हें आज तक खुद को ब्राह्मण
बताने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई, फिर भी अपार प्रेम मिला, पर राजनीति
के मंच पर पहले ही दिन वह अमेठी में खुद को ब्राह्मण बताने से नहीं चूके,
जिससे उनकी राजनैतिक मंशा स्पष्ट झलक रही है। प्रेम के दीवाने तमाम युवा
कुमार विश्वास को आदर्श मानते रहे हैं और वही युवा अब बेहतर भविष्य बनाने
की अपेक्षा लिए उनकी ओर निहार ही नहीं रहे हैं, बल्कि बड़ी संख्या में
उनसे जुड़ भी रहे हैं। कुमार विश्वास ऐसी पार्टी का महत्वपूर्ण अंग है,
जिसे परंपरागत घटिया राजनीति का विकल्प कहा जा रहा है, पर जैसे ब्रांडिग
कर वह बड़े कवि बने हैं, वैसे ही ब्रांडिंग कर बड़ा नेता बनने की डगर पर
चलते नज़र आ रहे हैं। हो सकता है कि वह बड़े नेता बन भी जायें, पर इस देश
के युवा और आम आदमी के साथ यह एक और छल होगा।
खैर, जिस व्यक्ति के पास डी-लिट् की उपाधि है और जो श्रृंगार रस का इतना
बड़ा कवि है, वह व्यक्ति यह जानता ही होगा कि प्रेम और राजनीति प्रदर्शन
और वाणिज्य के नहीं, बल्कि त्याग और दर्शन के विषय हैं। कुमार विश्वास के
उज्जवल भविष्य की कामना और उनकी ही एक लोकप्रिय रचना के साथ बात खत्म।
“वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है, वो कोई गैर क्या अपना ही
रिश्तेदार होता है, किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना,
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है।”

12.1.14

मकर संक्रान्ति : सूर्य उपासना का पर्व

आलेखसरफ़राज़ ख़ान

स्टार न्यूज़ एजेंसीआज़ाद मार्केट दिल्ली-6


भारत में समय-समय पर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं. इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहना गलत होगा. कई त्योहारों का संबंध ऋतुओं से भी है. ऐसा ही एक पर्व है . मकर संक्रान्ति. मकर संक्रान्ति पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब इस त्योहार को मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है. इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग शाम होते ही आग जलाकर अग्नि की पूजा करते हैं और अग्नि को तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति देते हैं. इस पर्व पर लोग मूंगफली, तिल की गजक, रेवड़ियां आपस में बांटकर खुशियां मनाते हैं. देहात में बहुएं घर-घर जाकर लोकगीत गाकर लोहड़ी मांगती हैं. बच्चे तो कई दिन पहले से ही लोहड़ी मांगना शुरू कर देते हैं. लोहड़ी पर बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है.

उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है. इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के नाम से जाना जाता है. 14 जनवरी से इलाहाबाद मे हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है. 14 दिसम्बर से 14 जनवरी का समय खर मास के नाम से जाना जाता है. और उत्तर भारत मे तो पहले इस एक महीने मे किसी भी अच्छे कार्य को अंजाम नही दिया जाता था. मसलन विवाह आदि मंगल कार्य नहीं किए जाते थे पर अब तो समय के साथ लोग काफी बदल गए है. 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है. माघ मेला पहला नहान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि तक यानी आख़िरी नहान तक चलता है. संक्रान्ति के दिन नहान के बाद दान करने का भी चलन है. उत्तराखंड के बागेश्वर में बड़ा मेला होता है. वैसे गंगा स्नान रामेश्वर, चित्रशिला अन्य स्थानों में भी होते हैं. इस दिन गंगा स्नान करके, तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है. इस पर्व पर भी क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े मेले लगते है. समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है और इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व होता है. इलाहाबाद में गंगा, यमुना सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है.

महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर कपास, तेल, नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं. ताल-गूल नामक हलवे के बांटने की प्रथा भी है. लोग एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं :- `तिल गुड़ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला` अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो। इस दिन महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं.

बंगाल में इस पर्व पर स्नान पश्चात तिल दान करने की प्रथा है. यहां गंगासागर में हर साल विशाल मेला लगता है. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था. इस दिन गंगा सागर में स्नान-दान के लिए लाखों लोगों की भीड़ होती है. लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं.

तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है.पहले दिन भोगी-पोंगल, दूसरे दिन सूर्य-पोंगल, तीसरे दिन मट्टू-पोंगल अथवा केनू-पोंगल, चौथे अंतिम दिन कन्या-पोंगल. इस प्रकार पहले दिन कूड़ा करकट इकट्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है. पोंगल मनाने के लिए स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं. इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता है. उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं. असम में मकर संक्रांति को माघ-बिहू या भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं. राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद लेती हैं. साथ ही महिलाएं किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं. अन्य भारतीय त्योहारों की तरह मकर संक्रांति पर भी लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)


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