18.4.10

पारे की उछाल :बवाल हुये लाल

जी आज अखबारों ने बताया कि पारा 45 डिग्री को छू रहा है . ब्लॉगर मित्र मियाँ बवाल सवा नौ बजे पधारे कहने लगे गिरीश भाई बाहर तो खूब गरम है "आल इज़ नॉट वैल"..... गरमी से बेहाल हुए "लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया पेश ए ख़िदमत है :- मज़ेदार बात चीत


इसे इधर भी सुना जाये

17.4.10

ब्लाग वाणी का शुक्रिया

ब्लागवाणी द्वारा  नये शामिल किये चिट्ठों को साइड बार में  दिखाना चालू किया है ये ब्लाग लम्बी अवधि के लिए
देखिये शायद कोई रचनाकार आपको मोह ले........ मित्रो इनकी सराहना उत्साहवर्धन ज़रूरी है बगैर यह जाने की ये ब्लाग कहां का है किसका है काले रंग के व्यक्ति ने लिखा या गोरे ने हिन्दू का है कि मोमिन का यानि जब मन इन से उपर उठ के बात हो तो फ़िर क्या कहना  ये रहे कुछ लिंक ब्लागवाणी से साभार
बुरांस बात बेबात अजनबी दुनिया राष्ट्र जागरण JOLLY UNCLE's Jokes & Article's उल्लू वाणी अनकही... गणतंत्र दस रुपया एक दिन नास्तिकों का ब्लॉग JANTA KI FIR Rosa Centrifolia :) :) :) शब्द-शब्द अनमोल भारत-भाग्य honestyprojectrealdemocracy छत्तीसगढ़ ख़बर इधर - उधर की एक बात ... anjana Mere Yatra ki kahaniyan मेरी यात्रा की कहानियाँ Guldasta Awadhesh Pandey ( अवधेश पाण्डेय )
 साथियो आज से नई-सुबह की शुरुआत हो इस आकांक्षा के साथ


 

15.4.10

वापस आ जाओ आस्तीन में

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5AIB7rLBa2E8MO_z8NFHRD5tOoB4u5SChNbi1x2SklOjsHQdnrDw4nEba3ZllUyDxrz_Qdi5enNTk28zPoB7jfPf2AJU1jptRYsApbo4gz7nyGXSam4hyphenhyphenYh47GcyKKqAh3Onf0v2oJYw/s320/cobra.jpgप्रिय तुमने जबसे मेरी आस्तीन छोड़ी तबसे मुझे अकेलापन खाए जा रहा है । तुम क्या जानो तुम्हारे बिना मुझे ये अकेला पन कितना सालता है । हर कोई ऐरा-गैरा केंचुआ भी डरा देता है।

भैये.....साफ-साफ सुन लो- "दुनियाँ में तुम से बड़े वाले हैं खुले आम घूम रहें हैं तुम्हारा तो विष वमन का एक अनुशासन है इनका....?"जिनका कोई अनुशासन है ही नहीं ,यार शहर में गाँव में गली में कूचों में जितना भी विष फैला है , धर्म-स्थल पे , कार्य स्थल पे , और-तो-और सीमा पार से ये बड़े वाले लगातार विष उगलतें हैं....मित्र मैं इसी लिए केवल तुमसे संबंध बनाए रखना चाहता हूँ ताकि मेरे शरीर में प्रतिरक्षक-तत्व उत्पन्न  विकसित हो सके.
जीवन भर तुम्हारे साथ रह कर कम से कम मुझे इन सपोलों को प्रतिकारात्मक फुंकारने का अभ्यास तो हों ही गया है।भाई मुझे छोड़ के कहीं बाहर मत जाना । तुम्हें मेरे अलावा कोई नहीं बचा सकता मेरी आस्तीनों में मैनें कईयों को महफूज़ रखा है। तुम मेरी आस्तीन छोड़ के अब कहीं न जाना भाई.... । देखो न आज़ कल तुम्हारे विष के महत्व को बहु राष्ट्रीय कम्पनीयां महत्व दे रहीं हैं.वे  तुम्हारे विष को डालर में बदलने के लिए लोग तैयार खड़े हैं जी । सुना है तुम्हारे विष की बडी कीमत है । तुम्हारी खाल भी उतार लेंगें ये लोग , देखो न हथियार लिए लोग तुम्हारी हत्या करने घूम हैं । नाग राज़ जी अब तो समझ जाओ । मैं और तुम मिल कर एक क्रांति सूत्र पात करेंगें । मेरी आस्तीन छोड़ के मत जाओ मेरे भाई।
मुझे गिरीश कहतें हैं कदाचित शिव का पर्याय है जो गले में आभूषण की तरह तुमको गले में सजाये रहते हैं हम तो बस तुमको आस्तीन में बसा लेना चाहतें हैं. ताकि वक्त ज़रूरत अपनी उपलब्धियों के वास्ते ‘पक्के-वाले‘ मित्रों के सीनों पर लोटने तुमको भेज सकूं . ये पता नहीं किस किस को सीने पे लोटने की अनुमति दे रहे हैं आज़कल ?
प्रिय विषधर, अब बताओ तुम्हारे बिना मेरा रहना कितना मुश्किल है.  कई दिनों से कुछ दो-पाया विषधर मुझे हडकाए पडे हैं मारे डर के कांप रहा हूं. अकेला जो हूं ..... हम तुम मिलकर शक्ति का भय दिखायेंगे . तुम्हारा विष ओर मेरा दिमाग मिल कर निपट लेंगें दुनियां से इसी लिये तो दोस्त तुमसे अनुरोध कर रहा हूं दोस्त ज़ल्द खत मिलते ही चले आओ ......वरना मुझे तुमको वापस लाने के सारे तरीके मालूम हैं.
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सुनिए भी
       

                       
   
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14.4.10

अलविदा नाना जी : त्रयोदशी दिनांक १३ अपैल २०१० पर विशेष

नाना जी को विदा करने सारे कुटुम्ब के लोगों  ने वही किया जो नानाजी तय कर चुके थे, उनके कहे और लिखे मुताबिक शवयात्रा के दौरान कोई रोयेगा नहीं सिर्फ़ और सिर्फ़ भजन गाये जावें . उन्हौने जैसा कहा वैसा हुआ. नाना जी ने कहा था ओर लिखा भी था - पुरुष की मृत-देह पर पत्नि के सिर से  सौभाग्य चिन्ह मिटाना, चूडियां तुडवाना न केवल अशोभनीय है बल्कि नारी के लिये अपमान कारक भी .......मैं अपनी पत्नि को सौभाग्य चिन्ह मिटाने या न मिटाने के निर्णय का अधिकार सौंपने का पक्षधर हूं....ये बातें नाना जी ने अपनी लिखित वसीयत में कही . अपने सेवा काल में उन्हौने एक मकान खरीदा उसमें रहे किंतु अचानक सत्य-साई-सेवा संगठन जबलपुर के द्वारा निर्मित हो रहे साई-परिसर के निर्माण के लिये उसे बेच कर धन देना सबको चकित कर गया . एक बार मेरे मन में आया कि पूछूं कि आपने यह क्यों किया किंतु जब मुझे ध्यान आया कि लोभ  मुक्त होने का सबक दे रहे हैं नाना जी तो मुंह से वो सवाल निकलता कैसे. ?
वन विभाग में नाकेदार के पद से भर्ति हुए न्यायिक सेवा में आये और फ़िर नाना जी ने  विधि की परीक्षा स्वर्ण-पदक के साथ पास की. हाथों  में पदक डिग्री, लिये घर आये किंतु शायद यह सवाल उनके दिमाग को परेशान कर रहा था कि पदक में सोने के नाम पर सोने का पालिश मात्र है सो कुलपति से पत्राचार कर सचाई का एहसास दिलाने की कोशिश की किंतु कोई उत्तर न मिलने पर नानाजी ने माननीय न्यायालय से अपील कर दी जो अभी फ़ैसले के इंतज़ार में है....?
नाना जी की अन्तिम इच्छा  थी कि उनकी मृत्यु का स्वागत हो हिन्दू रीति रिवाज़ो का पालन हो शोक न मनाए मृत्यु के बाद घर का वातावरण अध्यात्म मय भक्ति मय हो मै ईश्वर से मिलने जा रहा हूं तब शोक क्यो करना . 
उनकी इच्छा के अनुरूप एकादश गात्र के दिन सह-पिण्डी का कार्य क्रम किया गया. सहपिण्डी पूजन के समय वेद मंत्रोत्तचार के साथ शहनाई पर हिण्दू भजनों की धुने रमज़ान भाई ने गुंजाई.......साथ ही गरीबों को जिन्हैं ”साई-ने नारायण माना है” को पूरे कुटुम्ब ने उत्साह से सम्मान से भोज कराया .
रात में चुपचाप कम्बल उढाना,कु्ष्ठाश्रम,वृद्धाश्रम ,सरकारी अस्पतालों में ज़रूरत मंदों को तलाशते नानाजी अब हमारे बीच नहीं उनके किये कार्य कम से कम मुझे तो प्रेरणा देते रहेंगे

11.4.10

सांड कैसे कैसे

.

एक बुजुर्ग लेखक  अपने शिष्य को समझा रहे थे -"आव देखा न ताव टपका दिये परसाई के रटे रटाए चंद वाक्य परसाई के शब्दों का अर्थ जानने समझने के लिये उसे जीना होगा. परसाई को बिछौना समझ लिये हो का.?, दे  दिया विकलांग श्रद्धा को रोकने का नुस्खा हमको. अरे एक तो चोरी खुद किये उपर से कोतवाल को लगे बताने चोर का हुलिया . अगर  पुलिस के चोर खोजी कुत्ते नें सूंघ लिया तो सांप सूंघ जायेगा . ....?
 तभी दौनो के पास से एक सांड निकला चेला चिल्लाया-जाने सांड कैसे कैसे ऐरा घूम रहे हैं इन दिनों कम्बख्त मुन्सीपाल्टी वाले इनको दबोच कानी हाउस कब ले जावेगें राम जाने.
बात को नया मोड देता चेला गुरु से बोला:-गुरु जी, अब बताइये दस साल हो गये एक भी सम्मान नसीब न हुआ मुझे ?
तो, क्या कबीर को कोई डी-लिट मिली,तुलसी को बुकर मिला ?
अरे गुरु जी , मुझे तो शहर के लोग देदें इत्ता काफ़ी है .
सम्मान में क्या मिलता है बता दिलवा देता हूं ?
गुरु, शाल,श्रीफ़ल,मोमेन्टो...और क्या.....?
मूर्ख, सम्मान के नारीयल की ही चटनी बनाये गा क्या...इत्ती गर्मी है शाल चाहता है, कांच के मोमेंटो चाहिये तुझे इस के लिये हिन्दी मैया की सेवा का नाटक कर रहा था ? जानता हूं तुझे आदमी से हट के रुतबा चाहिये उन अखबारों में नाम चाहिये जिसको रद्दी-पेप्पोर बाला पुडे बनाने बेच आता है, या कोई बच्चे की ................ साफ़ करने में काम आता है उसमें फ़ोटो छपाना है..वाह से हिन्दी-सुत, तुझे सूत भर भी अकल नईं है. जा जुमले रट के बने साहित्यकार. मैने तुझे मुक्त किया जा भाग जा घूम उसी छुट्टॆ-सांड सा जो पिछले नुक्कड पे मिला था.
गुरु से मुक्त हुआ साहित्यकार इन दिनों ब्लागिंग कर रहा है जहां साड सा एन सडक पे गोबर कर देता है. चाहे किसी का पैर कोई आहत हो उसे चरे हुए को निकालना है सो निकाल रहा है. इधर न तो संपादक के खेद सहित का डर न ही ज़्यादा प्रतिस्पर्धी ........ कभी इसकी पीठ खुजा आता तो कभी उसकी........ बेचारा करे भी तो क्या. दफ़्तर में मुफ़्त का कम्प्यूटर फ़िर हिन्दी की सेवा का संकल्प... हा हा हा......?

10.4.10

सानिया कहा था न कल्लू पहलवान हुंकार भरेंगें

ये रिंग है कल्लू भाई
                                                 ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++                                                                        
  लो भाई सानिया मिर्ज़ा को और उनके परिवार भोपाल की एक समाजी संस्था  ने कौम  से बाहर का रास्ता  दिखा दिया है. ?ये खबर सानिया मिर्ज़ा दूल्हे मियां सोएब मलिक और सानिया के अम्मी अब्बू की सेहत पर कितना असर डालती है  कोई नहीं जानता  किंतु    अध्य्क्ष कल्लू पहलवान ज़रूर प्रदेश भर में छाये रहे दिन भर .  मियां कल्लू पहलवान कुछ भी कल्लो बो तो ले गिया भिया पैले से इतिल्ला कर देते शोयेब को  और सानिया को तो शायद वो आपकी पेलवानी  {”पहलवानी”} का मान रख लेते भाई मियां ! अब क्या जाओ रमजानी के टपरे से ज़र्दे वाला पान लियाओ आज़ अखबार में नाम छपा है शायद मुफ़्त में इज़्ज़त सहित रमज़ानी गिलौरी पेश करे ...
भाई- मियां हम तो सुनते हैं ये गीत भाई 

8.4.10

अरविंद मिश्रा जी हाईप तो सानिया मिर्ज़ा को किया गया है न कि महफ़ूज़ को

 मित्रो आज़ अगर महफ़ूज़ अली की उपलब्धि के समाचार को मैने पोस्ट किया अरविंद मिश्रा जी ने ओर उसके पहले ”गुमनाम ब्लाग समाचार नामक व्यक्ति” अज़ीबो गरीब टिप्पणियां कीं हैं मित्रो सच तो ये है कि हम आकाश की ओर मुंह करके थूकने की अभद्र कोशिश में लगे रहतें हैं
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पाडकास्ट के पहले भाग में सुनिए श्री बी एस पाबला,महेंद्र मिश्रा जी ,महफूज़ अली एवं मेरी वार्ता 
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    निर्णय आपके हाथ है
दूसरे भाग में चर्चा में शामिल; हुए मेरे साथ अजय झा,महफूज़
       

                       
   
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