जी आज अखबारों ने बताया कि पारा 45 डिग्री को छू रहा है . ब्लॉगर मित्र मियाँ बवाल सवा नौ बजे पधारे कहने लगे गिरीश भाई बाहर तो खूब गरम है "आल इज़ नॉट वैल"..... गरमी से बेहाल हुए "लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया पेश ए ख़िदमत है :- मज़ेदार बात चीत
इसे इधर भी सुना जाये
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Wow.....New
धर्म और संप्रदाय
What is the difference The between Dharm & Religion ? English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...
-
सांपों से बचने के लिए घर की दीवारों पर आस्तिक मुनि की दुहाई है क्यों लिखा जाता है घर की दीवारों पर....! आस्तिक मुनि वासुकी नाम के पौरा...
-
संदेह को सत्य समझ के न्यायाधीश बनने का पाठ हमारी . "पुलिस " को अघोषित रूप से मिला है भारत / राज्य सरकार को चा...
-
मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ एवम भुवाणा क्षेत्रों सावन में दो त्यौहार ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध महिलाओं बालिकाओं बेटियों के आत्मसम्मान की रक...
34 टिप्पणियां:
"लाल” को लस्सी पिला के पाडकास्ट रिकार्ड किया,मज़ेदार है बात चीत...
अरे यहां भी रिश्वत....:) बहुत सुंदर बात चीत जी मजे दार
मुझे आपकी हर पाडकास्टिंग अच्छी लगती है ,ये तो गरम गरम भी है और नरम नरम भी है
बधाई
इसी तरह कारवां आगे बढाते रहें गिरीश जी हम सब आपके साथ हैं, बहुत बहुत आभार आपका
लिमटी खरे
@रवींद्र भाई तरावट के साथ खुल गये बबवाल
@राज़ दादा जी ये आजकल घूस नहीं स्नेह है हा हा
@शुक्रिया अलका जी
बवाल साहब से बात चीत अच्छी लगी ..पर्यावरण पर उनके वैज्ञानिक विचार और ब्लॉगजगत से जुडी बातें -सब रोचक लगी !
और उनकी विनम्रता ...दिल को छूती है ....अनुकरणीय है -बिल्लोरे जी यह काबिले गौर है! विवेक रंजन जी के बारे में टिप्पणी बिलकुल सही है ....उन्हें इस और ध्यान देना चाहिए!
बवाल के पास जाओगे तो लस्सी का गिलास ले जाना ही पड़ेगा ! शुभकामनायें !
45 degree hay Raam ubal yani bheeshan garmee abhi se...
chhuttiyon ko lekar Bawaal sir aur aapki baaton se 100% sahmat hoon..
mata-pita ko bhi apne ladlon aur ladliyon ko jaldi se safal bante dekhne ki jaldi hai na
आपकी यह पाडकास्ट अपने आपमें बहुत मायने रखने वाली है गीरीष जी। इसमें बवाल भाई का "लाल" हो जाना बहुत रोचक मालुम हुआ। बात की बात में बात को कह जाना कोई बवाल से सीखे। बतलाइए ४५ डिग्री के पारे की आड़ में कितनी बड़ी समस्या की ओर इशारा किया है उन्होंने। सच हम अपने प्यारे बच्चों पर कितना अनाचार कर रहे हैं ? आह! सहज में इतना दर्द बयान कर दिया आपके साथ मिलकर बवाल साहब ने। आज हमें भी महसूस हो रहा है कि समीर लाल जी और बवाल जी की जुगलबंदी, विचारधारा की जुगलबंदी है, महज़ यारी नहीं। यह पूरी बातचीत बहुत ध्यान से सुनी जानी चाहिए। लम्बी है तो क्या हुआ, बहुत सार्थक है।
yahan bhi taang kheenchoo mendhak wala chutkala laagoo hota hai..
Kislay ji ki pahichaan unke kutte ki wajah se bana rahe hain aap..
भाई साहब गिरीश जी आदाब
बवाल भाईजान का गाना तो पिछले पखवाड़े ही नागपूर में रेल्वे वालों के एक प्रोग्राम में सुना था। वाह क्या अंदाज़ है उनका पेश करने का। उनकी लिखी और गाई गजल "साजिश न कहो ये तो कोशिश है एक जहर से जहर झड़ाने के लिए । यहाँ कौन है ये बीड़ा उठाने के लिए इस शहर को शहर बनाने के लिए", एक बार फिर याद आ गई। ये समझ लीजिए कि इस बातचीत में इसी गज़ल का सार था। लस्सी मजेदार थी। बच्चों के लिए उनकी तकरीर एकदम सही है।
साक्षात्कार गरमागरम चाय की तरह रहा बल्कि उबल रही चाय या खौलती चाय समझिए। पर काफी खूब खोला गया है हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में। ललित शर्मा की मूंछों की चर्चा बहुत बढि़या रही। हिन्दी ब्लॉगिंग में मूंछों पर जब भी शोध किया जाएगा तो ललित जी की चर्चा अवश्य होगी।
लाली ब्लॉगिंग के लाल की...
दिखाने-सुनाने के लिए गिरीश जी शुक्रिया...
जय हिंद...
बड़ी शानदार बातचीत रही. बवाल को लस्सी और हमें यूँ ही टरका दिया??
४५ डीग्री पर पारा सुनकर हालत खराब हो गई.
बवाल का पर्यावरण चिन्तन और फिर बच्चों की शिक्षा पर विचार सुनकर अच्छा लगा.
रामकृष्ण गौतम जी को साधुवाद नई दुनिया के आलेख पर.
बवाल को जाने काहे दिया बिना गाये? :)
बवाल जी से आपकी यह बातचीत सुनने के बाद लगता है कि वास्तव में हमलोग आसान बातों को जबरदस्ती कठिन बना लेते हैं और यह आजकल का फ़ैशन हो गया है। यह बच्चों में कन्वर्शन वाली बात तो हमें भी सही लगती है बवाल भाई की। ये तो आजकल सही में बहुत हो रहा है। डॉक्टरों को इस बात को समाज और सरकार को बतलाना चाहिए कि इसका कारण बच्चों पर डाला जाने वाला भार है। बहुत बहुत धन्यवाद आप और बवाल वकील साहब का जो ऐसी बातें समाज के सामने इस तरीके से लाए। बवाल जी ने सही कहा कि लस्सी बनने के बाद उसे वक्त रहते पी लेना चाहिए वरना दही नीचे बैठ जाता है और ऊपर पानी पानी ही रह जाता है। हा हा।
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
बवाल जी से आपकी यह बातचीत सुनने के बाद लगता है कि वास्तव में हमलोग आसान बातों को जबरदस्ती कठिन बना लेते हैं और यह आजकल का फ़ैशन हो गया है। यह बच्चों में कन्वर्शन वाली बात तो हमें भी सही लगती है बवाल भाई की। ये तो आजकल सही में बहुत हो रहा है। डॉक्टरों को इस बात को समाज और सरकार को बतलाना चाहिए कि इसका कारण बच्चों पर डाला जाने वाला भार है। बहुत बहुत धन्यवाद आप और बवाल वकील साहब का जो ऐसी बातें समाज के सामने इस तरीके से लाए। बवाल जी ने सही कहा कि लस्सी बनने के बाद उसे वक्त रहते पी लेना चाहिए वरना दही नीचे बैठ जाता है और ऊपर पानी पानी ही रह जाता है। हा हा।
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
बवाल जी से आपकी यह बातचीत सुनने के बाद लगता है कि वास्तव में हमलोग आसान बातों को जबरदस्ती कठिन बना लेते हैं और यह आजकल का फ़ैशन हो गया है। यह बच्चों में कन्वर्शन वाली बात तो हमें भी सही लगती है बवाल भाई की। ये तो आजकल सही में बहुत हो रहा है। डॉक्टरों को इस बात को समाज और सरकार को बतलाना चाहिए कि इसका कारण बच्चों पर डाला जाने वाला भार है। बहुत बहुत धन्यवाद आप और बवाल वकील साहब का जो ऐसी बातें समाज के सामने इस तरीके से लाए। बवाल जी ने सही कहा कि लस्सी बनने के बाद उसे वक्त रहते पी लेना चाहिए वरना दही नीचे बैठ जाता है और ऊपर पानी पानी ही रह जाता है। हा हा।
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
बवाल जी से आपकी यह बातचीत सुनने के बाद लगता है कि वास्तव में हमलोग आसान बातों को जबरदस्ती कठिन बना लेते हैं और यह आजकल का फ़ैशन हो गया है। यह बच्चों में कन्वर्शन वाली बात तो हमें भी सही लगती है बवाल भाई की। ये तो आजकल सही में बहुत हो रहा है। डॉक्टरों को इस बात को समाज और सरकार को बतलाना चाहिए कि इसका कारण बच्चों पर डाला जाने वाला भार है। बहुत बहुत धन्यवाद आप और बवाल वकील साहब का जो ऐसी बातें समाज के सामने इस तरीके से लाए। बवाल जी ने सही कहा कि लस्सी बनने के बाद उसे वक्त रहते पी लेना चाहिए वरना दही नीचे बैठ जाता है और ऊपर पानी पानी ही रह जाता है। हा हा।
--- कु. रानी उपाध्याय (मेरठ)
@दीपक भाई
विजय जी ने जिस तरीके और अनुशासन से बेज़ुबान बोनी को सिखाया वाकई काबिले तारीफ़ है. बोनी से बार बार मिलना चाहते हैं लोग.उनमें मैं भी हूं
@समीर भाई बवाल बाज़ार एक झोला भर खरीदी करके लौटे थे सोचा कि कहीं सुर भटका तो नाम खोटी होगा हा हा हा
@अविनाश जी विमान कम्पनीयां इस पर विचार कर रहीं हैं
हा हा लस्सी भी बात की बात में इतनी बढ़ जाएगी हमने तो सोचा न था। काश जो बातें हम यूँ ही कर बैठे, उन पर अमल हो पाता।
आपके सकारात्मक प्रयास की जय हो। समीर लाल जी सच कहा कि बवाल को बिना गाए जाने क्यों दिया ? एक बात तो है कि आज अपने लाला जी (समीर) की याद बहुत आई जी। उन्हें बहुत मिस किया। नामालूम क्यूँ ? बाक़ी सभी साहेबान का तहेदिल से शुक्रिया।
भाई बवाल
लस्सी के बाद शाम को कुछ और तो नहीं लिक्या
काकटेल हो जायेगी
फ़िर न कहना हां नई तो
हा हा। सवेरे सवेरे बात तो मुर्गे से ही शुरू हुई थी तो शाम होते होते उसकी दुम (Cocktail) तक भी न पहुँचेगी ? क्यो भाई गिरीष जी, क्या ओपीनियन है इस पर आपकी ?
बातचीत काफी चटपटी रही,धन्यवाद गिरीश जी एवं बवाल जी।
अब तो यह लैपटॉप बहुत तंग कर रहा है... हम तो अब जा कर ऑन कर पाए हैं.... और पूरा पॉडकास्ट अभी सुन रहे हैं....
सभी का आभार
Cocktail me narmad jal milana kam as kam mere liye mushkil hai haa haa haa
चाचा मज़ा आ गया
आप लोग भी गज़ब करते हैं
बवाल जी ने क्या बवाल-ए-ख़ास interview दिया है.....
आपने भी कम बवाल नहीं किया है....
बस सब कुछ बवाल ही बवाल है...
हाँ नहीं तो...!!
बढ़िया रहा यह इण्टरव्यू!
आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी तो है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html
शुक्रिया शास्त्रीजी देखता हूं
adaa jee aaz kal aap kidhar gum hai
baat nahee ho paa rahee.....?
हा हा। कहाँ की चर्चा कहाँ ले गए भैया लोग। मगर थी बातचीत एक्दम सटीक। हमारा मॉडल स्कूल तो १० बजे से लगता था गिरीष जी मगर इसी साल पब्लिक ने ही उसे सबकी देखा देखी सुबह की पाली करवा दिया। बवाल भाई से आपकी बातचीत बड़ी मज़ेदार लगी। गाना और सुनने मिल जाता तो मज़ा आ जाता।
@समीर जी, शुक्रिया सर... मैं इसी तरह आगे भी अपनी गतिविधियाँ जारी रखूँगा! स्नेह बनाए रखें!
@गिरीश जी, आपकी बातें हमेशा मुझे प्रेरित करती हैं...
@बवाल जी, आपका शुक्रिया...
पॉडकास्टिंग बढ़िया लगी...
"रामकृष्ण"
एक टिप्पणी भेजें