14.10.08
13.10.08
12.10.08
"संस्कारधानी जबलपुर की चर्चित कोरीओग्राफ़र :स्वर्गीय भारती सराफ "
14 अक्टूबर 1976 को पिता श्री भगवान दास सराफ - माता श्रीमती विमला देवी के घर दूसरी बेटी को रूप में जन्मी " भारती सराफ " जो एक दिन कत्थक का माइल -स्टोन बनेंगी कोई नहीं जानता था.... ! किंतु पत्थरों के इस शहर की तासीर गज़ब है कला साधना करते यहाँ कोई हताश कभी न हुआ था न होगा ये तो तय शुदा है......!
कुमारी भारती सराफ का जीवन कला साधना का पर्याय था ।शरदोत्सव 07 की एक शाम मुझे अच्छी तरह याद है जब मुझे भी ज़बावदारी का एहसास करा गयी थी भारती जी हाँ ......मुझे याद आ रहा है वो चेहरा सांवली गुरु गंभीर गहरी आंखों वाली भारती पिछले बरस अपने कलाकारों को इकट्ठा कर साधन का इंतज़ार कर रही थी मैंने उसे उस बस में बैठा ना चाहा जो कलाकारों को लाने ले जाने मुझे लगा भारती के चेहरे पर कोई चिंता है सो पूछ ही लिया -क्या,कोई परेशानी है ?
"सर,बस तो गलियों में नहीं जाएगी "
"हाँ,ये बात तो है...! फ़िर क्या करुँ.....?"
"................"एक दीर्घ मौन गोया कह रही हो की सर कोई रास्ता निकालें...?
मैंने आगापीछा कुछ न सोचते हुए अपनी सरकारी जीप में बैठने को कहा । क्षमता से ज़्यादा लोगों के बैठनै से गाड़ी चलाने में रोहित को असुविधा तो हो रही थी लेकिन भारती की चिंता अब मेरे चितन का विषय बन चुकी थी सो मेरे कारण मातहत ड्रायवर भी आसन्न संकटों से बचाने मान नर्मदा को प्रणाम कर जबलपुर शहर को चल पडा आख़िर जिम्मेदारी भी कोई चीज़ है...!
जब सारे कलाकार बच्चे छोड़ दी गए उनके-अपने अपने घरों में तब राहत मिली थी भारती को । किंतु बार बार मुझे कृतज्ञ भाव से देखती भारती की आँखें विनम्र थीं ।
आख़िर कह उठी "आपका आभार कैसे कहूं ?"
मुझे लगा कह दूँ की जिम्मेदारी का एहसास कराने वाला व्यक्तित्व तुझे मै प्रणाम करता हूँ किंतु मैंने उससे बस इतना कहा था:"बेटे,इसकी कोई ज़रूरत नहीं ?"
######################################
पाँच अप्रेल 2008 को जाने किस तनाव ने भारती सराफ को "आत्म हन्ता बना दिया ?"
उस कला साधिका जिसमें नित नूतन प्रयोग की प्रतिभा थी , जिसमें कत्थक को पूरे उसी अंदाज़ में पेश करने की क्षमता थी जिस अंदाज़ में प्रस्तुति के "शास्त्रीय निर्देश " हैं । साथ ही साथ नृत्य में "फ्यूज़न"का बेहतरीन प्रयोग ,भारत-नाट्यम की प्रस्तुति अधुनातन गीत "आफरीन-आफरीन"पर ! पिछले बरस गणतंत्र दिवस पर ए आर रहमान की रचना "वन्देमातरम" के साथ कत्थकलि,भारत-नाट्यम,राजस्थानी,तथा म प्र के लोक नृत्यों यथा गेढ़ी-नृत्य का एक ही बीत पर प्रस्तुतीकरण "न भूतो न भविष्यति"का सटीक उदाहरण था ।
भारती ने स्कूल,कालेज,अन्तर-कालेज,यूनिवर्सिटी ,स्तर की प्रतियोगिताओं में पारितोषिक ही नहीं पाए वरन भारत भवन रवीन्द्र भवन भोपाल सहित देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर एकल एवं सामूहिक प्रस्तुतियां दीं । निधन के पूर्व वे न्यू जर्सी में प्रोग्राम देने की तैयारी में थीं ।
७०-८० के बीच संस्कारधानी जबलपुर को देश भर में प्रतिष्ठा दिलाने वाली बीना ठाकुर की शिष्या से 200 बच्चों ने नृत्य की शिक्षा ली । साथ ही वे केंदीय विद्यालय वन एस टी सी तथा अरविन्द पाठक संगीत स्कूल की नृत्य गुरु थीं ।
अब अनघ,रुद्राक्ष,अपनी बुआ से नृत्य सीखने की अधूरी अभिलाषा लेकर बड़े होंगे तो भाई आनंद को याद आएगी भारती हर शाद उत्सव पर.... कवि हृदया बहन डाक्टर नूपुर निखिल देशकर -यही कहतीं सोचतीं हैं:-
"ये सच है अब तुम कभी न मुड़कर आओगे : ये भी मिथ्या नहीं की तुम सबको याद आओगे "
" शरदोत्सव की शुरुआत जिस कलाकार के सरस्वती वन्दना नृत्य रचना से होती थी
वो कलाकार आज नहीं है ............समय के प्रवाह के साथ जीवंत होंगे और कई कलाकार किंतु सत्य निष्ठ कलाकारों की सूची में सबसे ऊपर होगी "भारती सराफ "
अशेष-श्रद्धांजलि
[विवरण अपनी स्मृतियों,एवं स्वर्गीया भारती की बहन डाक्टर नूपुर से हुई चर्चा पर आधारित ]
वो कलाकार आज नहीं है ............समय के प्रवाह के साथ जीवंत होंगे और कई कलाकार किंतु सत्य निष्ठ कलाकारों की सूची में सबसे ऊपर होगी "भारती सराफ "
अशेष-श्रद्धांजलि
[विवरण अपनी स्मृतियों,एवं स्वर्गीया भारती की बहन डाक्टर नूपुर से हुई चर्चा पर आधारित ]
11.10.08
हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट एवं ब्लॉग वाणी से साभार :एक लाइन की चर्चा
- अंकुर राय का गाना: सुनते रुकिए भाई अभी अमर सिंह को सुन लें
- अनिल-सोनम कपूर:चार भावमुद्राएं: ,-बासी .....में उबाल
- रंग भेद, काली रे काली रे...और ये काली कलूटी के नखरे बड़े...:_उठाने तो होंगे ही ,
- शेयर बाजार को इंतजार ब्रेकआउट का=>"तोब्रेकिंग कर लीजिए "
- एनीमेशन के संसार में मानवीय संवेदनाएं=>"बस अब यहीं मिलेंगी "
- सांध्य गीत: सुबह सुबह..............?
- खाली हाथ आया है...खाली हाथ जाएगा:-तो क्या ऐ टी एम् साथ में ले जाए
- ्यों, साहित्यकारों की रजाई खींच रहे हो:-"और जब ये लोग कुरते खींच रहे थे तब आप चुप्पी थाम के बैठे थ....क्यों ? "
- लिव इन रिलेशनशिप.......चलो ब्याह का खर्चा बचा......
- त्रेता के योद्धा नहीं लड़ सकते द्वापर की लड़ाई:-और कलयुग में
- आगे चेकिंग है.........टिकट नहीं है पतली गली से सटक लो
- सबका अपना-अपना तरीका है......:- काफी पुरानी बात है भैया ताज़ा समझ रहे हैं ?
- चार सौ बीस - यहीं न रिक जाना
- भृतहरि शतकः काम पर नियंत्रण करने वाले विरले ही वीर होते हैं:- वियाग्रा के युग की उलट बासी
और अंत में
- कितना प्यारा बच्चा .... थैंक्स आंटी ......!!
मुझे उम्मीद थी एक दिन आप मेरे लिए यही कहेंगी
एक लाइन की चर्चा :
आज सोच रहा हूँ चर्चा करुँ चिट्ठों पर कुछ ग़लत लिख जाए तो टिपिया देना भाइयो और बहनों वास्तव में चिट्ठों को चर्चित करना उद्देश्य है न की किसी को दु:खी करना
केवल ब्लाग्स के शीर्षकों को बांच के यूँ ही कुछ कहने से कैसा लगेगा
- चिरकुट चर्चा:- अमर सिंह की एक और चिरकुटाई
- यह शाम फिर नहीं आयेगी:-अच्छा ....?तो शाम बंद करने का आदेश इनको पृष्ठांकित हुआ है.......!
- रावण तो हर दौर में रुलाएगा ही...:-यदि आप इनको चुन के भेजते रहे तो.....इनको चुनो मत चिनो..भाई
- इंतजार भी कितनी खूबसूरत होती है.. है ना?:- इंतज़ार करोगी तो खूबसूरत होगा और इंतज़ार करोगे तो खूबसूरत होगी आप कर रहें हैं या कर रहीं हैं ?
- मनोरोगी और हम लोग.:-veerubhai बीच में "और" लिख के कर दिया न लफडा ?
- मोमबत्ती की रोशनी में कवितापाठ :- पावर कट के दौर में इससे ज़्यादा आप भी क्या करते ?
- वीर में योद्धा बनेंगे सलमान:- फ़िर से शिकार करने जा रहे हैं चिंकारा का.....?
- जल्द शादी करना चाहता हूं: राहुल भैया क्या इस मसले को भी सरकारी मंजूरी दिलाएंगी मम्मी ?
- गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार !.............हमारी भी भावुक श्रद्धांजली "ये दुनियाँ अगर मिल भी जाए "
- जो शास्वत है वह सत्य और परिवर्तनशील असत्य जैसे जनता और सियासत
- जोग ही जोग : मन करे तो पढ़कर जरा मुस्कुरा ले. आज कल पंडित जी का कम्प्युटर "क" नही लिख रिया है चलो भाइयो हंसो अब
- क्या आप जानते है लोक नायक जय प्रकाश नारायण को ? और भैया आप ...?
- समझौते को सार्वजनिक करें मोदी :- ममता जी से या टाटा .........?
- चुनावी मौसम में तांत्रिकों की पौ बारह:-एक दूकान दूसरी दूकान की पूरक है...?
- अब हिन्दी commenting और भी सरल :इतनी की "commenting ", .........?
- मेरा काव्य - " आहिस्ता- आहिस्ता":- और जल्दी-जल्दी कब आएगा
- नारी मन.........अंतर्मन में क्या है ?सभी समझ गए
- जब भी देखता हूं आईना:-अपनी तस्वीर देख के डर लगता है...........?
- माँ, केवल माँ भर नही होती:-साधू.....साधू...........बधाई
- शिक्षकों की शिक्षक स्वरूप सम्पत:-ये तो सच है भैया
- अमीर खुसरो की पहेलियां - :अमर सिंह की वाणी को विराम कब मिलेगा........?
- मुम्बई उनके बाप की:- जी हाँ ,हमको तो ऐसैच्च लगता चलो उनके बाप से ही पूछ लेते हैं
- दादा का सन्यास : तो अब ये रामदेव जी के साथ ........?
- इस शहर की एक लड़की जो किसी से प्रेम नहीं करती;-ट्राई करो शायद आपसे........?
- अँधेरी रात का सूरज - राकेश खंडेलवाल जी ने बिजली संकट से निजात दिलाने की कोशिश की
- आखिरी मुलाकात से अच्छी सबसे पहली वाली होती है..........मालूम तो होगा....
- रात और दिन पाँव पड़ूँ:-की भैया "chalatee रहे" गपशप लिव इन रिलेशनशिप , को लेकर अब नया मुद्दा मिल गया
- दुर्गा पूजा की वो सुनहरी शाम, जब मैंने पहली बार साड़ी पहनी थी...... अच्छी बात है मैंने भी बंगाली कुर्ता उसी दिन.....? बेहतरीन पोस्ट के लिए शुभ काम नाएं
- आइये बनाये भाषाओ के पुल और उस पर ....... हाँ तो भैया क्या करेंगे ?
- साहब तनि ई फरमवा भरवा दिजीए:- दादा भिजवा देवें भर दूंगा ?
- अब हम जा रहे हैं विमोचन में...पढ़ेंगे अपनी कविता -काहे से जाएंगे अरी भागवान अपनी जबलपुरिया उडन तश्तरी .... और काहे से ...? जल्दी आना तुम दोनों एलियंस
सभी चिट्ठाकारों को हार्दिक बधाई जिनके चिट्ठे शामिल न हो सके वे बेनाम टिपियाएँ या बांचें “एक ख़त अज्ञातानंद जी नाम !”
चिट्ठा जगत से साभार
10.10.08
बुन्देली समवेत लोकगीत:बमबुलियाँ:
पढ़ें लिखों को है राज
बिटिया....$......हो बाँच रे
पुस्तक बाँच रे.......
बिन पढ़े आवै लाज बिटिया बाँच रे
हो.....पुस्तक बाँच रे.......!!
[01]
दुर्गावती के देस की बिटियाँ....
पांछू रहे काय आज
बिटिया........बाँच ......रे......पुस्तक बाँच ........!
[02]
जग उजियारो भयो.... सकारे
मन खौं घेरत जे अंधियारे
का करे अनपढ़ आज रे
बाँच ......रे....बिटिया ..पुस्तक बाँच ........!
[03]
बेटा पढ़ खैं बन है राजा
बिटियन को घर काज रे.....
कैसे आगे देस जो जै है
पान्छू भओ समाज रे.....
कक्का सच्ची बात करत हैं
दोउ पढ़ हैं अब साथ रे .............!!
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
969/ए-2,गेट नंबर-04 जबलपुर म.प्र.
MAIL : girishbillore@gmail.com
इस विषय पर आलेखhttp://billoresblog.blogspot.com/2008/10/blog-post_8836.html, पर उपलब्ध कराया जा रहा है
बिटिया....$......हो बाँच रे
पुस्तक बाँच रे.......
बिन पढ़े आवै लाज बिटिया बाँच रे
हो.....पुस्तक बाँच रे.......!!
[01]
दुर्गावती के देस की बिटियाँ....
पांछू रहे काय आज
बिटिया........बाँच ......रे......पुस्तक बाँच ........!
[02]
जग उजियारो भयो.... सकारे
मन खौं घेरत जे अंधियारे
का करे अनपढ़ आज रे
बाँच ......रे....बिटिया ..पुस्तक बाँच ........!
[03]
बेटा पढ़ खैं बन है राजा
बिटियन को घर काज रे.....
कैसे आगे देस जो जै है
पान्छू भओ समाज रे.....
कक्का सच्ची बात करत हैं
दोउ पढ़ हैं अब साथ रे .............!!
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
969/ए-2,गेट नंबर-04 जबलपुर म.प्र.
MAIL : girishbillore@gmail.com
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