बेशक बूंदें ही रहीं होंगी
जिनने एकसाथ
सोचा होगा-"चलो मैली चट्टानों को
रेतीली मटमैली ढलानों को
धो आते हैं..!!
ऊसर बंजर को हरियाते हैं !!
मर न जाएं प्यासे बेज़ुबान
जिनने एकसाथ
सोचा होगा-"चलो मैली चट्टानों को
रेतीली मटमैली ढलानों को
धो आते हैं..!!
ऊसर बंजर को हरियाते हैं !!
मर न जाएं प्यासे बेज़ुबान
चलो उनकी प्यास बुझा आतें हैं...!!"
कुछेक बोली होंगी- "हम सब मिलकर धार बनेंगी..
सारी नदियों से विलग हम उल्टी बहेंगी
कुछेक बोली होंगी- "हम सब मिलकर धार बनेंगी..
सारी नदियों से विलग हम उल्टी बहेंगी
उल्टे बहाव का कष्ट सहेंगी..?
न हम तो...!
न हम तो...!
एक जुट बूंदों ने बहना
शुरु किया होगा तब
हां तब
जब न हम थे न हमारी आदम जात
तब शायद कुछ भी न था
पर एक सोच थी
बूंदों में
एक जुट हो जाने की
बूंद से नदी बन जाने की उमंग और उत्कंठा ..!
लो ये वही नदियां हैं
जिनको कहते हैं हम नर्मदा या गंगा !!
नदियां जो धुआंधार हैं-
काले मटमैले पहाड़ों को धोती
तुमसे भी कुछ कह रहीं हैं
एकजुट रहो तभी तो चट्टानों के घमंड
तोड़ पाओगे ....
वरना ऐसे ही बूंद-बूंद ही मर जाओगे..!!
जब न हम थे न हमारी आदम जात
तब शायद कुछ भी न था
पर एक सोच थी
बूंदों में
एक जुट हो जाने की
बूंद से नदी बन जाने की उमंग और उत्कंठा ..!
लो ये वही नदियां हैं
जिनको कहते हैं हम नर्मदा या गंगा !!
नदियां जो धुआंधार हैं-
काले मटमैले पहाड़ों को धोती
तुमसे भी कुछ कह रहीं हैं
एकजुट रहो तभी तो चट्टानों के घमंड
तोड़ पाओगे ....
वरना ऐसे ही बूंद-बूंद ही मर जाओगे..!!
6 टिप्पणियां:
जय नर्मदे!
बूंद, नदी का बीज-मंत्र.
"हम सब मिलकर धार बनेंगी
सारी नदियों से विलग हम उल्टी बहेंगी
उल्टे बहाव का कष्ट सहेंगी..? प्रेरक प्रस्तुति.............
स: परिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं........
बढ़िया विश्लेषण पढ़ा, कविवर तुम्हें प्रणाम ।
मातु नर्मदा का किया, वर्णन विविध तमाम ।
वर्णन विविध तमाम, बनी गंगा सी पावन ।
सींचे पेड़-पहाड़, अमर-कंटक से उपवन ।
सबसे बढ़िया बात, बूंद ताकत दिखलाए ।
एकल क्या औकात, मिले धरा बन जाए ।।
दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
Bahut khoob ... Prerna deti hai ye rachna ... Mil ke rahne ka path padhta ...
हार्दिक आभार
सब उसकी दिव्याभा है जो
हम चमक लेते हैं कभी
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