गतांक में आपने पढ़ा "आप को जीवन का युद्ध लड़ना है किसे अपनी सखी बनाएंगी ? मनु की तरह आपकी बरछी,बाण,कृपाण कटारी जैसी सहेलियां कौन हैं ? कभी सोचा इस बारे में ! नहीं तो बता दूं कि वो है….
1. ................................................................“हर दिन उन आईकान्स को देखो जो कभी कल्पना चावला है, तो कभी बछेंद्री पाल है, सायना-नेहवाल है जो आपके समकालीन आयकान हैं ” इनकी कम से कम छै: सहेलियां तो होंगी ही"
अब आगे :-
भानु चौधरी के ब्लाग से साभार |
पटेल जी बोले:-"बस, थोड़ा बीमार था आता हूं किसी दिन "
पटेल जब आये तो उनने बताया:-"साहब, एक रात मुझे हैजा हो गया था.."
मैने पूछा :-"फ़िर पटेल साहब, ?"
फ़िर क्या दौनों मौड़ियों (बेटियों) ने मुझे बचा लिया... एक ने मोटर सायकल चलाई दूसरी ने मुझे बीच मैं बिठाया और खुद पीछे बैठी... जबलपुर लें आईं. मेडीकल में भर्ती किया.
रात बारह बजे के बात गांव की सुनसान सड़कों पर बाईक पर बीमार बाप को लेकर जबलपुर तक लेकर आईं बेटियां "डरीं तो होंगी पर क्या खूब एड है कि डर के आगे जीत है...जीत गईं बेटियां."
सशक्तिकरण का नारा साकार कैसे होगा...? कमज़ोर रेतीली ज़मीन पर मज़बूत मक़ान की कल्पना बेमानी है.
बेटियो तुम्हारा हक़ है सुन्दर दिखना इस हक ने तुमको श्रृंगार करना सिखाया उसी का लाभ उठा सुन्दरता बढ़ाने वाले प्रसाधनों की बिक्री करने वाले तुम उसी पर आसक्त हो किंतु मेरी एक बात सुनो बेटियो ! जो तेजस्विता और सुंदरता प्राकृतिक साधनों से मिलती है वो इन सौंदर्य-प्रसाधनो से कदापि नहीं. उसके लिये तुम्हारा समय पर आहार लेना, शरीर में आयरन की मात्रा को बनाए रखना ज़रूरी है जो हासिल होता है प्राकृतिक साधनों से .गुड़ जिसे तुम नकार देती हो रोज़ खाके तो देखो . शम जिस विकास पथ पर जा रहे हैं उस पर केवल ऊर्ज़ा-वान ओजस्वी चेहरे वाले व्यक्तित्व ही आगे जाएंगे और मैं थके उदास बीमार चिंतित चेहरे पसंद नहीं करता न ही डरे हुए चेहरों से मुझे लगाव है. मुझे मेरी चहकती बेटियां चाहिये रस्सी कूदती झूले झूलतीं बेटियों से मिला मेरी बेटियो
हां एक बात और मुझे उन बेटियों से भी तो मिलना है जो सुंदर राजकुमार को जीवन साथी बनाने के सपने देख रहीं हैं हां वो तो तुम सब देख रही हो न ? तो एक सपना और दिखाना चाहता हूं मेरी बेटियां हृष्टपुष्ट संतानों का सपना देखें पर क्या इस आठ-नौ ग्राम हीमोब्लोबिन वाली काया सफ़ल मां बन सकती है न क्या ज्ञानविहीन बेटी मेरे कुल का नाम रोशन करेगी ? नहीं उसके लिए मेरी सलाह है जैसा मैं शिवानी श्रद्धा से कहता हूँ अक्सर :"सोचो फिर चलो आगे बड़ो आगे बढ़ने के बाद वापस मत लौटो लक्ष्य को पाने विकल्पों का उपयोग करो विकल्प दिमाग के कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में होते हैं यदी तुमने सही तरीके से नालेज गेन किया है तो मै तुम्हारे प्रथम स्थान पर आने के लिये लालायित नहीं हूं बल्कि गहराई से किये गये अध्ययन का लालची हूं "
12 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर, बार-बार पढ़ने की उत्सुकता पैदा कर रही है यह कथा, फुर्सत में इसे फिर पढूंगा,फिर अपनी राय दूंगा !
सुन्दर एवं सटीक विचार...
बहुत बेहतरीन लेखन...
उद्धरणों के माध्यम से लिखा गया बढ़िया आलेख!
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गिरीश जी!
आपका ब्लॉग खुलने में 12 बजा देता है!
शायद साइड विजेट कुछ अधिक हो गये हैं।
आप तो तकनीकी के विशेषज्ञ हैं!
कुछ हल निकालिए!
अच्छा लगा इसे पढ़कर..
behtarin lekh.
सुन्दर एवं सटीक विचार| धन्यवाद|
इसे दुबारा पढना होगा ...
बहुत अच्छा उद्बबोधन। प्रभावित करने वाला, बधाई।
अत्यंत महत्वपूर्ण लेख है।
महत्वपूर्ण वक्तव्य...आभार...
aap sabhee ka abhar
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