अंजना(गुड़िया) जी का आलेख यहाँ पढ़ें
किसी तकरार को दरार ना बनने देना
मेरी गलती पे चाहे जितना डांट देना,
पर अगली बार मिलो जो मुझसे,
बस एक बार दिल से मुस्कुरा देना
रंजिश ने हज़ारों दिलों में कब्रिस्तान बनाये हैं,
तुम अपने दिल में दोस्ती को धड़कने देना
बात होगी हो बात पे बात निकलेगी,
किसी तकरार को दरार ना बनने देना
नफरत, कड़वाहट, खुदगर्ज़ी नहीं मंज़ूर मुझे,
इन में से किसी की भी ना चलने देना
कुछ तो है जो हमारे खून का रंग मिलता है,
इसमें मज़हब-ओ-सरहदों का रंग ना मिलने देना
14 टिप्पणियां:
अर्चना जी की आवाज़ ने वाकई इस रचना को जीवन दे दिया. आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया की आपने इस रचना को इस लायक समझा. सादर
शुक्रिया अन्जना जी ब्लाग पर आने का
अर्चना जी को बधाई
बहुत सुंदर रचना, मधुर आवाज ने ओर भी चमका दिया, धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना..
अर्चना जी को बधाई..
@अंजना जी, माफ़ी चाहती हूँ,आपसे पूर्वानुमति नही ले पाने के कारण,मुझे खुशी है कि आपने इसे पसन्द किया..आभार
शुक्रिया-गिरीश जी,राज जी एवं अदाजी...
सुंदर रचना की अच्छी प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर .... अर्चना जी, अंजनाजी जी ... बधाई....
बहुत सुंदर अर्चना जी को बधाई
बहुत भाव भीनी प्रस्तुति ,|अर्चना जी की आवाज ने इसे और आकर्षक
बना दिया है|
बहुत बहुत बधाई
आशा
बहुत सुंदर ...
सुन्दर रचना और मधुर आवाज़ का शानदार संगम...
good voice ..keep it up
bahut sundar!
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