संजय कुमार के ब्लॉग से एक कविता..............
"मैंने देखा है सब कुछ"
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखा है, खिलखिलाता बचपन
डगमगाता यौवन, और कांपता बुढ़ापा
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखे बनते इतिहास और बिगड़ता भविष्य
टूटतीं उम्मीदें और संवरता वर्तमान
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखी है बहती नदियाँ ,और ऊंचे पहाड़
मैंने देखी है जमीं और आसमान
बारिस की बूँदें और तपता गगन
मैंने देखीं हैं खिलती कलियाँ और खिलते सुमन
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखी है दिवाली , और होली के रंग
मैंने देखी है ईद , और भाईचारे का रंग
मैंने देखे मुस्कुराते चेहरे और उदासीन मन
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखा लोगों का बहशीपन और कायरता
मैंने देखा है साहस और देखी है वीरता
मैंने देखा इन्सान को इन्सान से लड़ते हुए
भाई का खून बहते हुए , और बहनों का दामन फटते हुए
मैंने देखा है माँ का अपमान, और पिता का तिरस्कार
मैंने देखा प्रेमिका का रूठना , और प्रेमी का मनाना
मैंने देखा है सब कुछ
मैं कभी हुआ शर्म से गीला, तो कभी फख्र से
कभी जीवन की खुशियों से, तो कभी दुखों से
मैंने देखा लोगों द्वारा फैलाया जातिवाद और आतंकवाद
मैंने देखी इमानदारी और, चारों और फैला भ्रष्टाचार
मैंने देखा झूठ और सच्चाई
इंसानों के बीच बढती हुई नफरत की खाई
मैंने देखा है सब कुछ
मैंने देखा है सब कुछ अपनी इन आँखों से
ये आँखें नहीं सच का आईना हैं और आईना कभी झूठ नहीं बोलता
हाँ मैंने देखा है ये सब कुछ .............................
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9 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा...अच्छा लगा पढ़कर,
अर्चना जी बहुत खूब
मैंने देखा लोगों का बहशीपन और कायरता
मैंने देखा है साहस और देखी है वीरता
मैंने देखा इन्सान को इन्सान से लड़ते हुए
भाई का खून बहते हुए , और बहनों का दामन फटते हुए
मैंने देखा है माँ का अपमान, और पिता का तिरस्कार
मैंने देखा प्रेमिका का रूठना , और प्रेमी का मनाना
मैंने देखा है सब कुछ
वाह वाह
ईश्वर की लीला है, घटित होती हैं सभी प्रकार की घटनायें जिन्हें देखना तो पड़ेगा ही। यही संसार का सार है। कविता मे समाहित है सब्। सुन्दर्।
गिरीश भाई ,
आपके ये अनूठे प्रयास याद किये जायेंगे !
अर्चना जी की आवाज चमत्कारिक है ! आप दोनों को शुभकामनायें !
झकझोरती सी रचना....बहुत संवेदनशील..
भावमय कविता क पढवाने लिये धन्यवाद्
अर्चना जी के आवाज़ में नर्मदाप्रवाह का समावेश है और ओजस्विता भी वे मेरे अगले एलबम में गा रहीं हैं
है
मैने सब कुछ देखा है..एक सच के करीब से जाती बेहतरीन रचना..बधाई
कविता और आवाज़ दोनों ही परिपक्व लगे.. बधाई..
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