26.6.10

न पक इतना कि डाली से नाता टूट जाएगा- पके अमरूदों डाली से गिर जाने की आदत है !

न तुझसे कोई शिक़वा है, न एक भी शिकायत है
खु़दा जाने , तेरे दिल में क्यों पलती अदावत है !
तुझे महफ़ूज़ रक्खा जिन आस्तीनों ने अब तक
ये क्या कि आज़कल तुझको उनसे भी शिक़ायत है !
न पक इतना कि डाली से नाता टूट जाएगा-
पके अमरूदों डाली से गिर जाने की आदत है !
अग़रचे हो सही शायर हुदूदें लांघना मत तुम
ये क्या सांपों की बस्ती के सपोलों की सी आदत है..?
ख़ुदा की राह पे चलना कोई सीखे या न सीखे
किसी वादे को न तोड़ें यही उसकी इबादत है.!

5 टिप्‍पणियां:

रंजू भाटिया ने कहा…

bahut khub ...khaakar yah panktiyaan bahut pasand aayi न पक इतना कि डाली से नाता टूट जाएगा-
पके अमरूदों डाली से गिर जाने की आदत है !
अग़रचे हो सही शायर हुदूदें लांघना मत तुम
ये क्या सांपों की बस्ती के सपोलों की सी आदत है..?

M VERMA ने कहा…

तुझे महफ़ूज़ रक्खा जिन आस्तीनों ने अब तक
ये क्या कि आज़कल तुझको उनसे भी शिक़ायत है !
वैसे भी आस्तीनो मे पलने वाले साँप होते है
सुन्दर रचना

राज भाटिय़ा ने कहा…

तुझे महफ़ूज़ रक्खा जिन आस्तीनों ने अब तक
ये क्या कि आज़कल तुझको उनसे भी शिक़ायत है !
वैसे भी आस्तीनो मे पलने वाले साँप होते है
क्या बात है जी, लगता है किसी पर बहुत गुस्सा आ रहा है....

हर्षिता ने कहा…

वाह क्या बात है, जनाब किससे ख़फा है।

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

किसी वादे को न तोड़ें यही उसकी इबादत है.!

bahut sundar

Wow.....New

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