10.3.10

एक भोर जो बदल देती है सोचने का अंदाज़

महिता आरक्षण बिल के पारित होने का हर्ष इस  कविता  में आज की भोर का  अभिवादन करती हिन्दुस्तान की आधी आबादी को हार्दिक शुभ कामनाएँ   
http://www.bhaskar.com/2010/03/08/images/woman21.jpg
एक भोर
जो
बदल देती है
सोचने का अंदाज़
जब ले आती है साथ 

अपने
परिवर्तन के   सन्देश
प्रतिबंधित/विलंबित स्वपनों को 

देखने के आदेश
सच
कितनी
 बाधाएं आतीं हैं
सांस लेने के अधिकार को अनुमति मिलने में ?

**************************
आज शक्ति को शक्ति मिल ही गई हाँ
आज की भोर अखबारों के माथे पर
हमारी जीत का गीत लिख कर लाई है

हमारी सोच ने नई उंचाइयाँ  पाई  हैं !
मन  कहता है.........
अभी तो ये ............................

 

   [चित्र साभार चित्र एक :दैनिक भास्कर ]

6 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

बधाई हो ।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

Bahut achchhi kavita.
mahila divas par.
bil pas hone ki badhai
vikas kii or jaruri kadam

aabhai

निर्मला कपिला ने कहा…

धन्यवाद जी आज अपना जीवन भी बदला है तो ब्लाग पर आ कर बधाई देते तो जीवन सफल हो जाता। अपने बुढापे की चिन्ता तो खत्म यकीन न हो तो मेरी पोस्ट जरूर देखें हा हा हा शुभकामनायें

राज भाटिय़ा ने कहा…

:) नाईस जी

रानीविशाल ने कहा…

Bahut acchi lagi aapki yah post......chitra bhi bahut sundar hai! Dhanyawaad!!
Ek nigaah yahan bhi bhabhiji ko bhi dikhaiyega wo khush hongi..
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

soch raha hoo bhej doon vaheen aapake paas rani ji

Wow.....New

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