पाठ्य क्रम का प्रथम पाठ भारतीय सरकारी व्यवस्था और उत्कोच के बीच एक ऐसा समीकरण है जिसे हर सामान्य बुद्धि वाला प्राणी समझ लेता है. इस पोस्ट की आधार पोस्ट में कहा गया है एक सिविल सेवा प्रशिक्षण में गए उनके मित्र को सेलरी-स्लिप का पांच सौ रुपया देना पडा ? मित्र इधर वो बेचारा बाबू किस किस को छोडेगा अब इस बात को सीधे प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में कैसे शामिल करेगा कोई संस्थान सो बाबू साहब ने इसे "घूस-विग्यान:आओ करके सीखें" की शैली में सिखा दिया.अब भैया आप ही बताईये इस तरह की घूसखोरी के अलावा कौनसा उदाहरण जहां "समाजवाद" का अर्थ समझाया जा सके बच्चों को ...?
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Wow.....New
Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia
आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ? (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...
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4 टिप्पणियां:
बह्त सुंदर लिखा आप ने धन्यवाद
स्थिति नाज़ुक है,,बढ़िया प्रसंग..धन्यवाद!!!
बह्त सुंदर लिखा धन्यवाद...
शुक्रिया जी
आप सभी का .
आभार ब्लाग बांचने के लिए
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