23.9.08

आ ओ ! मीत लौट चलें




आ ओ मीत लौट चलें गीत को सुधार लें
वक़्त अर्चना का है -आ आरती संवार लें ।
भूल हो गई कोई गीत में कि छंद में
या हुआ तनाव कोई , आपसी प्रबंध में
भूल उसे मीत मेरे सलीके से सुधार लें !
छंद का प्रबंध मीत ,अर्चना के पूर्व हो
समवेती सुरों का अनुनाद भी अपूर्व हो,
अपनी एकता को रेणु-रेणु तक प्रसार दें ।
राग-द्वेष,जातियाँ , मानव का भेद-भाव
भूल के बुलाएं पार जाने एक नाव !
शब्द-ध्वनि-संकेत सभी आज ही सुधार लें !

9 टिप्‍पणियां:

बाल भवन जबलपुर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Asha Joglekar ने कहा…

Apoorw rachana aur bhaw. Ek alag sa prastutikaran aur samayik bhee.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

abharee hoo deede

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा, क्या बात है!
आनन्द आ गया.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर गीत
धन्यवाद

Unknown ने कहा…

वाह क्या बात है भाई साहब आप की कविता बेहतरीन है
खास कर ये पंक्तियाँ "वक़्त अर्चना का है -आ आरती संवार लें ।
"

बेनामी ने कहा…

झूठी तारीफों से दिल भरा की नहीं

रंजन राजन ने कहा…

बहुत बिढ़या शब्दिचत्र। बधाई।
www.gustakhimaaph.blogspot.com

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Mrs. Asha Joglekar,Udan Tashtari,राज भाटिय़ा jee,ब्लॉग पत्रकारji,रंजन राजन jee aap sabhee kee tippaniyon se utsaahit hoon

Wow.....New

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