आ ओ मीत लौट चलें गीत को सुधार लें
वक़्त अर्चना का है -आ आरती संवार लें ।
भूल हो गई कोई गीत में कि छंद में
या हुआ तनाव कोई , आपसी प्रबंध में
भूल उसे मीत मेरे सलीके से सुधार लें !
छंद का प्रबंध मीत ,अर्चना के पूर्व हो
समवेती सुरों का अनुनाद भी अपूर्व हो,
अपनी एकता को रेणु-रेणु तक प्रसार दें ।
राग-द्वेष,जातियाँ , मानव का भेद-भाव
भूल के बुलाएं पार जाने एक नाव !
शब्द-ध्वनि-संकेत सभी आज ही सुधार लें !
9 टिप्पणियां:
Apoorw rachana aur bhaw. Ek alag sa prastutikaran aur samayik bhee.
abharee hoo deede
बहुत उम्दा, क्या बात है!
आनन्द आ गया.
बहुत ही सुन्दर गीत
धन्यवाद
वाह क्या बात है भाई साहब आप की कविता बेहतरीन है
खास कर ये पंक्तियाँ "वक़्त अर्चना का है -आ आरती संवार लें ।
"
झूठी तारीफों से दिल भरा की नहीं
बहुत बिढ़या शब्दिचत्र। बधाई।
www.gustakhimaaph.blogspot.com
Mrs. Asha Joglekar,Udan Tashtari,राज भाटिय़ा jee,ब्लॉग पत्रकारji,रंजन राजन jee aap sabhee kee tippaniyon se utsaahit hoon
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