जीवन को लहरों से बचा लाया है ये शख्स पैरों से नहीं हौसलों से चला करता हैं। इसे आप कोई भी नाम दे सकतें है राम,रहीम,जान,कुलवंत,मैं तो उसका नाम "हौसला "रख देना चाहता हूँ ।
इस पर कोई भी निगाह पड़ती है केवल संवेदना की निगाह होती है .....मुझे उसका बाहरी मदद के लिए कहा वाक्य आज तक याद है :- भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
उसे जीवन को सामान्य रूप से जीने की अभिलाषा है वो पूरी शायद ही हो। मेरे कवि-मन नें पंक्तियाँ गढ़ लीं "नहीं वेदना उसको कोई पर संवेदन जीवन है "
छायाकार : संतराम चौधरी ,जबलपुर /भोपाल
4 टिप्पणियां:
भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
-वाह! सत्य है -यही आत्म सम्मान उसे जीने की ताकत देता है.
thanks sameer jee
ऐसे हौसले को मेरा सलाम......
भैया मुझे हर मदद एक बार और अपाहिज बना देती है.......... !
बहुत ही खुब... सलाम करता हु उसे जिन्दगी जिन्दा दिली का नाम हे... इसे कहते हे.
धन्यवाद
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