26.12.07

हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह " फोटो ०१ "


सव्य-साची माँ प्रमिला देवी बिल्लोरे

स्व० हीरा लाल गुप्त "मधुकर"













1 टिप्पणी:

विजयशंकर चतुर्वेदी ने कहा…

मुकुलजी, आप लगे रहें. स्थानीयता ही स्थायित्व और अन्तरराष्ट्रीयता देती है. बिना स्थानीय हुए वैश्विक नहीं हुआ जा सकता, ठीक उसी तरह जैसे कि अपने घर की चिंता किए बगैर देश और दुनिया के बारे में सकारात्मक ढंग से नहीं सोचा जा सकता. वैसे आपको, सूचित कर दूँ कि जबलपुर मेरी ससुराल है. घमापुर में.

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