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बुधवार, दिसंबर 26, 2007

दिनेश जी और विजय भैया "मौन साधक" ही तो हैं....!"










पंडित दिनेश पाठक हीरा गुप्त जी के मित्र एवं पत्रकारिता के आधार स्तंभ इसी बरगद ने म० प्र० की पत्रकारिता को परिभाषित करनें में सहज अवदान अपने कर्म से दिया है..........सम्मानित हुए दाँऐ सम्मान ग्रहण करते हुए पत्रकार श्री विजय तिवारी ये
दौनों महानुभाव सम्मान से बचाते रहे खुद को सदा एक ही बात संस्थाओं को कहते रहे भाई.... हमसे योग्य हस्ताक्षर हैं इस प्रदेश में । हम नहीं माने और न मानना ज़रूरी ही था . हम मानते भी क्यों .दौनों की स्वाध्यायनिष्ठ ही वृत्ती जो गुप्त जी के अनुरूप है आम लोगों से परिचित तो कराना ही था इस खबर से . की मौन साधकों की कमी नहीं है इस दुनियाँ में .सादा जीवन उच्च विचार के पर्याय बने इन व्यक्तित्वों को मेरा नमन हम सबका नमन ...... शतायु हों

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