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28.1.12

डा० संध्या जैन “श्रुति” कृत नर्मदा-महाकाव्य का विमोचन


       
श्रीमति संध्या जैन “श्रुति” कृत कृत नर्मदा-महाकाव्य का विमोचन पूर्व केंद्रीय मंत्री  प्रहलाद पटेल के मुख्य आतिथ्य में तथा पंडित श्रीयुत  शिव कुमार मिश्र (अपर महाप्रबंधक व्ही एफ़ जे. )  की अध्यक्षता में स्थानीय मानस भवन प्रेक्षागार में दिनांक 29 जनवरी 2012 को किया जावेगा. समारोह के विशिष्ठ अतिथि  महापौर  श्री प्रभात साहू श्री भागीरथ कुमरावत (भोपाल) श्री राजेश माहेश्वरी होंगे वक्ता के रूप में पं..श्री द्वारका नाथ शुक्ल शास्त्री. आचार्य भगवत दुबे .श्री के एल नेमा,आर. एन विश्वे आमंत्रित हैं.
                 इस अवसर आयोजक संस्थाओं द्वारा डा० श्रुति की मातुश्री  श्रीमति कमला जैन, साहित्यकार श्री मणि मुकुल, एवम श्री अंशलाल पंद्रे जी को सम्मानित किया जावेगा.
        राष्ट्र पति पुरस्कार प्राप्त लेखिका एवम कवयत्रि डा० श्रुति को “सव्यसाची” अलंकरण , एवम   श्री चंद्रकात जैन को भी सम्मानित किया जावेगा.

4.4.11

संजीव 'सलिल' की एक रचना: बिन तुम्हारे...


बिन तुम्हारे सूर्य उगता, पर नहीं होता सवेरा.
चहचहाते पखेरू पर डालता कोई न डेरा.


उषा की अरुणाई मोहे, द्वार पर कुंडी खटकती.

भरम मन का जानकर भी, दृष्टि राहों पर अटकती.. 



अनमने मन चाय की ले चाह जगकर नहीं जगना.

दूध का गंजी में फटना या उफन गिरना-बिखरना..



साथियों से बिना कारण उलझना, कुछ भूल जाना. 

अकेले में गीत कोई पुराना फिर गुनगुनाना..



साँझ बोझिल पाँव, तन का श्रांत, मन का क्लांत होना. 

याद के बागों में कुछ कलमें लगाना, बीज बोना..



विगत पल्लव के तले, इस आज को फिर-फिर भुलाना.

कान बजना, कभी खुद पर खुद लुभाना-मुस्कुराना..



बिन तुम्हारे निशा का लगता अँधेरा क्यों घनेरा? 

बिन तुम्हारे सूर्य उगता, पर नहीं होता सवेरा.
Acharya Sanjiv Salil

के  ब्लाग ”दिव्य नर्मदा " से 

15.11.10

फ़ोटो-प्रदर्शनी :मुकुल यादव


संगमरमरी सौन्दर्यानुभूति का संकेत
फ़ोटो ग्राफ़्स कैमरे से नहीं दृष्टि से लिये गये
मेरे ही नहीं पूरे शहर के दिल में बसतें हैं रजनीकांत,अरविन्द,मुकुल,
साभार:नई दुनिया
और बसें भी क्यों न शशिनजी ने फ़ोटो-ग्राफ़ी  एक साधना के रूप करते थे जिसका प्रभाव घर परिवार पर पड़ना ही था. सपाट बात है कि प्रकृति को हर हाल में बचाना ज़रूरी है. प्रदर्शनी का उद्देश्य भी इससे इतर नहीं. "मिफ़ोसो"मिलन-फ़ोटो-ग्राफ़ी सोसायटी , जबलपुर के तत्वावधान में आयोजित इस प्रदर्शनी के रानी दुर्गावती संग्रहालय में आयोजि परिसंवाद में "भेड़ाघाट, पर्यटन एवम संरक्षण " विषय पर कुल कर चर्चा भी हुई. सभी वक्ता इस बात पर जोर दे रहे थे कि पर्यटन-विकास के नाम पर अब कोई विद्रूपण स्वीकार्य न होगा. अमृतलाल वेगड़ जी इस बात को लेकर खासे चिंतित लगे. उनका कथन था :- "ये चित्र जितनी खूब सूरती से लिये गये हैं उसके लिये मुकुल यादव को आशीर्वाद .क्योंकि फ़ोटो यह भी संकेत दे रहें हैं कि इस नैसर्गिक सुन्दरता को बचाना भी है "श्रीयुत श्याम कटारे जी, श्री रामेश्वर नीखरा, भूगर्भ-शास्त्री डा०विजय खन्ना,डा० अजित वर्मा, सहित सभी ने आस्था-सरिता को प्रदूषण से मुक्त रखने की अपेक्षा अपने अपने शब्दों में की.डा०राजकुमार तिवारी"सुमित्र",पं०मदन तिवारी,राजेन्द चंद्रकांत राय,डा०गोविंद बरसैंया, और रजनीकांत यादव जी ने विमर्श में हिस्सा लिया. आज़ दिनांक १५ नवम्बर २०१० को एक डाक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की जावेगी . 


नोट:- मुकुल से वार्ता एवम उनके फ़ोटो कुछ दिनों बाद"मिसफ़िट" पर ही 

27.4.08

जबलपुर से कुछ दूर भेडाघाट






पुरा संपदा बिखरी हुई हैं












६४ योगनी







संग-ऐ-मरमर की दीवारों को
चूमतीं






कहीं शांत शीतल
तो कही तेज़..... कलरव के साथ





कूदती अल्हड़ बिटिया सी :''मेरी माँ नर्मदा ''









Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...