10.11.08

"ज्ञानरंजन जी अब पहल बंद कर देंगे "

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पंकज स्वामी गुलुश नें बताया की ज्ञान जी ने अपना निर्णय सुना ही दिया की वे पहल को बंद कर देंगे कबाड़खाना ने इस समाचार को को पहले ही अपने ब्लॉग पर लगा दिया था. व्यस्तताओं के चलते या कहूं तिरलोक सिंह होते तो ज़रूर यह ख़बर मुझे समय पर मिल गई होती लेकिन इस ख़बर के कोई और मायने निकाले भी नहीं जाने चाहिए . साहित्य जगत में यह ख़बर चर्चा का बिन्दु इस लिए है की मेरे कस्बाई पैटर्न के शहर जबलपुर को पैंतीस बरस से विश्व के नक्शे पर अंकित कर रही पहल के आकारदाता ज्ञानरंजन जी ने पहल बंद कराने की घोषणा कर दी .
पंकज स्वामी की बात से करने बाद तुंरत ही मैंने ज्ञान जी से बात की .ज्ञान जी का कहना था :"इसमें हताशा,शोक दु:ख जैसी बात न थी न ही होनी चाहिए .दुनिया भर में सकारात्मक जीजें बिखरीं हुईं हैं . उसे समेटने और आत्मसात करने का समय आ गया है" पहल से ज्ञानरंजन से अधिक उन सबका रिश्ता है जिन्होंने उसे स्वीकारा. पहल अपने चरम पर है और यही बेहतर वक़्त है उसे बंद करने का . हाँ,पैंतीस वर्षों से पहल से जो अन्तर-सम्बन्ध है उस कारण पहल के प्रकाशन को बंद करने का निर्णय मुझे भी कठोर और कटु लगा है किंतु बिल्लोरे अब बताओ सेवानिवृत्ति भी तो ज़रूरी है.
ज्ञान जी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा :-"हाँ क्यों नहींपहल की शुरुआत में तकलीफों को मैं उस तरह देखता हूँ की बच्चा जब उम्र पता है तो उसके विकास में ऐसी ही तकलीफों का आना स्वाभाविक है बच्चे के दांत निकलने में उसे तकलीफ नैसर्गिक रूप से होती है,चलना सीखने पर भी उसखी तकलीफों का अंदाज़ आप समझ सकते हैं "उन घटनाओं का ज़िक्र करके मैं जीवन के आनंद को ख़त्म नहीं करना चाहता. सलाह भी यही है किसी भी स्थिति में सृजनात्मकता-के-उत्साह को कम न किया जाए. मैं अब शारीरिक कारण भी हैं पहल से अवकाश का 


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ब्लागर्स के लिए ज्ञान जी का कहना है 
:"पहल का विराम कोई अन्तिम विराम नहीं है 
सकारात्मकता के साथ स्वयं के और समाज के 
विकास के ढेरों दरवाज़े खुले हैं कभी भी कभी भी
 सकारात्मकता को विराम नहीं मिला 
            हमें चाहिए कि सकारात्मकता 
             को साथ लेकर आगे बढें  जो जो भी 
             करें बेहतर करें !

ज्ञान जी पूरे उछाह के साथ पहल का प्रकाशन बंद कर रहें हैं किसी से कोई दुराग्रह
वितृष्णा,वश नहीं . पहल भारतीय साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित एवं पठित ऐसी पत्रिका है जो कल इतिहास बन के सामने होगी बकौल मलय:"पहल,उत्कृष्ट विश्व स्तरीय पत्रिका इस लिए भी बन गई क्योंकि भारतीय रचना धर्मिता के स्तरीय साहित्य को स्थान दिया पहल में . वहीं भारत के लिए इस कारण उपयोगी रही है क्योंकि पहल में विश्व-साहित्य की श्रेष्ठतम रचनाओं को स्थान दिया जाता रहा'' मलय जी आगे कह रहे थे की मेरे पास कई उदाहरण हैं जिनकी कलम की ताकत को ज्ञान जी ने पहचाना और साहित्य में उनको उच्च स्थान मिला,
प्रेमचंद के बाद हंस और विभूति नारायण जी के बाद "वर्तमान साहित्य के स्वरुप की तरह पहल का प्रकाशन प्रबंधन कोई और भी चाहे तो विराम लगना ही चाहिए ऐसी कोशिशों पर पंकज गुलुश से हुई बातचीत पर मैंने कहा था "
इस बात की पुष्टि ज्ञान जी के इस कथन से हुई :-गिरीश भाई,पहल का प्रकाशन किसी भी स्थिति में आर्थिक कारणों,से कदापि रुका है आज भी कई हाथ आगे आएं हैं पहल को जारी रखे जाने के लिए . किंतु पहल के सन्दर्भ में लिया निर्णय अन्तिम है. 
  • ज्ञान जी अब क्या करेंगें ?
  • ज्ञान जी ने क्यों पहल बंद कर दी 
  • ज्ञान जी की पहल; का विकल्प 
  • इनमें से अधिकाँश मुद्दों पर ज्ञान जी ने ऊपर स्पष्ट कर दिया है किंतु एक बार प्रथम बिन्दु की और सुधि पाठकों का ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा ज्ञान जी ने कहा:-"As a councilor i am available " ज्ञान जी ने यह भी कहा मुझे और सृजन करना है वो तो करूंगा ।
  • पहल के विकल्प के सम्बन्ध में ज्ञान जी का कथन है : "जो भी होगा अच्छा होगा ऐसा नहीं है कि पहल के बाद सब कुछ ख़त्म हो गया "
आज क्या बीस दिन से लगातार पहल को लेकर ज्ञान जी के पास फोन आ रहें हैं उन में आफर भी शामिल हैं । किंतु दृड़ता से सबसे कृतज्ञता भरे शब्दों में स्नेह बिखेरते ज्ञानरंजन संपृक्त विद्वान या कहूं महर्षि भाव से दृड़ता से अपने निश्चय का निवेदन कर ही लेते हैं । 



8 टिप्‍पणियां:

P.N. Subramanian ने कहा…

निर्णय निश्चित ही दुखद है. परंतु साथ ही ज्ञान जी के निर्णय का सम्मान भी किया जाना चाहिए.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सर
आलेख वाचन का शुक्रिया
यही तो मैं कह रहा हूँ कि
अब तक हर निर्णय में
हम सब ज्ञान जी के साथ
रहे इस निर्णय पर भी हमारा उनके साथ होना
ज़रूरी है.....
आभार

Udan Tashtari ने कहा…

दुखद खबर है भाई!

Unknown ने कहा…

यदि ये सच ही है तो
हमको दुःख हुआ फ़िर भी
ज्ञान जी का फैसला मान्य होगा

बेनामी ने कहा…

IS SOOCHAN KE LIE DHANYVAD
KINTU DUKHAD GHATANA HAI
AAKAASH BHARDVAAJ

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

sabhe ka abhar

बेनामी ने कहा…

Gyan ji ke nirnay ka samman kiya to jana chahiye, kintu pahal ki kami khalegi.

guptasandhya.blogspot.com

बवाल ने कहा…

प्रिय मुकुल जी,
गुलुश का समाचार आपके माध्यम से मिला जो गुरु ज्ञान जी की 'पहल' के बंद होने के विषय में था, बड़ा दुखदाई तो है किंतु निर्णय ज्ञान जी का है, तो ख़ूब सोच विचार कर लिया गया सही निर्णय ही होगा. सही कहा उन्होंने के ये किसी नैराश्य आदि का नतीजा नहीं, वक्त का तकाज़ा है. कभी न कभी तो ये होना ही है तो क्यों न ज्ञान जी के अंदाज़ से ही हो. और मेरे ख़याल से 'पहल' तो हो चुकी है इतनी बड़ी. और वो अमरबेल है कभी न सूखने वाली.
-- सदा आपका.

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