10.7.17

ताऊ के हांके से ब्लॉगर जागे

गुरू ताऊ रामपुरिया  उर्फ़ ताऊ हरियाणवी उर्फ़ होलसेल ब्लॉग प्रमोटर उर्फ़  हरियाणवी ठिलुआ संघ के मुक्कदम्म उर्फ़ ब्लॉग-पटवारी के ऐलान पर ब्लागर्स जागे परन्तु ललित शर्मा पानी की टंकी पे ऐसे जमे कि एक लाइन भी न लिक्खे ... कुछ लिंक जे रहे आप टिपिया दो 
शेष शुभ 
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपका
शुभाकांक्षी गिरीश बिल्लोरे मुकुल


मेरी रूहानी यात्रा ... ब्लॉग से फेसबुक शैलजा पाठक

ब्लॉग बुलेटिनर रश्मि प्रभा... - 4 घंटे पहले
रूहानी यात्रा जगह जगह विश्राम लेती रही, उसीमें अचानक एक दोराहा दिखा कई ब्लॉग सूने , कई चलायमान लेकिन लिंक दोराहे पर ... राह बदलने की कितनी आलोचना करें ! अब है, तो है और दोराहा यानी फेसबुक सुबह से रात तक चलता है, नशा कहो या रास्ता सब यहाँ मिल जाते हैं, जो ब्लॉग पर हैं वे भी, जो यहीं हैं वे भी - मित्रता करो, और पढ़ते जाओ कुछ नगीने यहाँ से उठाती हूँ, क्या पता आप मित्र न हों, तो मित्र हो जाएँ *शैलजा पाठक * ----------------- *तुम जादूगरनी थी क्या* एक छोटे बच्चे की हथेली में तेल से अम्मा एक गोल बनाती कहती इ लो लड्डू भैया दूसरी हथेली बढ़ा देता अब दूसरी में पेडा भैया देर तक मुस... अधिक »
varsha singhपरDr Varsha Singh - 6 घंटे पहले

वर्षा का गीत - डॉ. वर्षा सिंह गरमी के झुलसाते दिन तो गए बीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। कितना भी सूखे ने कहर यहां ढाया अब तो है कजरारे बादल की छाया रिमझिम से सजती है पौधों की काया इसको ही कहते हैं ऋतुओं की माया दुनिया ये न्यारी है परिवर्तन जारी है दुख के हज़ार दंश एक खुशी भारी है रहती हर हार में छुपी हुई जीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला पुरवा ने लहरा कर जादू ये डाला भीगी-सी रागिनी, स्वर में मधुशाला हृदय के भावों को छंदों में ढाला बारिश की लगी झड़ी सरगम की जुड़ी क... अधिक »
ताऊ डाट इनपरताऊ रामपुरिया - 7 घंटे पहले
भाईयों, ताई के अलावा सभी भहणों, भतीजे, भतीजियों और काका बाबा जो भी हों, आप सबनै गुरू पूर्णिमा की घणी रामराम. आज इस पावन पर्व पर "*हरियाणवी ठिलुआ संघ"* द्वारा आयोजित गजल संध्या में आप सबका स्वागत करणै म्ह घणी खुशी का स्वाद आरया सै. ऐं मौका पै पर म्हारी यो पुराणी गजल सुणाते हुये मन्नै घणी खुशी होरी सै. खुशी का ठिकाणा कोनी......बस नू समझ लो कि ताई के लठ्ठ खाणै तैं भी ज्यादा आनंद आरया सै. इब मैं अपणी यों पुराणी और ताजा (दोनों एक साथ) गजल आपको सुणा रह्या सूं.....जरा कसकै तालियां मारणा.... तालियां ना मारो तो कोई बात नही.....टमाटर भी मार सको हो....टमाटर घणे महंगे हो राखें सैं....घर ले ज... अधिक »
उड़न तश्तरी ....परUdan Tashtari - 17 घंटे पहले
जूते पर १८ प्रतिशत जीएसटी..मगर जूते अगर ५०० रुपये से कम के हैं तो ५ प्रतिशत जीएसटी..इसका क्या अर्थ निकाला जाये? ५०० से कम का जूता पैरों में पहनने के लिए हैं इसलिए कम टैक्स और महँगा जूता शिरोधार्य...इसलिए अधिक टैक्स? एक देश एक टैक्स के जुमले की बरसात में एक वस्तु अनेक टैक्स टिका गये और लोग जान ही न पाये.. एक देश एक टैक्स का छाता और उसमें से बरसात की बूँदों की तरह बाजू बाजू से सरकती अनेकों टैक्स स्लैबों की बूँदें..आम जन समझ ही नहीं पा रहा है कि ये कैसा एक टैक्स है? अनेकता में एकता टाईप... आमजन को सरल भाषा में समझाने के लिए कुछ यूं समझाना होगा कि जैसे सरकार का कहना है कि अब तक का पूरा व... अधिक »
ExpressionपरRajni Chhabra - 13 घंटे पहले
दिल का तो मालूम नहीं, ज़हन अभी जवान है या खुदा! तेरी रहमत से इसकी शान है/
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 17 घंटे पहले

आज कल शायद ही कोई ऐसा Mobile user होगा जो व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल नही करता हो,यूज़र्स के WhatsApp में रोज़ बहुत सारे मैसेज आते हैं जिन्हें यूज़र्स के दोस्त या रिश्तेदार भेजते रहते हैं,कुछ व्हाट्सएप्प यूज़र्स तो इतने सारे ग्रुप में Activate रहते हैं कि उनके पास रोज़ हज़ारों मैसेज आते हैं. वैसे तो WhatsApp में यूज़र्स की सुविधा के लिए रोज़ New updates आ रहे हैं जिनके मदद से यूज़र्स के बहुत सारे काम दिन प्रतिदिन आसान होते जा रहें हैं. अगर आप व्हाट्सएप्प को और easy ,convenient और useful बनाना चाहते हैं तो आप Third party app का इस्तेमाल कर सकते हैं.Third party app के इस्तेमाल से व्हाट्स एप में ... अधिक »
देशनामापरKhushdeep Sehgal - 1 दिन पहले
*तारीख- 18 जून 1983* *जगह- टर्नब्रिज, वेल्स* ये तारीख और जगह बहुत खास है...या यूं कहिए कि भारत के क्रिकेट की टर्निंग प्वाइंट है ये तारीख...इस दिन एक शख्स ने अकेले दम पर भारतीय क्रिकेट का वो आधार तैयार किया जिसने उस टूर्नामेंट में ना सिर्फ भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाया बल्कि देश में क्रिकेट के सुनहरे काल की बुनियाद रख दी...ये शख्स और कोई नहीं भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव हैं...उस तारीख को भारत का मैच जिम्बाब्वे जैसी अपेक्षाकृत नौसिखिया टीम से था...भारत पहले बैटिंग कर रहा था...लेकिन ये क्या एक के बाद एक भारत के दिग्गज बैट्समैन पवेलियन लौटने लगे...17 रन बनते बनते भारत के पाँच विकेट ... अधिक »
झा जी कहिनपरअजय कुमार झा - 1 दिन पहले
बहती नदी के संग तू बहता जा , मन तू अपने मन की कहता जा , न रोक किसी को ,न टोक किसी को, थोडा वो झेल रहे ,थोडा तू भी सहता जा .. वर्तमान में सोशल नेट्वर्किंग साईट्स पर ,उपस्थति बनाए रखने , किसी भी वाद विवाद में पड़ने , तर्क कुतर्क के फेर में समय खराब करने से बहुत बेहतर यही है , कि हम आप जिस भी विषय अपर लिखें , वैसे , जैसा कि मित्र और तकनीक गुरु पाबला जी अक्सर कहा करते थे कि , धर्म और राजनीति दो ऐसे विषय हैं जिनपर वे लिखना कभी नहीं पसंद करते , इन दोनों ही विषय का यूं तो हमेशा से ही विमर्श में विवाद का लाजिमी होना जैसा है , किन्तु वर्तमान में तो स्थति इतनी विकट हो चुकी है कि लगता है मानो... अधिक »
ब्लॉग बुलेटिनपररश्मि प्रभा... - 1 दिन पहले
भावनाओं के घने वृक्ष और मैं सारी थकान मिट जाती है दूर दूर तक फैली ज़िन्दगी दिखाई देती है ज़िन्दगी को सुनती हूँ आँखों में भरती हूँ इस संजीवनी के बारे में जितना कहूँ कम ही होगा ... एक वटवृक्ष फेसबुक से - https://www.facebook.com/krishna.kalpit *बुरे दिन * जब अच्छे दिन आ जायेंगे तब बुरे दिन कहाँ जायेंगे क्या वे किसानों की तरह पेड़ों से लटककर आत्महत्या कर लेंगे या किसी नदी में डूब जायेंगे या रेल की पटरियों पर कट जायेंगे नहीं, बुरे दिन कहीं नहीं जायेंगे यहीं रहेंगे हमारे आसपास अच्छे दिनों के इन्तिज़ार में नुक्कड़ पर ताश खेलते हुये बुरे दिन ज़िंदा रहेंगे पताका बीड़ी पीते हुये बुरे दिनो... अधिक »
छींटे और बौछारेंपरRavishankar Shrivastava - 1 दिन पहले
फिर तो, कोई वांदा नई!
उच्चारणपररूपचन्द्र शास्त्री मयंक - 1 दिन पहले
*यज्ञ-हवन करके करो, गुरूदेव का ध्यान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।।* *भूल गया है आदमी, ऋषियों के सन्देश।* *अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।* *गुरू-शिष्य में हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार।* *गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार।* *गुरु की महिमा का करूँ, कैसे आज बखान* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।**(१)**।* *संस्कार देता गुरू**, **पाता सिख अमिताभ।* *बिना दीक्षा के नहीं**, **शिक्षा का कुछ लाभ।* *अन्तस को दे रौशनी**, **गुरू ज्योति का पुंज।* *गुरु के शुभ आशीष से**, **सुरभित होय निकुंज।* *सद्गुरु अपने शिष्य को, देता हरदम ज्ञान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बि... अधिक »
computer tips & tricksपरFaiyaz Ahmad - 2 दिन पहले
Darvaar दरबारपरdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } - 3 दिन पहले
ब्लॉग बुलेटिनपरराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर - 3 दिन पहले
चलते -चलते...!परकेवल राम - 4 दिन पहले
जरा उन दिनों को याद करते हैं जब हम हर दिन अपना ब्लॉग देखा करते थे. कोई पोस्ट लिखने के बाद उस पर आई हर टिप्पणी को बड़े ध्यान से पढ़ते थे. साथ ही यह भी प्रयास होता था कि जिसने पोस्ट पर टिप्पणी की है, बदले में उसके पोस्ट पर जाकर भी टिप्पणी कर आयें. हम कोई पोस्ट लिखें या न लिखें, लेकिन ब्लॉगरों के ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणियों का सिलसिला अनवरत जारी रहता था. उन दिनों यह भी होता था कि ब्लॉगिंग हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा था. सुबह उठते ही सबसे पहले ब्लॉग की हलचल को देख लिया जाता था, वरना ऐसा लगता था कि आज जिन्दगी का अहम् समय बेकार चला गया. जीमेल की बत्ती देखकर अंदाजा लगाया जाता कि सामने वाला... अधिक »



8.7.17

Addiction of MOBILE : Miss Pragati Pandey

Thanks :- Tipul acesta

The term MOBILE means Mode of Being Isolated Lonely but Entertained.
Its overuse was spreading like a disease all over the world. Mobile was invented to make life more easier,with the help of this we get conected with our family,friends and all our neighbourhood from different parts of the world.
 This was the easiest and faster mode of communication.  The number of people that have cell phones is rapidly growing. So is the number of people that are becoming addicted to their phones. These phones are made to make life easier. Today there are some people that have a life because they do not know when to turn them off.
Thanks :- Today.com
Unfortunately,cellphone addiction may become more wideslread as greater numbers of children's are using cell phones. There are questions as to whether cell phone addictions are actual addictions, such as an addiction to drugs would be. There are some similarities.    People who are addicted to cell phones they are using it to make them feel better. Childrens who are below 15years they have bundles of knowledge about mobile phones and they sometimes misusing it. Cell phones do make life easier, but you should not lose sight of the fact that there is a life without them. There is a some evidence that claim the excessive mobile phone use can cause or worsen health problems. Cancer, specifically brain cancer, and its correlation with phone use, is an ongoing investigation. BeacAuse of radio frequency of the mobiles will affect the health of people.
Thanks :- Tipul acesta
Mostly the studies of students get affected due to mobile phones because they are keeping their studies aside because of their entertainment. So, it is requested to all the cell phones addicted that it was invented to make your life easier and we should not play with it because it will affect you socially as well as mentally.

Use it when necessary and make atmosphere free from radio frequency so that you get a healthy environment and you will make your family feel happy by spending time with them not with mobiles.
#हिंदी_ब्लागिंग_जिंदाबाद 

4.7.17

ब्राह्मण बच्चे की मर्मस्पर्शी कहानी उसी की जुबानी


आज व्हाट्सएप पर एक वीडियों मिला यह वीडियो यूट्यूब पर हुरदंग-न्यूज़ द्वारा 2 जुलाई 2017 को  अपलोड किया गया है. इसे आप इस लिंक पर देख सकते हैं https://www.youtube.com/watch?v=DwA_z1H34VY मुझे लगा कि शायद किसी ने शरारत की है पर जब बच्चे के बताए उसके भाई के रोल नंबर का रिज़ल्ट देखा तो दंग रह गया . रिजल्ट वही निकला जो बच्चे ने बताया.  
पितृ विहीन यह बच्चा अपने अन्य दो भाइयों के साथ रीवा जिले में रहता है. अध्ययन के लिए  अनारक्षित वर्ग का होने के कारण अपना भविष्य बनाने के लिए बच्चा नीलकंठ दुबे रीवा से सतना के बीच इंटर सिटी में अखबार बेचता है. बच्चे ने अपने इंटरव्यू में बताया की उसके दो भाई बहुत उम्दा पढ़ाई करते हैं. बड़े भाई को सरकारी और गैर सरकारी इमदाद मिलने का ज़िक्र करते हुए बताया कि वह अपने भविष्य के प्रति बेहद संवेदित है . इतना ही नहीं वो लाखों शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए बच्चों को सरकारी मदद की अपेक्षा करतें हैं .
नीलकंठ का आत्मविश्वाश बेहद सराहनीय है. आइये अपने प्रदेश को महान बनाने इन बच्चों के लिए कुछ करें .


प्रधानमंत्री जी की इजराइल यात्रा : - प्रशांत पोल

प्रसंगवश – प्रशांत पोल जी ने आज फेसबुक पर डाला है यह आलेख आप भी जानिये इज़राइल को इसके पहले कि टीवी पर कुछ बताया जावे ......... आभार श्री प्रशांत पोल जी 
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मैं तीन बार इजराइल गया हूँ. तीनों बार अलग अलग रास्तों से. पहली बार लंदन से गया था. दूसरी बार पेरिस से. लेकिन तीसरी बार मुझे जाने का अवसर मिला, पडौसी राष्ट्र जॉर्डन से. राजधानी अम्मान से, रॉयल जॉर्डन एयरलाइन्स के छोटेसे एयरक्राफ्ट से तेल अवीव की दूरी मात्र चालीस मिनट की हैं. मुझे खिड़की की सीट मिली और हवाई जहाज छोटा होने से, तुलना में काफी नीचे से उड़ रहा था. आसमान साफ़ था. मैं नीचे देख रहा था. मटमैले, कत्थे और भूरे रंग का अथाह फैला रेगिस्तान दिख रहा था. पायलट ने घोषणा की, कि थोड़ी ही देर में हम नीचे उतरने लगेंगे’. और अचानक नीचे का दृश्य बदलने लगा. मटमैले, कत्थे और भूरे रंग का स्थान हरे रंग ने लिया. अपनी अनेक छटाओं को समेटा हरा रंग..!

रेगिस्तान तो वही था. मिटटी भी वही थी. लेकिन जॉर्डन की सीमा का इजराइल को स्पर्श होते ही मिटटी ने रंग बदलना प्रारंभ किया. यह कमाल इजरायल का हैं. उनके मेहनत का हैं. उनके जज्बे का हैं. रेगिस्तान में खेती करनेवाला इजराइल आज दुनिया को उन्नत कृषि तकनिकी निर्यात कर रहा हैं. रोज टनों से फूल और सब्जियां यूरोप को भेज रहा हैं. आज सारी दुनिया जिसे अपना रही हैं, वह ड्रिप इरीगेशन सिस्टम’, इजराइल की ही देन हैं.
इजराइल प्रतीक हैं स्वाभिमान का, आत्मसम्मान का और आत्मविश्वास का..!
मात्र अस्सी लाख जनसँख्या का यह देश. तीन से चार घंटे में देश के एक कोने से दुसरे कोने की यात्रा संपन्न होती हैं. मात्र दो प्रतिशत पानी के भण्डार वाला देश. प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर. ईश्वर ने भी थोड़ा अन्याय ही किया हैं. आजु बाजू के अरब देशों में तेल निकला हैं, लेकिन इजराइल में वह भी नहीं..!
इजराइल यह राजनितीक जीवंतता और राजनीतिक समझ की पराकाष्ठा का देश हैं. इस छोटे से देश में कुल १२ दल हैं. आजतक कोई भी दल अपने बलबूते पर सरकार नहीं बना पाया हैं. पर एक बात हैं देश की सुरक्षा, देश का सम्मान, देश का स्वाभिमान और देश हित... इन बातों पर पूर्ण एका हैं. इन मुद्दों पर कोई भी दल न समझौता करता हैं, और न ही सरकार गिराने की धमकी देता हैं. इजराइल का अपना नॅशनल अजेंडा’, जिसका सम्मान सभी दल करते हैं.
१४ मई, १९४८ को जब इजराइल बना, तब दुनिया के सभी देशों से यहूदी (ज्यू) वहां आये थे. अपने भारत से भी बेने इजराइलसमुदाय के हजारों लोग वहां स्थलांतरित हुए थे. अनेक देशों से आने वाले लोगों की बोली भाषाएं भी अलग अलग थी. अब प्रश्न उठा की देश की भाषा क्या होना चाहिए..? उनकी अपनी हिब्रू भाषा तो पिछले दो हजार वर्षों से मृतवत पडी थी. बहुत कम लोग हिब्रू जानते थे. इस भाषा में साहित्य बहुत कम था. नया तो था ही नहीं. अतः किसी ने सुझाव दिया की अंग्रेजी को देश की संपर्क भाषा बनाई जाए. पर स्वाभिमानी ज्यू इसे कैसे बर्दाश्त करते..? उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी हिब्रू भाषा ही इस देश के बोलचाल की राष्ट्रीय भाषा बनेगी.
निर्णय तो लिया. लेकिन व्यवहारिक कठिनाइयां सामने थी. बहुत कम लोग हिब्रू जानते थे. इसलिए इजराइल सरकार ने मात्र दो महीने में हिब्रू सिखाने का पाठ्यक्रम बनाया. और फिर शुरू हुआ, दुनिया का एक बड़ा भाषाई अभियान..! पाँच वर्ष का.
इस अभियान के अंतर्गत पूरे इजराइल में जो भी व्यक्ति हिब्रू जानती था, वह दिन में ११ बजे से १ बजे तक अपने निकट के शाला में जाकर हिब्रू पढ़ाता था. अब इससे बच्चे तो पाँच वर्षों में हिब्रू सीख जायेंगे. बड़ों का क्या..?
इस का उत्तर भी था. शाला में पढने वाले बच्चे प्रतिदिन शाम ७ से ८ बजे तक अपने माता-पिता और आस पड़ोस के बुजुर्गों को हिब्रू पढ़ाते थे. अब बच्चों ने पढ़ाने में गलती की तो..? जो सहज स्वाभाविक भी था. इसका उत्तर भी उनके पास था. अगस्त १९४८ से मई १९५३ तक प्रतिदिन हिब्रू का मानक (स्टैण्डर्ड) पाठ, इजराइल के रेडियो से प्रसारित होता था. अर्थात जहां बच्चे गलती करेंगे, वहां पर बुजुर्ग रेडियो के माध्यम से ठीक से समझ सकेंगे.
और मात्र पाँच वर्षों में, सन १९५३ में, इस अभियान के बंद होने के समय, सारा इजराइल हिब्रू के मामले में शत प्रतिशत साक्षर हो चुका था..!
आज हिब्रू में अनेक शोध प्रबंध लिखे जा चुके हैं. इतने छोटे से राष्ट्र में इंजीनियरिंग और मेडिकल से लेकर सारी उच्च शिक्षा हिब्रू में होती हैं. इजराइल को समझने के लिए बाहर के छात्र हिब्रू पढने लगे हैं..!
ये हैं इजराइल..! जीवटता, जिजीविषा और स्वाभिमान का जिवंत प्रतीक..! ऐसे राष्ट्र में पहली बार हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राजनयीक दौरे पर जा रहे हैं.
हम सब के लिए यह निश्चित ही ऐतिहासिक घटना हैं..!
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प्रशांत पोल #Modi-in_Israel, #Israel
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2.7.17

जी एस टी : मध्यवर्ग के लिए शुभ हो सकता है

( कल यानी 1 जुलाई 2017 मिसफिट पर पर प्रकाशित आलेख के बाद आज आलेख देखिये )    
भारतीय अर्थ व्यवस्था के बनते बिगड़ते स्वरुप में कराधान का महत्वपूर्ण योगदान था. कल से भारत जी एस टी की व्यवस्था में शामिल हुआ है . परिणाम कैसे  आने हैं इसका अंदाजा तुरंत लगाना अनुचित है. भारतीय अर्थव्यवस्था को अपलिफ्ट करने में मध्यवर्ग का अभूतपूर्व स्थान है . एक जून 2015 को मैंने इसी ब्लॉग पर फिर अन्य स्थानों पर मध्यवर्ग की समस्या को खुल के सामने रखा था और उन कारणों को स्पष्ट किया था जिसमें व्यक्तिगत क्षेत्र के पास पूंजी निर्माण की अपनी अलग तरह की बाधाएं हैं 
    इन बाधाओं में सर्वाधिक समस्या कराधान एवं अचानक मूल्यों में बढ़ोत्तरी की वज़ह से होना पाया गया. शिक्षा स्वास्थ्य मध्यवर्ग के लिए सबसे खर्चीले मद हैं जो व्यक्तिगत-सैक्टर के मध्य आय वर्गीय  बड़े साझीदार को पूंजी निर्माण में सदैव बाधा उत्पन्न करते रहे हैं .

     सुधि पाठको, यही मध्यम जिसे वाम विचारक सबसे अधिक कलंकित करते हैं के युवा सर्वाधिक उत्पादता तथा विदेशी मुद्रा भण्डार के लिए कारगर एवं परिणाममूलक कार्य कर रहे हैं . लेकिन इसके लिए परिवारों को जो तकलीफें उठानी पड़तीं हैं उसे समझना बेहद ज़रूरी है. वर्तमान एवं तत्कालीन  सरकारों ने जिस तरीके से अपनी इच्छा शक्ति से एक देश एक कर की व्यवस्था लागू कराई है वो  अन्य बातों के अनुकूल होने पर मध्यमवर्ग को  पूंजी निर्माण में सहायता प्रदान करेगी . ऐसा मेरा मत है. ये अलग बात है कि 14 वर्ष लगे . तो जानिये सम्पूर्ण व्यवस्था के बदलाव में राम को भी 14 वर्ष ही लगे थे. अत्यधिक नहीं परन्तु आशावादी होना बुरा और गलत भी तो नहीं अत: मैं आशान्वित हूँ कि बदलाव अवश्य आएगा. इस बीच ये कठिनाइयां अवश्य आ सकतीं हैं कि पडौसी देश भारत की इस व्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं. अगर सीमा पर अस्थिरता रही और सरकार को सीमा की रक्षा के लिए कुछ अतिरिक्त व्यवस्था करनी पडी तो कठनाई अवश्य आ सकती है परन्तु भारतीय जन इस संकट में सरकार के साथ ही होंगें ऐसा सभी मानतें हैं. मध्यवर्ग जिसे वाम-सोशियो-इकानामिक्स के ज्ञाता अछूत मानते हैं उसका सबसे महान योगदान होगा. 
          अगर समूची स्थितियां अनुकूल रहीं तो जी एस टी के सुचारू क्रियान्वयन के बाद मध्यमवर्ग सबसे शक्तिशाली बनके उभरेगा. अर्थात उसके द्वारा संचित की गई  पूंजी राष्ट्रीय पूंजी के रूप में चिन्हित होगी . और विकास के सन्दर्भ में इसका उपयोग राष्ट्र के लिए सर्वाधिक लाभप्रद भी होगा.     
          
#हिंदी_ब्लागिंग के पुनरागमन पर सभी को शुभकामनाओं सहित
 http://sanskaardhani.blogspot.in/2017/06/blog-post_30.html
              


Wow.....New

Is everything predestined ? Dr. Salil Samadhia

आध्यात्मिक जगत के बड़े से बड़े प्रश्नों में एक है  - क्या सब कुछ पूर्व निर्धारित है ?  (Is everything predestined ? ) यदि हां , तॊ...