गुरू ताऊ रामपुरिया उर्फ़ ताऊ हरियाणवी
उर्फ़ होलसेल ब्लॉग प्रमोटर उर्फ़ हरियाणवी
ठिलुआ संघ के मुक्कदम्म उर्फ़ ब्लॉग-पटवारी के ऐलान पर ब्लागर्स जागे परन्तु
ललित शर्मा पानी की टंकी पे ऐसे जमे कि एक लाइन भी न लिक्खे ... कुछ लिंक जे रहे
आप टिपिया दो
शेष शुभ
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
आपका
शुभाकांक्षी गिरीश बिल्लोरे मुकुल
मेरी
रूहानी यात्रा ... ब्लॉग से फेसबुक शैलजा पाठक
रूहानी यात्रा जगह जगह
विश्राम लेती रही, उसीमें अचानक एक दोराहा
दिखा कई ब्लॉग सूने , कई चलायमान लेकिन लिंक
दोराहे पर ... राह बदलने की कितनी आलोचना करें ! अब है, तो है और दोराहा यानी फेसबुक सुबह से रात तक
चलता है, नशा कहो या रास्ता सब यहाँ
मिल जाते हैं, जो ब्लॉग पर हैं वे भी, जो यहीं हैं वे भी - मित्रता करो, और पढ़ते जाओ कुछ नगीने यहाँ से उठाती हूँ, क्या पता आप मित्र न हों, तो मित्र हो जाएँ *शैलजा पाठक *
----------------- *तुम जादूगरनी थी क्या* एक छोटे बच्चे की हथेली में तेल से
अम्मा एक गोल बनाती कहती इ लो लड्डू भैया दूसरी हथेली बढ़ा देता अब दूसरी में पेडा
भैया देर तक मुस... अधिक »
वर्षा का गीत - डॉ. वर्षा सिंह गरमी के झुलसाते
दिन तो गए बीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। कितना भी सूखे ने कहर यहां ढाया
अब तो है कजरारे बादल की छाया रिमझिम से सजती है पौधों की काया इसको ही कहते हैं
ऋतुओं की माया दुनिया ये न्यारी है परिवर्तन जारी है दुख के हज़ार दंश एक खुशी भारी
है रहती हर हार में छुपी हुई जीत मौसम ने गाया है वर्षा का गीत वर्षा का गीत, वर्षा का गीत। गूंथ रहा मनवा भी सपनों की माला
पुरवा ने लहरा कर जादू ये डाला भीगी-सी रागिनी, स्वर में
मधुशाला हृदय के भावों को छंदों में ढाला बारिश की लगी झड़ी सरगम की जुड़ी क... अधिक »
भाईयों, ताई के
अलावा सभी भहणों, भतीजे, भतीजियों और काका बाबा जो भी हों, आप सबनै गुरू पूर्णिमा की घणी रामराम. आज इस
पावन पर्व पर "*हरियाणवी ठिलुआ संघ"* द्वारा आयोजित गजल संध्या में आप
सबका स्वागत करणै म्ह घणी खुशी का स्वाद आरया सै. ऐं मौका पै पर म्हारी यो पुराणी
गजल सुणाते हुये मन्नै घणी खुशी होरी सै. खुशी का ठिकाणा कोनी......बस नू समझ लो
कि ताई के लठ्ठ खाणै तैं भी ज्यादा आनंद आरया सै. इब मैं अपणी यों पुराणी और ताजा
(दोनों एक साथ) गजल आपको सुणा रह्या सूं.....जरा कसकै तालियां मारणा.... तालियां
ना मारो तो कोई बात नही.....टमाटर भी मार सको हो....टमाटर घणे महंगे हो राखें
सैं....घर ले ज... अधिक »
जूते पर १८ प्रतिशत जीएसटी..मगर जूते अगर ५००
रुपये से कम के हैं तो ५ प्रतिशत जीएसटी..इसका क्या अर्थ निकाला जाये? ५०० से कम का जूता पैरों में पहनने के लिए हैं
इसलिए कम टैक्स और महँगा जूता शिरोधार्य...इसलिए अधिक टैक्स? एक देश एक टैक्स के जुमले की बरसात में एक
वस्तु अनेक टैक्स टिका गये और लोग जान ही न पाये.. एक देश एक टैक्स का छाता और
उसमें से बरसात की बूँदों की तरह बाजू बाजू से सरकती अनेकों टैक्स स्लैबों की
बूँदें..आम जन समझ ही नहीं पा रहा है कि ये कैसा एक टैक्स है? अनेकता में एकता टाईप... आमजन को सरल भाषा में
समझाने के लिए कुछ यूं समझाना होगा कि जैसे सरकार का कहना है कि अब तक का पूरा
व... अधिक
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दिल का तो मालूम नहीं, ज़हन अभी जवान है या खुदा! तेरी रहमत से इसकी
शान है/
आज कल शायद ही कोई ऐसा Mobile user होगा जो व्हाट्सएप्प का
इस्तेमाल नही करता हो,यूज़र्स के WhatsApp में रोज़ बहुत सारे मैसेज
आते हैं जिन्हें यूज़र्स के दोस्त या रिश्तेदार भेजते रहते हैं,कुछ व्हाट्सएप्प यूज़र्स तो इतने सारे ग्रुप में
Activate रहते हैं कि उनके पास रोज़
हज़ारों मैसेज आते हैं. वैसे तो WhatsApp
में यूज़र्स
की सुविधा के लिए रोज़ New updates आ रहे हैं जिनके मदद से
यूज़र्स के बहुत सारे काम दिन प्रतिदिन आसान होते जा रहें हैं. अगर आप व्हाट्सएप्प
को और easy ,convenient और useful बनाना चाहते हैं तो आप Third party app का इस्तेमाल कर सकते हैं.Third party app के इस्तेमाल से व्हाट्स एप
में ... अधिक
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*तारीख- 18 जून 1983* *जगह- टर्नब्रिज, वेल्स* ये
तारीख और जगह बहुत खास है...या यूं कहिए कि भारत के क्रिकेट की टर्निंग प्वाइंट है
ये तारीख...इस दिन एक शख्स ने अकेले दम पर भारतीय क्रिकेट का वो आधार तैयार किया
जिसने उस टूर्नामेंट में ना सिर्फ भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाया बल्कि देश में
क्रिकेट के सुनहरे काल की बुनियाद रख दी...ये शख्स और कोई नहीं भारत के पूर्व
कप्तान कपिल देव हैं...उस तारीख को भारत का मैच जिम्बाब्वे जैसी अपेक्षाकृत
नौसिखिया टीम से था...भारत पहले बैटिंग कर रहा था...लेकिन ये क्या एक के बाद एक
भारत के दिग्गज बैट्समैन पवेलियन लौटने लगे...17 रन बनते
बनते भारत के पाँच विकेट ... अधिक
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बहती नदी के संग तू बहता जा , मन तू अपने मन की कहता जा , न रोक किसी को ,न टोक किसी
को, थोडा वो झेल रहे ,थोडा तू भी सहता जा .. वर्तमान में सोशल
नेट्वर्किंग साईट्स पर ,उपस्थति बनाए रखने , किसी भी वाद विवाद में पड़ने , तर्क कुतर्क के फेर में समय खराब करने से बहुत
बेहतर यही है , कि हम आप जिस भी विषय अपर
लिखें , वैसे , जैसा कि मित्र और तकनीक गुरु पाबला जी अक्सर
कहा करते थे कि , धर्म और राजनीति दो ऐसे
विषय हैं जिनपर वे लिखना कभी नहीं पसंद करते , इन दोनों
ही विषय का यूं तो हमेशा से ही विमर्श में विवाद का लाजिमी होना जैसा है , किन्तु वर्तमान में तो स्थति इतनी विकट हो चुकी
है कि लगता है मानो... अधिक
»
भावनाओं के घने वृक्ष और मैं सारी थकान मिट
जाती है दूर दूर तक फैली ज़िन्दगी दिखाई देती है ज़िन्दगी को सुनती हूँ आँखों में
भरती हूँ इस संजीवनी के बारे में जितना कहूँ कम ही होगा ... एक वटवृक्ष फेसबुक से
- https://www.facebook.com/krishna.kalpit
*बुरे दिन *
जब अच्छे दिन आ जायेंगे तब बुरे दिन कहाँ जायेंगे क्या वे किसानों की तरह पेड़ों से
लटककर आत्महत्या कर लेंगे या किसी नदी में डूब जायेंगे या रेल की पटरियों पर कट
जायेंगे नहीं, बुरे दिन कहीं नहीं
जायेंगे यहीं रहेंगे हमारे आसपास अच्छे दिनों के इन्तिज़ार में नुक्कड़ पर ताश खेलते
हुये बुरे दिन ज़िंदा रहेंगे पताका बीड़ी पीते हुये बुरे दिनो... अधिक »
फिर तो, कोई वांदा
नई!
Humor, fun,
Jokes, Cartoons, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs:
BAMULAHIJAपरKirtish bhatt - 1 दिन पहले
*यज्ञ-हवन करके करो, गुरूदेव
का ध्यान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।।* *भूल गया है आदमी, ऋषियों
के सन्देश।* *अचरज से हैं देखते, ब्रह्मा-विष्णु-महेश।* *गुरू-शिष्य में
हो सदा, श्रद्धा-प्यार अपार।* *गुरू पूर्णिमा पर्व को, करो आज साकार।* *गुरु की महिमा का करूँ, कैसे
आज बखान* *जग में मिलता है नहीं**, **बिना गुरू के ज्ञान।**(१)**।* *संस्कार
देता गुरू**, **पाता सिख अमिताभ।* *बिना दीक्षा के नहीं**, **शिक्षा का कुछ लाभ।* *अन्तस को दे
रौशनी**, **गुरू ज्योति का पुंज।* *गुरु के शुभ आशीष से**, **सुरभित होय निकुंज।* *सद्गुरु अपने
शिष्य को, देता हरदम ज्ञान।* *जग में मिलता है नहीं**, **बि... अधिक »
जरा उन दिनों को याद करते हैं जब हम हर दिन
अपना ब्लॉग देखा करते थे. कोई पोस्ट लिखने के बाद उस पर आई हर टिप्पणी को बड़े
ध्यान से पढ़ते थे. साथ ही यह भी प्रयास होता था कि जिसने पोस्ट पर टिप्पणी की है, बदले में उसके पोस्ट पर जाकर भी टिप्पणी कर
आयें. हम कोई पोस्ट लिखें या न लिखें, लेकिन
ब्लॉगरों के ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणियों का सिलसिला अनवरत जारी रहता था. उन दिनों
यह भी होता था कि ब्लॉगिंग हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा था. सुबह उठते ही सबसे
पहले ब्लॉग की हलचल को देख लिया जाता था, वरना ऐसा
लगता था कि आज जिन्दगी का अहम् समय बेकार चला गया. जीमेल की बत्ती देखकर अंदाजा
लगाया जाता कि सामने वाला... अधिक »