29.3.15

रामायण काल की पुष्टि न करने में विकी पीडिया ज्ञान कोष एक प्रमुख षडयंत्र कारी भूमिका में

अक्सर सनातन विरोधी राम को एक काल्पनिक नायक मान कर अपने अपने तर्क उन पर लिखे साहित्य के आधार पर करते हैं  जो सर्वथा गलत है । राम सूर्यवंश के 64 वें सम्राट थे इस तथ्य को सिरे से खारिज करने वाले लोग राम थे ही नहीं कह कर जहां एक ओर सत्य सनातन को नकारते वहीं दूसरी ओर स्वयं के नवोन्मेषित पंथ को वास्तविक धर्म साबित करने की कोशिश में जुटे हैं । यहाँ हमें 94 सूर्यवंशीय सम्राटों की सूची मिली है । अगर हम आज की औसत उम्र का से लगभग दूना अर्थात 100 वर्ष मानें तो प्रत्येक राजा का ने कम से कम 30 वर्ष से 50 वर्ष आयु पूर्ण होने तक राज्य किया ही होगा । यहाँ किसी भी सूर्यवंशी राजा की असामयिक मृत्यू का विवरण किसी धार्मिक ग्रंथ में नहीं है महाभारत काल के पूर्व केवल सूर्यवंशीय सम्राटों का राज्य लगभग उनकी औसत उम्र से आधी अवधि अर्थात  अर्थात 9400 वर्ष का आधा 4700 वर्ष निर्धारित करना चाहिए ये वो युग था जब सूर्यवंशीयों ने भारत भूमि ही नहीं वरन लगभग  आधे विश्व   विस्तारित था । यहाँ वैदिक कालीन समयावधि को जो ईसा के 1500 से 1000 वर्ष पुरानी कही जा रही है अमान्य करने योग्य ही  है । हमारे वेदों के  रचनाकाल में भाषा लिपि अंकन करने की  एवं आंकलन करने की प्रणाली अपने चरम पर थी । वेद पुराण उपनिषद ब्राह्मण, वेदांग,  आरण्यक, सूत्र साहित्य, आदि रचे गए । ये श्रुत भी थे ........... जो व्यक्ति से व्यक्ति अंतरित हुए  एवं लिपि-बद्ध भी हुए । किन्तु तकनीकी ज्ञान एवं संसाधनों के अभाव में इनका मौलिक रूप  संरक्षण न हो पाना  ऐसे साहित्य को अत्यधिक विस्तार न दे सका । ऐसा  सारा साहित्य वाचक परंपरा के जरिये अधिक विस्तारित हुआ किन्तु ताड़ पत्रों पर लिखा हुआ साहित्य या तो क्षतिग्रस्त हुआ अथवा उसे बलात क्षतिग्रस्त किया गया । जिस तरह यहूदी सभ्यता को एक षडयंत्र के तहत समाप्त किया गया अथवा जैसे हालिया वर्षों में बुद्ध की प्रतिमाओं तक को नेस्तनाबूत किया हाल ही में आई एस आई एस द्वारा भी यही सब कुछ किया गया है । यानी वो सब कुछ खत्म कर दो जिसका सृजन हमने नहीं किया । परंतु नवोन्मेशी पंथ श्रुत परंपरा (वाचिक-प्रणाली  ) से गोया अपरिचित है अथवा मूर्ख हैं वे अब तक  ये न जान सके कि  दक्षिण भारत का रामायण लेखक भी राम को अयोध्या में ही जन्मा बताता है संस्कृत वाले कवि ने भी यही कहा , तुलसी ने भी यही माना । यानी समकालीन बाल्मीकी , एवं  कालांतर के सारे कवि एक मतेन इसी बात पर सहमत थे कि राम कोई काल्पनिक चरित्र न थे वरन बाकायदा वे अयोध्या में जन्मे थे इसकी पुष्टि मुगल काल में लिखी रामायण से भी होती है जो छत्तीसगढ़ में लिखी गई इसे छत्तीसगढ़  कोरबा में आर्कियोलोजिकल म्यूजियम  में देखा जा सकता है । इस संबंध में आजतक की ये रिपोर्ट देखें जो इस आलेख के लिखते समय तक इस यू आर एल http://aajtak.intoday.in/story/chhattisgarh-mughals-ramlila-found-in-urdu-1-797900.html पर मौजूद हैं ।
    मुगल काल में भी इस कृति को राजकोप का शिकार नहीं बनाया अर्थात मुगल राजाओं में राम को लेकर कोई दुविधा न थी । न ही वे राम को कपोल कल्पित नायक मानते थे ।
        पृथ्वी से गृहों की दूरी,  ग्रहों की चाल, रोगों का इलाज़, औषधि  , साहित्य व्याकरण, राजनीति, योग,  जब हमारे आदि ग्रन्थों के अनुसार मानी हैं तो राम के काल को अमान्य  करना शुद्ध रूप से अतिवाद का उदाहरण है ,     इस अतिवाद में विकी पीडियाज्ञान कोष एक प्रमुख षडयंत्रकारी भूमिका में है । यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अँग्रेजी विकीपीडिया ज्ञान कोष ने भी रामायण काल को उल्लेखित नहीं किया है । अगर कोई प्रयास भी होते हैं तो इस ज्ञान कोष के कर्ताधर्ता सीधे सीधे विकी से पन्ना हटा देते हैं ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है ।
मेरे मतानुसार  ईसा के  50 हज़ार वर्ष पूर्व के भारत के इतिहास पुनर्निर्धारण कराते हुए रामायण काल एवं महाभारत काल  की गणना कर दौनो ही काल-खण्डों को इतिहास में आधिकारिक रूप से अंकित कराया जावे  जाए ताकि विकी जैसी पूर्वाग्रही साइट्स निम्नानुसार भ्रामक जानकारी मुहैया कराने का षडयंत्र बंद हो अथवा ऐसी वेबसाइट्स को तुरंत प्रतिबंधित किया जावे

 

भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास
पाषाण युग (७०००३००० ई.पू.)
कांस्य युग (३०००१३०० ई.पू.)
लौह युग (१२००२६ ई.पू.)
मध्य राज्य (१२७९ ईसवी)
देर मध्ययुगीन युग (१२०६१५९६ ईसवी)
प्रारंभिक आधुनिक काल (१५२६१८५८ ईसवी)
अन्य राज्यों (११०२१९४७ ईसवी)
औपनिवेशिक काल (१५०५१९६१ ईसवी)


 अंत में ये कविता 
पीली वाली उलटी छतरी
धूप भरी छतरी
गरम गरम हवाएँ .................
विचारों में अगन
खबरों से झुलसते
खबरों से झुलसाते लोग
इस गर्मी ये सब होने वाला है ................
पर
हम जो लक्ष्य संधानते हैं .
हम हर बाधा को  तोड़ना  जानते हैं ..............
हमारी माँ
ने जब हम गर्भस्थ   थे 
चक्रव्यूह भेदना सुना नहीं 
लिखा है चक्रव्यूह भेदना 
हमारे माथे पर इतिहास ने जो लिखा है 
उसे हम सुधारते हैं 
हम वनवास  में भी 
रावण को संहारते हैं 


Wow.....New

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