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मुगल काल में भी इस कृति को राजकोप का शिकार नहीं बनाया अर्थात मुगल राजाओं में राम को लेकर कोई दुविधा न थी । न ही वे राम को कपोल कल्पित नायक मानते थे ।
पृथ्वी से गृहों की दूरी, ग्रहों की चाल, रोगों का इलाज़, औषधि , साहित्य व्याकरण, राजनीति, योग, जब हमारे आदि ग्रन्थों के अनुसार मानी हैं तो राम के काल को अमान्य करना शुद्ध रूप से अतिवाद का उदाहरण है , इस अतिवाद में विकी पीडियाज्ञान कोष एक प्रमुख षडयंत्रकारी भूमिका में है । यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि अँग्रेजी विकीपीडिया ज्ञान कोष ने भी रामायण काल को उल्लेखित नहीं किया है । अगर कोई प्रयास भी होते हैं तो इस ज्ञान कोष के कर्ताधर्ता सीधे सीधे विकी से पन्ना हटा देते हैं ये मेरा व्यक्तिगत अनुभव है ।
मेरे मतानुसार ईसा के 50 हज़ार वर्ष पूर्व के भारत के इतिहास पुनर्निर्धारण कराते हुए रामायण काल एवं महाभारत काल की गणना कर दौनो ही काल-खण्डों को इतिहास में आधिकारिक रूप से अंकित कराया जावे जाए ताकि विकी जैसी पूर्वाग्रही साइट्स निम्नानुसार भ्रामक जानकारी मुहैया कराने का षडयंत्र बंद हो अथवा ऐसी वेबसाइट्स को तुरंत प्रतिबंधित किया जावे
भारतीय
उपमहाद्वीप का इतिहास
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पाषाण युग
(७०००–३००० ई.पू.)
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कांस्य युग (३०००–१३००
ई.पू.)
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लौह
युग (१२००–२६ ई.पू.)
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मध्य राज्य (१–१२७९ ईसवी)
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देर मध्ययुगीन युग
(१२०६–१५९६ ईसवी)
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प्रारंभिक आधुनिक काल (१५२६–१८५८ ईसवी)
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अन्य राज्यों (११०२–१९४७ ईसवी)
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औपनिवेशिक काल
(१५०५–१९६१ ईसवी)
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अंत में ये कविता
पीली वाली उलटी छतरी
धूप भरी छतरी
गरम गरम हवाएँ .................
विचारों में अगन
खबरों से झुलसते
गरम गरम हवाएँ .................
विचारों में अगन
खबरों से झुलसते
खबरों से झुलसाते लोग
इस गर्मी ये सब होने वाला है ................
पर
इस गर्मी ये सब होने वाला है ................
पर
हम जो लक्ष्य संधानते हैं .
हम हर बाधा को तोड़ना जानते हैं ..............
हमारी माँ
ने जब हम गर्भस्थ थे
हम हर बाधा को तोड़ना जानते हैं ..............
हमारी माँ
ने जब हम गर्भस्थ थे
चक्रव्यूह भेदना सुना नहीं
लिखा है चक्रव्यूह भेदना
हमारे माथे पर इतिहास ने जो लिखा है
उसे हम सुधारते हैं
हम वनवास में भी
रावण को संहारते हैं