तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ?
गुमसुम क्यों हो कारण क्या है ? |
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जलते देख रहे हो तुम भी प्रश्न व्यवस्था के परवत पर
क्यों
कर तापस वेश बना के, जा बैठै बरगद के तट पर
हां मंथन का अवसर है ये स्थिर क्यों हो कारण क्या है |
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अस्ताचल ने भोर प्रसूती उदयाचल में उभरी शाम
निशाआचरी संस्कृति में नित उदघोष वयंरक्षाम रावण युग से ये युग आगे रक्ष पितामह रावण क्या है |
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एक दिवंगत सा चिंतन ले, चेहरों पे ले बेबस भाव
व्यवसायिक कृत्रिम मुस्कानें , मानस पे है गहन दबाव
समझौतों के तानेबाने क्यों बुनते हो कारण क्या है ?
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भीड़ तुम्हारा धरम बताओ, क्या है क्या गिरगिट जैसा है
किस किताब से निकला है ये- धर्म तुम्हारा किस जैसा है ,
हिंसा बो विद्वेष उगाते फ़िरते हो
क्यों, कारण क्या है ?
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10.4.14
तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ?
8.4.14
श्रृद्धांजली : मित्र अलबेला यानी टीकम चंद जी खत्री को
मेरा स्नेहाभिननन्दन अंगीकृत किया |
जब भी जबलपुर से गुज़रते तो वक़्त हुआ तो मेरे साथ न मिला तो फ़ोन पर बातचीत . ऐसा मित्र जिससे मिलकर हमारा ही नहीं उन सबका दिल धार धार अश्रुपूरित कर रहा होगा.... जो अलबेला के तनिक भी सम्पर्क में आए हों .
डा. किसलय के साथ अलबेला जी |
हास्य कवि एंव मंच संचालक अलबेला खत्री का निधन मंगलवार 8 अप्रेल 14 को दोपहर 3 बजे के करीब हो गया, फेफड़े पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने से उन्हें सूरत के नानपुरा स्थित महावीर क्रोमा हास्पिटल के ICU विभाग में करीब सप्ताह भर पूर्व भर्ती कराया गया था, उनकी स्थिति में कोई सुधार नही होने के पश्चात आज उन्होंने अंतिम साँस ली, देश-विदेश के काव्य मंचों पर वर्षों से अपनी प्रस्तुति के द्वारा अलग पहचान बनाने वाले अलबेला खत्री 'स्टार वन चेनल' पर प्रसारित 'ग्रेट लाफ्टर' कार्यक्रम के विजेता भी रह चुके हैं, तथा अन्य चेनलों पर भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। मूल गंगानगर (राजस्थान) के निवासी अलबेला खत्री अतीत में महाराष्ट्रा के मुंबई व मालेगांव जैसे शहरों में भी रह चुके हैं। कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने सूरत में काव्य मंचो के द्वारा अपनी आजीविका प्रारम्भ की थी, शुरुआत में वे शहर के भागल विस्तार के नानावट क्षैत्र में और विगत कुछ वर्षों से अडाजण-पाल विस्तार के रामेश्वरम केम्पस स्थित अपने निजी आवास में रहते थे, परिवार में पीछे उनकी धर्मपत्नि आरती व 12 वर्षीय पुत्र आलोक हैं.
नि:शब्द स्तब्ध हैं हम काश झूठी हो खबर
पर नियति नटी का खेल अज़ीब होता है
नियति उसको छीनती क्यों जो हमारे बेहद क़रीब होता है
... अलबेला की मिलनसारिता अलबेली थी .. अनवरत मित्रों से जुढ़ाव बनाए रखने का हुनर सिर्फ़ और सिर्फ़ अलबेला जी में थी अलबेला अब हमारे बीच सशरीर नहीं पर स्मृतियां शेष हैं... मेरे साथ उनने जमीन पर बैठकर सादा भोजन लिया साथ बैठे देर तक परिवार से बात की.. बाबूजी, हरीश भैया, सतीष भैया, और किसलय जी , जितेंद्र जोशी सबसे मिले.. पारिवारिक मुलाक़ात इतनी आत्मीय थी कि उस मुलाक़ात की यादें अमिट होनी तय थीं...
तभी तो अलबेला जी अब तो कुछ लिखने की हिम्मत भी नहीं बची न ही शब्द ही शेष हैं.. तुम साथ ले गये मेरे शब्द मेरे भाव निष्प्राण तो हम हो गये हैं... तुम सदा अमर रहो.. सबके मानस में ............... अलविदा श्रृद्धांजलियां... अमन ............ अलबेले मित्र को .
अलबेले ब्लाग अलबेला के
Albelakhatri.com
अलबेला खत्री की महफ़िल
Hasya Kavi Albela Khatri
तभी तो अलबेला जी अब तो कुछ लिखने की हिम्मत भी नहीं बची न ही शब्द ही शेष हैं.. तुम साथ ले गये मेरे शब्द मेरे भाव निष्प्राण तो हम हो गये हैं... तुम सदा अमर रहो.. सबके मानस में ............... अलविदा श्रृद्धांजलियां... अमन ............ अलबेले मित्र को .
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