19.4.12

कभी देखिये तो आईने में ज़रा किसी भेड़िये से कम नज़र नहीं आते हम



साभार: आलोक मलिक के ब्लाग -"कलम से"
साभार:"पद्मावलि"
                      सगाई हुई.. दो दिन बाद किसी वज़ह से रिश्ता टूट गया. लड़के वाले परिवार में कोई फ़र्क नहीं पड़ा .लड़की वाला परिवार कुछ दिन  उदास रहा.नियति मान कर मां-बाप ने बात को  आई गई कर दिया.  किसे मालूम कि बिटिया के दिल पे क्या बीती ? पता करने की भी क्या ज़रूरत क्यों बेवज़ह किसी को कुदेरा जाए. लड़की का हृदय किसने बांचा जो पल पल गुलती है कभी अपने भाग्य को तो कभी अपने सांवले,मोटे,बेढप होने के दर्द को बारी बारी गिन रही होती है. लानत भेजिये ऐसी  सामाजिक व्यवस्था को उसके व्यवस्थापकों को जो  हर कमज़ोर को शिकार बनाती है. लड़की ने सल्फ़ास खा कर आत्म हत्या की कोशिश की उफ़्फ़ !! क्या यही उसकी कायरता थी जो वो अपराध बोध से ग्रसित आत्महंता हुई..हां थी उसकी कायरता कि वो हार गई पर गौर से देखिये हम और आप उससे बड़े कायर हैं जो समाज के ऐसे लोगों को समझाने ज़ुबां खोलने की हिम्मत न कर सके जो सगाई तोड़ देने की जुर्रत करते चले आ रहे हैं. अथवा लड़कियों को दहेज-का रास्ता मात्र है मानते हैं.  नहीं करते हम कायर जन  इस व्यवस्था के खिलाफ़ कोई हल्ला .. कोई हंगामा .... क्यों हम सबसे मासूम हृदयों के प्रति निष्टुर हैं..?  वास्तव में हम अपने आप को एक आवरण से ढंक कर रख लेते हैं शायद यह सोचकर कि हमारे पल्ले भी बेटियां हैं .. समाज क्या कहेगा..? शायद हमारा आचरण हमारे कल के लिये घातक हो यानी आपने किसी गलत विचारधारा को रोकने की कोशिश की तो शायद हमारे व्यक्तित्व पर स्थाई धब्बा लग जाएगा. क्यों हो जाते हैं हम ऐसी व्यवस्था के सामने बेज़ुबान क्या इसे कायरता नहीं कहेंगे..?
           जब हम दहेज मांगते हैं तो सोचतें हैं कि -"ये तो हमारा हक़ है...!" कभी देखिये तो आईने में ज़रा किसी भेड़िये से कम नज़र नहीं आते हम जब दहेज़ की वज़ह से लड़की को लांछित कर तोड़ देते हैं सगाई.    

16.4.12

जबलपुर में कायम रही पचहत्तर साल पुरानी परम्परा : प्रो. उपाध्याय अध्यक्ष सतीश बिल्लोरे उपाध्यक्ष मनोनीत.



प्रो. एस. डी. उपाध्याय

नवनिर्वाचित अध्यक्ष
श्री राजेश अमलाथे

सचिव 
श्री एस. के बिल्लोरे

नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष


             नार्मदीय ब्राह्मण समाज, जबलपुर के त्रिवार्षिक
चुनाव प्रो0 योगेश उपरीत की अध्यक्षता में स्थानीय हितकारिणी नर्सिगं कालेज, जबलपुर
में दिनांक 15.04.2012 को संपन्न हुये । विगत 75 वर्षो से अधिक अवधि से नार्मदीय ब्राह्मण
समाज, जबलपुर के पदाधिकारियों का चयन मनोनयन के आधार पर किया जाता है। इसी क्रम में
डा. मोतीलाल पारे, श्री एम.एल. जोशी, श्री चन्द्रशेखर पारे, श्री रमेश शुक्ला, श्री
महेन्द्र परसाई एवं श्रीमती पुष्पा जो्शी के सदस्यता वाली चुनाव समिति द्वारा सर्वसमिति
से प्रो0 एस.डी.उपाध्याय को अध्यक्ष मनोनीत करते हुये अपनी कार्यकारिणी के गठन के अधिकार
प्रदत्त किये । नवनिर्वाचित अध्यक्ष द्वारा अपनी कार्यकारिणी का गठन कर आम-सभा से अनुमोदन
प्राप्त किया।
संरक्षक मण्डल-श्री मांगीलाल गुहा, श्री
काशीनाथ अमलाथे, श्री काशीनाथ बिल्लौरे, श्री प्रो. योगेष उपरीत, श्री मोतीलाल पारे,
श्री उमेश बिल्लौरे, श्री मनोहरलाल जोशी, श्री चन्द्रशेखर पारे, श्री महेन्द्र परसाई,
श्रीमती पुष्पा जोशी, श्रीमती सुशीला चन्द्रायण, श्री रमेश शुक्ला।

अध्यक्ष                                                 डा. एस.डी. उपाध्याय
उपाध्यक्ष                                               श्री सतीष बिल्लौरे
सचिव                                                  श्री राजेश अमलाथे
उप-सचिव                                             श्री
आलोक जोशी
क्षेत्रीय सचिव (जोनल सेकेटरी):जोन-1
श्री विनोद पारे: अधारताल, जोन-2 श्री अरूण टेमले: रानीताल, जोन-3 श्री संजय पारे:
विजयनगर, जोन-4 श्री अतुल पारे: ग्वारीघाट, जोन-5 श्री मनोज काशिवः बाई का बगीचा,,
जोन-6 श्री ओमप्रकाश पगारे: संजीवनी नगर, जोन-7 श्री विनय अमलाथे: मदनमहल,  जोन-8 श्री उमेश पगारे: गढ़ा
कोषाध्यक्ष                                     श्री
शिव काशिव
उप कोषाध्यक्ष                                श्री योगेश चन्द्रायण
वित्त सचिव                                   श्री
राधेश्याम पारे
सांस्कृतिक सचिव                            श्री सुनिल पारे  
                                                  श्री सचिन बिल्लौरे
सूचना प्रकाशन एवं प्रचार सचिव:       श्री गिरीष बिल्लौरे 
                                                 श्री तरूणेष भट्ट
विधि सचिव    एड. श्री शेखर शर्मा  एड. श्री अनिल पारे
                          
मीडिया-प्रभारी

गिरीश बिल्लोरे मुकुल
मीडिया प्रभारी श्री तरुणेश भट्ट
      निर्वाचन प्रक्रिया के प्रारंभ में निर्वतमान
कार्यसमिति के अध्यक्ष श्री गोविन्द गुहे, श्री एम.के.सराफ , श्री संतोष बिल्लौरे  द्वारा कार्यकारिणी द्वारा किये गये कार्यो को पुर्नावलोकन
प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। तदुपरांत संरक्षण मण्डल के सदस्यों, नवनिर्वाचित  अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं कार्यसमिति के सदस्यों,
महिला मण्डल के सदस्यों द्वारा नार्मदीय ब्राह्मण समाज, जबलपुर के वार्षिक तथा आगामी
लक्ष्यों के निर्धारण के लिये विचार रखते हुये नई कार्यकारिणी को समाज एवं नवनिर्वाचित
अध्यक्ष का विजन (दृष्टिकोण) निरूपित किया। नवीन कार्यकारिणी के सदस्यों ने भवन निर्माण
कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता के क्रम रखते हुये सतत् संवाद, प्रतिभा विकास एवं
उनके प्रोत्साहन को प्राथमिकता के क्रम में रखकर प्रत्येक चुनौतियों को स्वीकाराने
पर सहमति व्यक्त की।
  समाज द्वारा सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं कल्याणकारी
कार्यक्रमों को संचालित करने के लिये विस्तृत कार्ययोजना बनाने पर सहमति व्यक्त की
गई।


14.4.12

अपराजेय योद्धा डॉ. भीमराव अंबेडकर: सुनीता दुबे




भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार, दलितों के मुक्ति संग्राम के अपराजेय योद्धा, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 120 वर्ष पूर्व 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर के पास महू में हुआ था। दलित चेतना के अग्रदूत बाबा साहेब अम्बेडकर ने वर्ण-व्यवस्था के दुष्चक्र में फंसे भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से को दशकों पूर्व जिस तरह आत्मसम्मान की राह दिखाई वह आज अपने मुकम्मल पड़ाव पर पहुंचने को आतुर है। इस युगदृष्टा ने अपनी गहरी विश्लेषणात्मक दृष्टि और स्वानुभूत पीड़ा के मेल से जो बल हजारों वर्षों से दलित-दमित जातियों को दिया वह एक युग प्रवर्तक ही कर सकता है। 
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के अनुपालन में मध्यप्रदेश शासन द्वारा अपने इस गौरवशाली सपूत की जन्म स्थली अम्बेडकर नगर (महू) में बने स्मारक पर प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इसमें देश-प्रदेश के मूर्धन्य व्यक्तियों सहित तकरीबन एक लाख लोग भाग लेते हैं। वर्ष 2007 से आयोजित इस महापर्व के लिये राज्य शासन द्वारा व्यापक प्रबंध किये जाते हैं। यहां मकराना के सफेद संगमरमर एवं मंगलुरु के ग्रेनाइट से निर्मित अम्बेडकर स्मारक स्थापत्य कला की बेजोड़ कृति हैं। एक ओर स्मारक बौद्ध धर्म के सांची जैसे प्राचीन स्मारक की याद दिलाता है वहीं दूसरी ओर इसकी वलयाकृति संसद भवन का आभास कराती है। अम्बेडकर जयंती पर व्याख्यानों के लिये यहां बहुधा 75 हजार वर्गफीट का विशाल पंडाल बनाया जाता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय एकता एवं समरसता सम्मेलन का आयोजन किया जाता है और दलितोद्धार, समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को राष्ट्रीय अम्बेडकर सम्मान से विभूषित किया जाता है।
बौद्ध पुनरुत्थानवादी डॉ. भीमराव अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश शासन द्वारा सांची के समीप 65 एकड़ भूमि पर बौद्ध विश्वविद्यालय खोलने की कार्यवाही की जा रही है। यह देश का पहला बौद्ध विश्वविद्यालय होगा। प्रदेश के बजट का पन्द्रह प्रतिशत दलित कल्याण की योजनाओं पर खर्च किया जा रहा है क्योंकि प्रदेश में दलित वर्ग के लोग कुल आबादी का पन्द्रह प्रतिशत हैं।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। बौद्ध महाशक्तियों के दलित आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी बाबा साहेब को ही जाता है। उनका मानना था कि जाति प्रथा सामाजिक विकास में बाधा है। समाज जाति प्रथा की परम्पराओं पर नहीं बल्कि विवेक पर आधारित होना चाहिये। डॉ. अम्बेडकर ने प्रारूप समिति के अध्यक्ष पद पर रहते अछूतोद्धार के लिये अनेक सांविधानिक प्रावधान किये। उन्होंने सार्वजनिक जलाशयों, शालाओं, मंदिरों में दलितों को प्रवेश दिलाने के लिये दस वर्षों तक संघर्ष किया। डॉ. अम्बेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। उनका कहना था बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक विवेक- समता, बन्धुता, स्वतन्त्रता, प्रज्ञा और करुणा है। उनके साथ तीन लाख अनुयायी भी बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए।
'दलितों के मसीहा' डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा सुधारने के लिये भी अनेक उल्लेखनीय प्रयास किये। कामकाजी महिलाओं के लिये 'मातृत्व अवकाश' का विचार डॉ. अम्बेडकर ही पहले पहल सामने लाये थे। वे एक बहुत अच्छे अर्थशास्त्री भी थे। सामाजिक अनर्थ को मानवीय अर्थ देने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। डॉ. अम्बेडकर ने राष्ट्रीय लाभांश, रुपये की समस्या, प्राचीन भारतीय व्यापार, भारतीय मुद्रा और बैंकिंग इतिहास, प्रान्तीय वित्त का विकास और विकेन्द्रीकरण तथा भारत में लघु जोतों की समस्या समाधान जैसे विषयों पर पुस्तकें लिखीं। डॉ. अम्बेडकर ने कहा कि भारतीय जनता की भलाई के लिये रुपये की कीमत स्थिर रखी जानी चाहिये लेकिन रुपये की यह कीमत सोने की कीमत से स्थिर न रखते हुए सोने की क्रय शक्ति के मुकाबले स्थिर रखी जानी चाहिये। साथ ही यह कीमत भारत में उपलब्ध वस्तुओं के मुकाबले स्थिर रखी जानी चाहिये ताकि बढ़ती हुई महंगाई की मार भारतीयों पर न पड़े। रुपये की अस्थिर हर कीमत के कारण वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ती हैं लेकिन उतनी तेजी से मजदूरी अथवा वेतन नहीं बढ़ता।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर संविधान और अंतर्राष्ट्रीय कानून के महान विशेषज्ञ थे। भारत का संविधान, जो 'गिलक्राइस्ट' जैसे राजनीति-विज्ञों द्वारों विश्व का सर्वोत्तम संविधान माना गया है, के निर्माण में अपने योगदान के लिये चिरस्मरणीय रहेंगे। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा तत्कालीन भारत के महान नेताओं ने संविधान सभा के लिये उनके द्वारा किये गये कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। पं. जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि 'उनके कार्यकलापों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण संविधान बनाने तथा संविधान सभा में उनका योगदान दीर्घकाल तक स्मरणीय रहेगा। अछूत वर्गों के लोग उन्हें इजराइल के मोजेज के समान अपना मसीहा और उद्धारक मानते हैं। वेवरली निकोल्स ने उन्हें 'भारत के सर्वाधिक बुद्धिसम्पन्न लोगों में एक' कहा है। जबकि भारत के भूतपूर्व गवर्नर जनरल लार्ड केसी ने उन्हें 'विद्वता और ज्ञान का स्रोत' कहा है।
          डॉ. बाबासाहेब का जन्मोत्सव उनके योगदान को श्रद्धांजलि स्वरूप नमन करने का पावन अवसर होता है। इसे इस वर्ष भी पूरी गरिमा के साथ मनाया जायेगा। सामुदायिक सहभागिता और सहभागिता से समारोह को भव्य स्वरूप मिलता है। राज्य सरकार इस कार्य में पूरा सहयोग करेगी।- मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान

11.4.12

स्त्री की मानवीय पहचान के लिए खतरा है पोर्नोग्राफी :जगदीश्‍वर चतुर्वेदी


पोर्नोग्राफी के विरोध में सशक्त आवाज के तौर पर आंद्रिया द्रोकिन का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। पोर्नोग्राफी की जो लोग आए दिन हिमायत करते रहते हैं वे उसमें निहित भेदभाव,नस्लीयचेतना और स्त्रीविरोधी नजरिए की उपेक्षा करते हैं। उनके लिए आंद्रिया के विचार आंखे खोलने वाले हैं। आंद्रिया ने अपने निबंध ‘भाषा, समानता और अपकार: पोर्नोग्राफी का स्त्रीवादी कानूनी परिप्रेक्ष्य और घृणा का प्रचार’(1993) में लिखा- ‘‘बीस वर्षों से स्त्री आंदोलन की जड़ों एवं उसकी शक्ति से जुड़े व्यक्ति, जिनमें कुछ को आप जानते होंगे कुछ को नहीं, यही बताने की चेष्टा कर रहे हैं कि पोर्नोग्राफी होती है। वकीलों की माने तो भाषा, व्यवहार, क्रियाकलापों में (के द्वारा)।’’

आंद्रिया और कैथरीन ए मैकिनॉन ने इसे ‘‘अभ्यास कहा था जो घटित होता है, अनवरत हो रहा है। यह नारी जीवन का यथार्थ बन गया है। स्त्रियों का जीवन दोहरा और मृतप्राय बना दिया गया है। सभी माध्यमों में हमें ही दिखाया जाता है। हमारे जननांग को बैगनी रंग से रंग कर उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित किया जाता है। हमारी गुदा, मुख व गले को कामुक क्रियाओं के लिए पेश किया जाता है, जिनका गहरे भेदन किया जा सकता है।’’

8.4.12

कुछ बेवकूफ़ रोज़ मिला करतें हैं मुझे कल है रविवार हम भी बा-सुकू़ं हुए


जब भी तन्हां हुए तुझसे रूबरू हुए
बरसों हुए - बज़्म  हुए ,गुफ़्तगूं  हुए !!
आए हैं जबसे सामने  धुआंधार  हम तेरे-
थमते गए तूफ़ां वो बेआबरू हुए !!
कुछ बेवकूफ़ रोज़ मिला करतें हैं मुझे
कल है रविवार हम भी बा-सुकू़ं हुए.
बेवज़ह चापलूसी का ईनाम मिला यार-
कुछ इस तरह एक से चार हम हुए.
बच्चों को पालना है वर्ना खोलता छतैं-
कोई बताए आके हम ऐसे क्यूं हुए .

6.4.12

कर्जे की भाषा के ज़रिये सफल क्रांतियाँ क्या संभव है..?

कर्जे की भाषा के ज़रिये
सफल क्रांतियाँ क्या संभव है..?
तुमने जो कुछ  किया मीत  वो
केवल   प्रयोग अभिनव है..!!

अपनी अपनी भाषा में ही
आज क्रांति की अलख जगालो.!
सच कैसे बोला जाता है
मीत ज़रा खुलकर समझा दो..!!


एक पड़ाव को जीत मानकर
रुके यही इक  भूल  थी साथी !
जिन दीपों से जगी मशालें-
उन दीपों की बुझ गई बाती..!


 रुको कृष्ण से जाओ पूछो-
 शंखनाद कैसे करतें हैं....?
             बैठ के पल भर साथ राम के
              पूछो हिम्मत कैसे भरते हैं.?

       







याद रखो न्याय की कश्ती रेत पे भी चल जाती है !! गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"


चित्र साभार :एक-प्रयास
आज़ किसी ने शाम तुम्हारी
घुप्प अंधेरों से नहला दी
तुमने तो चेहरे पे अपने,
रंजिश की दुक़ान सजा   ली ?
मीत मेरे तुम नज़र बचाकर
छिप के क्यों कर दूर खड़े हो
संवादों की देहरी पर तुम
समझ गया  मज़बूर बड़े हो  ..!!
षड़यंत्रों का हिस्सा बनके
तुमको क्या मिल जाएगा
मेरे हिस्से मेरी सांसें..
किसका क्या लुट जायेगा …?
चलो देखते हैं ये अनबन
किधर किधर ले जाती है..?
याद रखो न्याय की कश्ती
रेत पे भी चल जाती है !!

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विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...