इस स्वच्छ भारत में जब एक हिन्दू लड़की ने कुरान लिखी हो उसे और कितना स्वच्छ बनाने पर तुले श्रीमान सलीम खान साहब. आप अपने अंतस में देखिये कि आप भारत में भारत को किस तरह स्वच्छ कर रहें है. यद्यपि मैं आप जैसे छोटे कद के अल्पग्य मित्रों को तरजीह नहीं देता किन्तु साम्प्रदायिक-रूप से समन्वित शांत चेतना में आप के लेख आगजनी करते नज़र आए अत: मुझे बतौर साहित्यकार आप जैसे "अल्प-बुद्धि" व्यक्ति को रकने के लिए भारत के आमनागरिकों के हितार्थ आप पर प्रतिबन्ध लगाने का अनुरोध कर रहा हूँ. सब जानतें हैं कि विश्व में सबसे अधिक स्वतन्त्रता भारत के संविधान ने सभी धर्मों/वर्गों/जातियों/को दी है. आप के किसी भी आलेख में ऐसी किसी रचनात्मकता के दर्शन विलुप्त है.
मित्र मैं हिन्दू हूँ मेरी जाति ब्राह्मण है किन्तु मैं न तो हिन्दू हूँ न ब्राह्मण हूँ अगर तुम मुझसे पूछो मित्र यही कहता हूँ कि मै भारतीय हूँ.
एक सच और तुम्हारे सामने उजागर करता हूँ मेरी जन्म-दात्री माँ के अलावा मोहतरमा परवीन हक जो अब
रिटायर्ड प्रोफेसर हैं मुझे अपने तीन बेटों में जोड़ कर चौथा पुत्र मानतीं है. उनके पति ज़नाब हाजी हक साहब ने एक दिन अपने नवासे को इस वज़ह से डांटा था क्योंकि वो मासूम मुझसे इस पर पूछ बैठा :"मामू आप मुस्लिम नहीं हैं ?"
सच तुम को ऐसी कोई दिशा मिलती तो तय था कि तुम हाँ मित्र मेरे भाई कुछ रचनात्मक लिखते . और इस गंगो-जमुनी सामाजिक-कैनवास पर कुछ पाकीजा रंग भरते .
आपकी ताज़ा पोस्ट में "सूअर के मांस न खाने के बारे में जो भी लिखा है उसका अंततोगत्वा अर्थ ख्रिस्ती समुदाय पर प्रहार करना दिखाई दिया " सूअर का गोश्त न खाने के वैज्ञानिक कारणों से कोई असहमत नहीं होता किन्तु तुमने जिस तरह सूअर के गोश्त खाने वालों को संकेतों में "सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है"- वाले पैराग्राफ में चरित्र हीन कह दिया है. जो तुम्हारी अल्पज्ञता का प्राथमिक परिचय है.
मेरे मित्र देश को तुम्हारे ज्ञान की ज़रुरतहै न कि कुतर्कों की . आशा करता हूँ अल्लाह तुम्हें सदबुद्धि दे वर्ना मैं तो पाठको से गुजारिश करूंगा कि सलीम खान को प्रतिबंधित कर देना चाहिए..?
25 टिप्पणियां:
प्रतिबंधित कर तो दिया जाये लेकिन कैसे? वह ब्लागस्पाट की फ्ररी सेवा का सदुपयोग करके अपनी बात रख रहा है, आपमें से कुप्रचार करने वाले हिन्दू भाई सैंकडों स्थान पर अपना कुप्रचार कर रहे हैं, उन ब्लोगों को सलीम खान कैसे प्रतिबंधित करे, अपना तो एक तरीका है ऐसे ब्लागस के लिये के रौंद डालता हूं, कोई उसके ब्लागस को रौंद सकता हो तो बतायें, सारे मिलके रौंद सकते हो तो बताओ, इस लिये बेकार की मांग है,
हैप्पी ब्लागिंग
समय के साथ यह नाव भी किनारे लग जायेगी।
रही बात सुअर की तो समाज के सबसे अच्छे प्राणियों में आता है। वह इतना भी घृणा योग्य नही है जितना की बात दिया गया है। एक सुअर समाज की सफाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है वह कभी भी हिन्दू और मुस्लिम के अपशिष्ठ पदार्थो का सेवन करते अलग अलग नही करता हैए कि भाई मै मुसलमान का अपशिष्ट पदार्थ नही खाऊँगा नही तो मै नापाक हो जाऊँगा।
पता चला है कि एक छुट्टा सांड़ घूम रहा है जो ब्लाग के टिप्पणी बाक्स पर रौद डालने की धमकी दे रहा है। एक छुट्टे साड़ो का इलाज है।
दो-दो ब्लौगों पर यह लिखने की क्या ज़रूरत आ पड़ी?
हिंदी ब्लौग जगत में आयेदिन होनेवाले ऐसे फसाद कहीं हिंदी ब्लॉगिंग को ही प्रतिबंधित न कर दें. समाचार पत्रों में धर्म विषयक कटु आलेख छपने पर भारी बलवे हो जाते हैं. सरकार को कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं. ब्लौग जगत में अख़बारों से भी ज्यादा विद्वेश्पूर्ण पोस्टें छप रही हैं. कहीं यह सब हिंदी ब्लॉगिंग को लील न जाएँ.
अपनी कलम को उस्तरा न बनायें. नज़रंदाज़ करना सीखें. वक़्त आने पर सभी अच्छे-बुरे में फर्क जान जायेंगे या सीख जायेंगे. कुछ ऐसा लिखें जिससे सभी को पढ़कर बेहतर होने का अहसाह हो, मन में शुभ जगे.
नज़रंदाज़ करना सीखें' nice
अगर कोई गलत चीज लिखे तो आप उसका विरोध करें, अपनी बात रखें लेकिन टेप लगाकर आवाज रोकना किस तरह की बात है
मोहम्मद उमर कैरानवी साहब, क्यों आप लोग एक दूसरे पर दोषारोपण कर माहौल खराब कर रहे हैं। किसी शख्स ने बिल्कुल सही लिखा है कि इंडो-इस्लामिक कल्चर में इतना कुछ है कि अगर उसे सही तरह से जाना जाये तो आप भी कुछ चुनींदा कुतर्की हिंदूओं को सही जवाब दे सकते हैं और हिंदू भी कुछ चुनींदा कुतर्की मुसलमान भाईयों के लिए ऐसा इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये जो पब्लिक है सब जानती है।
मैंने भी आरम्भ मैं यही प्रार्थना की थी की "अल्लाह सलीम और उमर को सदबुद्धि दे"... लेकिन अब तक तो यही दिख रहा है की मेरी प्रार्थना नहीं सुनी गई | शायद अल्लाह सलीम और इनके चेलों को सद्बुद्धि देंगे भी नहीं ... इन लम्पटों से अलाह भी तंग आ गए होगे ये लोग अपनी गन्दी जुबान से अलाह का नाम लिया है की ...
अब इनका एक ही उपाय है ... सलीम खान और उमर को प्रतिबंधित कर दो ...
कथित समाज को मैंने सुवर खाने के लिए नहीं रोका है. मैंने तथ्य प्रस्तुत किये हैं. एक बात और मैं चैलेन्ज के साथ कह सकता हूँ कि मेरे एक भी लेख में एक भी बात जो देश के संविधान के खिलाफ़ है, है ही नहीं. अगर आप सिद्ध कर सकते हैं तो सादर आमंत्रित हैं. मैं आज़ाद देश का आज़ाद नागरिक हूँ. मेरा प्रोफाइल पढिये मैंने डंके की चोट पे लिखा है कि मुझे भारतीय मुसलमान होने पर गर्व है.
मैं जितना चिंतित मुस्लिम समाज के उत्थान के लिए रहता हूँ उससे कहीं ज़्यादा भारतीय समरसता के लिए चिंतित रहता हूँ और कुरीतियों के लिए लिखता भी हूँ. अब बात यहीं पर अटकती है कि ये मुसलमान है इसलिए ही इसका विरोध करा जाये.
आप स्वयं लेखन का स्तर और शैली की जांच कर सकते हो, लेकिन उसके लिए पूर्वाग्रह को दूर फेंकना होगा. मैं पहले सिर्फ लिखता था, लेकिन अब मैं ब्लॉग जगत की सियासत से भी वाकिफ हो गया हूँ और इससे निबटने का भी पूरी तरह दम रखता हूँ, क्यूंकि मुझे अपने पर यकीन हैं और इतना दम भी कि अकेले ही सारे समाज और ब्लॉग की गन्दगी को ख़त्म कर सकता हूँ.
इस देश का अंधा कानून यह कहता है की आप पागलो को जंजीर से बाँध कर नहीं रख सकते ! let the mad loiter.....!!! ...????/
भाई, क्यों अपना खून जलाते हो? इन्हें ब्रह्मा तो क्या इनका खुदा भी नही समझा सकता। अच्छा यह है कि इन्हें प्रलाप करने दो अपने ब्लॉग में पर आप वहाँ जाओ ही नहीं और न ही इन्हें अपने ब्लॉग में टिप्पणी करने का मौका दो। निगेटिव्ह पब्लिसिटी पाना और वैमनस्य पैदा करना ही इनका उद्देश्य है, अब तक नहीं समझ सके हो तो अ समझ लो। छोड़ दो गंदगी में ढेले मारना और खुद पे छींटे लेना।
चश्मेबद्दूर,
तुम नहीं मानोगे, अगर वाकई दम है तो आ जाओ बहस के लिए वो भी वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ... अगर हिम्मत है तो जवाब देना और तुम ही नहीं ब्लॉग जगत के किसी से भी मेरा ये चैलेन्ज है... तो बताओ कौन आ रहा है और कब मेरा ईमेल अड्रेस है सलीमएलकेओ@जीमेल.कॉम
प्रतिबन्धित करना किसी समस्या का हल नहीं है… हिन्दी ब्लाग जगत में अधिकांश लोग यह तो मान चुके हैं कि ये एक "समस्या" है, तो इसका सबसे अच्छा उपाय है "इग्नोर" करना, ये लोग कितनी ही भड़काऊ पोस्ट लिखें, कितने ही उत्तेजक टाइटल रखें, इनकी पोस्ट पर न जायें, और यदि जाना ही हो तो तर्क के साथ जायें, गालीगलौज करने नहीं। जब आप उनके ब्लाग पर टिप्पणी करेंगे नहीं, जब आप उनकी प्रचार लिंक (यानी किसी अवतार या अंजुमन आदि) को डिलीट कर देंगे, तब धीरे-धीरे उनका भी आपके ब्लाग पर आना कम हो जायेगा… बस हो गया समस्या का हल…। ब्लागवाणी एक सार्वजनिक मंच है वह प्रतिबन्धित करने जैसा काम काम क्यों करेगा? आपकी इच्छा नहीं है, न पढ़ो, न जाओ, न टिपियाओ, न टिप्पणी लो… बस आसान सा रास्ता है… काहे सिर खपा रहे हैं…
मैं प्रतिबन्ध की बात से सहमत नहीं हूँ। पाकिस्तान में इस्लामी आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबन्ध लगा तो दूसरे नामों से वे सक्रिय हो गये। भारत में सिमी पर प्रतिबन्ध लगा तो इंडियन मुजाहिदीन बन गया और अब स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गनाइजेशन काम कर रहा है।
प्रहार तो उस सोच और विचार के स्रोत पर होना चाहिये जो इस्लाम को विश्व का एकमात्र श्रेष्ठ धर्म, इस जीवन पद्धति को श्रेष्ठ और क़ुरान और शरियत आधारित व्यवस्था को स्थापित करने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों की जड एक ही स्थान पर है और उसके विरुद्ध एकसाथ प्रयास होना चाहिये और इससे मुक्ति पाने के लिये सुअर खाने वाले, शराब पीने वाले, स्त्रियों को स्वतंत्रता देने वाले, पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण करने वाले सभी लोगों का स्वागत है। इक्का दुक्का लोगों के विरुद्द शक्ति अपव्यय करने का कोई लाभ नहीं है।
मिस्टर सलीम खान घबराइएगा नहीं हम आ रहे हैं।
@ सुंरेश चिपलूनकर साहब, ब्लागवाणी एक सार्वजनिक मंच नहीं है, यह जब तक कैरानवी को नहीं अपनाता इसे सार्वजनिक नहीं कहा जा सकता, यह केवल तुम्हारा या सलीम का मंच है, इसे अकेले कैरानवी से घबराना समझा जासकता है?
mere khyal se sabhi ko apni baat kahne ka haq hai , agar kisi ko kisi ki baat achchhi nhi lagti to aap use nakar sakte hai .
मैं आपसे बिल्कुल सहमत हूँ। ऐसे लोगो लोगो को इस प्रकार के साइटो पर लिखने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। ब्लोगिंग का मतलब ये नहीं है कि जो मन में आये लिख दिया, फिर भी अगर ऐसा होता है तो आपके पास तर्क होना चाहिए। ऐसे जगहो पर धर्म प्रचार करना नागवार सा लगता है। ठीक है मान भी लेता हूँ कि आप अपने धर्म का प्रचार के सकते है लेकिन किसी और धर्म को नीचा दिखाना या उसे गलत ठहराना किसी भी तरह से ठीक ना होगा। प्रतिबंध लगना चाहिए ।
हम भी बबाल भैय्या के साथ बग्घी में आ रहे है ......
Umar
शु क्रिया उमर जी
बस इस बात से मुझे समझने की कोशिश कीजिए
चिंतन घट रीता सो
जीवन इक शुष्क गीत
तंतु कसा जीवन ये
कुंठाएं गहन मीत !
रही बात फ़्री सेवा के सदुपयोग की सो हे मित्र ये कैसा सदुपयोग हो रहा है ?
mahashakti
आप मेरी बात को समझ रहे हैं सचाई है किसी प्राणि के सहारे किसी जाति को चरित्रहीन करार देना भी तो शूकर वृत्ति ही है . वैसे जो मै जो कह रहा हून इस पोस्ट में स्पष्ट रूप से सलीम खान की कुतर्क बुद्धि को लानतें भेज रहा हूं .... जो देश की फ़िज़ा को गन्दला बनाने में लगे हैं. मेरी मुराद उन सब से है कि किसी को भी किसी के "धर्म" को अपमानित करने का हक नहीं है. अगर ब्लागिंग में इस तरह की प्रवृत्ति को न रोका गया तो ओर बुरे दिन आने हैं. मैं सलीम नाम के व्यक्ति से प्रेम रख सकता हूं किन्तु उनकी आताताई हरकतों से दु:खी हुआ हूं. वे जिस मिशन पर हैं वह मिशन उनके असहिष्णु होने का संकेत है. जो भी गंदगी के विरोध में हैं खुलकर लिखें मुझे वाकई टिप्पणी की ज़रूरत नहीं वरन सहज स्नेह भरे वातावरण की ज़रूरत है.
निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...
पंडित जी सादर अभिवादन
दो-दो ब्लौगों पर यह लिखने की क्या ज़रूरत आ पड़ी?
इस के लिए तो समंदर भर स्याही से समूचे फ़लक पर लिखूंगा कल्पवृक्ष की लेखिनी से
"सभी धर्म आदर योग्य हैं उनका आदर करो " मित्र मेरी यही आर्त प्रार्थना है
मैनें अपने आलेख में कहां किसी धर्म का उल्लेख किया है.जबकी ये उद्दण्ड बालक सदा यही कर रहा है. इस बात का विरोध न होने से इस बालक का हौसला इतना बढ गया कि अब देखें ....! आप इग्नोर करते रहिए किंतु एक साहित्यकार के रूप में मेरा जो दायित्व था मैने पूरा किया जिसका.मुझे मलाल नहीं यही मेरी मांओं क्रमश:सव्यसाची और परवीन हक ने सिखाया है. आप शायद असहमत हों मुझे कोई आपत्ति नहीं आपकी टिप्पणी के लिए आभारी हूं
सुमन जी , सम्भव नहीं... है आप जिस भी विचार धारा से जुडे हों मुझे नहीं मालूम किंतु "मुंह ढंककर पल्ली में दुबुकना किसी भी कामरेड की तासीर नहीं
शुभि जी चिंतन का विषय है न कि चिंता का ..याद. रखिए अति तो सर्वत्र वर्जनीय है
सही है पसुद्कर जी "ये जो पब्लिक है सब जानती है।" सच साफ़ हो तो उम्दा है...शुक्रिया "राकेश सिंहजी"
सलीम भाई यही उत्तेजना आपके लेखन को ध्वस्त कर रहा है आप के पास शब्द और [कु]तर्क हैं... और इससे निबटने का भी पूरी तरह दम रखता हूँ, क्यूंकि मुझे अपने पर यकीन हैं और इतना दम भी कि अकेले ही सारे समाज और ब्लॉग की गन्दगी को ख़त्म कर सकता हूँ.-"इसे आपकी दम्भोक्ति के अलावा कुछ नहीं माना जाएगा !आगे पी.सी.गोदियाल जी से सहमत हूं जो आप पर फ़िट है...जी.के. अवधिया जी भी ठीक ही कह रहे हैं ........... amitabh tripathi जी, बवाल जी, mukesh जी, neeshoo जी, सहित सभी का शुक्रिया
किन्तु मित्रो
सच मुझे गलत मत समझिए सलीम जैसे बालकों की चेतना को जगाना हमारा प्रथम कर्तव्य है मैं वही कर रहा हूं
एकलव्य
जै हो एकलव्य जी परशुराम जी की जै जै कार
किंतु इस बुद्धि हीन बालक से विमर्श नहीं करेंगे उसे परमर्श देगें अगर वो माने तो ठीक न माने तो ठीक
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गिरीश जी,
अपनी इस पोस्टहाँ, मैं सेक्युलर हूँ। में यह सवाल मैंने भी उठाया था...कुछ इस तरह...
"एक पशु विशेष जो हमारे धर्म में निषेध है, उसे दुनिया में रहने का हक नहीं, न कोई इसे पाले और न खाये और तो और यह पशु तो पक्का लूज कैरेक्टर है हमें पता चला है कि यह अपनी मादा को दूसरे नरों को ऑफर करता है।"
पर किसी प्रतिबंध का कतई समर्थन नहीं करूंगा...लोकतंत्र में यकीन है इसलिये... सलीम खान और उन जैसों की नेट पर मौजूदगी भी जरूरी है...आखिर पता तो चले दुनिया को कि जब कोई आदमी स्वयं को ही सर्वज्ञ मानने लगता है, किसी एक विचार पर आँख कान बंद कर विश्वास कर लेता है, अपने को व अपने विश्वासों को ही सत्य मानता है, दूसरों के विचारों को सुनने को भी तैयार नहीं होता, केवल अपने धर्म को श्रेष्ठ व अन्यों के धर्म को हेय मानने लगता है, अपने जीवन का मिशन ही येन केन प्रकारेण स्वधर्म प्रचार को बना लेता है,बात चाहे कोई भी हो रही हो उसे अपने धर्म को प्रमोट करने के अवसर बतौर देखता है, तो वह किस प्रकार एक कैरीकेचर बन जाता है बाकी की नजरों में...न चाहते हुऐ भी...
प्रवीण जी
सही कहा आपने अब कोशिश रहेगी की इस तरह के लोगों की नापाक हरकतॊं की ओर सुधि पाठकों को सजग करते हुए बिना इनके नाम का ज़िक्र किए
Gireesh bhai, Shanti,
Kshama badan ko chahiye, chhotan ko utpaat.
kuchh tajurbe umra ke sath hi ate hain, aap bade bhai hain samajhdar hain, maaf kar dijiye.
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