अभिनव बिंद्रा, की कोशिश से स्वर्ण किरण ,मेरे आँगन में बिखरीं ,
और वो जो -वो पैरों से नहीं हौसलों से चलता है !"
जी हाँ वो जो तारे जमीं पर, ले आता है .....जी हाँ वो जीमज़दूर है किसान है
जी हाँ वही जो आभास -दिलाता है सुइश्मीत , सी यादें जो पलकों,की किनोरें भिगो देतीं हैं उन सबको मेरा सलाम
माँ तुझे प्रणाम माँ तुझे सलाम
5 टिप्पणियां:
वँदे मातरम !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं ओर बहुत बधाई आप सब को
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
आजाद है भारत,
आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।
पर आजाद नहीं
जन भारत के,
फिर से छेड़ें संग्राम
जन की आजादी लाएँ।
स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।
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