1.2.17

शौर्या-शक्ति आत्मरक्षा प्रशिक्षण : दिख रहा असर

संभागीय
बाल भवन जबलपुर द्वारा निर्भया  दिवस  दिनांक  16 दिसंबर 2014 से
प्रारम्भ  मार्शल आर्ट प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन  
31 दिसंबर 2014 को बाल भवन परिसर में श्रीमती प्रज्ञा
रिचा श्रीवास्तव
, आईपीएस, आईजी-महिला
सेल
,जबलपुर के मुख्यआतिथ्य में सम्पन्न हुआ था तब अपने उदबोधन में श्रीमती
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने बच्चों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जो
बच्चों ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया हैं वो किसी भी स्थिति में जीवन
के लिए बेहद महत्वपूर्ण है  खासकर तब और आवश्यक है जब कि सामाजिक परिस्थितियाँ
सामान्य नहीं हैं ।किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि किसी अन्य व्यक्ति खासकर बालिकाओं
,
  बच्चों , महिलाओं , के
विरुद्ध हिंसक हो । बच्चे देश का  भविष्य हैं हमारी कोशिशें ये होनी चाहिए कि
हम खुद बेहतर तरीके से जिएं  और समूचे समाज को सुख से जीनें दें । बाल भवन के
इस प्रयास से मैं बेहद उत्साहित हूँ ।
मेरा सुझाव है कि प्रशिक्षण
निरंतर जारी रहे इस हेतु जो भी सहयोग अपेक्षित हो उसके लिए सदैव तत्पर हूँ ।

  बालभवन जबलपुर ने उनकी
सलाह मानते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम को श्री नरेंद्र गुप्ता जी के नि:शुल्क
प्रशिक्षण देने के वादे के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम को  निरंतरता दी. और वर्ष 2015 तक हम 400 बच्चों को
प्रशिक्षित कर सके. 23 दिसंबर 2015 को दीक्षांत समारोह में रानी दुर्गावती
संग्राहालय ग्राउंड में प्रदर्शन के उपरांत 8 जनवरी 2016 को सबला सम्मेलन में
प्रशिक्षित बालिकाओं ने स्ट्रीट फाईट का मंचीय प्रदर्शन मानस भवन में कर सभी को
चकित कर दिया. अगस्त 2016 में पुन: सरस्वती शिशु मंदिर में प्रदर्शन किया गया .  


द्वितीय
चरण में बालभवन जबलपुर ने बेटियों में आत्मविश्वास जगाने तथा सड़क पर असामाजिक
तत्वों को सबक सिखाने उनसे निपटने  “30
दिवसीय शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम के”  तैयार कर  1 सितम्बर 2016 से नई पहल श्री दिग्विजयसिंह ,
सचिव, मध्यप्रदेश ओलोम्पिक के आतिथ्य में बालभवन परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम की
शुरुआत की गई . जिसका संचालन बिदाम बाई गुगलिया स्कूल, माता गुज़री कालेज, बालभवन,
शासकीय स्कूल बरगी में किया गया. दिसंबर 16 तक लगभग 800 बालिकाएं प्रशिक्षित हो
चुकीं हैं. इन प्रशिक्षणों में डा पंकज शुक्ल (बिदामबाई स्कूल), श्रीमती अभिलाषा
शुक्ल (माता गुज़री कालेज), श्रीमती आरती साहू (बरगी) का उल्लेखनीय सहयोग रहा .






24
जनवरी 2017 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालभवन द्वारा आत्मरक्षा  प्रदर्शन से प्रेरित होकर होमसायंस कालेज की
प्रोफ़ेसर  डा. राजलक्ष्मी त्रिपाठी एवं
नचिकेता कालेज की  डा (श्रीमती) श्रीकांता
अवस्थी द्वारा 30 जनवरी 2017 से अपने अपने महाविद्यालयों में “30 दिवसीय
शौर्या-शक्ति प्रशिक्षण कार्यक्रम” के आयोजन की पेशकश की . दौनों ही प्रशिक्षण
केन्द्रों में क्रमश: 100 एवं 40 कुल 140 बालिकाओं को दिनांक 30 जनवरी 2017 से
प्रशिक्षण प्रारम्भ किया जा चुका है. 


31.1.17

बसंत-पंचमी अतीत की घटनाएं

with thanks from divine avatars.com

विकी पीडिया में बसंत-पंचमी पर जो भी तथ्य अंकित हैं आपके समक्ष विकी के प्रति  अग्रिम आभार सहित सादर प्रस्तुत है.
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं । इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
इसके साथ ही यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ती है। रावण द्वारा सीता के हरण के बाद श्रीराम उसकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें दंडकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे झूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है।
वसंत पंचमी हिन्दी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का जन्मदिवस (28.02.1899) भी है। निराला जी के मन में निर्धनों के प्रति अपार प्रेम और पीड़ा थी। वे अपने पैसे और वस्त्र खुले मन से निर्धनों को दे डालते थे। इस कारण लोग उन्हें 'महाप्राण' कहते थे।
वसंत पंचमी हमें गुरू रामसिंह कूका की भी याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई. में वसंत पंचमी पर लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था। कुछ समय वे रणजीत सिंह की सेना में रहे, फिर घर आकर खेतीबाड़ी में लग गये, पर आध्यात्मिक प्रवष्त्ति होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग आने लगे। धीरे-धीरे इनके शिश्यों का एक अलग पंथ ही बन गया, जो कूका पंथ कहलाया।
गुरू रामसिंह गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उध्दार, अंतरजातीय विवाह, सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। उन्होंने भी सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिश्कार कर अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर भैणी गांव में मेला लगता था। 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और गोवध कर उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया। यह सुनकर गुरू रामसिंह के शिष्य भड़क गये। उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया, पर दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गयी। अत: युध्द का पासा पलट गया। इस संघर्ष में अनेक कूका वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिये गये। इनमें से 50 को सत्रह जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया गया। शेष 18 को अगले दिन फांसी दी गयी। दो दिन बाद गुरू रामसिंह को भी पकड़कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहकर 1885 ई. में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
वसंत पंचमी का लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गये, तो सब बच्चे खेलने लगे, पर वह पढ़ता रहा। जब अन्य बच्चों ने उसे छेड़ा, तो दुर्गा मां की सौगंध दी। मुस्लिम बालकों ने दुर्गा मां की हंसी उड़ाई। हकीकत ने कहा कि यदि में तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहूं, तो तुम्हें कैसा लगेगा? बस फिर क्या था, मुल्ला जी के आते ही उन शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर तो बात बढ़ते हुए काजी तक जा पहुंची। मुस्लिम शासन में वही निर्णय हुआ, जिसकी अपेक्षा थी। आदेश हो गया कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाये, अन्यथा उसे मृत्युदंड दिया जायेगा। हकीकत ने यह स्वीकार नहीं किया। कहते हैं उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार गिर गयी। हकीकत ने तलवार उसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों विमुख हो रहे हो?  यह घटना वसंत पंचमी (23.2.1734) को ही हुई थी।
स्रोत  https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%9E%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A5%80

26.1.17

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री भार्गव ने ध्वजारोहण किया गणतंत्र दिवस पर गरिमामय समारोह आयोजित

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री भार्गव ने सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार की ओरसे नि:शक्तजन कल्याण के क्षेत्र में जबलपुर जिले को मिले बेस्ट डिस्ट्रिक्ट अवार्ड के परिप्रेक्ष्य मेंनि:शक्तजनों के बेहतर पुनर्वास के लिए सीईओ जिला पंचायत हर्षिका सिंहसंयुक्त संचालक सामाजिकन्याय टी.एसमरावी तथा डॉ रामनरेश को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडियाद्वारा जबलपुर शहर को खुले में शौच से मुक्त शहर घोषित करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करनेमें सराहनीय कार्य के लिए महापौर डॉ स्वाति गोडबोले और आयुक्त नगर निगम वेदप्रकाश को भी मुख्यअतिथि द्वारा सम्मानित किया गया। उपरोक्त राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा कृष्णा साहू को ग्रामबघराजी की छुई खदान में महिलाओं  बालिकाओं को डूबने से बचाने के लिए मिले राज्य स्तरीयवीरतापूर्ण कार्य पुरस्कार के परिप्रेक्ष्य में मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया ।

मार्चपास्ट में आईटीबीपी 29 वीं वाहिनी को प्रथमजिला पुलिस बल पुरूष को द्वितीय औरजिला पुलिस बल महिला को तृतीय पुरस्कार मिले। मार्चपास्ट में सम्मिलित बिना शस्त्र दलों में एनसीसीसीनियर ब्वायज को पहलाएनसीसी सीनियर गल्र्स को दूसरा और एनसीसी जूनियर ब्वायज को तीसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ । 
झांकियों में महिला एवं बाल विकास विभाग को पहलाकृषि को दूसरा तथा ऊर्जाएवं ई गवर्नेंस सोसायटी को तीसरा पुरस्कार दिया गया ।        दाऊदी बोहरा समाज के बैण्ड दल और पं.लज्जाशंकर झा उत्कृष्ट .मा.विद्यालय के बैण्ड दल को भी पुरस्कृत किया गया। मुख्य अतिथि श्रीभार्गव ने उपरोक्त विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रत्येक प्रस्तुति कोपांच हजार रूपए तथा सभी प्रतिभागी बच्चों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।
समारोह में महापौर डॉ स्वाति गोडबोलेजिला पंचायत अध्यक्ष मनोरमा पटेलजबलपुरविकास प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ विनोद मिश्रा तथा एमआईसी सदस्य मौजूद थे। इनके अलावाकमिश्नर गुलशन बामराआईजी डी.श्रीनिवास रावकलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी एवं पुलिस अधीक्षक डॉएम.एससिकरवार भी समारोह में मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दुबेगिरीश मैराल तथासंदीपा स्थापक ने किया।

25.1.17

*उत्सवी वातावरण में आयोजित हुआ राष्ट्रीय बालिका दिवस*



       “राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बालिकाओं को उनकी उपलब्धि पर सम्मानित कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ आज के दौर में बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए महिला बाल विकास द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम बेहद सराहनीय है”- तदाशय के विचार महापौर डा स्वाति सदानंद गोडबोले ने महिला बाल विकास द्वारा होमसाइंस कालेज प्रेक्षाग्रह में आयोजित राष्ट्रीय  बालिका दिवस के अवसर पर व्यक्त किये. कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती एला बी लोबो ने बालिकाओं को बालिका दिवस पर हार्दिक बधाई देते हुए शासकीय योजना और कार्यक्रमों के समुचित लाभ लेने का आग्रह किया.
      अतिथियों द्वारा   कार्यक्रम के  औपचारिक शुभारम्भ के उपरांत जबलपुर संभाग में जबलपुर,नरसिंगपुर,  मंडला कटनी, छिंदवाड़ा बालाघाट सिवनी, आदि जिलों  से शिक्षा, खेल, सामाज सेवा, के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि  क्षेत्रों एवं यश अर्जित करने वाली 100 से अधिक बालिकाओं को सम्मानित किया गया . 

      साथ ही स्वच्छता अभियान पर केन्द्रित सीडी का विमोचन भी किया गया.  बाल अभिनेत्री एवं राष्ट्रीय बालश्री सम्मान प्राप्त श्रेया  खंडेलवाल को इस अवसर पर विशेष रूप से सम्मानित करते हुए “स्वच्छता-अभियान के लिए ब्रांड एम्बेसडर भी  नियुक्त किया.”    
   
*सुश्री सीमा शर्मा संभागीय  संयुक्त संचालक बाल विकास सेवा के  मार्गदर्शन में बालिका दिवस का कार्यक्रम में उत्सवी माहौल देखा गया*.  समारोह परिसर में महिला बाल विकास, स्वास्थ्य, हार्टिकल्चर, एवं होमसाइंस कालेज जबलपुर पोषण प्रदर्शनी लगाईं गई थी.
प्रात: 11 बजे से महारानी लक्ष्मी बाई कन्या शाला से होमसाइंस कालेज जबलपुर तक एक विशाल रैली का आयोजन भी किया गया. 
        इस अवसर पर बालभवन जबलपुर में  महिला सशक्तिकरण द्वारा श्री नरेंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे  चलाए जा रहे शौर्या शक्ति मार्शल आर्ट का प्रदर्शन स्ट्रीट फाईट  आकर्षण का केंद्र रहा . दिन भरे चले कार्यक्रम में दहेज़ उन्नमूलन पर केन्द्रित नाटिका एवं श्री संजय गर्ग द्वारा निर्देशित विजय तेंदुलकर लिखित  बॉबी नाटक का प्रदर्शन बेहद सराहा गया. साथ ही सबला गीत, एवं स्वच्छता गीतों की प्रस्तुति बालभवन के कलाकारों  की गई.  
         कार्यक्रम के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुए- जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री मनीष शर्मा ने – मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाए जा रही बालिका कल्याण कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी . श्रीमती संजना चौकसे ने रक्त-अल्पता पर केन्द्रित  लालिमा के संबंध में प्रकाश डाला. साथ ही संयुक्त संचालक कृषि (हार्टिकल्चर) श्री राजौरिया ने पोषण एवं कृषि पर तथा श्री अखिलेश मिश्रा द्वारा महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा संचालित कार्यक्रमों की विस्तार से  जानकारी दी . 
शौर्या दल भी सम्मानित किये गए इस अवसर पर जबलपुर नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से 4 शौर्या दलों को पुरस्कृत किया गया.  
           सुश्री माधुरी रजक संभागीय सहायक संचालक द्वारा आभार अभिव्यक्त किया गया. जबकि कार्यक्रम का संचालन डा राजलक्ष्मी त्रिपाठी ने किया  ने किया
           कार्यक्रम में जिलाकार्यक्रम  अधिकारी श्री अखिलेश जैन (कटनी )

श्रीमति कल्पना तिवारी रिछारिया (छिंदवाड़ा), श्रीमती लक्ष्मी धुर्वे (सिवनी), श्री अखिलेश मिश्रा जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी जबलपुर सहित बालाघाट, डिंडौरी, नरसिंहपुर, जिलों के अधिकारी उपस्थित रहे. 
सफलता का आधार रहे ये सब      
बालिका दिवस के आयोजन के पूर्व समस्त बाल विकास परियोजनाओं, एवं बालभवन में मेंहदी रंगोली, पोषण-प्रश्नमंच, चित्रकला , पोषण-सत्रों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती नीलम मोदी,सी डी पी ओ क्रमश:  श्री संजय अब्राहम, श्रीमती आराधना गर्ग, श्री विकेश राय, श्री एस ए सिद्दीकी, श्री माधव सिंह यादव, श्री गौरीशंकर लौवंशी, श्रीमती अनुराधा दीवान, श्रीमति ज्योति उपाध्याय, श्रीमती रीता हरदहा, एवं संभागीय बालभवन की शिप्रा सुल्लेरे श्री इंद्र पाण्डेय, श्री सोमनाथ सोनी, श्री देवेन्द्र यादव सहित समस्त पर्यवेक्षकों का योगदान रहा  ,
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पूरे दिन चले कार्यक्रम में 1500 अधिक किशोरी  बालिकाओं. महाविद्यालयीन छात्राओं की उपस्थिति रही .
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16.1.17

Boby : Photo Show

                                             मशहूर नाटक लेखक स्व. विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित कथानक पर आधारित बाल-नाटक "बॉबी" का निर्माण  संभागीय बालभवन जबलपुर द्वारा श्री संजय गर्ग के निर्देशन में तैयार कराया गया है. जिसकी दो प्रस्तुतियां भोपाल में दिसंबर माह में तथा जबलपुर में 2  प्रस्तुतियां की जा चुकीं है.  
                  बॉबी  नौकरी पेशा माता पिता की इकलौती बेटी है जिसे स्कूल से लौटकर आम बच्चों की तरह माँ की घर से अनुपस्थिति बेहद कष्ट पहुंचाने वाली महसूस होती है. उसे टीवी खेल पढने लिखने से अरुचि हो जाती है. स्कूली किताबों के पात्र शिवाजी, अकबर बीरबल, आदि से  उसे  घृणा होती है.   इतिहास के के इन पात्रों की कालावधि याद करना उसे बेहद उबाऊ कार्य लगता है. साथ ही बाल सुलभ रुचिकर पात्र मिकी माउस, परियां गौरैया से उसे आम बच्चों की तरह स्नेह होता है. और वह एक फैंटेसी में विचरण करती है.  शिवाजी, अकबर बीरबल,  से वह संवाद करती हुई वह उनको वर्त्तमान परिस्थियों की शिक्षा देती है तो परियों गौरैया मिकी आदि के साथ खेलती है. अपनी पीढा शेयर करती है... 
                   महानगरों की तरह   अब  मध्य-स्तरीय शहरों तक  संयुक्त परिवार के बाद तेज़ी से परिवारों का छोटा आकार होने  लगे हैं  तथा  उससे बालमन पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रभावी तरीके से इस नाटक में उकेरा गया है. 
               बालरंग निर्देशकों द्वारा बच्चों के ज़रिये ऐसे कथानक के मंचन का जोखिम  बहुधा काम ही उठाया होगा लेकिन संस्कारधानी के इस नाटक को देखकर अधिकांश दर्शकों की पलकें भीगी नज़र आईं थी   संस्कारधानी में बालरंग-कर्म की दिशा में कार्य करने वाले नाट्य-निर्देशक संजय गर्ग  एवम बालभवन जबलपुर के बालकलाकारों की कठिन तपस्या ही मानेंगे कि नाटक दर्शकों के मन को छूने की ताकत रख सका. 
                 मुख्य पात्र बॉबी के चरित्र को जीवंत बनाने में बालअभिनेत्री श्रेया खंडेलवाल पूरे नाटक में गहरा प्रभाव छोड़तीं है. जबकि अकबर -प्रगीत शर्मा , बीरबल हर्ष सौंधिया, मिकी समृद्धि असाटी , शिवाजी -सागर सोनी, के अलावा पलक गुप्ता (गौरैया)  ने अपनी भूमिकाओं में प्रोफेशनल होने का आभास करा ही दिया।   इसके अलावा मानसी सोनी, मिनी दयाल, परियां- वैशाली बरसैंया, शैफाली सुहाने, आकृति वैश्य, आस्था अग्रहरी , रिद्धि शुक्ला, दीपाली ठाकुर, का अभिनय भी प्रभावी बन पड़ा था. 
                  नाटक की प्रकाश, ध्वनि एवम संगीत की ज़िम्मेदारी सुश्री शिप्रा सुल्लेरे सहित कु. मनीषा तिवारी , कुमारी महिमा गुप्ता,  के ज़िम्मे थी जबकि बाल गायक कलाकार - उन्नति तिवारी, श्रेया ठाकुर, सजल सोनी, राजवर्धन सिंह कु. रंजना निषाद, साक्षी गुप्ता, आदर्श अग्रवाल, परिक्षा राजपूत के गाये गीतों से नाटक बेहद असरदार बन गया था. 
      मेरी नज़र में  - "बच्चों से ऐसे विषय पर मंचन कराना बेहद कठिन काम है किन्तु निर्देशक  श्री संजय गर्ग इस नाटक के ज़रिए उन चुनिंदा लोगों में शुमार हो गए हैं जिनको भारत में ख्याति प्राप्त हुई है. भोपाल में समीक्षकों ने बॉबी नाटक को उत्कृष्ट बता कर पुनः  मंचन करा था."
                    कुल मिला कराकर नाट्य लोक संस्था द्वारा प्रस्तुत नाटक को श्रेष्ठ बाल नाटकों की  सूची में रखा जा सकता है.   

STORY OF INNOCENT LONELY BABY

Wow.....New

आखिरी काफ़िर: हिंदुकुश के कलश

The last infidel. : Kalash of Hindukush"" ہندوکش کے آخری کافر کالاشی لوگ ऐतिहासिक सत्य है कि हिंदूकुश पर्वत श्रृंख...