14.1.14

कवि की तरह ही ब्रांडिंग कर नेता बनना चाहते हैं कुमार विश्वास : बीपी गौतम स्वतंत्र पत्रकार

बीपी गौतम (स्वतंत्र पत्रकार)8979019871
सार्वजनिक कवि सम्मेलनों के साथ एकल मंच पर श्रृंगार रस के प्रख्यात कवि
कुमार विश्वास श्रोताओं से अक्सर यह अपील करते रहे हैं कि अगली पंक्ति पर
तालियों की आवाज इलाहाबाद तक पहुंचनी चाहिए, इस अपील के साथ जब वह
श्रोताओं को सुनाते थे कि “दीदी कहती हैं उस पगली लडकी की कुछ औकात नहीं,
उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज़्बात नहीं, वो पगली लड़की मेरी
खातिर नौ दिन भूखी रहती है, चुप-चुप सारे व्रत करती है, मगर मुझसे कुछ ना
कहती है, जो पगली लडकी कहती है, मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ, लेकिन मैं
हूँ मजबूर बहुत, अम्मा-बाबा से डरती हूँ, उस पगली लड़की पर अपना कुछ भी
अधिकार नहीं बाबा, सब कथा-कहानी-किस्से हैं, कुछ भी तो सार नहीं बाबा, बस
उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है, और उस पगली लड़की के बिन मरना
भी भारी लगता है”, तो आईआईटी खड़गपुर के युवा हों या आईआईटी बीएचयू के,
आईएसएम धनबाद के युवा हों या आईआईटी रूड़की के, आई आईटी भुवनेश्वर के
युवा हों, चाहे आईआईएम लखनऊ के साथ एनआईटी जालंधर और एनआईटी त्रिचि के
युवा रात-रात भर उनकी रचनाओं पर झूमते रहे हैं, इसी तरह जब वे मदहोश होकर
यह गाते थे कि “दिल बरबाद कर के इस मेँ क्यों आबाद रहते हो, कोई कल कह
रहा था तुम इलाहाबाद रहते हो, के ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे
मौला, मैं सब कुछ भूल जाता हूँ मगर, तुम याद रहते हो” तो वह रातों-रात
युवाओं के दिलों में बस गये। “हमारे शेर सुनकर के भी जो ख़ामोश इतना है,
ख़ुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है, किसी प्याले से पूछा है
सुराही ने सबब मय का, जो खुद बेहोश हो वो क्या बताए होश कितना है।”, ऐसी
रचनाओं के सहारे कुमार विश्वास युवाओं के दिलों पर बहुत कम समय में ही
राज करने लगे। ट्वीटर, फेसबुक, यू-ट्यूब सहित दुनिया भर की सोशल साइट्स
पर मौजूद उनकी रचनाओं के हिंदी कविता प्रेमी दीवाने हैं और लगातार उनकी
रचनाओं को पढ़ रहे हैं और यू-ट्यूब पर देख रहे हैं। हिंदी कवियों में
जितने हिट उनके वीडियो को मिलते हैं, अन्य किसी कवि का वीडियो लोकप्रियता
की दृष्टि से उनके वीडियो के आसपास भी नहीं है, यह सब यह सिद्ध करने के
लिए काफी है कि हिन्दुस्तान के साथ दुनिया भर में फैले हिंदी कविता
प्रेमियों के बीच वह बेहद लोकप्रिय हैं। दुनिया भर में फैले उनके प्रशंसक
यह भी जानते हैं कि कुमार विश्वास की कोई प्रेमिका है, जो इलाहाबाद में
रहती है, जिसका उल्लेख वह अक्सर करते रहे हैं और यू-ट्यूब पर मौजूद उनके
वीडियो में कही गई बातें आज भी सुरक्षित हैं, जिससे साफ़ है कि अपनी
रचनाओं में सत्य का अहसास कराने भर के लिए उन्होंने एक अनाम लड़की को भी
दुनिया भर में ख्याति दिला रखी है। खुद को इलाहाबाद में रह रही एक अनाम
लड़की का प्रेमी सिद्ध करते हुए तालियाँ बटोरते रहे हैं।
कुमार विश्वास अब तक सिर्फ कवि थे, जिससे उनकी इस तरह की बातों पर
अधिकाँश लोग गौर नहीं करते थे। मंच की मस्ती समझ कर भुला देते थे, लेकिन
वह अब राजनीति की राह पर चल पड़े हैं। उनकी एक-एक बात पर अब विपक्षियों की
नज़र है। उनकी पिछली कही बातों को भी लोग अब गंभीरता से ले रहे हैं। जिस
तरह वह इलाहाबाद की एक अनाम लड़की के सहारे मस्ती करते थे और श्रोताओं को
कराते थे, वैसे ही उन्होंने कभी हिंदू और मुस्लिम धर्म के देवताओं और
इमाम पर भी टिप्पणियां की थीं, जिसको लेकर अब बवाल हो रहा है। पिछले
दिनों लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन पर एक मुस्लिम युवा ने
धार्मिक टिप्पणी को लेकर ही अंडा मारा था, जिस पर खूब बवाल हुआ, ऐसे ही
किसी ने इलाहाबाद की उस अनाम लड़की का नाम-पता और फोटो सार्वजनिक कर दिया,
तो उस लड़की के जीवन का क्या होगा?
खुद को आशिक सिद्ध करने भर के लिए, अपनी रचनाओं में जान डालने के लिए,
युवाओं के बीच लोकप्रिय होने के लिए और एक लड़की के नाम के सहारे छिछोरी
मस्ती करने के लिए कुमार विश्वास ने उस अनाम लड़की की एक तरह से जिंदगी
बर्बाद कर दी है, वो हमेशा इस डर में ही जीती होगी कि कहीं उसके बारे में
पति को पता न चल जाये, कहीं पड़ोसियों और शहर के लोगों को पता न चल जाये,
इतना ही नहीं, कुमार विश्वास के राजनीति में आने के बाद से तो उसका डर और
भी बढ़ गया होगा। कुमार विश्वास की इस अशोभनीय और अनैतिक हरकत के
दुष्परिणाम का अंदाज़ा नरेंद्र मोदी के चर्चित कथित जासूसी प्रकरण से
लगाया जा सकता है। कथित जासूसी प्रकरण जैसे मीडिया में छाया, वैसे ही
सोशल साइट्स पर उस लड़की का नाम-पता और फोटो सार्वजनिक हो गया, जिसके कारण
उस लड़की का देश में रहना तक मुश्किल हो गया। बताया जा रहा है कि वो लड़की
परिवार सहित देश छोड़ गई है। देश न भी छोड़े, तो भी सामाजिक दृष्टि से उस
लड़की की जिन्दगी बर्बाद होने में कोई कसर बाकी नहीं रह गयी है, जबकि अभी
तक उस लड़की ने कोई बयान नहीं दिया है और न ही उसने किसी तरह की आपत्ति
जताई है, पर नरेंद्र मोदी के दुश्मनों ने उनकी छवि को तार-तार कर
राजनैतिक लाभ लेने भर की नीयत से एक लड़की की जिन्दगी से खिलवाड़ कर दिया।
ऐसे ही अब कुमार विश्वास के भी हजार दुश्मन हैं, उन्हीं में से किसी ने
ऐसा कुछ कर दिया, तो उनका कुछ हो न हो, पर उस लड़की का जीवन जरूर बर्बाद
हो जायेगा।
अब जो हो गया, सो हो गया। अतीत को बदला नहीं जा सकता और न ही मिटाया जा सकता
है, पर अतीत से सबक अवश्य लिया जा सकता है और कुमार विश्वास भी सबक ले
लें, तो यह उनके आने वाले राजनैतिक जीवन के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
वह पिलखुआ जैसे बड़े शहर में जन्मे हैं, एक शिक्षक की संतान हैं, उनका
शैक्षिक परिवेश भी अच्छा रहा है, खुद प्रवक्ता रहे हैं, कवि हैं और एमए व
पीएचडी के साथ उनके पास डी-लिट् की उपाधि भी है, धनाढ्य हैं, इतना सब
किसी को सिर्फ किस्मत से नहीं मिलता, यह सब पाने में उनकी अपनी मेहनत भी
है, लेकिन यह सब जिस किसी के पास होता, वह बेहद संवेदनशील और गंभीर होता।
उसकी हर बात वेद वाक्य की तरह होती। अब उम्मीद है कि कुमार विश्वास भी
अपने अंदर वह गंभीरता उत्पन्न करेंगे। किसी के भी बारे में भद्दी और ओछी
टिप्पणी करने से पहले सोचेंगे, क्योंकि उनके कहे अब शब्द इतिहास में दर्ज
होते हैं। शायद, गंभीरता उनके अंदर हो भी, पर आवश्यक है कि उस गंभीरता का
अब प्रदर्शन भी करें। साहित्य के मंच पर उन्हें आज तक खुद को ब्राह्मण
बताने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई, फिर भी अपार प्रेम मिला, पर राजनीति
के मंच पर पहले ही दिन वह अमेठी में खुद को ब्राह्मण बताने से नहीं चूके,
जिससे उनकी राजनैतिक मंशा स्पष्ट झलक रही है। प्रेम के दीवाने तमाम युवा
कुमार विश्वास को आदर्श मानते रहे हैं और वही युवा अब बेहतर भविष्य बनाने
की अपेक्षा लिए उनकी ओर निहार ही नहीं रहे हैं, बल्कि बड़ी संख्या में
उनसे जुड़ भी रहे हैं। कुमार विश्वास ऐसी पार्टी का महत्वपूर्ण अंग है,
जिसे परंपरागत घटिया राजनीति का विकल्प कहा जा रहा है, पर जैसे ब्रांडिग
कर वह बड़े कवि बने हैं, वैसे ही ब्रांडिंग कर बड़ा नेता बनने की डगर पर
चलते नज़र आ रहे हैं। हो सकता है कि वह बड़े नेता बन भी जायें, पर इस देश
के युवा और आम आदमी के साथ यह एक और छल होगा।
खैर, जिस व्यक्ति के पास डी-लिट् की उपाधि है और जो श्रृंगार रस का इतना
बड़ा कवि है, वह व्यक्ति यह जानता ही होगा कि प्रेम और राजनीति प्रदर्शन
और वाणिज्य के नहीं, बल्कि त्याग और दर्शन के विषय हैं। कुमार विश्वास के
उज्जवल भविष्य की कामना और उनकी ही एक लोकप्रिय रचना के साथ बात खत्म।
“वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है, वो कोई गैर क्या अपना ही
रिश्तेदार होता है, किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना,
यहाँ ख़त भी जरा-सी देर में अखबार होता है।”

12.1.14

मकर संक्रान्ति : सूर्य उपासना का पर्व

आलेखसरफ़राज़ ख़ान

स्टार न्यूज़ एजेंसीआज़ाद मार्केट दिल्ली-6


भारत में समय-समय पर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं. इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहना गलत होगा. कई त्योहारों का संबंध ऋतुओं से भी है. ऐसा ही एक पर्व है . मकर संक्रान्ति. मकर संक्रान्ति पूरे भारत में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है. पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब इस त्योहार को मनाया जाता है. मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति शुरू हो जाती है. इसलिये इसको उत्तरायणी भी कहते हैं. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. हरियाणा और पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग शाम होते ही आग जलाकर अग्नि की पूजा करते हैं और अग्नि को तिल, गुड़, चावल और भुने हुए मक्के की आहुति देते हैं. इस पर्व पर लोग मूंगफली, तिल की गजक, रेवड़ियां आपस में बांटकर खुशियां मनाते हैं. देहात में बहुएं घर-घर जाकर लोकगीत गाकर लोहड़ी मांगती हैं. बच्चे तो कई दिन पहले से ही लोहड़ी मांगना शुरू कर देते हैं. लोहड़ी पर बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है.

उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से दान का पर्व है. इलाहाबाद में यह पर्व माघ मेले के नाम से जाना जाता है. 14 जनवरी से इलाहाबाद मे हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है. 14 दिसम्बर से 14 जनवरी का समय खर मास के नाम से जाना जाता है. और उत्तर भारत मे तो पहले इस एक महीने मे किसी भी अच्छे कार्य को अंजाम नही दिया जाता था. मसलन विवाह आदि मंगल कार्य नहीं किए जाते थे पर अब तो समय के साथ लोग काफी बदल गए है. 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से अच्छे दिनों की शुरुआत होती है. माघ मेला पहला नहान मकर संक्रान्ति से शुरू होकर शिवरात्रि तक यानी आख़िरी नहान तक चलता है. संक्रान्ति के दिन नहान के बाद दान करने का भी चलन है. उत्तराखंड के बागेश्वर में बड़ा मेला होता है. वैसे गंगा स्नान रामेश्वर, चित्रशिला अन्य स्थानों में भी होते हैं. इस दिन गंगा स्नान करके, तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है. इस पर्व पर भी क्षेत्र में गंगा एवं रामगंगा घाटों पर बड़े मेले लगते है. समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है और इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व होता है. इलाहाबाद में गंगा, यमुना सरस्वती के संगम पर प्रत्येक वर्ष एक माह तक माघ मेला लगता है.

महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएं अपनी पहली संक्रांति पर कपास, तेल, नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं. ताल-गूल नामक हलवे के बांटने की प्रथा भी है. लोग एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं :- `तिल गुड़ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला` अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो। इस दिन महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं.

बंगाल में इस पर्व पर स्नान पश्चात तिल दान करने की प्रथा है. यहां गंगासागर में हर साल विशाल मेला लगता है. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. मान्यता यह भी है कि इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था. इस दिन गंगा सागर में स्नान-दान के लिए लाखों लोगों की भीड़ होती है. लोग कष्ट उठाकर गंगा सागर की यात्रा करते हैं.

तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल के रूप में चार दिन तक मनाया जाता है.पहले दिन भोगी-पोंगल, दूसरे दिन सूर्य-पोंगल, तीसरे दिन मट्टू-पोंगल अथवा केनू-पोंगल, चौथे अंतिम दिन कन्या-पोंगल. इस प्रकार पहले दिन कूड़ा करकट इकट्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है. पोंगल मनाने के लिए स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं. इसके बाद सूर्य देव को नैवैद्य चढ़ाया जाता है. उसके बाद खीर को प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं. असम में मकर संक्रांति को माघ-बिहू या भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं. राजस्थान में इस पर्व पर सुहागन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर आशीर्वाद लेती हैं. साथ ही महिलाएं किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देती हैं. अन्य भारतीय त्योहारों की तरह मकर संक्रांति पर भी लोगों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है. (स्टार न्यूज़ एजेंसी)


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