11.3.11

हिंदी ब्लागिंग पर प्रतिबंध और ब्लागर्स की ज़िम्मेदारी...!

                                        
समीरलाल
 हिंदी ब्लाग जगत चिंतित है. समीरलाल चिंतित होकर बज़्ज़ पर पूछ रहे हैं:-"बेचारा निरीह हिन्दी ब्लॉगर- कानून के घेरे में लपेटा    जायेगा....अधिकतर तो आत्म समर्पण करके निकलना पसंद करेंगे." तो नुक्कड़ पर चिंतित हैं अपने ललित शर्मा जी कह रहे है मौलिक-अधिकार का हनन है यह..  संजीव शर्मा जी ने जुगाली पर  बताया कि:- क्या और कैसे होगा प्रतिबंध ब्लागिंग पर . कुल मिला कर सारे हिन्दी ब्लाग जगत में एक सनसनी अभिव्यक्ति पर  लगाम कसने की कयावद वह भी हिंदी ब्लागर्स की अभिव्यक्ति पर हिंदी-ब्लागर्स बकौल संजीव :-"हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओँ के ब्लॉग तो अभी मुक्त हवा में साँस लेना सीख रहे हैं और उन पर प्रतिबन्ध की तलवार लटकने लगी है.दरअसल बिजनेस अखबार ‘इकानॉमिक्स टाइम्स’ के हिंदी संस्करण में पहले पृष्ठ पर पहली खबर के रूप में छपे एक समाचार के मुताबिक सरकार ब्लाग पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.यह प्रतिबन्ध कुछ इस तरह का होगा कि आपके ब्लॉग के कंटेन्ट(विषय-वस्तु) पर आपकी मर्ज़ी नहीं चलेगी बल्कि सरकार यह तय करेगी कि आप क्या पोस्ट करें और क्या न करें.सरकार ने इसके लिए आईटी कानून में बदलाव जैसे कुछ कदम उठाये हैं. खबर के मुताबिक सरकारी विभाग सीधे ब्लॉग पर प्रतिबन्ध नहीं लगाएंगे बल्कि ब्लॉग बनाने और चलाने का अवसर देने वालों की नकेल कसी जायेगी. नए संशोधनों के बाद वेब- होस्टिंग सेवाएं उपलब्ध करने वालों,इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और इसीतरह के अन्य मध्यस्थों को कानून के दायरे में लाया जा रहा है.प्रतिबंधों की यह सूची बीते माह जारी की गई थी और इसपर आम जनता,ब्लागरों और अन्य सम्बंधित पक्षों की राय मांगी गई थी."
             
 बिजनेस अखबार ‘इकानॉमिक्स टाइम्स’ के हिंदी संस्करण की यह खबर कितनी सही है इस पर सरकार की ओर पुष्टि ले लेना भी ज़रूरी है. अभी कुछ भी कयास लगाना ज़ल्दबाज़ी है पर इसका आशय यह नहीं कि हम सब कुछ भूल जाएं... हम ब्लागर्स को इसी आधार पर सरकार को रोज एक पोस्ट लिखकर , ब्लागर्स मीट के ज़रिये एवम प्रेस-विज्ञप्तियां जारी करके,अपने अपने शहर में जिला   कलैक्टरों को ज्ञापन सौंप कर अपना विरोध जता देना ज़रूरी है. 
                        यदि सरकार ऐसा करती है तो  सेवा-प्रदाता के ज़रिये नकेल कसी  जायेगी ब्लागर्स की.   तय यह पाया जाता है  क़ि सर्वसाधारण को बोलने की इजाज़त एवं  अभिव्यक्ति  के लिए   प्रयुक्त प्लेटफ़ार्म न मिले  . अब आप बताएं आम ब्लॉगर कोई विकीलीक्स तो   नहीं है जो क़ि उससे भयाक्रांत रहा जावे. सरकार के मानस में यह क्यों जबकि आम ब्लॉगर सिर्फ कविता कहानी आलेख जो अखबारों,पत्र-पत्रिकाओं में भेजते हैं उसे ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहे हैं . फिर किसके  इशारों पर हो रही है यह हरकत  . सरकार को इस मामले में खुलासा करना चाहिये कि किन परिस्थियों में सरकार यह क़दम उठा रही है . मुझे वर्धा सम्मेलन की रिकमंडेशन याद आ रहीं हैं कि हिंदी ब्लागिंग के लिये एक आदर्श आचार संहिता होनी चाहिये . यह बात वास्तव में ग़ैर ज़रूरी थी. ऐसा विचार व्यक्त करने वाले तथा सरकार  यह जान ले कि क्या मौज़ूदा क़ानून से अश्लील,उत्तेज़क,गुमराह करने वाले अराजक आलेखों, प्रस्तुतियों को प्रतिबंधित आसानी से किया जा सकता है.   
ललित शर्मा
एक ओर हम ब्लागर्स हिंदी से नेट को ढंक देना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर ऐसी खबर, जी हां यह खबर निश्चित ही  हमारे एक जुट होने के मार्ग तैयार कर रही है. समय आ गया है कि सारे ब्लागर्स एक जुट होकर पुरजोर विरोध करें. ... सरकार के ऐसे अलोकतांत्रिक-प्रयास का. इस हेतु हमें प्रिंट,इलैक्ट्रानिक मीडिया से सहयोग की अपेक्षा है.  


ललित शर्मा के अनुसार :-"मध्यवर्ती संस्थाओं के टर्म का दायरा ब्लॉगर तक बढाने के पीछे तर्क यह है कि जिस तरह इंटरनेट प्रोवाईडर संस्थाएं पाठक को  इंटरनेट से जोड़ती  हैं उसी तरह ब्लॉग पर लिखे गए लेख भी पाठकों को अपने तक जोड़ते हैं। ब्लॉग स्वामी किसी के खिलाफ़ व्यक्तिगत आरोप आक्षेप वाली पोस्ट लगाता है और पाठक जब ब्लॉग पर अपमानजनक, अमर्यादित टिप्पणी करता है तो उसका जिम्मेदार ब्लॉग स्वामी ही होगा। इसके लिए ब्लॉग स्वामी को मध्यवर्ती संस्था मान कर कानून के दायरे में लाया जा रहा है।
(पूरा आलेख इधर देखिये)






कनिष्क कश्यप 
इस पोस्ट के तैयार करते समय न्यू-मीडिया-एक्सपर्ट कनिष्क कश्यप से बात हुई उनका कहना है :-"खबर ग़लत है, क्या मछलियों को समन्दर में कूदने से  रोकने का का़नून बन तो सकते है पर मछलियों को रोका नहीं जा सकता "








दिल्ली के ब्लागर खुशदीप सहगल ने अपनी दो टूक राय ज़ाहिर करते हुये कहा कि:-"जी, सायबर क़ानूनों की मज़बूती के लिये एक बिल पेश हो रहा है जिसके प्रावधानों की परिधि में ब्लाग को लाया जावेगा. जो धर्मोंमादक, भड़काऊ ब्लाग पोस्ट तथा उस पर आने वाली टिप्पणियों प्रतिबंधित करने हेतु ज़िम्मेदारी तय की जावेगी."
         सहगल जी ने आगे बताया:-"धर्माधारित विषयों पर विवादस्पद  आलेखन करने वाले ब्लागर्स तथा अभद्र टिप्पणीयों की ज़िम्मेदारी ब्लाग संचालक की ही होगी. "
        खुशदीप जी की बात से अधिक स्पष्टता मिली कि " उत्तेज़क ब्लागिंग प्रतिबंधित करने की कोशिश की जा रही है..? "
      किंतु मौज़ूदा क़ानूनों में प्रावधानों की उपलब्धता है.इन सबको रोकने के लिये. इससे सदाचारी ब्लागर्स के लेखन पर असर होगा. इस बात का विरोध होना ही चाहिये. 
इस बात पर खुशदीप जी का मत है कि :-"अवश्य होना चाहिये, किंतु हम ब्लागर्स को भी वर्जित विषयों पर लेखन गाली-गलौच भरी टिप्पणीयों से बचना ज़रूरी है." 
         

8.3.11

उसे मुक्ति नहीं चाहिये


जी
उसे नहीं चाहिये
उसने कब
 मांगी है तुमसे मुक्ति
वो
सदा चाहती है बंधन
बनाए रखती है अनुशासन..
वो जो साहस और दु:साहस का अर्थ देती है
वो जो नाव है
पार कराती है धाराएं
कभी पतवार बन
खुद को खेती है
वो क्या है क्या नहीं है
तुम क्या जानो
मत लगायो कयास
मत करो 
उसे संज्ञा  देने का प्रयास 
वो  वो है 
 जिसकी वज़ह से तुम मैं हम सब हैं 

7.3.11

औरत जो दुनियां चलाती है चुपचाप

साभार:पलकों के सपने से 
बचपन से बोझ उठाती देखता था उन औरतों को जो सर पर पीतल की कसैड़ी (गघरी ) रख  मेरे घर के सामने से निकला करतीं थीं बड़ी बाई राम राम हो का हुंकारा भरके. घर के भीतर से मां सबकी आवाज़ पर जवाब दे पाती न दे पाती पर तय यही था. कभी कभार  कोई-कोई औरत घर के आंगन में डबल डेकर पानी का कलशा रख मां से मिलने आ जातीं थीं. हालचाल जान लेने के बाद फ़िर घर को रवाना. रेलवे में नौकरी करते गैंग-मैन,पोर्टर,खलासियों की औरतें हर तीज त्यौहार पर मां से मिलने ज़रूर आती. हां तीज से याद आया मां के नेतृत्व में फ़ुलहरे के नीचे हरतालिका तीज का व्रत रखीं औरतैं पूजा करतीं थीं.रतजगा होता. बाबूजी पूरे आंगन में बिछायत करवा देते थे. देर रात तक पुरुषों की भजन-मंडलियां लोक भजन गातीं.भीतर शिव पूजन जारी रहता. हमारे जुम्मे हुआ करती थी चाय बना के पिलाने की ड्यूटी. मां डांट कर औरतों को भूखा न रहने की हिदायत देंतीं. यह भी कि किसी भी क़िताब पुराण में नही लिखा कि भूखा ही रहा जाये. सब औरतें इतना जान चुकीं थीं कि "बड़ी-बाई यानि मेरी मां"झूठ नहीं कहेंगी.रात भर जागती औरतों में फ़ल बाटती मां याद आ रही है आज खूब. जाने कितने शराबी कर्मचारियों को बेटे की तरह फ़टकार लगाया करती थी मां. कईयों ने शराब छोड़ी, कई मां के सामने कसम उठाते कि अब जुए में पैसा न गंवाएंगे. हां तो ऐसी ही तीजा की रात गंदी सी गांव की कोई औरत भी आई मां पूछा -कौन हो..?
"इतै पास के गांव में रहत हूं बड़ी बाई" 
ट्रेन छूट गई क्या..?
नईं बाई, घर से भाग-खैं (भागकर) आई हूं, मरनें है मोहे. मेरो अदमी खूब मारत है, 
मां को माज़रा समझ आ गया था मानो. उसे स्नेह से बेटी कहा. पूछा उपासी हो ?
हां,..यह सुनते ही करुणा से भर आई थी मां .और भाव भरे भावुक मन से उसे बेटी संबोधित क्या किया बस जैसे मृत-प्राय: देह में प्राण वायु का संचार कर दिया मां ने. उसे भरपेट केले-सेव देने देने का आदेश मिला. फ़िर पूजन में शामिल किया . साहस का उपदेश देती रही उस रात सारी औरतों को. किसी को बताया कै घर का बज़ट बनाओ तो किसी को बेटी की शादी १८ के बाद करने की समझाइश दी.उस औरत में रात भर मां के साथ रहने का असर ये हुआ कि अल्ल-सुबह उसे घर जाने की याद आ गई. शायद साहस भी समस्याओं से जूझने का.मां सबसे कहती थी :-"तुम दुनिया चलाती हो, तो साहस से चलाओ, मन से पावन रहो बच्चों की देख भाल ऐसे करो जैसे कि कोई गोपाल की पूजा अरचना कर रही हो एक दिन आएगा जब  औरत को आदर-मान मिलेगा पर साहस ज़रूरी है"
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष
 "सविता बिटिया का कम्प्यूटर ज्ञान "
  मेरे घर में दो किशोरियां झाड़ू-पौंछा,बरतन साफ़ करती हैं. कल ज़रूरी काम से मुझे निकलना पड़ा. सो पी०सी० पर एक आलेख सेव कर घर से बाहर निकल गया. सीढ़ीयों पर याद आया कि पी०सी० चालू है सो श्रीमति जी से बंद करने को कहा और निकल गया. शाम को श्रीमति जी बोलीं आज़ सविता से तुम्हारा कम्प्यूटर बंद कराया ! यह सुनते ही मुझे  लगा कि शायद ही उसने पूरे प्रोसिस से बंद किया हो. घटना मेरे लिये चकित करने लायक थी.  गुस्सा भी आया श्रीमती जी पर जिसे जप्त कर गया. शाम जब घर आया तो सविता को देख पूछा:-"बेटी तुमको कम्प्यूटर बंद करना आता है"
"हां मामाजी"
"और चालू करना "
"वो भी आता है.."
कैसे, शिवानी (मेरी बेटी) ने सिखाया क्या...?
"न, मैं सीखतीं हूं, कम्प्यूटर क्लास में..
        दिन भर में दो दो बार घर घर जाकर बरतन साफ़ करने वाली इन बेटियों की साधना सीखने नया कुछ करने की ललक से प्रभावित हूं , इस माह से उसका कम्प्यूटर क्लास का खर्च उठाने और खाली समय में पी०सी० चलाने की अनुमति तो दे ही सकता हूं अपनी सविता-बिटिया को.         

5.3.11

अलबेला खत्री लाइव फ़्राम जबलपुर




सूरत से सिंगरौली व्हाया जबलपुर जाते समय जबलपुरियों हत्थे चढ़ गये राज़ दुलारे अलबेला के साथ आज न कल देर रात तक फ़ागुन की  आहट का स्वागत किया  गया बिल्लोरे निवास पर डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" बवाल ,और हमने यक़ीं न हीं तो देख लीजिये 

 तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक हम कार्यालयीन काम निपटा के हज़ूरे आला की आगवानी के वास्ते जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ार्म नम्बर चार पर खडे़ अपने ड्रायवर रामजी से बतिया रहे थे. समय समय पर हमको  अलबेला जी कबर देते रहे कि अब हम यहां हैं तो अब हम आने ही वाले हैं किंतु पता चला कि महानगरी एक्सप्रेस नियत प्लेटफ़ार्म पर न आकर दो नम्बर प्लेट फ़ार्म पर आने वाली है. सो बस हम भी जबलपुर रेलवे स्टेशन के मुख्य-प्लेट फ़ार्म पर आ गये. जहां ट्रेन आने के बावज़ूद भाई से मुलाक़ात न हुई. मुझे लगा कि कि खत्री महाशय ने फ़टका लगा दिया. कि फ़िर एक फ़ोन से कन्फ़र्म हुआ कि ज़नाब यहीं हैं. कार में सवार हुये 
अलबेला जी को  इस बात का डर सता सता रहा कि मेरे घर उनका अतिशय प्रिय पेय मिलेगा या नहीं, मिलेगा तो पता नहीं पहुंचने के कितने समय बाद मिलेगा जिस पेय के वे तलबगार हैं....अर्र र र ललित भाई आप गलत समझे ये वो पेय नहीं जिसकी तलब में आप हैं भाई अलबेला जी को "चाय" की तलब थी , सो डिलाइट-टाक़ीज़ के पास होटल में ले जाया गया. कार में बैठे-बैठे चाय पी गई. घर आकर देखा तो वाक़ई श्रीमति जी मुहल्ले में आयोजित किसी कार्यक्रम में भागीदारी के लिये रवाना हो रहीं थीं. सो  
 हम मान गये लोहा अलबेला जी के दूरगामी चिंतन का .चाय तो मिली किंतु नियत समय से आधे-घंटे की देरी से. और फ़िर स्वागत सत्कार के लिये विजय तिवारी किसलय, भाई जितेंद्र जोशी (आभास के चाचू) बवाल, यशभारत जबलपुर के प्रति निधि श्री मट्टू स्वामी, पधारे इस बीच माय एफ़ एम 94.3 जियो दिल से वालों ने एक लाईव प्रसारण भी किया टेलीफ़ोन पर खूब चहके भाई अलबेला खत्री.    
 फ़िर क्या हुआ..?
फ़िर फ़िर ये हुआ कि :-"अलबेला जी लाइव हो गये बैमबज़र के ज़रिये. और क्या होना था"
मोबाइल कैमरा फ़ोटो सेशन के बाद अरविन्द यादव जी आये को फ़ोटो ग्राफ़्री हुई. जम के हुआ वेबकास्ट इंटरव्यू . 43 साथी लाइव देख रहे थे. 
यानी हंगामें दार रही शाम. की गवाही दे सकते हैं  संगीत निर्देशक श्री सुनील पारे, जीवन बीमा निगम के प्रबंधक श्री तुरकर जी एवम मेरे अग्रज़  श्री सतीष बिल्लोरे जो घटना स्थल के बिलकुल समीप थे. कुल मिला का होली-हंगामा शुरु.. 
 उधर भूख के मारे पेट में चूहे कत्थक,कुचिपुड़ी,सालसा, करने लगे भोजन भी तैयार था सो संचालकीय तानाशही का भाव मन में आया और हमने एकतरफ़ा ऐलान कर दिया..... सभा बर्खास्त, अब नहीं हो पा रही भूख बर्दाश्त. 
ताज़ा सूचना मिलने तक ज्ञात हुआ की अलबेला खत्री जी को ट्रेन में कंडेक्टर ने जगाया बोला जोर से मत सुनाओ. 
"क्या मैं कविता सुना रहा हूँ ..?"  
 टीसी ने कहा :- नहीं श्रीमान खर्राटे .......
मित्रो , जो बुके उनके स्वागतार्थ आये वे मेरे घर की शोभा बढायेंगे . सच अलबेला खत्री जी खूब याद आएंगे. 

2.3.11

अलबेला खत्री का स्वागत है जबलपुर में



मशहूर ब्लागर,हास्य-कवि एवम सबके मित्र अलबेला-खत्री दिनांक 04/03/2011 को जबलपुर आ रहे हैं 
खत्री जी का हार्दिक अभिनन्दन स्वागत है 

1.3.11

दीप शिखा तुम मुझे बताना कहां हैं परबत किधर है समतल...........?

यहाँ भी देखिये 

सुर सरिता की सहज धार सुन
तुम तो अविरल हम भी अविचल !!
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अश्व बने सुर-सातों जिसके
तुम सूरज का तेज़ संजोकर !
चिन्तन पथ से जब जब निकले
गये सदा ही मुझे भिगोकर !!
आज़ का दिन तो बीत गया यूं जाने कैसा होगा फ़िर कल !!
सुर सरिता की सहज .......!
॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑॑
जीवन पथ जो पीर भरा हो
नयन नीर सावन सा झर झर !
कितने परबत पार करोगे
ये सब कुछ साहस पर निर्भर ..?
दीप शिखा तुम मुझे बताना कहां हैं परबत किधर है समतल...........?
सुर सरिता की सहज .......!
भूलो मत कुरुक्षेत्र युद्ध एक प्रमाण मीत !
जननी हैं ,भगनी है, रमणी हैं नारियां -
सुन्दर प्रकृति की सरजनी हैं नारियां 
हैं शीतल मंद पवन,लावा  ये ही तो हैं
धूप से बचाए जो वो  छावा यही तो हैं !

Wow.....New

विश्व का सबसे खतरनाक बुजुर्ग : जॉर्ज सोरोस

                जॉर्ज सोरोस (जॉर्ज सोरस पर आरोप है कि वह भारत में धार्मिक वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे है इसके लिए उसने कुछ फंड...