30.3.08

प्रिय चापलूसों

" देश भर के चापलूसों आज मूर्ख दिवस दिवस पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ"

जबलपुरियों की पोस्ट

[01]विश्व रंगकर्म दिवस संगोष्ठी में"उड़नतश्तरी"
[02]समयचक्र हिन्दी ब्लॉग और हिन्दी साहित्य : श्री समीर लाल
बाल गोपालो को फूलों सा खिलाना है
[03]जबलपुर चौपाल" में उड़नतश्तरी का होली आयोजन और लुकमान की याद
[04], Sameer Lal उर्फ़ बिदेसिया जबलईपुर वारे ने छापा दिल से आवाज आई: विश्व रंगमंच दिवस पर

एक और जबलपुरिया "yunus भाई " को तो भूल ही गया था नूर साहब लाॅ कालेज में मुझे पढाते थे । मेरी अम्मी जिनका शेर

"मेरी आंखों पे लरज़ते हुए उनके आंसू,यूँ ही ठहरे रहें ता उम्र इनायत होगी ,

कद्र-ऐ-जुम्बिश में गिर के बिखर जाएंगे , और फिर उनकी अमानत में खयानत होगी "

खूब याद है, खूब याद है इरफान का वो शेर :-"जब भूक की शिद्दत से तढ़पेगें मेरे बच्चे ,दीवार पे रोटी की तस्वीर बना दूंगा "

हजूर [yunus भाई ]आप जबलपुर या एम० पी० के संगीतकारों , गायकों पर एक पोस्ट देकर जबलपुरिया धर्म निबाह दीजिए ।

27.3.08

विश्व रंगकर्म दिवस संगोष्ठी में"उड़नतश्तरी"


जबलपुर के रंगकर्म से जुड़े लोग आज विश्व रंग कर्म दिवस पर जुटे चंचला बाई कालेज के खुले मंच पर । त्रिलोक सिंह-कर्मयोगी कृष्ण सा उनका व्यक्तित्व को भी याद किया , Sameer Lal आज अतिथि थे उडन तश्तरी ....के रूप में आप जानते ही है इनको , भावना का देश है भारत के कवि बुरहानपुर से दादा आचार्य डाक्टर भृगुनंदन जी जो समयचक्र के mahendra mishra [महेन्द्र मिश्र जी] के साथ आए थे । ब्लागिंग पे भी चर्चा हुई कविता पाठ हुआ , सूरज राय सूरज,अरुण पान्डे,डाक्टर मलय शर्मा,डा० श्याम सुन्दर मिश्र, विजय तिवारी "किसलय", राजीव गुप्त, यानी विवेचना रंग-मंडल के लिए-"जबलपुर चौपाल" वाले पंकज स्वामी"गुलुश" के न्योते सभी "दाएं-बाएँ" वाले सब आए थे , आते क्यों न किसी टेंट-हाउस,वालों का कार्य-क्रम थोडे न था।
विवेक पांडे की कविता Vivek Pandey, पे चटका लगाइए सुन लीजिए जी। ये ROHIT JAIN, भी छा गए थे किन्तु मुझे जिस युवक की कविता ने रोमांचित कर दिया था उसे समीर जी अपने ब्लोंग पर पोस्ट कर रहे हैं । मुझे क्या सभी को अंतस तक छू -रहे हैं युवा कवि राजेश वर्मा [जोअपनी राख को गंगा में न बहाने की इच्छा रखतें है,]सहित अरुण यादव , अमर सिंह परिहार,संतोष राजपूत,

सुयोग पाठक SUYOG PATHAK के संगीत निर्देशन मन [जन] गीतों की प्रस्तुति से शुरू समागम में डाक्टर मलय जी का वक्तव्य "कविता को लेकर मुझे इस कारण अच्छा लगा क्योंकि वे आशावादी हों गए हैं कविता को लेकर -उन्होने माना कि युवा पौध के पास शब्द,भाव,विषय सब कुछ है॥!" [ " ....!!" अब जाके पता चला कि कविता के विषय चुके नहीं हैं...?]

पंकज गुलुश ने बलोगिंग पर चर्चा की किन्तु अल्प [मित]भाषी होने की वज़ह से ज़्यादा नहीं बोल सके। डाक्टर विजय तिवारी "किसलय" का उल्लेख पूरे वक्तव्य में नहीं हुआ किन्तु विजय भाई को बुरा भी नहीं लगा क्योंकि वे गंभीर ब्लॉगर जो हैं...स्व-नाम-धन्य फोटो ग्राफर श्री जे० एस० मूर्ति,अरुण पांडे , सभी ने सांस्कृतिक चैतन्य के "महत्त्व" को रेखांकित किया ।ये भी तय हुआ कि जबलपुर में साहित्य की नियमित गतिविधियों को एक स्वरूप दिया जाएगा ।जो तय किया अरुण पांडे जी ने जो मेरे वक्तव्य के दौरान क्षेपक लगाने मंच पर आए थे। जबकि ब्लागिंग को बढावा देने का दायित्व मेरा,समीर जी,किसलय जी , पंकज जी का होगा....!!नई-दुनिया जबलपुर ने अपनी रिपोर्ट टाँगी,-"हम हैं ताना,हम हैं बाना" शीर्षक की खूंटी पर, यही गीत गाया था सुयोग पाठक एवं साथियों ने जो रपट का शीर्षक बना। कुल मिला के कविता,नाटक,सुर-संगीत,और ब्लागिंग सभी विषय को स्पर्श करती संगोष्ठी सदभावों के अलावा गतिविधियों को जीवंत रखने की प्रतिज्ञा के साथ समाप्त हुआ जैसे कि आम तौर पर होता है । फिर सब अपनी-अपनी समस्याओं को सुलझानें के गुन्ताडे़में व्यस्त हों जाते हैं। जैसे मैं अरुण पांडे जी के घर के सामने से निकल जाऊँगा रोज़ , वैसे ही जैसे मलय शर्मा जी मेरे घर के सामने से रोज़िन्ना निकलते हैं....!!या इन्द्र पांडे , रमेश सैनी, वगैरा जैसी व्यस्तता होगी सबकी ।

इस बीच पंकज गुलुश ने बताया है कि-....छै: नए ब्लॉगर आने वाले हैं .....हम तो स्वागत माल लेकर इंतज़ार करेंगे ही।

24.3.08

पूर्णिमा वर्मन जी का सहयोग म०प्र० लेखक संघ,को

अभिव्यक्ति-अनुभूति का ताज़ा अंक साहित्य एवं साहित्यिक सूचनाओं से भरा पूरा है पूर्णिमा जी आगे बढ कर अंतर-जाल पर निरंतर नया कुछ करने के गुन्ताडे़ यानी कि कवायद में लगी रहतीं हैं......हम उनके आभारी हैं.....
teamabhi@abhivyakti-hindi.org


मध्य-प्रदेश लेखक संघ द्वारा विभिन्न सम्मानों के लिए प्रस्ताव आहूत
भारतीय उच्‍चायोग, लंदन द्वारा वि‍श्‍व हि‍न्‍दी दि‍वस पर वर्ष २००७ के लि‍ए नि‍म्‍नलि‍खि‍त व्‍यक्‍ति‍यों/संस्‍थाओं को सम्‍मान देने का नि‍र्णय लि‍या गया है:
जॉन गि‍लक्रि‍स्‍ट यू. के. हि‍न्‍दी शि‍क्षण सम्‍मान : के लि‍ए पेशे से सि‍वि‍ल इंजीनि‍यर, कई बाल पुस्‍तकों एवं हि‍न्‍दी पाठ्यपुस्‍तकों के रचयि‍ता और महालक्ष्‍मी वि‍द्या भवन, लंदन में हि‍न्‍दी के शि‍क्षक श्री वेद मि‍त्र मोहला को चुना गया है।
डॉ. हरि‍वंश राय बच्‍चन यू के हि‍न्‍दी लेखन सम्‍मान : से ब्रि‍टेन के ख्‍याति‍ प्राप्‍त लेखक श्री तेजेन्‍द्र शर्मा को सम्‍मानि‍त करने का नि‍र्णय लि‍या गया।
आचार्य महावीर प्रसाद द्वि‍वेदी यू. के. हि‍न्‍दी पत्रकारि‍ता सम्‍मान : ऑडि‍यो/वीडि‍ओ मीडि‍या में ०५ नवम्‍बर, १९८९ से अपने हि‍न्‍दी प्रसारण के माध्‍यम से दक्षि‍ण एशि‍याई श्रोताओं में अति‍ लोकप्रि‍यता प्राप्‍त करने वाले सनराइज रेडि‍यो को यह सम्‍मानित करने का निर्णय लिया गया है।
फ्रेडरि‍क पि‍न्‍काट यू के हि‍न्‍दी प्रचार प्रसार सम्‍मान : के लि‍ए लंदन की यू के हि‍न्‍दी समि‍ति‍ का चयन कि‍या गया है।
लंदन के भारत भवन में १६ फरवरी, २००८ को आयोजि‍त कि‍ए जाने वाले एक समारोह में उपर्युक्‍त व्‍यक्‍ति‍यों/संस्‍थाओं को सम्‍मान स्‍वरूप प्रशस्‍ति‍ पत्र और स्‍मृति‍ चि‍ह्न भेंट कि‍ए जाएँगे। राकेश बी. दुबे अताशे (हि‍न्‍दी एवं संस्‍कृति‍) भारतीय उच्‍चायोग, लंदनEmail : rakeshbdubey@gmail.com

म. प्र. लेखक संघ भोपाल ने अपने परिपत्र में २००८ के लिए निम्न लिखित सम्मानों के प्रस्ताव आहूत किए हैं:-
अक्षर-आदित्य-सम्मान, आयु-सीमा ६० वर्ष,
पुष्कर-सम्मान, ६० वर्ष तक की आयु सीमा
देवकी-नंदन-सम्मान, ३५-५०, आयु वर्ग
काशी-बाई-मेहता-सम्मान, किसी भी आयु की महिला लेखिका के लिए
कस्तूरी देवी चतुर्वेदी, लोक-भाषा-सम्मान, म. प्र. की लोक भाषा, की महिला साहित्यकार को, योग्य प्रस्ताव के अभाव में पुरुष साहित्यकार के नाम पर विचार किया जाएगा,
माणिक वर्मा, व्यंग्य-सम्मान
चंद्र प्रकाश जायसवाल, बाल-साहित्य-सम्मान,
पार्वती देवी मेहता अहिन्दी भाषी हिन्दी-साहित्यकार
डॉ. संतोष कुमार तिवारी- समीक्षा सम्मान, ६० वर्ष आयु से अधिक आयु के समीक्षक को, शिथिलताएँ संभावित
हरिओम शरण चौबे गीतकार सम्मान
कमला देवी लेखिका सम्मान
मालती वसंत सम्मान [द्वि-वार्षिक ] १८ वर्ष आयु वर्ग की युवा लेखिका को
सारस्वत-सम्मान
अमित रमेश शर्मा हास्य-व्यंग्य के लिए
प्रस्ताव के लिए म०प्र० के साहित्यकार, जिला एकांशों के पदाधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। अथवा निम्न लिखित पतों पर संपर्क करें- श्री बटुक-चतुर्वेदी, १४/८ परी-बाज़ार, शाहाज़हानाबाद, भोपाल,म.प्र.[01] डॉ. श्रीराम ठाकुर दादा [02] गिरीश बिल्लोरे मुकुल एकांश अध्यक्ष, जबलपुर, एकांश, ९६९/ए-२,गेट न. ०४, जबलपुर[03] डॉ. संध्या जिन "श्रुति"सचिव जबलपुर, एकांश[04] डॉ. विजय तिवारी किसलय, विसुलोक, उखरी, जबलपुर http://jabalpursamachar.blogspot.com/2008/02/blog-post_5192.html पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध है

15.3.08

एक लघु कथा सा दृश्य

वो मुझे मेरे किये धरे कार्यों की गलतियाँ गिनाता , सबके सामने खुले आम मुझे ज़लील करता हुआ अपने को मेरा भाग्य विधाता साबित करता है......!
सच मुझे ईश्वर ने जीते जी अपने मरने का दु:ख सह सकने की ताकत न दी होती तो मैं उस बेचारे मूर्ख को भी आइना दिखा देता और होता ये कि -"मुझे नौकरी से हाथ धोना पङता , मेरे का बच्चों का स्कूल छूट जाता , मैं कोर्ट कचहरी के चक्कर में उलझ जाता । धीमे-धीमे मेरे करीब आता न्याय .... और ज़लालत से मिलाती निजात । लेकिन तब तक मैं दुनियाँ से बीस बरस पीछे चला जाता और आगे होती चाटूकारों की फौज सो मैं चुप हूँ ......... लेकिन उसको आइना तो दिखाना ही है... जो मुझे आइना दिखाता है !
कितनी वाहियाद जिन्दगी जीते हैं ये लोग जो सिरमौर होते हैं जो कितनी गंदी सोच लेकर पैदा किया होगा इनके माँ-बाप ने , बकौल मित्र प्रशांत कौरव :-"ये लोग शरीरों की रगड़ का रिज़ल्ट हैं।"
ये कुछ तनाव के कारण पैदा हुए लोग है ..... जो कभी भी तनाव बोने में पीछे नहीं हैं।
इनको तो जमा होना था तानाशाह के इर्द गिर्द ....?
देखिए हर कोई अपनी बाजीगरी के चक्कर में दूसरे की दुर्गति करता नज़र आ रहा है । ऊपर वालों के तलुए .... नीचे वालों को जूते के नोक पर रखिये इस दौर में ये धंधा खूब पनप रहा है..... सब जानते हैं । यदि कोई चाहे भी तो इससे निजात नहीं पा सकता ?

13.3.08

आभास जोशी के स्वरों में:"बावरे-फकीरा"





पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु

Promo 128।mp3

## प्रोमो ##
** सव्य साची प्रोडक्शन,जबलपुर की प्रथम भेंट **
***स्वर:आभास जोशी,संदीपा पारे,***संगीत:श्रेयस जोशी,***गीतकार:गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"***रिकारडिस्ट: आशीष सक्सेना,***

12.3.08

"माँ,मैं तेरी सोनचिरैया...!"

जबलपुर की कवयत्री प्रभा पांडे"पुरनम" की कृति,माँ मैं तेरी सोनचिरैया


का
विमोचन,09।02.2008. को होम साइंस कालेज , जबलपुर में हुआ

10.3.08

होली पर आमंत्रण

मेरे जबलपुर में होली के शुब अवसर पर आप सभी लोग मय-[बचे-हुए-बाल सहित ] बाल-बच्चों के सादर आमंत्रित हैं। मुख्य समारोह पाते नामक संस्था के स्थायी पते tहाने के बाजू में ,mitr - निवास पर होगा । जिसके इंत"ज़ाम" अली होंगे "राजेश पाठक "चतुर" यूँ तो इनका उपनाम "प्रवीण" है समानार्थी शब्द का इस्तेमाल करने की इजाज़त हमने हिरण्यकश्यपों से ले ली है । किसी ..ने कोई असहमति नहीं जतायी। सबको मालूम है के वे चतुर ही हैं। अब कितना बड़ा "...हाउस" चला रहे हैं बरसों से ।स्वागत की हमने पूरी-पूरी व्यवस्था कर रखी है मुख्य रेलवे स्टेशन से ही आपका स्वागत शुरू हों जाएगा आपको जी हाँ ... आपको इतना करना है कि डा०सन्ध्या जैन तथा डा० ठाकुर "दादा" को उनके फोन नम्बर पे फोन लगाइये वे फोन पे आपको कह देंगे:- "संस्कार-धानी" में आपका स्वागत है...!!" बाद,kavita,भी सुनाएंगे ऐसी इससे बेहतर भी
ये शब्द सुने बिना आप स्टेशन से बाहर न जाएं बाहर आपको क्या करना है कृपया रिजर्वेशन तो करा आइये फिर बताउंगा आपको क्या करना है...?

लगता है हमारी पहली न्यौतार को आमंत्रण मिल गया ये अपने कपूत भटकाव Kaput Bhatkav वाले कपूत भैया इनके क्विक रिस्पांस पर हम व हमारी कमेटी इनका " तहे...दिल से शुक्रिया अ...द...दा .करती .है...कपूत जी:-"थैंक्स फॉर क्विक रिस्पोंस"तडाक से तपाक से ज़बाव दे दिया लगता है कपूत ने रिज़र्वेशन करा लिया आमंत्रण तो बड़ा होलियाना ,सौ-पाप छोड़ के आपको जबलपुर आना है...!!अब आप तो पकडे गए आमंत्रण के पहले पन्ने पे ही जकडे गए......?आप हमारी "पहली-न्योतार" ,आपका जबलपुर है ज़रूरी चाहे..साली रोके...या....आपकी अपनी चाँद चकोरी ...!!"

ANDE PE BAITH KE DADA KAVITAA SUNAAENGE



2008-03-10-kavita....

6.3.08

"guest-corner" [अतिथि कोना]:[01]डाक्टर संध्या जैन "श्रुति"

इस पन्ने पे आपकी मुलाक़ात होगी महिला-साहित्यकारों से पहला क्रम जबलपुर की राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त शिक्षिका डाक्टर संध्या जैन "श्रुति" को समर्पित है समर्पित करने जैसी कोई बात है नही उनको आज मैंने बुलवाया सम्पूर्ण चर्चा के लिए ।
नेट से दूर रहने वाले जबलपुर के साहित्यकारों को वेब-डिजायनर,दस-बीस हजार का खर्चा बताते हैं कवि साहित्यकार कोई पूंजी-पति नही होता जो बेवजह वेब पर इतना भी खर्च करेगा क्यों....?
खैर छोडिए, आज इस कोने की अतिथि-लेखिका,को फिल्म-फेयर अवार्ड के दौरान प्रसिद्ध अभिनेताओं -के द्वारा हिंदी के प्रति अपमान जनक व्यवहार से क्षोभ है वही फिल्म-फेयर अवार्ड समारोह जिसमे हिंदी फिल्मों के गीतकार प्रसून जोषी ने अवार्ड पाने के बाद अंगरेजी में ही आभार व्यक्त किया।
डाक्टर जैन ने दो किताबें लिखी हैं "आकाश-से-आकाश तक" कथा संग्रह,मिलन,जबलपुर ने प्रकाशित की थी । चौबीस कहानियों में सभी कहानियाँ एक से बढकर एक हैं।
पूर्णिमा वर्मन जी ने मुझे दूर से.....[यानी शारजाह से ] दूर तक पहुँचने का रास्ता दिखाया "शायर-फेमिली" वाली श्रद्दा जैन , पारुल…चाँद पुखराज का वाली पारुल जी , सभी ने सहारा दिया अंतर जाल से जुडे रहने के लिए सव्य-साची का आशीषा जो हूं - जो कहानी कहते-कहते सो गयी माँ .....? मैं तो अपनी जिन्दगी में मातृ-शक्ति का ऋणी हूँ.... यदि महिला रचनाकारों के लिए जो भी कुछ कर रहा हूँ वो मेरा दायित्व है ...अस्तु अब आगे चलें Udan Tashtari जी की टिप्पणी से उत्साहित हूँ सो दीदी के बारे में आगे लिख रहा हूँ ..........
संध्या दीदी यदि वर्ष 1960 के अक्टूबर माह की पहली तारीख को जन्म न लेकर अगले दिन जन्मतीं तो दुनियाँ भर में गांधी जी के साथ उनका जन्म दिन भी मनाया जाता है....एम० ए० हिन्दी साहित्य,तथा परसाई पर डाक्टरेट पाने वाली संध्या जी की पहली कृति "आकाश से आकाश तक " में शुभ कामना में ज्ञानरंजन जी ने कहा कि -" इन कहानियों में एक ऐसी स्त्री हस्तक्षेप करती जिसके भीतर पुराना मर्म,भावनात्मकता,आदर्श और आवेग,संवेदनात्मक-विचलन कुछ बचा हुआ है,समाप्त नहीं हुआ...!
प्रथम कथा संग्रह में संध्या जी जो मध्यम दर्जे के शहर की,मध्यम-वर्गी , परिवार की पृष्ठ भूमि का गहरा प्रभाव ज्ञान जी ने देखा । साथ मध्य-वर्गीय केनवस् से मोह छोड़ने की सलाह देकर आश्वस्त करते हैं कि संध्या मोह छोड़ के प्रथम पंक्ति में आजाएंगी"
मेरी राय दादा ज्ञान जी से भिन्न है मैं न तो मध्यम वर्ग के प्रति पूर्वाग्रही हूँ और न ही पूर्वाग्रही होने की सलाह दूंगा ।
डाक्टर त्रिभुवन नाथ शुक्ल जी हिन्दी विभाग प्रमुख की पाठकों को सलाह "संक्रमण की स्थिति में श्रुति की कहानियों का स्वागत होगा "में दम लगती दिखाई देती है......!
प्रसिद्ध व्यंग्य कार श्रीराम ठाकुर "दादा" भी इनके लेखन को जिम्मेदारी भरा लेखन मानतें है.
{शेष जारी => }

10.2.08

प्रेमिका और पत्नी



प्रिया बसी है सांस में मादक नयन कमान
छब मन भाई,आपकी रूप भयो बलवान।
सौतन से प्रिय मिल गए,बचन भूल के सात
बिरहन को बैरी लगे,क्या दिन अरु का रात
प्रेमिल मंद फुहार से, टूट गयो बैराग,
सात बचन भी बिसर गए,मदन दिलाए हार ।
एक गीत नित प्रीत का,रचे कवि मन रोज,
प्रेम आधारी विश्व की , करते जोगी खोज । ।
तन मै जागी बासना,मन जोगी समुझाए-
चरण राम के रत रहो , जनम सफल हों जाए । ।

दधि मथ माखन काढ़ते,जे परगति के वीर,
बाक-बिलासी सब भए,लड़ें बिना शमशीर .
बांयें दाएं हाथ का , जुद्ध परस्पर होड़
पूंजी पति के सामने,खड़े जुगल कर जोड़

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...