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धर्म और संप्रदाय
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5 टिप्पणियां:
चलिये अच्छी शुरूआत की, अगली बार ट्राई कीजिये, थोड़ा सा साउंड भी दीजिये और पिक्चर मिलती हुई डालें, जैसे सुन्दरियों को दिखाते दिखाते पानी ना दिखायें या पानी समुद्र दिखाते दिखाते अचानक कोई सुन्दरी ना दिखायें। और फोटो टाईटिल से मैच करती हुई दिखाये। आपके इस विडियो की फोटो टाईटिल से बहुत असम्बद्ध लगती हैं।
चलिये इसी बहाने नर्मदा मैय्या के दरशन हो गये,और बंदर-कूदनी भी देख ली,मगर मां नज़र नही आई। आपको नये प्रयोग की और दशहरे की बहुत-बहुत बधाई।
अरे वाह आप ने तो एकता कपुर के नाटको की मांऎ दिखा दी, या फ़िर फ़िल्मी मांऎ, चलिये यह भी किसी की तो मां होगी ही, लेकिन इन्है देख कर मां जेसी भावनाये नही आई मन मै, ओर ना ही यह मां जेसी तो क्या बहन जेसी भी नही लगी,
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं !!!!
धन्यवाद
जी
बिल्कुल सही दादा
आप जानते हो इन शरीरों का अपना
एक अर्थशास्त्र होता है न माया नगरी
में !बोल्ड होने के नाम पर आज के शुक्राचार्यों
ने इनसे क्या क्या नहीं कराया
तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
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