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अक्तूबर, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"चिंता ही नहीं चिंतन भी : हालत-ए-महाराष्ट्र "

काफ़ी हाउस में मित्रों के बीच हुई चर्चा के संपादित अंश आपसे शेयर करना चाहता हूँ " धर्मदेव" , और राहुल राज , के मामलों के बीच झूलता है एक सवाल की क्या मेरा देश भी कबीलियाई संरचना की , ओर जाने तैयार है..........? यदि हाँ तो इसकी सीधी जिम्मेदारी किसकी है । कल ही मित्र मंडली के साथ हुई चर्चा में में साफ़ हुआ की हरेक उस विषय को सियासत से दूर दूर रखना अब ज़रूरी हो गया है जो पूर्णत: सामाजिक हों ....! यानी सियासत ओर सियासियों को सामाजिक बिन्दुओं से दूर ही रखना ज़रूरी है ताकि कोई भी लालसा सामाजिक-संरचना को असामाजिक स्वरुप न दे सके । इस के लिए ज़रूरी है यानी ऐसे इन जैसे ,लोगो को जो अदूरदर्शी हैं को सामाजिक सरोकारों से परे रखना ही होगा। समाज विज्ञानी विश्व विराट के उत्कर्ष की सोच लेकर अपना अध्ययन सार साहित्य को देता है जबकि राजनीतिक पृष्ठ पर ऐसा कदापि नहीं है । सभी खजानो को लूटने इन हथकंडों की आज़माइश पे लगातार आमादा होते हैं । ओशो की सोच ,इस समय समयानुकूल ही है:-" लोग भय में जी रहे हैं, नफरत में जी रहे हैं, आनंद में नहीं। अगर हम मनुष्य के

श्रीमती गुप्ता बैक होम फ्रॉम मिसेज श्रीवास्तव,मिसेज जैन,मिसेज पांडे, ..

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"खज़ाना" में सुबह छापे इस आलेख को यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ दीपावली की धूमधाम भरी तैयारीयों में इस बार श्रीमती गुप्ता ने डेरों पकवान बनाए सोचा मोहल्ले में गज़ब इम्प्रेशन डाल देंगी अबके बरस बात ही बात में गुप्ता जी को ऐसा पटाया की यंत्र वत श्री गुप्ता ने हर वो सुविधा मुहैय्या कराई जो एक वैभव शाली दंपत्ति को को आत्म प्रदर्शन के लिए ज़रूरी था । इस " माडल " जैसी दिखने के लिए श्रीमती गुप्ता ने साड़ी ख़रीदी गुप्ता जी को कोई तकलीफ न हुई । घर को सजाया सवारा गया , बच्चों के लिए नए कपडे यानी दीपावली की रात पूरी सोसायटी में गुप्ता परिवार की रात होनी तय थी । चमकेंगी तो गुप्ता मैडम , घर सजेगा तो हमारी गुप्ता जी का सलोने लगेंगे तो गुप्ता जी के बच्चे , यानी ये दीवाली केवल गुप्ता जी की होगी ये तय था । समय घड़ी के काँटों पे सवार दिवाली की रात तक पहुंचा , सभी ने तय शुदा मुहूर्त पे पूजा पाठ की । उधर सारे घरों म

हमारे समूह का ओशो : सलिल समाधिया और धन को तरसाती धन तेरस

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धन को तरसता पूंजी-बाज़ार और जबलपुर जैसे कस्बाई शहर  500  के आसपास कारों का बिकना.एक अजीबोगरीब अर्थशास्त्रीय संरचना को देखकर आप भौंचक न हों समयांतर में इस आर्थिक संरचना को आप समझ पाएंगे की कहीं यह महामंदी एक आर्टिफीशियल तो नहीं  ? कल जब मुझे धन को तरसाती तेरस के अवसर पर टेलीफोन कंपनियों  , व्यावसायिक प्रतिष्ठानों , और अमीर मित्रों ने “धन-तेरस ” की शुभकामनाएं दीं तो मुझे लगा आज़कल आमंत्रण के तरीके कितने अपने से हो गए हैं चलो किसी एक प्रतिष्ठान पे चलें सो फर्निचर वाले भाई साहब की दूकान पे पहुंचा जो मुझे जानता था । यानी की उसे मालूम था कि मैं ओहदेदार हूँ सो मुझे देखते ही सपने सजाने लगा मैंने पूछा : भई , पलंग ………. ? मेरे पीछे चिलमची लगा दिए गए पलंग दिखाने पूरी इस हिदायत के साथ कि :-”भई , घर में जाएगा पलंग बिल्लोरे जी कस्टमर नहीं हैं हमाए मित्र “ मालिक के मित्र के रूप में हमको  5000/_  से  50000/_  वाले एक से एक पलंग दिखाए गए सबकी विशेषताएं गिनें गईं और हर बार कहा सा ‘ ब “फ़िर आप सेठ जी के मित्र हैं हम कोई ग़लत चीज़ थोड़े न बताएंगे “ हम ठहरे निपट गंवार सो हमको घर में पड़े पुराने पलंग की याद

प्रवासी पंछी का का ब्लॉग !!

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संगीत-मयी यात्रा पे निकला ये प्रवासी पाखी जिसे Arvind के नाम से जाना जाता है जो मुड - मुड अपने गुजरात को देखता भारत को देखता है और रोज़ अंतर्जाल पे बातें होतीं हैं भारत की कला साहित्य की आज तो मुझे उनके तरेसठ हज़ार से अधिक मित्रों की लिस्ट है इतने कुल वोट पडतें हैं असेम्बली के चुनाव में कहीं कहीं .....!! आप इनको मेल कर सकतें है :- arvindvpatel@hotmail.com , arvind.arvind1uk@gmail.com इनके ब्लॉग का यू आर एल है :http://dreamsatdawn।blogspot.com/ : "Dreams At Dawn-A Musical Journey " बस एक-चटका हो जाए " अरविन्द जी सभी ब्लागर'से की ओर से हार्दिक शुभ कामनाएं " "अंत में चर्चा चर्चा की " => इधर ताऊ पे चर्चा कर चिठ्ठा पे कमेन्ट कराने वाले भी विवेक भाई को डरा रहे हैं कि ताऊ की बगैर अनुमति के अरे भाई ताऊ और राखी में फरक होगा ही कोई वे मीडिया के सामने ...... चीख- 2 के सचाई थोड़े बता देंगें चिंता करे चिता मन विवेक जी आप तो जारी रहो हर चर्चा में भारी रहो चर्चित भाइयो आप चर्चा मंडली के आभारी रहो । अपन तो

महिला मित्र का आभार जिनके कारण ............!!

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"दीपावली का उपहार" भेजने वाली मित्र को सादर नमन करते हुए बता दूँ की जितना नशा इन सभी में एक साथ मिलता है वह इस विरहनी-लावण्या विरह का हजारवें भाग के तुल्य भी नहीं हैं ? { अपनी इन मित्र का आभारी हूँ जिनने मुझे शराब , की बोतलों का खजाना भेजा वर्ना यह पोस्ट न लिख पाता } यह विरह ईश्वर के प्रेम में पगी आत्मा को ही महसूस होता है न कि हर आत्मा को । ये , इश्क़ में घायल आवाज़ गोया , - ग़म ,को बयाँ करती सुनाई दे रही होगी आपको सुनाई दे भी क्यों न ........? इश्क हा ही ऐसी चीज़ आज़माना है तो आज़माइए किंतु याद रखिए मेरी इस बात को ------ इश्क कीजे सरेआम खुलकर कीजे.... भला पूजा भी कोई छिप-छिप के किया करता है ? पाकीज़ा जिंदगियां पाप की पडोसन , बनाना कभी न चाहतीं हैं और न चाहेंगी। किंतु हम क्या करें जब मन भीगा हो तो साँसें भी कभी सूखी रह सकतीं हैं ...... समीर लाल जी जो देसी मानस लेकर बिदेसिया हो गए है संगी कविताई करने वालों के साथ टी वी स्टूडियो में गए और कने लगे की ये लो भई-टीवी पर भी आ लिए, मैं ये तो नहीं कहूँगा की जं

निर्मल ग्राम बनाने की कोशिश :पुरस्कार के लिए नहीं सोच बदलने की तैयारी

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" निर्मल गाँव के आँगन वाड़ी केद्रों के लिए प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला संपन्न " जबलपुर दिनांक 22 / 10 / 2008 जबलपुर विकास खंड के अंतर्गत नवीन प्रस्तावित निर्मल पंचायतों के 65 आँगनवाड़ी केन्द्रों के लिए आज एक दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्य शाला का आयोजन स्थानीय माखनलाल चतुर्वेदी सभागार में किया गया . कार्यशाला में प्रशिक्षण के दौरान आँगन वाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं किशोरियों के लिए कार्य निर्देश दिए गए . जिला पंचायत जबलपुर से उपस्थित श्री आशीष व्योहार ने बताया की जिन शासकीय भवनों में आँगन वाड़ी केन्द्र सचालित हैं तथा उनमें शौचालय निर्माण नहीं किए जा सके हैं उनके लिए एक सप्ताह में आवश्यक राशि जारी कर दी जावेगी . निर्मल ग्राम बनाने के लिए समग्र रूप से समन्वय , जन जागरण , स्वच्छता बनाए रखने के उपाय , केन्द्र की आतंरिक एवं बाह्य स्वच्छता , तथा व्यक्तित्व विकास पर केंद्रित बिन्दुओं पर बाल विकास परियोजना अधि

समीर यादव एक उत्कृष्ट यात्रा पर......!!

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" इस चित्र का इस पोस्ट से अंतर्संबंध कुछ भी नही बस जैसे लगा इसे भी आपको दिखाना है सो छाप दी समीर यादव की रचना शीलता ,चिंतन,सब साफ़ सुथरा और मोहक भी है । इनके ब्लॉग " मनोरथ '' में प्रकाशित पोष्ट शहीद पुलिस स्तरीय बन पडी है ।समीर भाई सच एक उत्कृष्ट यात्रा पर हैं । वहीं मेरी एक अन्य नम्रता अमीन का ब्लॉग गुजराती से हिन्दी की ओर आता नज़र आ रहा है ब्लॉग का शीर्षक है :- "કહો છો તમે કેમ? उधर कुन्नू भिया यानी अपने कुन्नू भैया की पोष्ट ईसबार Free Submission वाला साईट बनाया हूं। देख लें... 'का वाचन ज़रूर कीजिए । निरन्तर -हमको कुछ न कुछ अच्छा करते रहना चाहिए ताकि "ब्लाग- कालोनी का नज़ारा करते वक्त उनकी नज़र " , कदाचित आप पर पड़ जाए । टुकडे अस्तित्व के -, को भी नकारा न जाए क्योंकि शून्य में से शून्य के निकलते ही शून्य फ़िर शेष रह जाता है। चलिए अब आप अपना पना पता दे दो ताकि अपन भी आपके ब्लॉग को देख आएं । मीडिया नारद पर -"राज क्यों बने राज" बांचना न भूलिए " तो फ़िर मन को भावुक करे वाला ब्लॉग - मिस यू पापा...... आज ही नहीं सदैव देखने लायक

भारत में महाभारत

"अनूप जी"की एक लाइना देख कर लगता है की एक दूसरे से जुड़ने में कितना आनंद है । ' अनपेक्षित विवाद को लेकर जो बबाल मचा "उस पर अनूप जी ने बस इतना कहा लिखते रहिए !" वास्तव में लिखने की धारा में कमी न हो उनका उद्द्येश्य है इसके पीछे । इसमें बुराई क्या है अगर बुराई है तो "इनके" कार्यो में रचनात्मकता की चेतना के अभाव को देखा जा सकता है । राज ठाकरे जैसे व्यक्तियों को कितना भी को हजूर के कानों में जूँ भी न रेंगेगी तो ये भी जान लीजिए हजूर " जिंदगी "से हिसाब मांगती रहेगी कल की घड़ी तब आप भौंचक रह जाएंगे और तब आपके आंसू निकल आएँगे ये तय है। ये हम नहीं लोगों का कहना है जिन को आप क्षेत्र,भाषा,धर्म,प्रांत,के नाम पर तकसीम कर रहें हैं । "वशीकरण, सम्मोहन व आकर्षण हेतु “' किसी यन्त्र, का या "मन्त्र"-का उपयोग करिए । "ताना-बाना " बिनतीं, विघुलता का स्वागत विघुलता जी एक अच्छी साहित्य कार होने के साथ साथ पत्रकारिता से भी सम्बद्ध हैं -का उनका हार्दिक सम्मान आपक

"आओ मुझे बदनाम करो.....!!"

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उस दिन शहर के अखबार समाचार पत्रों में रंगा था समाचार "श्रींमन क के विरुद्ध जन शिकायतों को लेकर हंगामा, श्रीमान ख के नेतृत्व में आला अधिकारीयों को ज्ञापन सौंपा गया ?" नाम सहित छपे इस समाचार से श्री क हताशा से भर गए वे उन बेईमान मकसद परस्तों को अपने आप में कोसते रहे किंतु कुछ न कर सके राज़ दंड के भय से बेचारगी का जीवन ही उनकी नियति बन गया . श्री क अपने एक पत्रकार मित्र से मिलने गए उनने कहा-"भाई,संजय इस समाचार में केवल अमुक जी का व्यक्तिगत स्वार्थ आपको समझ नहीं आया ? " यदि है भी तो भैया जी, मैं क्या करुँ मेरी भी तो ज़िंदगी का सवाल है जो गोल-गोल तभी फूलतीं हैं जब मैं अपने घर तनखा लेकर आता हूँ.....! तो ऐसा करो भइयाजी,मेरी इन-इन उपलब्धियों को प्रकाशित कर दो अपने लीडिंग अखबार में ! ये कहकर श्रीमान क ने अपनी उपलब्धियों को गिनाया जो वे सार्वजनिक करने से कल तक शर्माते थे . उनकी बात सुन कर संजय ने कहा "भैयाजी,आपको इन सब काम का वेतन मिलता है ,कोई अनोखी बात कहो जो तुमने सरकारी नौकर होकर कभी की हो ?" श्रीमान क -"अनोखी बात

मन का पंछी खजाने उंचाइयां !!

मन का पंछी मन का पंछी खोजने ऊँचाइयाँ, और ऊँची और ऊँची उड़ानों में व्यस्त हैं। चेतना संवेदना, आवेश के संत्रास में, गुमशुदा हैं- चीखों में अनुनाद में। फ़लसफ़ों का , दृढ़ किला भी ध्वस्त है। मन का पंछी. . . कब झुका कैसे झुका अज्ञात है, हृदय केवल प्रीत का निष्णात है। सुफ़ीयाना, इश्क में अल मस्त है- मन का पंछी. . . बाँध सकते हो तो बाँधो, रोकना चाहो तो रोको, बँधा पंछी रुका पानी, मृत मिलेगा मीत सोचा, उसका साहस और जीवन इस तरह ही व्यक्त है।। मन का पंछी. . .

पड़ोसी के घर की गन्दगी

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(फोटो:साभार गूगल ) (यह बोध कथा मेरी लिखी तो नहीं है पर जिसने भी लिखी है ज़बदस्त लिखी है कल ही मेरे घर सत्य साईं सेवा समिति के स्टडी-सर्कल में मेरे मित्र अविजय ने उदाहरण के तौर पर अपने वक्तव्य में कोड की जो आपके लिए सादर पोस्ट कर रहा हूँ रोचक बनाने के लिए कुछ हेरा फेरी कर रहा हूँ ) एक से दूसरे घर मुंबई में इतने करीब होते हैं कि उनमें तांक-झाँख को कोई रोके सम्भव नहीं . दीपाली के पति मुंबई में पोस्टेड हुए . पोस्टिंग क्या शादी के तुंरत बाद की ऐसी पोस्टिंग बहुधा लंबे हनीमून का रस देती है.फुर्सत में दीपाली को समझ नहीं आता कि वो करे तो करे क्या ? पति सुदेश के ऑफिस जाते ही फुल टाइम बोरियत से बचने थोडी देर टी वी देखना,फ़िल्म लगा लेना,अखबार पढ़ना, धीरे-धीरे उसे उबाऊ लगाने लगे ये काम . एक दिन रेशमी परदा खोलते ही पास वाली सोसायटी के उस फ्लेट पर नज़र टिक गई जिसमें सब कुछ गंदा दिखा दीपाली को . अब रोज़ गंदे से फ्लेट की तांक-झाँक का क्रम जारी हो गया उस फ्लैट में , इस रोजिया कारोबार से दीपाली को मज़ा आने लगा . फ़िर उस घर की गन्दगी को चटकारे लगा के शाम सुदेश को सुनाना उसका नियमित कारोबार हो गया ! मह

भारती सराफ : वीडियो स्मृतियाँ

भारती सराफ चित्र मयी "स्मृतियाँ "

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"संस्कारधानी जबलपुर की चर्चित कोरीओग्राफ़र :स्वर्गीय भारती सराफ "

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14 अक्टूबर 1976 को पिता श्री भगवान दास सराफ - माता श्रीमती विमला देवी के घर दूसरी बेटी को रूप में जन्मी " भारती सराफ " जो एक दिन कत्थक का माइल -स्टोन बनेंगी कोई नहीं जानता था.... ! किंतु पत्थरों के इस शहर की तासीर गज़ब है कला साधना करते यहाँ कोई हताश कभी न हुआ था न होगा ये तो तय शुदा है......! कुमारी भारती सराफ का जीवन कला साधना का पर्याय था ।शरदोत्सव 07 की एक शाम मुझे अच्छी तरह याद है जब मुझे भी ज़बावदारी का एहसास करा गयी थी भारती जी हाँ ......मुझे याद आ रहा है वो चेहरा सांवली गुरु गंभीर गहरी आंखों वाली भारती पिछले बरस अपने कलाकारों को इकट्ठा कर साधन का इंतज़ार कर रही थी मैंने उसे उस बस में बैठा ना चाहा जो कलाकारों को लाने ले जाने मुझे लगा भारती के चेहरे पर कोई चिंता है सो पूछ ही लिया -क्या,कोई परेशानी है ? "सर,बस तो गलियों में नहीं जाएगी " "हाँ,ये बात तो है...! फ़िर क्या करुँ.....?" "................"एक दीर्घ मौन गोया कह रही हो की सर कोई रास्ता न

भारती सराफ : जो शरदोत्सव की शुरुआत करतीं थी : इस बार उनके बिना होगी शुरुआत

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भारती जिनकी स्मृतियाँ अब शेष हैं जबलपुर की नृत्य गुरु " भारती - सराफ " पर विस्तृत जानकारी के लिए प्रतीक्षा कीजिए

हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट एवं ब्लॉग वाणी से साभार :एक लाइन की चर्चा

अंकुर राय का गाना: सुनते रुकिए भाई अभी अमर सिंह को सुन लें अनिल-सोनम कपूर:चार भावमुद्राएं: ,-बासी .....में उबाल रंग भेद, काली रे काली रे...और ये काली कलूटी के नखरे बड़े...:_उठाने तो होंगे ही , शेयर बाजार को इंतजार ब्रेकआउट का=>"तोब्रेकिंग कर लीजिए " एनीमेशन के संसार में मानवीय संवेदनाएं=>"बस अब यहीं मिलेंगी " सांध्य गीत: सुबह सुबह..............? खाली हाथ आया है...खाली हाथ जाएगा:-तो क्या ऐ टी एम् साथ में ले जाए ्यों, साहित्यकारों की रजाई खींच रहे हो:-"और जब ये लोग कुरते खींच रहे थे तब आप चुप्पी थाम के बैठे थ....क्यों ? " लिव इन रिलेशनशिप.......चलो ब्याह का खर्चा बचा...... त्रेता के योद्धा नहीं लड़ सकते द्वापर की लड़ाई:-और कलयुग में आगे चेकिंग है.........टिकट नहीं है पतली गली से सटक लो सबका अपना-अपना तरीका है......:- काफी पुरानी बात है भैया ताज़ा समझ रहे हैं ? चार सौ बीस - यहीं न रिक जाना भृतहरि शतकः काम पर नियंत्रण करने वाले विरले ही वीर होते हैं :- वियाग्रा के युग की उलट बासी और अंत में क

एक लाइन की चर्चा :

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आज सोच रहा हूँ चर्चा करुँ चिट्ठों पर कुछ ग़लत लिख जाए तो टिपिया देना भाइयो और बहनों वास्तव में चिट्ठों को चर्चित करना उद्देश्य है न की किसी को दु:खी करना केवल ब्लाग्स के शीर्षकों को बांच के यूँ ही कुछ कहने से कैसा लगेगा चिरकुट चर्चा :- अमर सिंह की एक और चिरकुटाई यह शाम फिर नहीं आयेगी: -अच्छा ....?तो शाम बंद करने का आदेश इनको पृष्ठांकित हुआ है.......! रावण तो हर दौर में रुलाएगा ही... :-यदि आप इनको चुन के भेजते रहे तो.....इनको चुनो मत चिनो..भाई इंतजार भी कितनी खूबसूरत होती है.. है ना? :- इंतज़ार करोगी तो खूबसूरत होगा और इंतज़ार करोगे तो खूबसूरत होगी आप कर रहें हैं या कर रहीं हैं ? मनोरोगी और हम लोग. :- veerubhai बीच में "और" लिख के कर दिया न लफडा ? मोमबत्ती की रोशनी में कवितापाठ :- पावर कट के दौर में इससे ज़्यादा आप भी क्या करते ? वीर में योद्धा बनेंगे सलमान :- फ़िर से शिकार करने जा रहे हैं चिंकारा का.....? जल्द शादी करना चाहता हूं: राहुल भैया क्या इस मसले को भी सरकारी मंजूरी दिलाएंगी मम्मी ? गुरु दत्त , एक अशांत अधूरा कलाकार ! .............हमारी भी भावुक श्रद्धांजली "ये

बुन्देली समवेत लोकगीत:बमबुलियाँ:

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पढ़ें लिखों को है राज बिटिया ....$...... हो बाँच रे पुस्तक बाँच रे ....... बिन पढ़े आवै लाज बिटिया बाँच रे हो ..... पुस्तक बाँच रे .......!! [01] दुर्गावती के देस की बिटियाँ .... पांछू रहे काय आज बिटिया ........ बाँच ...... रे ...... पुस्तक बाँच ........! [02] जग उजियारो भयो .... सकारे मन खौं घेरत जे अंधियारे का करे अनपढ़ आज रे बाँच ...... रे .... बिटिया .. पुस्तक बाँच ........! [03] बेटा पढ़ खैं बन है राजा बिटियन को घर काज रे ..... कैसे आगे देस जो जै है पान्छू भओ समाज रे ..... कक्का सच्ची बात करत हैं दोउ पढ़ हैं अब साथ रे .............!! गिरीश बिल्लोरे मुकुल 969/ ए -2, गेट नंबर -04 जबलपुर म . प्र . MAIL : girishbillore@gmail.com इस विषय पर आलेखhttp://billoresblog.blogspot.com/2008/10/blog-