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रविवार, अक्तूबर 05, 2008

चिट्ठा-चर्चा" के बहाने :एक चर्चा और !











हिन्दी में चिट्ठों का सफ़र,निरंतर जारी है आप रात तीन बजे भी अगरचे http://chitthacharcha.blogspot.com/
लिंक पे चटका लगाएंगे तो कोई-न-कोई चिट्ठा प्रसूता होगा आपके सामने । शायर परिवार की श्रद्धा जैन सिंगापुर से ग़ज़ल भिगो रहीं हैं स्वयं भीगी गज़ल के ज़रिये जब की उनके ब्लॉग पे भारी भीड़ रहती है । चिट्ठाकारी के इस उदाहरण से स्पष्ट है की चिटठाकारी का आकर्षण इन एग्रीगेटरों ने बढाया है चाहे वो ब्लागवाणी हो http://www.blogvani.com/
या कि चिट्ठाचर्चा अथवा कोई और सभी चाहतें हैं हिन्दी ब्लागिंग को बढावा देना...?रही बात थोडी खटर-पटर की सो जहाँ "चार बरतन..........ज़रूर...?" बस टूटें कभी इसी मंगल कामना के साथ पोस्ट लिख रहा हूँ अपुन ने तो चिट्ठा कारी शुरू की थी अपने भतीजे आभास जोशी को पापुलर कराने के लिए वास्तव में नेट ऐसी जगह है जो आभासी होने के बावजूद सर्जन का बेहतरीन मंच तभी हम यहाँ ठहर गए और जारी हैं हमारी गुरु हैं पूर्णिमा जी और श्रद्धा जी हिंद युग्म ने भी कम उत्साह वर्धन नहीं कियामेरा इन ब्लागों पर नियमित आनाजाना लगा रहता है
"किंतु नामचीन व्यक्तित्व जो ब्लॉगर के रूप में है से मुझे शिकायत है कि "वे केवल आत्म-मुग्धता" नाम की बीमारी से ग्रसित हैं । अत: मित्रो मेरी व्यक्तिगत राय है कि इनसे आकर्षित होने कि कदापि ज़रूरत नहीं । केवल उनको सराहें जो ताज़ा हों अथवा ब्लागिंग के लिए समर्पित हों ।"
ताऊ रामपुरिया ,
पद
कविता
वाचक्नवी
mamta
PREETI BARTHWAL
उडन तश्तरी ....
vijay gaur/विजय गौड़ ,
इरफ़ान
संजीव तिवारी
वर्षा
sidharth
रजनीश के झा (Rajneesh K Jha)
Ambesh Kumar सिसोदिया

[चित्र:स्टील फोटो ग्राफी के सत्यजीत रे स्वर्गीय शशिन यादव /उनके पुत्र मेरे मित्र भाई अरविन्द यादव से आभार सहित]

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