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रविवार, नवंबर 02, 2008
रविवार शाम ढलते-ढलते एक ब्लॉग चर्चा !!
"प्यार करते हैं",बयाँ भी किया करतें है हज़ूर ये न करें तो बवाल मचने का पूरा खतरा है की कहीं कोई पूछ न ले कि क्या हम प्यार कर रहे थे ...?। कुछ बेतुकी, और अनाप शनाप बाते,यकीनन आहिस्ता आहिस्ता..ही समझतें है लोग यदि न करें तो क्या करें भैया एक ब्लॉगर भैया ने किसी की '' पोस्ट ",क्या चुराई यमराज ने , " गीता - सार बता दिया जैसे ही सुमो, पहलवान ने जो बताया उससे सबको कुछ और पता चला । खैर जो भी हो उधर बात ज़्यादा नहीं बढेगी बस छोटे-बड़े का ओहदा तय होगा कहानी अपने आप ख़तम हो जाएगी ।मुम्बई से बाहर जा सकता है भोजपुरी फिल्म उद्योग यदि तो "भइया""जबलपुर - "आ जाना अपन इंतज़ाम कर देंगे यहाँ सबई कछु उपलब्ध है । आपका इंतज़ार रहेगा हम तब तक रख लिए हमने "तकिए पर पैर" और भोजपुरी निर्माताओं के निर्णय का इंतज़ार कर रहे हैं । राज के राज में मनोज बाजपेई, ,की किसी सांकेतिक पोस्ट का न आना अभिव्यक्ति पर सेंसर शिप जैसा है। जानते है जल में रह कर मगर से बैर ...........?
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