तुम मेरे साथ एक दो क़दम ........
तुम मेरे साथ एक दो क़दम चलने का अभिनय मत करो एक ही बिंदू पर खड़े-खड़े दूरियां तय मत करो..! तुमको जानता हूं फ़ायदा उठाओगे - मेरे दुखड़े गाने का मुझे मालूम है तुम मेरे आंसू पौंछने को भी भुनाते हो तुम सदन में मेरे दर्द की दास्तां सुनाते हो ! तुम जो हमारी भूख को भी भुनाते हो ! तुम जो कर रहे हो उसे “अकिंचन-सेवा” का नाम न दो..!! जो भी तुम करते हो उसे दीवारों पर मत लिखो ..!! तुम जो करते हो उसमें तुम्हारा बहुत कुछ सन्निहित है मित्र ये सिर्फ़ तुम जानते हो..? न ये तो सर्व विदित है…!