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सोमवार, दिसंबर 19, 2011

ब्लाग क्यों बांचें भई ?

साभार: रायटोक्रेट कुमारेंद्र जी के ब्लाग से 
हिंदी ब्लागिंग अब व्यक्तिगत-डायरी की संज्ञा से मुक्ति की पक्षधर नज़र्  आ रही है. इस विषय की पुष्टि इन दिनों आ रही पोस्ट से सहज ही हो जाती है . कुछ ब्लाग्स पर गौर करें तो बेशक वे सामयिक परिस्थितियों पर त्वरित अभिव्यक्ति की तरह सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ ब्लाग्स अपनी विषय परकता के कारण पढ़े जा रहे हैं.   यानी  एक ग़लत फ़हमी थी बरसों तक कि ब्लाग केवल व्यक्तिगत मामला है किंतु हिन्दी ब्लागिंग में माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर को छोड़ दिया जाए तो अब ऐसी स्थिति नहीं अब तो ट्विटर पर भी विषय विस्तार लेते नज़र आ रहे हैं. हिंदी ब्लागिंग का सकारात्मक पहलू ये है कि अब लोग स्वयम से आगे निकल कर बेबाक़ी से अपनी बात सामाजिक राजनैतिक वैश्विक मामलों पर रखने लगे हैं. ज़ी-न्यूज़ दिल्ली के सीनियर प्रोड्यूसर खुशदीप सहगल के ब्लाग देशनामा www.deshnama.com  पर समसामयिक मसलों पर  आलेखों की भरमार है तो दिल्ली के मशहूर व्यवसायी राजीव तनेजा आम जीवन से जुड़ी घटनाऒं एवम परिस्थियों से उपजे हास्य को पेश करते नज़र आते हैं अपने ब्लाग “हंसते-रहो” ( http://www.hansteraho.com), भाषा,शिक्षा और रोज़गार(http://blog.eduployment.in) ब्लाग पर आपको शिक्षा और रोज़गार से सम्बंधित ताज़ा तरीन सूचनाएं मिल जाएंगी. उधर एक अनाम ब्लागर भारतीय नागरिक ब्लाग(http://indzen.blogspot.com) पर सामयिक परिस्थितियों पर तल्ख त्वरित टिप्पणी सरीखे आलेख मिल ही जाएंगें.  पश्चिम बंगाल कलकत्ता के  अमिताभ मीत जी एक संगीत भरा किससे कहें (http://kisseykahen.blogspot.com) ब्लाग चलाते हैं. जिसमें हिन्दुस्तानी फ़िल्म एवम फ़िल्मों से हटकर संगीत से सम्बंधित सूचनाएं अटी पड़ीं हैं.    रविरतलामी जी हिंदी ब्लागिंग में नवीन तम तक़नीकों के अनुप्रयोग के लिये साधन एवम जानकारी “छींटे और बौछारें” (http://raviratlami.blogspot.com) पर देते हैं . ये केवल उदाहरण है कमोबेश सभी ब्लाग्स जो विषयाधारित आलेखन कर रहे हैं उन पर पाठकों की निर्बाध आवाजाही आज़ भी जारी है जब कि एग्रीगेटर्स का टोटा है यदि एग्रीगेटर है भी तो वे ब्लागवाणी अथवा चिट्ठाजगत का स्थान नही ले पाए. फ़िर भी संगीता पुरी जैसी ब्लागर लाख पाठक जुटाने में कामयाब हुईं हैं. तो हम भी पचास हजारी हो ही चुके हैं.  अमीर धरती गरीब लोग, स्वास्थ्य-सबके लिए, आरंभ Aarambha, गिरीश पंकज, अभिनव अनुग्रह, तीसरा खंबा, ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र, भारतीय नागरिक-Indian Citizen, अविनाश ,अर्पित सुमन :तेरा साथ वाचस्पति, आर्यावर्त, उच्चारण, जैसे ब्लाग नियमित रूप से बांचे जा रहे हैं...इनकी पठनीयता का कारण इनमें पठनीय-तत्व का होना है. ये ही नहीं और भी कई ऐसे ब्लागस हैं जिन तक पाठकों का पहुंचना तय है.

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