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मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

महफूज़ अली : Part-02

अनूप जी ने कहा :-
अनूप शुक्ल said... बाकी तो सुनकर पता चलेगा लेकिन भारत के ब्लॉगर्स की एक लिस्ट यहां भी है। इनमें से एक अमित अग्रवाल की पोस्ट्स अप्रैल 2001 की हैं। जानकारी के लिये बता दें कि इंडीब्लॉगीस के 2003 के नामीनेशन में लाइफ़टाइम अचीवमेंट के लिये जिन दो ब्लॉग नामित हुये थे उनमें से एक जुलाई 1999 से ब्लॉग लिख रहे हैं। महफ़ूज अली में खूबियां ही खूबियां हैं लेकिन पहला ब्लॉगर सबसे पहला ब्लॉगर (जिस सबसे पहले ब्लॉग का आज पता ही नहीं है) लिखने के पहले तथ्य जांच लेते तो शायद अच्छा होता! 
विवेक जी ने भी बताया  
Vivek Rastogi said...जहाँ तक हम जानते हैं सबसे पुराने हिन्दी ब्लॉगर जीतू भाई को हम जानते हैं जो कि सितंबर २००४ से हिन्दी ब्लॉग संचालन कर रहे हैं।http://www.jitu.info/merapanna/?page_id=300
मेरा पन्ना देखिये
आप यहाँ देख सकते हैं, पोडकॉस्ट सुना नहीं है शाम को सुन पायेंगे। ______________________________________________________________________________
  • आप सभी ने देखा होगा पाडकास्ट  सुनने के पहले यदि आप ने कुछ पढ़ा हो तो ये ज़रूर पढ़ा होगा 

{पोस्ट हैडर को देख आप हैरान होंगे मैं लिख कर खुद हैरान हूँ. यदि आप जानते है. किसी ऐसे ब्लॉग लेखक या लेखिका को जो महफूज़ भाई से भी पहले के भारतीय ब्लॉगर हैं तो अवश्य सूचित कीजिये. उनसे  खुद महफूज़ भाई और मुझे मिलकर ख़ुशी होगी. आपको भी.... }
 इस बहाने ये तो तय हुआ कि सभी महानुभाव इस बात की पता साजी कर रहें हैं कि पहला कौन भाई कहीं कोई दावा नहीं किया किन्तु निवेदन किया कि कोई महानुभाव/महानुभावा इस बात को जानतीं हैं कि पहला ब्लॉगर कौन है अवश्य बताएं अनूप जी ने बताया सटीक रहा मामला किन्तु रचना जी शायद मैं आपकी बात समझ नहीं पा रहा हूँ यहाँ किसी इतिहास का खात्मा करने का इरादा नहीं है. मामला साफ़ है कि हम यानि मैं और महफूज़ भाई इस तथ्य की तह में पहुँचना चाहते थे हमारी मंशा को अनुभवीयों  ने ही परखा...
महफूज़ अली said...
मैंने ब्लॉग पर सबसे पहले सन 2002 में लिखना शुरू किया था. उस वक़्त इंडिया में कोई ब्लॉग की साईट नहीं थी तो blog.co.uk पर लिखता था. उस वक़्त जो मैंने URL बनाया वो mahfooz.blog.co.uk था.... जिसका पास वर्ड मैं कुछ दिनों तक यूज़ ना करने की वजह से भूल गया था.... फिर मैंने उसी साईट पर ... mahfoozali.blog.co.uk के नाम से ब्लॉग बनाया.... पहले वाला ब्लॉग काफी सालों तक यूज़ ना करने की वजह से .... उस साईट ने archives में डाल कर उस ब्लॉग को ख़त्म कर दिया... मेरे पास अपने पहले ब्लॉग के कुछ प्रिंट आउटस भी रखे ....हैं....उसको मैं ओपेरैट करता लेकिन पास वर्ड भूल चुका था.... फिर समय की कमी से दूसरे ब्लॉग पर भी लिखना छोड़ दिया...यह भी ब्लॉग इस साल मार्च में ख़त्म होने जा रहा था...लेकिन समय रहते पता चल गया.... इसके लिए आदरणीय गिरीश जी को धन्यवाद देता हूँ..... पिछला ब्लॉग archives में से मुझे दोबारा लौटा दिया जायेगा.... बस कुछ डिटेल्स फर्निश करनी है... दो दिन में वो ब्लॉग वापिस मिल जायेगा.... ऐसा ब्लॉग.सीओ.यूके ने कहा है.... और हिंदी ब्लॉग में मेरा पहला ब्लॉग no fart zone था ...जिसे मैंने सन २००६ में बनाया था....जो कि यूज़ ना करने की वजह से गूगल ने सन २००८ में बंद कर दिया.... उसके बाद मैंने 'मेरी रचनाएँ" ब्लॉग बनाया..... जो अब सुचारू रूप से चल रहा है.... और आगे भी चलता रहेगा.... मैं यह नहीं कहता कि मैं पहला ब्लोग्गर हूँ..... मेरा ऐसा मानना है.... (कृपया पॉडकास्ट पूरा सुनें..)...                                        अब सुनिए भाग 02 
और भाग तीन  के लिए    इंतज़ार  कीजिये  
 






महफूज़ अली : भारत के सबसे पहले ब्लॉगर............?

                                आज हमारे अग्रज भाई महेंद्र मिश्र ने चेट के दौरान कहा धाँसू पॉड कास्ट जा रहे हैं महेंद्र जी आज एक धाँसू व्यक्तित्व   महफूज़ अली से बात हुई है. सीधी बात के दौरान पता चला की वे भारत के  सबसे पुराने  ब्लॉगर . महफूज़   अली लेखक कवि एवं अब हिंदी ब्लागिंग के मैदान के सफल एवं चहेते खिलाडी हैं उनका ब्लॉग है 'मेरी रचनाएँ ' बरबस मन मोह लेता है. अपनी  तरह   के अनोखे  महफूज़  भाई खुश मिजाज़, ज़िंदा दिल और हरदिल अज़ीज़ इंसान हैं. इनसे बात करते वक्त मैं खुद बह चला इनकी रेशमी आवाज़ के पीछे. - आपके समक्ष पेश है उनसे हुई सीधी बात का पहला एपिसोड.अगले एपीसोड्स का इंतज़ार कीजिये 

{पोस्ट हैडर को देख आप हैरान होंगे मैं लिख कर खुद हैरान हूँ. यदि आप जानते है. किसी ऐसे ब्लॉग लेखक या लेखिका को जो महफूज़ भाई से भी पहले के भारतीय ब्लॉगर हैं तो अवश्य सूचित कीजिये. उनसे  खुद महफूज़ भाई और मुझे मिलकर ख़ुशी होगी. आपको भी.... }



सोमवार, फ़रवरी 15, 2010

किसलय जी का समझदार कुत्ता बोनी

एक  मकबूल डॉग बोनी  ने किसलय जी के अथक परिश्रम से काफी कुछ सीख गया एक हम हैं कि उनकी मेहनत से सिखाई जा रही बातों पे ध्यान नहीं दे रहे .... अब हम ठहरे 'जो गुरु मिलहिं विरंची सम:' के अनुगायक चलिए मैं तो समय आने पे ही सीख पाउँगा बोनी के कारनामे देखिये 

शनिवार, फ़रवरी 13, 2010

Talk Show With Sanjeev Verma Salil



पेशे से अभियंता ह्रदय से कवि लोक निर्माण विभाग मध्य-प्रदेश में पदस्थ प्रशासन में महत्वपूर्ण अस्तित्व निरंतर गति शील दिव्य नर्मदा के मालिक भाई संजीव वर्मा सलिल से बातचीत

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...
कोहरे से
गले मिलते भाव.
निर्मला हैं
बिम्ब के
नव ताव..
शिल्प पर शैदा
हुई रजनी-
रवि विमल
सम्मान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...

फूल-पत्तों पर
जमी है ओस.
घास पाले को
रही है कोस.
हौसला सज्जन
झुकाए सिर-
मानसी का
मान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
नियति पर
अभिमान करता है...

नमन पूनम को
करे गिरि-व्योम.
शारदा निर्मल,
निनादित ॐ.
नर्मदा का ओज
देख मनोज-
'सलिल' संग
गुणगान करता है...

गीत का बनकर
विषय जाड़ा
खुदी पर
अभिमान करता है...

गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010

रविवार, फ़रवरी 07, 2010

अनूप शुक्ल जी से संवाद

ब्लॉग के सशक्त हस्ताक्षर अनूप शुक्ला संयुक्त महाप्रबंधक लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर  हैं .  आज ब्लॉग जगत के लिए उनसे हुए संवाद को पेश करते हुए मुझे ख़ुशी है
उनके ब्लॉग फुरसतिया  चिट्ठा चर्चा 
मैं ही प्रथम नहीं हूँ जो पाडकास्ट इंटरव्यू ले रहा हूँ मुझसे बेहतरीन अंदाज़ में इस  चर्चा के पहले भी पॉडभारती पर अनूप जी से चर्चा हुई उसे मत भूलिए उसे भी सुन ही लीजिये यहाँ

http://farm1.static.flickr.com/68/180964552_311e124a34.jpg
 

शनिवार, फ़रवरी 06, 2010

सुरेश चिपलूनकर से बात चीत

राष्ट्र वादी विचार धारा के पोषक अंतर जाल के महत्वपूर्ण लेखक सुरेश चिपलूनकर से हुई बात चीत दो भागों में पेश है
 भाग  दो

_______________________________________________

एक

गत्यात्मक ज्योतिष की प्रवर्तक श्रीमती संगीता पुरी जी की भविष्यवाणी सही हुई

सुधि श्रोता गण
सादर-अभिवादन
पोडकास्ट साक्षात्कार के दूसरे भाग में संगीता पुरी जी ने ज्योतिष को विज्ञान  कहने में कहीं कोई कमीं नहीं छोड़ी. किन कारणों से ज्योतिष को विज्ञान की सहमति न मिल सकी यह भी बताया है. साथ ही  उनके द्वारा मेरे  जन्म से लेकर अब तक के उतार चढ़ाव को भी प्रेषित किया जो 90 प्रतिशत सही पाए गए {देखिये ग्राफ एक एवं दो }

बावरे-फकीरा पर प्रसारित  उनसे लिए  साक्षात्कार भाग एक को सुनने भाग-एक पर क्लिक कीजिये  मिसफिट ब्लॉग पर पहुँच कर तथा   भाग-दो सुनने के लिए  यहाँ चटके का इंतज़ार है. इस प्रयोग को जारी रखने आपका सहयोग अपेक्षित है .आज की चर्चा सुनकर आपको  ज्ञात  कि मौसम संबंधी भविष्यवाणी पूर्णत: सही साबित हुई है



संगीता पुरी जी
 
                                                                                                                ग्राफ एक 


                                                                                                      ग्राफ दो 
 

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सेकण्ड कापी 

गुरुवार, फ़रवरी 04, 2010

मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010

तवायफ की मौत

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhPpHfZicepfdj3DLA8nIFPIYx0HLbhmQ2tYRkMSVslbvabPQmxAcDJhDIUjOhTJwqNEXxhNgjY6j3_DTNbGdvtXR9oqOieJkx7Gd8XD7Bwyt5TkJCIaIHqfoDZ7iAkO7KbC5EoSi2-Gkw/s400/ruins+of+hauz+khas+pranav+singh.jpghttp://www.aksharparv.com/images/26augfinish.jpg
राज  कुमार  सोनी के बिगुल पर प्रकाशित ''घुंगरू टूट गए''  को पढ़ते ही मुझे अपनी पंद्रह  बरस पुरानी एक सम्पादक द्वारा सखेद वापस रचना याद आ गई सोनी जी के प्रति आभार एवं उस आत्मा की शान्ति  के लिए रचना सादर प्रेषित है
चीथड़े में लिपटी बूढ़ी  माँ
मर गई
कोई न रोया न सिसका
उन सेठों के बच्चों ने भी नहीं
जिन सेठों नें बदन नौचा था इसका
वे बच्चे इसे माँ  कह सकते थे
एक एक दिन अपने साथ रख सकते थे
ओरतें भी
इस बूढ़ी सौत की सेवा कर सकतीं थीं
किन्तु कोई हाथ कोई साथ न था इस को सम्हालने
सारे हाथ बंधे थे
सामाजिक-सम्मान की रेशमी जंजीर से
ये अलग बात है
ये परिवार गिर चुके थे ज़मीर से
बूढ़ी शबनम के पास
मूर्ती पूजक
पैगम्बर के आराधक
सब जाते थे
जिस्मानी सुख के सुरूर में गोते खाते थे
आज आख़िरी सांस ली इस बूढ़ी माँ ने
तब कोई भी न था साथ
घमापुर पोलिस ने
रोजनामाचे में
मर्ग कायम कर
लाश पोस्ट मार्टम को भेज दी है
पोलिस वाले उसे जलाते
अगर उसका नाम शबनम न होता
उसे दफना दिया गया है
अल्लाह उस पुलिस वाले को
ज़न्नत दे जिसने
दफनाते वक्त
आँखें भिगोई थीं....!
_________________________________
चित्र साभार :-गूगल बाबा

बुधवार, जनवरी 27, 2010

पाबला जी के नाम खुला ख़त

मित्रों भारी वैचारिक संकट उत्पन्न  हो गया है ऐसा मुझे लग रहा है 'आज नेट पर डोमेन नाम को लेकर जो समस्या प्रसूति है' उससे सुसंगत कुछ बातें  आपसे शेयर करने को जी चाह रहा है आप अपने अतीत में जाएँ तो देखेंगेगे एक ही नाम सरनेम वाले कई बच्चे आपके साथ स्कूल में रहे होंगे जैसे विनय सक्सेना, राजेश दुबे, संजय सिंह, मनीष शर्मा, भीमसेन जोशी, मेरे साथ तो तीन गिरीश और थे दो गिरीश गुप्ता एक मैं एक गिरीश जेम्स उन दिनों न तो नीम का पेटेंट हुआ था न ही हल्दी का न ललित जी की मूंछों का किन्तु पिछले दिन पता चला कि मेरे 'कान' का भी किसी ने पेटेंट करा लिया है अब बताइये मैं क्या करुँ...? लोग सब समझतें हैं इन सब बातौं में कोई दम नहीं  अरे कोई  कुछ भी कर सकता है डोमेन नाम चर्चा आदि की चीर फाड़ से बेहतर है कि समझा जावे कि इन सब बातौं में क्या रखा हम सबको हिन्दी चिट्ठाकारिता के बेहतर आयाम स्थापित करने हैं अगर हमने ये न किया तो आने वाले समय में जब समीक्षा होगी तो बच्चे हम पर हसेंगे लानतें भेजेंगे तब हम ज़वाब न दे पाने कि स्थिति में होंगे. कबीर को किसने स्वीकारा होगा तब आज सब कबीर को जानते हैं ज़रूरी है कि "एकला चलो लेकिन   बहु जान हिताय जात्रा करो''
कोई आपसे असहमत है होने दीजिये कोई आपको झुठला रहा है झुठलाने दीजिये अपना काम मत छोढ़िये और न ही अपने आल माइटी होने का गुमान पालिए. हम तो कुछ भी नहीं हैं हम उनको  देखें जो ताड़पत्रों  पे लिख रहे थे उनको देखें जिनके पास शक्तिशाली विचार थे सम्प्रेषण के साधन न थे जो आज हमारे पास हैं.. सब कुछ हैं बस समष्टि के विकास की  सोच  को छोड़ के  जो कबीर के पास थी चित्र:Sadgurukabir.JPGसाभार विक्की पीडिया
आज एक ख़त लिख रहा हूँ पाबला जी को भी  मज़ाक में कुछ संकेत दे रहा हूँ शायद पसंद आयें मेरी बात असहमत हों या सहमत  हों मैंने जो कहना था वो तो कह दिया विचार आप कीजिये विवादों को ख़त्म कर दीजिये भारत के ब्लॉग जगत के सीनियर्स  को भी  चिट्ठा चर्चा.काम पर सादर आमंत्रित कर लीजिये रही नीलामी की बात अगर बात न बने तो फिर ज़रूर कीजिये नीलामी. लीजिये चिट्ठी लिख देता हूँ पाबला जी को  
पाबला जी
अभिवादन
आपका प्रस्ताव जाना मिश्रित सोच में पड़ गया हूँ. . यदि इस ब्लॉग/साईट की   नीलामी करते हैं तो उसके लिए मेरी सलाह बिन्दुवार नि:शुल्क भेज रहा हूँ कृपया पावती भेजिए
एक:- इसका मौद्रिक मूल्य न रखा जावे.
दो:-    इस नीलामी को ऑन लाइन किया जावे किन्तु कहीं कहीं नेट कनेक्शन में स्पीड का संकट होता है अत: आप किसी चेनल से बतिया लो और समस [ एस एम् एस ] से बोली लगवाइए
तीन:-बोली हेतु  प्राथमिक शर्तों का निर्धारण

  1. एक क्षेत्र से 5 से अधिक बोली न लगायेंगे
  2. हर बोली लगाने वाले/वाली को चर्चा का लंबा अनुभव न भी हो तो कम से कम पिछले तीन बरस में प्रतिवर्ष पांच चर्चा ज़रूर की हों
  3. टिप्पणी अनुभव प्रति दिन बीस
  4.  हर ब्लॉग को बांचने की क्षमता
चार:- अपनी चर्चा में आपसी पीठ खुजाई न की हो
पांच:- किसी को पानी की टंकी पे न चढ़ाया हो
छै   :- बोली कर्ता को निष्ठावान,संतुलित,समालोचन की क्षमता का धनी होना ज़रूरी
सात:-  किसी भी स्थिति में असंसदीय भाषा में टिपियाने वाले अथवा रचना चोर /छद्मनाम से टिपियाने वाले/ टांग खिचाऊ ब्लॉगर भाग न लें
 शेष सुभ
आपका ही
गिरीश बिल्लोरे मुकुल     
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शनिवार, जनवरी 23, 2010

वेब दुनिया के उप सम्पादक कुलवंत हैप्पी से पोडकास्ट साक्षात्कार

https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=f28b6629c4&view=att&th=1265c3a6067db7c1&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_g4socd730&zwशरद कोकास के बाद आज पोडकास्ट-साक्षात्कार  पर सुनिए भाई कुलवंत  सिंह हैप्पी  कुलवंत सार्थक ब्लागिंग के घोर समर्थक प्रतीत होते हैं .उनका मानना है कि असंगत टिप्पणिया अपने ब्लॉग पर बुलाने का आमंत्रण सी नज़र  आतीं हैं . सार्थक ब्लागिंग पर बेबाक हुए कुलवंत जी से बातचीत सुनिए यहाँ


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अपने बारे में कुलवंत का बयान

27 अक्टूबर 1984 को श्री हेमराज शर्मा के घर स्व. श्रीमती कृष्णादेवी की कोख से जन्म लिया। जन्म के वक्त मेरा नाम कुलवंत राय रखा गया, और प्यार का नाम हैप्पी। लेकिन आगे चलकर मैंने दोनों नामों का विलय कर दिया "कुलवंत हैप्पी"। तब हम हरियाणा के छोटे से गाँव दारेआला में रहते थे। इस गांव में मुझे थोड़ी थोड़ी समझ आई। इस गाँव से शहर बठिंडा तक का रास्ता नापा और इस शहर में गुजारे कुछ साल मैंने। शहर से फिर कदम गाँव की ओर चले.लेकिन इस बार गाँव कोई और था. मेरा पुश्तैनी गांव..जहां मेरे दादा परदादा रहा करते थे, जिस गाँव की गलियों खेतों में खेलते हुए मेरे पिता जवान हुए। वो ही गांव जिस गाँव हीरके (मानसा) में मेरी मां दुल्हन बन आई थी। यहां पर मैंने दसवीं कक्षा तक जमकर की पढ़ाई और खेती। इस गांव से फिर पहुंचा, उसी शहर जिसको छोड़ा था, कुछ साल पहले। 27 जुलाई 2000 को दैनिक जागरण के साथ जुड़ा, मगर कमबख्त शहर ने मुझे फिर धक्के मारकर निकाल दिया और मैं पहुंच गया छोटी मुम्बई बोले तो इंदौर। इस यात्रा दौरान दैनिक जागरण, पंजाब केसरी दिल्ली, सीमा संदेश, ताज-ए-बठिंडा हिंदी समाचार पत्रों में काम किया, इसके अलावा सीनियर इंडिया, नैपट्यून पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए और 27 दिसंबर 2006 से वेबदुनिया.कॉम के पंजाबी संस्करण को संवारने में लगा हुआ हूं

रविवार, जनवरी 17, 2010

यशभारत पर मिसफिट




   
Sunday, 17 January, 2010


मोनिका गुप्ता के रांचीहल्ला  पर प्रकाशित आलेख आफत में आधी आबादी  से प्रेरित  9 अगस्त 2008 को मिसफिट पर प्रकाशित एक आलेख  पुत्री वती भव कहने में डर कैसा आलेख मिसफिट के अलावा एक अन्य ब्लॉग पर प्रस्तुत किया गया था. indi blag netwoerk  पर भी इसे सराहा गया आज यानि 17 जनवरी 2010 को फिर यशभारत ने इसे प्रयोग में लेकर गैर  नेट पाठकों तक पहुंचाया . यश भारत ने कैसा छापा इसे पाबला जी ही बताएँगे प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा  जो दिनांक 18 .01 .2010 को  02 :11 बजे के बाद दिख जाएगा 

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