आज हमारे अग्रज भाई महेंद्र मिश्र ने चेट के दौरान कहा धाँसू पॉड कास्ट जा रहे हैं महेंद्र जी आज एक धाँसू व्यक्तित्व महफूज़ अली से बात हुई है. सीधी बात के दौरान पता चला की वे भारत के सबसे पुराने ब्लॉगर . महफूज़ अली लेखक कवि एवं अब हिंदी ब्लागिंग के मैदान के सफल एवं चहेते खिलाडी हैं उनका ब्लॉग है 'मेरी रचनाएँ ' बरबस मन मोह लेता है. अपनी तरह के अनोखे महफूज़ भाई खुश मिजाज़, ज़िंदा दिल और हरदिल अज़ीज़ इंसान हैं. इनसे बात करते वक्त मैं खुद बह चला इनकी रेशमी आवाज़ के पीछे. - आपके समक्ष पेश है उनसे हुई सीधी बात का पहला एपिसोड.अगले एपीसोड्स का इंतज़ार कीजिये
{पोस्ट हैडर को देख आप हैरान होंगे मैं लिख कर खुद हैरान हूँ. यदि आप जानते है. किसी ऐसे ब्लॉग लेखक या लेखिका को जो महफूज़ भाई से भी पहले के भारतीय ब्लॉगर हैं तो अवश्य सूचित कीजिये. उनसे खुद महफूज़ भाई और मुझे मिलकर ख़ुशी होगी. आपको भी.... }
42 टिप्पणियां:
मह्फ़ुज़ भाई के बचपन तक हमे पहुचाने के लिये आभार !!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
महफूज़ अली के किस्से तो यहाँ हर जगह मिल जाते हैं..यहाँ उनके मूंह से सुन कर मजा आया.
Shukriya aapake padharne kaa
महफूज जी बहुत अच्छे व्यक्तित्व के मालिक हैं.
बहुत ख़ुशी हुई सुनकर महफूज़ जी के साथ आपकी ये गुफ्तगू...
बहुत ही सधी हुई बात-चीत थी आपकी....
सवाल अच्छे और जवाब उससे भी अच्छे..
एक बेमिसाल प्रस्तुति....
-माँ को खोना-जीवन बदल जाता है. मैं महफूज भाई के मनोभाव समझ सकता हूँ. माँ की स्मृति को पुण्य नमन.
-माँ का आशीष आपके लेखन पर हैं, बहुत आगे जायेंगे. शुभकामनाएँ.
-इन्सान खिलाड़ी शरीर से और लेखक/कवि दिल और मन से होता है..बिल्कुल सही कहा.
-पिता जी को श्रृंद्धाजलि.
-बड़े पुरनिया ब्लॉगर हो भई. २००२ तो बहुत पहले पड़ा. :)
-दस बार भी वैरी बोल कर भी बेचारे प्रिंसपल को संतोष न हो पाता होगा, तुम्हारी बदमाशी देखते हुए.
-अब क्या हुआ भाई..अब काहे नहीं एन्जॉय कर रहे हो वेलेन्टाईन डे..अभी तो माशाअल्लाह जवान हो भई. :) अगले वेलेन्टाईन तक तो शादी हो ही जाना चाहिये..
-टाईम मेनेजमेन्ट तो बहुत जरुरी है २४ घंटों को मैनेज करने के लिए.
-टाईम निकलता नहीं, निकालना पड़ता है अगर चाहत हो, बिल्कुल सहमत.
आनन्द आया महफूज भाई को सुनकर. अगले एपिसोड का इन्तजार रहेगा महफूज भाई से बातचीत के. आभार गिरीश भाई.
रोचक बातचीत है महफूज जी से !
आभार ।
nice one!!!!
मैं महफूज को छोडूंगा नहीं आज सुबह सुबह मुझे रुलाया हैं ...
बस इतना ही कहूँगा बस ....
और हाँ मैं इस हस्ती का पुनर्म्यूलांकन करता हूँ -जिसका श्रेय बिल्लौरे जी आपको है ! शुक्रिया !
महफूज भाई का कोई जवाब नही...चाहे लेखनी हो, बेबाक टिप्पणी हो और इन सबसे बढ़ीय बात यह है की वो एक अच्छे इंसान है जो हमेशा ब्लॉग साथियों के हित में खड़े रहते है और एक अच्छे दोस्त का एहसास करते रहते है...ऐसा दोस्त होना गर्व की बात है...
जहाँ तक हम जानते हैं सबसे पुराने हिन्दी ब्लॉगर जीतू भाई को हम जानते हैं जो कि सितंबर २००४ से हिन्दी ब्लॉग संचालन कर रहे हैं।
http://www.jitu.info/merapanna/?page_id=300
आप यहाँ देख सकते हैं, पोडकॉस्ट सुना नहीं है शाम को सुन पायेंगे।
महफूज़ जी के बारे में और अधिक जानकर अच्छा लगा
महफूज भाई हैं तो बड़े मजेदार आदमी , लेकिन आजकल इन्हे किसी की नजर लग गयी , अब किसकी ये नहीं बताऊंगा , पता नहीं क्यों ये आजकल खामोश हो गयें हैं ।
महफूज़ भाई ने कब लिखना शुरू किया?
एक सन्देश आप सभी ब्लॉगर बंधुओं के लिए; जैसा कि मैं भी कभी-कभी यह ग़लती कर बैठता हूँ कि लेख लिखते वक़्त ज़्यादातर वर्तनी पर ध्यान नहीं देता हूँ और वर्तनी में कदाचित त्रुटी कर बैठता हूँ. अतः मेरी आप सभी से यह गुज़ारिश है कि भारतीय भाषा में लिखते वक़्त वर्तनी का अवश्य ही ध्यान रखा करें. यह ज़रूरी भी है सार्थक भी...
मसलन अगर आप ग़लती लिख रहे हैं तो उसे 'गलती' न लिख 'ग़लती' लिखें......
हमारी भाषा भारतीय है न कि हिंदी, उर्दू अथवा इंग्लिश... हम निश्चित ही सम्मिलित रूप से इन सारी भाषाओँ के साथ अन्य भाषाओँ के शब्दों का भी मिश्रण कर बोलते व लिखते हैं और ज़रूरी है कि हम इसका ख़्याल रखें और सच्चे भारतीय बनें.
(यह सन्देश लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन द्वारा ब्लॉग हित में जारी)
bas meri duayen hain mahfooz ke saath
aalok kaa suna thaa pehlae bloggr haen aur chhittha shabd bhi unhi kaa diya manaa jataa haen ab aap mehfooz keh rahey haen koi baat nahin itihaas kaa kyaa haen ek saffa padho dusro chipkao
wah cut copy paste haen naa
महफूज जी, को अभी तक उनके ब्लाग, उनकी रचनाओं और टिप्पणियों के माध्यम से ही जाना था, आज आपके माध्यम से उनके बारे में और भी बहुत कुछ जाना, ब्लाग जगत के हर दिल अजीज सदस्य, जिनसे सभी स्नेह रखते हैं उनके लिये यही शुभकामनायें हैं वे हमेशा यूं ही सबके दिलों में राज करें, उनकी लेखनी दिनों परवान चढ़े ।
बहुत ही अच्छा लगा,महफूज़ जी को उनके ही शब्दों में जानना...सवाल भी बहुत अच्छे बन पड़े हैं..
kaafi kuchh nayi jaan kaari mili mahfooz ji ke baare me
saadar
praveen pathik
9971969084
मैंने ब्लॉग पर सबसे पहले सन 2002 में लिखना शुरू किया था. उस वक़्त इंडिया में कोई ब्लॉग की साईट नहीं थी तो blog.co.uk पर लिखता था. उस वक़्त जो मैंने URL बनाया वो mahfooz.blog.co.uk था.... जिसका पास वर्ड मैं कुछ दिनों तक यूज़ ना करने की वजह से भूल गया था.... फिर मैंने उसी साईट पर ... mahfoozali.blog.co.uk के नाम से ब्लॉग बनाया.... पहले वाला ब्लॉग काफी सालों तक यूज़ ना करने की वजह से .... उस साईट ने archives में डाल कर उस ब्लॉग को ख़त्म कर दिया... मेरे पास अपने पहले ब्लॉग के कुछ प्रिंट आउटस भी रखे ....हैं....उसको मैं ओपेरैट करता लेकिन पास वर्ड भूल चुका था.... फिर समय की कमी से दूसरे ब्लॉग पर भी लिखना छोड़ दिया...यह भी ब्लॉग इस साल मार्च में ख़त्म होने जा रहा था...लेकिन समय रहते पता चल गया.... इसके लिए आदरणीय गिरीश जी को धन्यवाद देता हूँ..... पिछला ब्लॉग archives में से मुझे दोबारा लौटा दिया जायेगा.... बस कुछ डिटेल्स फर्निश करनी है... दो दिन में वो ब्लॉग वापिस मिल जायेगा.... ऐसा ब्लॉग.सीओ.यूके ने कहा है.... और हिंदी ब्लॉग में मेरा पहला ब्लॉग no fart zone था ...जिसे मैंने सन २००६ में बनाया था....जो कि यूज़ ना करने की वजह से गूगल ने सन २००८ में बंद कर दिया.... उसके बाद मैंने 'मेरी रचनाएँ" ब्लॉग बनाया..... जो अब सुचारू रूप से चल रहा है.... और आगे भी चलता रहेगा.... मैं यह नहीं कहता कि मैं पहला ब्लोग्गर हूँ..... मेरा ऐसा मानना है.... (कृपया पॉडकास्ट पूरा सुनें..)...
महफूज भाई के साथ आपकी बातचीत बहुत अच्छी लगी .. आरंभ जितना ही मार्मिक रहा ..अंत उतना ही संतुलित .. टाइम मैनेजमेंट के बारे में उन्होने अच्छा बताया .. माताजी को हार्दिक श्रद्धांजलि !!
बाकी तो सुनकर पता चलेगा लेकिन भारत के ब्लॉगर्स की एक लिस्ट यहां भी है। इनमें से एक अमित अग्रवाल की पोस्ट्स अप्रैल 2001 की हैं। जानकारी के लिये बता दें कि इंडीब्लॉगीस के 2003 के नामीनेशन में लाइफ़टाइम अचीवमेंट के लिये जिन दो ब्लॉग नामित हुये थे उनमें से एक जुलाई 1999 से ब्लॉग लिख रहे हैं। महफ़ूज अली में खूबियां ही खूबियां हैं लेकिन पहला ब्लॉगर सबसे पहला ब्लॉगर (जिस सबसे पहले ब्लॉग का आज पता ही नहीं है) लिखने के पहले तथ्य जांच लेते तो शायद अच्छा होता!
अब क्या करेंगे? क्या शीर्षक बदलेंगे या अपनी बात सही साबित करके रहेंगे?
रोचक बातचीत है महफूज जी से .... आपके माध्यम से उनके बारे में और भी बहुत कुछ जाना .....
इन्ना-लिल-लाहे व-इन्ना-अलहे-रा-जयून ! माँ की असामयिक मौत का सुनकर बहुत अफ़सोस हुआ.खुदा का करम कि भाई सभी बुराईयों से महफूज़ हैं, क्यों न हो अम्मी ने नाम जो महफूज़ रक्खा था!!
संवाद बहुत अच्छा रहा!! लेकिन ऐसे शीर्षक से बचना चाहिए,बैगानी जी से सहमत!
महफूज को कहा था कि कल सुनूंगी इस साक्षात्कार को ..मगर उसके बारे में और जानने की उत्सुकता अभी ही खींच लाई ....
माँ की अकस्मात् मृत्यु ने जरुर ही दुःख पहुँचाया होगा ... अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ...
बहुत अच्छी लगी ये बातचीत ....महफूज़ के बारे में और अधिक जानना अच्छा लगा ...
महफूज़ भाई जीवन में सारी ऊँचाइयों को प्राप्त करें ...बहुत शुभकामनायें ...!!
अच्छी लगी ये बातचीत ,नये तथ्यों की जानकारी हुई .जरा अनूप जी बात पर भी गौर फरमाएं . माँ के लिए श्रद्धांजलि ...
महफूज़ भाई को अनेक शुभकामनायें ..
महफूज़भाई दा जवाब नहीं !
बदमाश बच्चों में तो आप अभी भी आते हैं महफ़ूज़ मियाँ। वक्त के साथ वो बदमाशी अब अदब कहलाती है। हा हा। और मुकुल भाई अब आप अपना चैनल खोल ही डालिए क्योंकि शायद इस ख़ूबसूरती से इंटरव्यू भी ब्लॉग पर पहला पहला ही है। अनूप जी ने जो बात बतलाई उससे यह पता चलता है कि मियाँ से पहले भी लोग ब्लॉगर का रुतबा रखा करते थे। वैसे आपकी जानकारी के बतला दें हम तो सन् १८८५ से ब्लॉगर हैं। हा हा। और हाँ जी यह सौ फ़ीसदी सच है। महफ़ूज़ मियाँ वाक़ई बहुत ख़ूब शख़्सियत हैं जो यह कहते हैं कि हर शख़्स के पास २४ घण्टे हैं और आपको हर काम के लिए फ़ोकस होना पड़ता है। माशाअल्लाह निकाह के बाद ये कितना फ़ोकस हो पाते हैं और कितने २४ घण्टे निकाल पाते हैं वक्त बतला ही देगा। हा हा।
नाज्रब:कारी से वाइज़ की ये बातें हैं,
इस रंग को क्या जाने ?
पूछो तो कभी पी है ?
उनकी वालिदा का इस तरह छीना जाना, अल्ला मियाँ से कतई शिकायत का मुआमल: बनता है। बहुत मार्मिक संदर्भ है।
महफ़ूज़ मियाँ और मुकुल भाई दोनों को इस बहुत ही बेहतरीन गुफ़्तगूँ के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
गिरीश भाई पता नही क्या प्राब्लम है यंहा आज ही घर लौटा हूं और ब्लाग की दुनिया मे आया हूं,मगर ये आपकी और महफ़ूज़ की बातचीत सुन नही पा रहा हूं।खैर वैसे मह्फ़ूज़ है बहुत ही नेक इंसान और इसमे कोई श ही नही।
ab apne bujurgwar anoop shukla ji jo kah rahe hain,uske baad dekhte hain.....
pahle koi bhi ho ki farak penda aie yaar
;)
कृपया पोडकास्ट साक्षात्कार ध्यान से सुनिए हेडर में जो लिखा है वह तलाश का एक सूत्र मात्र है सत्य न समझा जाए यह एक तथ्य मात्र है !
सही कहा संजीत जी किन्तु अनूप जी बुजुर्ग नहीं उस दिन बचपन वाले सवाल पर मुझे ही निपटा गए हा हा हा
वाह वाह ...... बढ़िया इंटरव्यु....महफूज भाई का दिल तो लाजवाब है.....रवानगी है, जिसे रोकना किसी के बस की बात नहीं...
महफूज जी बहुत अच्छे व्यक्तित्व के मालिक हैं.
महफूज जी से .... आपके माध्यम से उनके बारे में और भी बहुत कुछ जाना .....
Mahfooz ji ko aur bhi kareeb se jaankar achcha laga
ab tak to sirf blog ke zariye hi jana tha......
podcast bahut achcha shuru hua hai ab doston ko aur bhi behatar tarike se jana jaa sakega
achha...ye rajesh jain ji ka blog hai..archive mein 2001 tak ki posts dikh rahi hain..
http://archives.emergic.org/
baaki ye humari profile hai.. jahan likha hai Member Since: 21/12/2001
http://profiles.yahoo.com/rdx_guy2002
us waqt humne geocities par site host ki thi aur 'Xanga' se free domain name liya tha.. baad mein 'co.cc' domain name free milte the to unhe liya.. lekin humein to kabhi ahsaas nahi hua ki hum bhi purane bloggers mein se hain. kyunki tab sirf apni kavitayon ke 'copyright' ke liye likhte the.. baki geocities ahi band ho chuki hai aur profiles se hi merged hai..
Baki amit agrawal ji jo 'labnol' par likhte hain aur CNN unka interview tak le chuki hai..unhone 2004 se start kiya tha aur sach mein ek mahaan blogger hain.. ho sake to kabhi unhe 'hindi' blogs par layen..
Baki Mahfuj ji ko aur jaankar bahut achha laga.... lekin @anup ji ki baat se bhi agree keroonga...
are mahfooj.....!! ye kyaa kar rahe bhaayi.... tumahri shakl dekhkar to aisa katyi nahi lagta hai....ye to tum kah rahe ho to maan letaa hun...magar....!!
एक अच्छा लेख, हाँ वापस जाओ
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