वेब दुनिया के उप सम्पादक कुलवंत हैप्पी से पोडकास्ट साक्षात्कार

https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=f28b6629c4&view=att&th=1265c3a6067db7c1&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_g4socd730&zwशरद कोकास के बाद आज पोडकास्ट-साक्षात्कार  पर सुनिए भाई कुलवंत  सिंह हैप्पी  कुलवंत सार्थक ब्लागिंग के घोर समर्थक प्रतीत होते हैं .उनका मानना है कि असंगत टिप्पणिया अपने ब्लॉग पर बुलाने का आमंत्रण सी नज़र  आतीं हैं . सार्थक ब्लागिंग पर बेबाक हुए कुलवंत जी से बातचीत सुनिए यहाँ


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अपने बारे में कुलवंत का बयान

27 अक्टूबर 1984 को श्री हेमराज शर्मा के घर स्व. श्रीमती कृष्णादेवी की कोख से जन्म लिया। जन्म के वक्त मेरा नाम कुलवंत राय रखा गया, और प्यार का नाम हैप्पी। लेकिन आगे चलकर मैंने दोनों नामों का विलय कर दिया "कुलवंत हैप्पी"। तब हम हरियाणा के छोटे से गाँव दारेआला में रहते थे। इस गांव में मुझे थोड़ी थोड़ी समझ आई। इस गाँव से शहर बठिंडा तक का रास्ता नापा और इस शहर में गुजारे कुछ साल मैंने। शहर से फिर कदम गाँव की ओर चले.लेकिन इस बार गाँव कोई और था. मेरा पुश्तैनी गांव..जहां मेरे दादा परदादा रहा करते थे, जिस गाँव की गलियों खेतों में खेलते हुए मेरे पिता जवान हुए। वो ही गांव जिस गाँव हीरके (मानसा) में मेरी मां दुल्हन बन आई थी। यहां पर मैंने दसवीं कक्षा तक जमकर की पढ़ाई और खेती। इस गांव से फिर पहुंचा, उसी शहर जिसको छोड़ा था, कुछ साल पहले। 27 जुलाई 2000 को दैनिक जागरण के साथ जुड़ा, मगर कमबख्त शहर ने मुझे फिर धक्के मारकर निकाल दिया और मैं पहुंच गया छोटी मुम्बई बोले तो इंदौर। इस यात्रा दौरान दैनिक जागरण, पंजाब केसरी दिल्ली, सीमा संदेश, ताज-ए-बठिंडा हिंदी समाचार पत्रों में काम किया, इसके अलावा सीनियर इंडिया, नैपट्यून पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए और 27 दिसंबर 2006 से वेबदुनिया.कॉम के पंजाबी संस्करण को संवारने में लगा हुआ हूं

टिप्पणियाँ

बहुत ख़ुशी हुई हैप्पी के बारे में जानकर....
राजीव तनेजा ने कहा…
बहुत ही बढ़िया साक्षात्कार
राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत सुंदर साक्षात्कार,कुलवंत सिंह हैप्पी जी कॊ शुभकामनाये, यहां जब मेने अपना पहला पीसी लिया ओर हिन्दी को ढुढने की कोशिश की तो सब से पहले मुझे बेव दुनिया ही मिली थी, जिसे मेने रोजाना पढना, ओर दोस्तो को बताना कि हिन्दी मै भि एक साईड मिलती है, ओर मुझे खुशी इतनी थी जेसे मेने कोई किला फ़तह कर लिया हो
कुलवंत हैप्‍पी जी की बात और विचारों को सुनकर अच्‍छा लगा .. धन्‍यवाद !!
Kulwant Happy ने कहा…
आप का प्यार और स्नेह पाकर मैं धन्य हो गया हूँ।

अब मुझे और गम्भीरता लानी हो गई

सच में जैसे जैसे प्यार का कर्ज बढ़ता जा रहा है

वैसे वैसे जिम्मेदारी भी बढ़ रही है।

उम्मीद करता हूँ सार्थक ब्लॉगिंग कर सकूँ।

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