
क़ानूनी प्रावधानों से हट कर भी कुछ सार्थक-प्रयास भारत विश्व में किस नम्बर का भ्रष्ट देश है यह कहना आसान नहीं. बस सरकारी महक़मों मे भ्रष्ट आचरणों की परिपाटी हो ऐसा है नहीं. वास्तव में ईमानदार वही जिसे मौक़ा नहीं मिला.मुझे मेरे एक मित्र ने बताया :-"अमुक अखबार की प्रतियां सदैव अमुक स्थान पर समोसे वाले के ठेलों पर बेच देता है उस अखबार का कर्मचारी" यूं तो ये घटना हमारे लिये कोई खास मायने नहीं रखती किंतु "भ्रष्टाचार के लोक व्यापीकरण का उदाहरण है " ऐसा कौन सा संगठन होगा जहां ऐसे उदाहरण हों जहां यह दिखाई दे कि वहा सभी खुश और ईमानदार हैं. तब कौन सा हथियार है जिसके अनुप्रयोग से इस शत्रु का शमन हो
मेरे दृष्टिकोण मे:- इसे एक मांग पत्र भी कह सकतें हैं आप
मेरे दृष्टिकोण मे:- इसे एक मांग पत्र भी कह सकतें हैं आप
- नागरिक सूचना के अधिकारों (आर टी आई ) का खुल कर निर्भीकता से प्रयोग करें , इसका लाभ व्यक्तिगत एवम सामूहिक रूप से उठाया जा सकता है .
- सामाजिक साम्य इसे रोक सकता है इस बिंदू को साम्यवाद की वक़ालत से न जोड़ें वरन न्यूनतम आवश्यकताओं की सतत आपूर्ति के लिये राज्य की भूमिका को नियत करना ज़रूरी है. जो आगे चल के आर्थिक विषमताओं की समाप्ति की दिशा में उठाया कारगर क़दम होगा जो फ़ौरी तौर पर आवश्यक है
- गला काट व्यवसायिकता की समाप्ति , अंधाधुंध विज्ञापन बाज़ी पर नियंत्रण .
- चिकित्सा,शिक्षा, भोजन,कपड़ा ,आवास सुविधाएं सहज सरल सामान्य कीमतों पर मुहैया हो.
- उत्पादकता आधारित वेतन व्यवस्था लागू हो.
- भूमि पर सरकार का कठोर नियंत्रण
- न्याय पाना अपेक्षा कृत आसान हो
- ग्रामीण-विकास.(अन्य विकास विभागों की )/स्वास्थ्य/शिक्षा/पुलिस/ राजस्व आदि विभागों की कार्यप्रणाली में बदलाव फ़ौरी तौर पर ज़रूरी है. आम नागरिक स्वयम भी भ्रष्ट तरीके अपना कर राज्य के धन एवम सुविधाओं का लाभ येन केन प्रकारेण प्राप्त करना बंद करें
- विकास की गतिविधियां प्रशासनिक-मोड से अलगकर मिशन-मोड को सौंपी जावें.