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गुरुवार, फ़रवरी 11, 2010

रविवार, फ़रवरी 07, 2010

अनूप शुक्ल जी से संवाद

ब्लॉग के सशक्त हस्ताक्षर अनूप शुक्ला संयुक्त महाप्रबंधक लघु शस्त्र निर्माणी ,कानपुर  हैं .  आज ब्लॉग जगत के लिए उनसे हुए संवाद को पेश करते हुए मुझे ख़ुशी है
उनके ब्लॉग फुरसतिया  चिट्ठा चर्चा 
मैं ही प्रथम नहीं हूँ जो पाडकास्ट इंटरव्यू ले रहा हूँ मुझसे बेहतरीन अंदाज़ में इस  चर्चा के पहले भी पॉडभारती पर अनूप जी से चर्चा हुई उसे मत भूलिए उसे भी सुन ही लीजिये यहाँ

http://farm1.static.flickr.com/68/180964552_311e124a34.jpg
 

शनिवार, फ़रवरी 06, 2010

सुरेश चिपलूनकर से बात चीत

राष्ट्र वादी विचार धारा के पोषक अंतर जाल के महत्वपूर्ण लेखक सुरेश चिपलूनकर से हुई बात चीत दो भागों में पेश है
 भाग  दो

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एक

गत्यात्मक ज्योतिष की प्रवर्तक श्रीमती संगीता पुरी जी की भविष्यवाणी सही हुई

सुधि श्रोता गण
सादर-अभिवादन
पोडकास्ट साक्षात्कार के दूसरे भाग में संगीता पुरी जी ने ज्योतिष को विज्ञान  कहने में कहीं कोई कमीं नहीं छोड़ी. किन कारणों से ज्योतिष को विज्ञान की सहमति न मिल सकी यह भी बताया है. साथ ही  उनके द्वारा मेरे  जन्म से लेकर अब तक के उतार चढ़ाव को भी प्रेषित किया जो 90 प्रतिशत सही पाए गए {देखिये ग्राफ एक एवं दो }

बावरे-फकीरा पर प्रसारित  उनसे लिए  साक्षात्कार भाग एक को सुनने भाग-एक पर क्लिक कीजिये  मिसफिट ब्लॉग पर पहुँच कर तथा   भाग-दो सुनने के लिए  यहाँ चटके का इंतज़ार है. इस प्रयोग को जारी रखने आपका सहयोग अपेक्षित है .आज की चर्चा सुनकर आपको  ज्ञात  कि मौसम संबंधी भविष्यवाणी पूर्णत: सही साबित हुई है



संगीता पुरी जी
 
                                                                                                                ग्राफ एक 


                                                                                                      ग्राफ दो 
 

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सेकण्ड कापी 

गुरुवार, फ़रवरी 04, 2010

मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010

तवायफ की मौत

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjhPpHfZicepfdj3DLA8nIFPIYx0HLbhmQ2tYRkMSVslbvabPQmxAcDJhDIUjOhTJwqNEXxhNgjY6j3_DTNbGdvtXR9oqOieJkx7Gd8XD7Bwyt5TkJCIaIHqfoDZ7iAkO7KbC5EoSi2-Gkw/s400/ruins+of+hauz+khas+pranav+singh.jpghttp://www.aksharparv.com/images/26augfinish.jpg
राज  कुमार  सोनी के बिगुल पर प्रकाशित ''घुंगरू टूट गए''  को पढ़ते ही मुझे अपनी पंद्रह  बरस पुरानी एक सम्पादक द्वारा सखेद वापस रचना याद आ गई सोनी जी के प्रति आभार एवं उस आत्मा की शान्ति  के लिए रचना सादर प्रेषित है
चीथड़े में लिपटी बूढ़ी  माँ
मर गई
कोई न रोया न सिसका
उन सेठों के बच्चों ने भी नहीं
जिन सेठों नें बदन नौचा था इसका
वे बच्चे इसे माँ  कह सकते थे
एक एक दिन अपने साथ रख सकते थे
ओरतें भी
इस बूढ़ी सौत की सेवा कर सकतीं थीं
किन्तु कोई हाथ कोई साथ न था इस को सम्हालने
सारे हाथ बंधे थे
सामाजिक-सम्मान की रेशमी जंजीर से
ये अलग बात है
ये परिवार गिर चुके थे ज़मीर से
बूढ़ी शबनम के पास
मूर्ती पूजक
पैगम्बर के आराधक
सब जाते थे
जिस्मानी सुख के सुरूर में गोते खाते थे
आज आख़िरी सांस ली इस बूढ़ी माँ ने
तब कोई भी न था साथ
घमापुर पोलिस ने
रोजनामाचे में
मर्ग कायम कर
लाश पोस्ट मार्टम को भेज दी है
पोलिस वाले उसे जलाते
अगर उसका नाम शबनम न होता
उसे दफना दिया गया है
अल्लाह उस पुलिस वाले को
ज़न्नत दे जिसने
दफनाते वक्त
आँखें भिगोई थीं....!
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चित्र साभार :-गूगल बाबा

बुधवार, जनवरी 27, 2010

पाबला जी के नाम खुला ख़त

मित्रों भारी वैचारिक संकट उत्पन्न  हो गया है ऐसा मुझे लग रहा है 'आज नेट पर डोमेन नाम को लेकर जो समस्या प्रसूति है' उससे सुसंगत कुछ बातें  आपसे शेयर करने को जी चाह रहा है आप अपने अतीत में जाएँ तो देखेंगेगे एक ही नाम सरनेम वाले कई बच्चे आपके साथ स्कूल में रहे होंगे जैसे विनय सक्सेना, राजेश दुबे, संजय सिंह, मनीष शर्मा, भीमसेन जोशी, मेरे साथ तो तीन गिरीश और थे दो गिरीश गुप्ता एक मैं एक गिरीश जेम्स उन दिनों न तो नीम का पेटेंट हुआ था न ही हल्दी का न ललित जी की मूंछों का किन्तु पिछले दिन पता चला कि मेरे 'कान' का भी किसी ने पेटेंट करा लिया है अब बताइये मैं क्या करुँ...? लोग सब समझतें हैं इन सब बातौं में कोई दम नहीं  अरे कोई  कुछ भी कर सकता है डोमेन नाम चर्चा आदि की चीर फाड़ से बेहतर है कि समझा जावे कि इन सब बातौं में क्या रखा हम सबको हिन्दी चिट्ठाकारिता के बेहतर आयाम स्थापित करने हैं अगर हमने ये न किया तो आने वाले समय में जब समीक्षा होगी तो बच्चे हम पर हसेंगे लानतें भेजेंगे तब हम ज़वाब न दे पाने कि स्थिति में होंगे. कबीर को किसने स्वीकारा होगा तब आज सब कबीर को जानते हैं ज़रूरी है कि "एकला चलो लेकिन   बहु जान हिताय जात्रा करो''
कोई आपसे असहमत है होने दीजिये कोई आपको झुठला रहा है झुठलाने दीजिये अपना काम मत छोढ़िये और न ही अपने आल माइटी होने का गुमान पालिए. हम तो कुछ भी नहीं हैं हम उनको  देखें जो ताड़पत्रों  पे लिख रहे थे उनको देखें जिनके पास शक्तिशाली विचार थे सम्प्रेषण के साधन न थे जो आज हमारे पास हैं.. सब कुछ हैं बस समष्टि के विकास की  सोच  को छोड़ के  जो कबीर के पास थी चित्र:Sadgurukabir.JPGसाभार विक्की पीडिया
आज एक ख़त लिख रहा हूँ पाबला जी को भी  मज़ाक में कुछ संकेत दे रहा हूँ शायद पसंद आयें मेरी बात असहमत हों या सहमत  हों मैंने जो कहना था वो तो कह दिया विचार आप कीजिये विवादों को ख़त्म कर दीजिये भारत के ब्लॉग जगत के सीनियर्स  को भी  चिट्ठा चर्चा.काम पर सादर आमंत्रित कर लीजिये रही नीलामी की बात अगर बात न बने तो फिर ज़रूर कीजिये नीलामी. लीजिये चिट्ठी लिख देता हूँ पाबला जी को  
पाबला जी
अभिवादन
आपका प्रस्ताव जाना मिश्रित सोच में पड़ गया हूँ. . यदि इस ब्लॉग/साईट की   नीलामी करते हैं तो उसके लिए मेरी सलाह बिन्दुवार नि:शुल्क भेज रहा हूँ कृपया पावती भेजिए
एक:- इसका मौद्रिक मूल्य न रखा जावे.
दो:-    इस नीलामी को ऑन लाइन किया जावे किन्तु कहीं कहीं नेट कनेक्शन में स्पीड का संकट होता है अत: आप किसी चेनल से बतिया लो और समस [ एस एम् एस ] से बोली लगवाइए
तीन:-बोली हेतु  प्राथमिक शर्तों का निर्धारण

  1. एक क्षेत्र से 5 से अधिक बोली न लगायेंगे
  2. हर बोली लगाने वाले/वाली को चर्चा का लंबा अनुभव न भी हो तो कम से कम पिछले तीन बरस में प्रतिवर्ष पांच चर्चा ज़रूर की हों
  3. टिप्पणी अनुभव प्रति दिन बीस
  4.  हर ब्लॉग को बांचने की क्षमता
चार:- अपनी चर्चा में आपसी पीठ खुजाई न की हो
पांच:- किसी को पानी की टंकी पे न चढ़ाया हो
छै   :- बोली कर्ता को निष्ठावान,संतुलित,समालोचन की क्षमता का धनी होना ज़रूरी
सात:-  किसी भी स्थिति में असंसदीय भाषा में टिपियाने वाले अथवा रचना चोर /छद्मनाम से टिपियाने वाले/ टांग खिचाऊ ब्लॉगर भाग न लें
 शेष सुभ
आपका ही
गिरीश बिल्लोरे मुकुल     
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शनिवार, जनवरी 23, 2010

वेब दुनिया के उप सम्पादक कुलवंत हैप्पी से पोडकास्ट साक्षात्कार

https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=f28b6629c4&view=att&th=1265c3a6067db7c1&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_g4socd730&zwशरद कोकास के बाद आज पोडकास्ट-साक्षात्कार  पर सुनिए भाई कुलवंत  सिंह हैप्पी  कुलवंत सार्थक ब्लागिंग के घोर समर्थक प्रतीत होते हैं .उनका मानना है कि असंगत टिप्पणिया अपने ब्लॉग पर बुलाने का आमंत्रण सी नज़र  आतीं हैं . सार्थक ब्लागिंग पर बेबाक हुए कुलवंत जी से बातचीत सुनिए यहाँ


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अपने बारे में कुलवंत का बयान

27 अक्टूबर 1984 को श्री हेमराज शर्मा के घर स्व. श्रीमती कृष्णादेवी की कोख से जन्म लिया। जन्म के वक्त मेरा नाम कुलवंत राय रखा गया, और प्यार का नाम हैप्पी। लेकिन आगे चलकर मैंने दोनों नामों का विलय कर दिया "कुलवंत हैप्पी"। तब हम हरियाणा के छोटे से गाँव दारेआला में रहते थे। इस गांव में मुझे थोड़ी थोड़ी समझ आई। इस गाँव से शहर बठिंडा तक का रास्ता नापा और इस शहर में गुजारे कुछ साल मैंने। शहर से फिर कदम गाँव की ओर चले.लेकिन इस बार गाँव कोई और था. मेरा पुश्तैनी गांव..जहां मेरे दादा परदादा रहा करते थे, जिस गाँव की गलियों खेतों में खेलते हुए मेरे पिता जवान हुए। वो ही गांव जिस गाँव हीरके (मानसा) में मेरी मां दुल्हन बन आई थी। यहां पर मैंने दसवीं कक्षा तक जमकर की पढ़ाई और खेती। इस गांव से फिर पहुंचा, उसी शहर जिसको छोड़ा था, कुछ साल पहले। 27 जुलाई 2000 को दैनिक जागरण के साथ जुड़ा, मगर कमबख्त शहर ने मुझे फिर धक्के मारकर निकाल दिया और मैं पहुंच गया छोटी मुम्बई बोले तो इंदौर। इस यात्रा दौरान दैनिक जागरण, पंजाब केसरी दिल्ली, सीमा संदेश, ताज-ए-बठिंडा हिंदी समाचार पत्रों में काम किया, इसके अलावा सीनियर इंडिया, नैपट्यून पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए और 27 दिसंबर 2006 से वेबदुनिया.कॉम के पंजाबी संस्करण को संवारने में लगा हुआ हूं

रविवार, जनवरी 17, 2010

यशभारत पर मिसफिट




   
Sunday, 17 January, 2010


मोनिका गुप्ता के रांचीहल्ला  पर प्रकाशित आलेख आफत में आधी आबादी  से प्रेरित  9 अगस्त 2008 को मिसफिट पर प्रकाशित एक आलेख  पुत्री वती भव कहने में डर कैसा आलेख मिसफिट के अलावा एक अन्य ब्लॉग पर प्रस्तुत किया गया था. indi blag netwoerk  पर भी इसे सराहा गया आज यानि 17 जनवरी 2010 को फिर यशभारत ने इसे प्रयोग में लेकर गैर  नेट पाठकों तक पहुंचाया . यश भारत ने कैसा छापा इसे पाबला जी ही बताएँगे प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा  जो दिनांक 18 .01 .2010 को  02 :11 बजे के बाद दिख जाएगा 

शुक्रवार, जनवरी 15, 2010

शहर जबलपुर की शान लुकमान





 [Chacha01.jpg]
जी अब इस शहर में आइनों की कमीं को देख के मलाल होता है की क्यों लुकमान नहीं हैं साथ . बवाल हों या समीर लाल  चचा   लुकमान  थे  ही ऐसे . गोया अल्लाह ने लुकमान के लिबास में एक फ़रिश्ता भेजा था इस ज़मीं पर....जिसे मैंने छुआ था उनके चरण स्पर्श कर.  दादा लुकमान की याद किसे नहीं आती . सच मेरा तो रोयाँ-रोयाँ खड़ा हो गया था .....27 जुलाई 2002 का वो दिन जब लुकमान जी ने शहर जबलपुर से शरीरी रिश्ता तोडा ........ वे जेहन से दूर कभी हो भी नहीं सकते . जाने किस माटी के बने थे जिसने देखा-सुना लट्टू हो गया . इस अद्भुत गंगो-जमुनी गायन प्रतिभा को उजागर किया पंडित भवानी प्रसाद तिवारी ने , इस बिन्दु पर वरिष्ठ साहित्यकार मोहन शशि का कहना है:-"भवानी दादा के आशीर्वाद से लुकमान का बेलौस सुर-साधक होना सम्भव हो सका धर्म गुरुओं ने भी लुकमान की कव्वालियाँ सुनी"शशि जी ने आगे बताया -"लुकमान सिर्फ़ लुकमान थे (शशि जी ने उनमें नकलीपन कभी नहीं देखा) वे मानस पुत्र थे भवानी दादा के " १४ जनवरी १९२५ (मकर संक्राति) को जन्मा यह देवपुत्र जन्म से मोमिन,था किंतु साम्प्रदायिक सदभाव का मूर्त-स्वरुप था उनका व्यक्तित्व. सिया-चरित,भरत-चरित, मैं मस्त चला हूँ मस्ती में थोडी थोडी मस्ती लेलो , माटी की गागरिया , जैसे गीत बिना किसी लुकमानी महफ़िल का पूरा होना सम्भव ही नहीं होता था।लुकमान साहब को अगर साम्प्रदायिक सौहार्द का स्तम्भ कहें तो कम न होगा। भरत चरित सुन के कितनी पलकें भीगीं किसे मालूम ? मुझे याद है कविवर रामकिशोर अग्रवाल कृत भरत चरित्र, सिया चरित,सुनने वालों की पलकें अक्सर भीग जातीं मैंने देखीं हैं . साधना उपाध्याय,मोहन शशि,स्वयं रामकिशोर अग्रवाल "मनोज", ओंकार तिवारी,रासबिहारी पांडे , बाबू लाल ठाकुर मास्साब, डाक्टर सुधीर तिवारी,और यदि लिखने बैठूं तो एक लम्बी लिस्ट है जिसे लिखना लाजिमी नहीं है.लुकमान  का चचा के साथी एक बवाल दूजा डुलकिया कुबेर ,शेषाद्री एक बाजा यानी बैंजो ,और पेटी जिसे खुद चचा बजाते थे. चचा विश्व के लिए मिसाल थे हिन्दू मुसलमान ईसाई सभी चचा  की गायकी मुरीद कुल मिला ले कट्टर पंथियों के गाल पे करारा तमाचा थे लुकमान.
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श्रीमती जी के साथ एक बार साहित्यिक कार्यक्रम में चचा से मिला चरण स्पर्श किया श्रीमती जी ने अनमने भाव से नमस्कार किया किन्तु ज्यों हीं उनके मुख से सिया चरित सुना तो बस गोया मन उनका कंचन सा हो गया मानो कार्यक्रम की समाप्ति पर सुलभा ने सबसे पहले चरण स्पर्श किये. हम जो चचा के चरण-स्पर्श से इतने सफल हो गए तो वे कितने सफल न हुए होंगे जिनने चचा के अंतस को स्पर्श किया होगा.
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आप सोच रहें हैं न कौन लुकमान कैसा लुकमान कहाँ  का लुकमान जी हाँ इन सभी सवालों का ज़वाब उस दौर में लुकमान ने दे दिया था जब  उनने पहली बार भरत-चरित गाया. और हाँ तब भी तब भी जब गाया होगा ''माटी की गागरिया '' या मस्त चला इस मस्ती से थोड़ी-थोड़ी मस्ती ले लो 
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मैं इस कोशिश में हूँ कि चचा के गाये गीत आप तक शीघ्र लाऊं यदि बवाल ने मदद की तो ये संभव होगा
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पंडित लुकमान भाईजान हो विनत श्रद्धांजलियां
समाचार कतरन पत्रिका जबलपुर से साभार {यद्यपि आज सामग्री इस लिंक पर नहीं है }
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मेरा फोटो
प्रीती का आज का सबसे सामयिक आलेख  भी देखिये
[anilPUSADKAR.jpg]
इनके आलेख को तो सब देख ही रहे हैं है न ब्लागवाणी पर टाप-ओ-टाप
चल रिया है
निवाले छीनने वाले सर्वत्र हैं यहाँ भी  फिर भी झारखंड का एक चटके में नज़ारा भी ज़रूरी है 

गुरुवार, जनवरी 14, 2010

राज मिट जाते हैं



सादर अभिवादन
बावरे-फकीरा एलबम से भजन
मकर-संक्रांति के शुभ अवसर पर सादर
शुभ कामनाओं सहित बावरे=फकीरा एलबम से राज मिट जाते हैं भाव-गीत सादर
सुधि पाठकों के लिए पोड कास्ट पर
सुनने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये
आपकी  प्रतिक्रया प्रार्थनीय है


मंगलवार, जनवरी 12, 2010

एक महकमे को मुलजिम करार देना गलत है .

 सुमन जी के इस आलेख   से जोलखनऊ ब्लॉगर एसोसिएशनपर सरकार के हत्यारे शीर्षक से  छपा है मैं असहमत हूँ क्योंकि इस आलेख से लगता है समूची भारतीय पुलिस व्यवस्था  को "हत्यारी-व्यवस्था"
है. दूसरा पक्ष कहे सुने  बिना पुलिस औरसरकार का मनोबल तोड़ना सर्वथा देश की क़ानून व्यवस्था का मज़ाक बना देना कहाँ तक अनुचित है. क़ानून के राज़ को सब मानें मध्य-प्रदेश  और आंध्र प्रदेश में हो रही नक्सली हिंसा को एक पक्ष सहज प्रतिक्रया मानता है ? क्यों क्या सरकारी नौकर ही सर्वथा गलत होता है. भारत में लागू प्रजातंत्र किसी को रक्त रंजित सियासी हथकंडों की अनुमति नहीं देता न ही भारत इतना असहिष्णु है कि किसी को भी सिरे से खारिज करे . हर विचारधारा का यहाँ सम्मान होता है. किन्तु रक्त-रंजन की इजाज़त कदापि नहीं पुलिस से यदि कुछ गलती हो रही है तो उसे रकने आवाज़ बुलंद ज़रूर कीजिये किन्तु यदि यह आरोप सब पुलिस वालों पर जड़ दिया जाए तो सिर्फ नकारात्मक बुद्धि का संकेत है  किसीको भी आतंकवादीयों के पक्ष में किसी को खड़े रहने की ज़रुरत नहीं है
देश में नक्सल बाडी आन्दोलन.धर्म के नाम पर क़त्ल-ए-आम,सियासती दंगे,सर्वहारा के नाम पे जंग,इस सब के लिए आज़ादी मिली थी क्या...?
मेरा कथन  साफ़ है कि "देश को  हिंसा से ज्यादा हिंसक-विचार धाराओं से खतरा है " आप यदि प्रतिक्रया वादी व्यवस्था के खिलाफ कुछ सुझाव दें तो स्वीकार्य है किन्तु किसी समूह को हत्यारा कह देना न्यायोचित नहीं जहां तक "प्रदीप शर्मा" का सवाल है उस का एक पक्ष यह भी है :-
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राम नारायण गुप्ता नाम के किसी बड़े गैंगेस्टर के बारे में आप भी पहली बार सुन रहे होंगे। लखन भैया के नाम से यह गुप्ता छोटा राजन के संदेश इधर उधर पहुंचाया करता था और कभी कभार वसूली करने भी जाता था। इतने छोटे से गुंडे के लिए दाऊद इब्राहीम खुद सुपारी देगा यह किसी के गले नहीं उतर रहा। दरअसल मुंबई पुलिस में एक बड़ी लॉबी है जो मराठा मूल के पुलिस वालों की हैं, और चाहती है कि प्रदीप शर्मा को किसी न किसी तरह से मैदान से हटाया जाए। कई बार प्रदीप शर्मा की जान पर हमला भी हो चुका है और उन्हें अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा भी दी गई थी। इसी चक्कर में प्रदीप शर्मा पर आधे अधूरे आरोप लगा कर दाऊद और छोटा राजन दोनों से रिश्ते रखने के इल्जाम में मुंबई पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया था। मगर ये मामले इतने कमजोर निकले कि प्रदीप शर्मा को बाहर करना पड़ा। अब प्रदीप शर्मा पहले पुलिस अधिकारी बन गए हैं जिन पर मुंबई में फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगा हो। अंधेरी अदालत में पेश कर के उन्हें जेल भी भेज दिया गया है।
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 कदाचित आपको मेरी बात मिसफिट लगतीं होंगी किन्तु गौर से देखिये न तो मुझे इस इन्स्पेक्टर से कुछ लेना देना है न ही सुमन जी से कोई विरोध बल्कि मेरी राय में बात संतुलित तरीके से रखी जाए एक महकमे को मुलजिम करार देना गलत है .  

मंगलवार, जनवरी 05, 2010

सायबर क्राइम :मेरी आई डी का दुरूपयोग

                                                            आज अचानक भोपाल में विभागीय मीटिंग के समय एक +918040932451  से प्राप्त सन्देश का कुछ इस प्रकार था मैं बैंगलोर से बोल रहा हूँ आपके पास ढ़ेड़ करोड़ इ-मेल आई०डी० हैं इस आशय का मेल मुझे मिल गया है मेल के ज़रिये मिले आई डी पर मैंने मेल भेजी है . आपका  उत्तर न मिला इस लिए फोन कर रहा हूँ ?अचानक आए इस फोन का अर्थ अभी तक मुझे समझ न आया लेकिन इस भय से कि फोन करने वाले व्यक्ति किसी साजिश के शिकार  न हों अतएव उनको फ़ौरन sms करके बताया कि यह मेल मेरे आई डी से मेरे द्वारा नहीं किया है ! मित्रों इस घटना का अर्थ जानने की कोशिश कर रहा हूँ किन्तु आप सभी को आगाह कर रहा हूँ इस तरह का कोई भी मेल आप तक पहुंचे तो कृपया तस्दीक ज़रूर कर लीजिए वैसे मैं भी इस घटना की जानकारी सायबर क्राइम विभाग को देना चाहता हूँ यदि बैंगलोर वाले वो फोन कर्ता मुझे कथित रूप से उनको प्राप्त मेल की प्रति भेजें . आप जो भी इस विषय में जानकारी रखतें हैं कृपया तकनीनी आलेख ज़रूर लिखिए
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