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दिसंबर, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वर्गीय हीरालाल गुप्त स्मृति समारोह में हुई गतिविधियां कैमरे की नज़र से

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श्री गौतम कल्लू  श्री महेश मेहेदेल  स्वर्गीय हीरालाल गुप्त स्मृति समारोह में हुई गतिविधियां कैमरे की नज़र से कार्यक्रम की  औपचारिक शुरुआत हुई दीप प्रज्ज़वलन से मुख्यअतिथि श्री गौतम कल्लू कुलपति,जी एन के वि वि जबलपुर के अलावा अन्य अतिथियों ने आयोजकों के साथ ज्योति-पुंज आलोकित किया.  लिमिटी  खरे  हमारे लिए यह गौरव की बात है  कि हम लगातार चौदह वर्षों से इस परम्परा को कायम रहे पाए जीवन में बुजुर्गों के महत्व को समझ पाने की जिज्ञासा के बूते जारी है यह सिलसिला जारी रहेगा स्वरुप जो भी हो . श्री सतीश शर्मा  श्री समीर लाल   समीर भाई (बाएं) सतीश शर्मा (दायें) कुछ  यूँ सजा मंच राजेश पाठक प्रवीन ने बाँध लिया सबको  और फिर सहज स्वागत मंच का किया गया आयोजन समिति की ओर से श्रीमती शशिकला सेन ने मुख्य-अतिथि महोदय का स्वागत किया तो आमंत्रित हुईं समाजसेविका गीता शरद तिवारी श्री के . के. शुक्ल के स्वागतार्थ   इस अवसर पर हमारे अंतरजाल के महारथी भी स्वागत के बिन्दु बने .  कादरी साहब ने लिमिटी खरे जी को   समीर भाई का स्वागत गुंजन कला सदन के  श्री ओंकार श्रीवास्तव जी ने           गु

लिमटि खरे,समीर लाल स्वर्गीय हीरा लाल गुप्त स्मृति समारोह “सव्यसाची प्रमिला देवी अलंकरण ” से विभूषित हुए

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बवाल की पोस्ट : सम्मान समारोह, जबलपुर ,और संदेशा पर संजू बाबा की पोस्ट  में विस्तार से जानकारी के अतिरिक्त आप को अवगत करा देना ज़रूरी है कि यह कार्यक्रम विगत 15 वर्षों से सतत जारी है . सम्मान देने की परम्परा  14 वर्षों से जारी है पूर्व के आलेखों में कतिपय स्थान पर 12 वर्ष मुद्रित हुआ था उसका मुझे व्यक्तिगत खेद है. जल्दबाजी में की गई गलती को सुधि पाठक क्षमा करेंगे.मामला केवल बुज़ुर्ग पीढ़ी के सम्मान का था. न तो हम पत्रकार हैं न ही आज की पत्रकारिता में शामिल किन्तु जब अखबारों में हम युवा साथियों को साहित्य की उपेक्षा एवं पत्रकारिता में हल्का सा पीलापन नज़र आने लगा तो बस हमारा जुनून हमारे सर चढ़ गया. कि चलो अब इस स्तम्भ की मदद की जाए और बताया जावे कि साहित्य से कितना करीब होते हैं अखबार जबलपुर में इसका स्वरुप क्या था. अब क्या होता नज़र आ रहा है ? बस इन सवालों का ज़वाब खोजने निकले चार हम युवा और  तय हुआ कि  स्व० गुप्त जी को याद करें हर साल और जाने उनकी पीढ़ी से ही इस बारे में.  जानें विस्तार से देखिये यहां " Girishbillore's Weblog " __________________________________ * श्री

live Talk Show With B.S.Pabla ( live 25 )

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श्री  बी एस पाबला जी से बात चीतis बातचीत को आशातीत सफलता तब मिली जब मैंने देखा कि हमारे साथ  25 साथी आन लाइन हैं तथा बात चीत में सार्थक सहयोग  दे रही वन्दना गुप्ता (दिल्ली) एवं अनिता कुमार जी (मुंबई) और फिर जुड़े विजय सपत्ति (हैदराबाद)  फिर जुड़े रूपचन्द्र शास्त्री(खटीमा उत्तरांचल,) , शहनवाज़ भाई , इनके एग्रीगेटर को लेकर दिये सुझाव महत्व-पूर्ण एवम उपयोगी हैं.,शास्त्री जी ने खटीमा ब्लागर मीट का न्योता दिया इसी वार्ता के ज़रिये.  अनिता कुमार जी ने सवाल किया कि क्या श्री  बी एस पाबला जी जबलपुर आए हैं..? वास्तव में इस टाक शो की वेबकास्टिंग जबलपुर से की जा रही थी. पाबला जी भिलाई से वेबकेम के ज़रिये जुड़े थे. आप भी तैयार रहें कभी भी आप से लाइव चर्चा हो सकती है बस आपको करना ये है कि आप एक वेबकेम / हेडफोन अवश्य ले लीजिये. साथ ही यदि आप इस वेब साईट से जुड़ना चाहें तो बस क्लिक कीजिये इधर " बेमबसर "  चर्चा के दौरान पाबला जी ने बताया कि ज़ल्द ही वे छिपे एग्रीगेटर्स पर एक पोस्ट देंगें अग्रिम आभार भाई ललित शर्मा ने जब  लिंक पर चटका लगाया तब तक बकौल ललित शर्मा :" दूकान बंद हो गई&quo

आवाज पर ओल्ड इज़ गोल्ड श्रृंखला से चार प्रतिनिधि गीत

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सजीव सारथी जी  हिंदयुग्म के आवाज़ अनुभाग से ओल्ड-इज़-गोल्ड के इन सदाबहार गीतों को प्रस्तुत करते हुये मैं अर्चना चावजी क्रिसमस एवम नववर्ष की अग्रिम बधाईयों के साथ प्रस्तुत हूं. साथियो , यदि कहा जावे कि हिंद-युग्म एक वेब पर हमारी आवश्यकता है  उसके सामग्री चयन,विषय-वस्तु की वज़ह से तो कोई अतिश्योक्ति नही    मेरी कम्पेयरिंग में आशा आप को यह पसंद आए... संजीव सारथी और अनुराग शर्मा एवम सम्पूरं हिंद युग्म परिवार को अर्चना-चावजी एवम सहप्रस्तोता गिरीश बिल्लोरे मुकुल का "मिसफ़िट:सीधीबात" की ओर से हार्दिक आभार निवेदित है      मैं बन की चिड़िया बन के.....ये गीत है उन दिनों का जब भारतीय रुपहले पर्दे पर प्रेम ने पहली करवट ली थी हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाये....और धीरे धीरे प्रेम में गुजारिशों का दौर शुरू हुआ भुला नहीं देना जी भुला नहीं देना, जमाना खराब है दगा नहीं देना....कुछ यही कहना है हमें भी दीवाना हुआ बादल, सावन की घटा छायी...जब स्वीट सिक्सटीस् में परवान चढा प्रेम  

लिमटी खरे यानि उपलब्धियों का पिटारा

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सव्यसाची माँ                         अगर आप लिमटी खरे जी से ब ज़रिये अंतरजाल जुड़ गये तो तय है कि रोज़ आपको अखबार पर खर्च करने की ज़रूरत नही पूरे स्नेह भाव से आपके  इनबाक्स में मिलेगा आपको खबरों का खजाना जिसे भेज रहें होंगे दिल्ली से लिमटी-भाई. शहर जबलपुर को कर्म भूमि के रूप में स्वीकारा  लम्बी यात्रा की पक्के ठौर-ठिकाने के लिये . चांदी के चम्मच से घुट्टी न मिली थी उनको तभी तो वे संघर्ष की परिभाषा को जी पाये. और सफ़लता के सोपान पर चढ़े जा रहे हैं .   लिमटी जी से मैने उनके नाम के बारे पूछा भी नहीं उनने बताया भी नहीं. वे तो बस लिमटी हैं वास्तव में एस०के०खरे नाम है इनका अब गौर कीजिये इनके समृद्ध सी०वी० पर एक नज़र डालिये तो ज़नाब  S.K. KHARE   (“Limty Khare”) “Priyanka” ,  Jaiswal Colony, Seoni, M.P. 480661 Phone: +91 7692 220035 Mobile : +91 94 250 11234 E-mail: limty@rediffmail.com limtykhare@gmail.com http://limtykhare.blogspot.com Objective: To be successful in Journalist field & to become part of a fraternity which provides challenging and cognitive environment. Qual

“दिखावा खत्म : मंहगाई खत्म ”

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श्री सतीश शर्मा की कृतिकार  “ दिखावा खत्म : मंहगाई खत्म ” से लाइव बात चीत 

पराजित होती भावनाएं और जीतते तर्क

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मानव जीवन के सर्व श्रेष्ट होने के लिये जिस बात की ज़रूरत है वो सदा से मानवीय भावनाएं होतीं हैं.  किंतु आज के दौर में जीवन की श्रेष्ठ्ता का आधार मात्र बुद्धि और तर्क ही है न कि हृदय और भावनाएं.....!!    जो व्यक्ति भाव जगत में जीता है उसे हमेशा  कोई भी बुद्धि तर्क से पराजित कर सकता है. इसके सैकड़ों उदाहरण हैं. बुद्धि के साथ तर्क विजय को जन्म देते हैं जबकि हृदय भाव के सहारे पाप-पुण्य की समीक्षा में वक्त बिता कर जीवन को आत्मिक सुख तो देता है किंतु जिन्दगी की सफ़लता की कोई गारंटी नहीं...     जो जीतता है वही तो सिकंदर कहलाता है, जो हारता है उसे किसने कब कहा है "सिकंदर"                                                 आज़ के दौर को आध्यात्म दूर  करती है  बुद्धि जो "स-तर्क" होती है यानि सदा तर्क के साथ ही होती है और  जीवन को विजेता बनाती है, जबकि भावुक लोग हमेशा मूर्ख साबित होते हैं.जीवन है तो बुद्धि का साथ होना ज़रूरी है. सिर्फ़ भाव के साथ रिश्ते पालने चाहिये. चाहे वो रिश्ते ईश्वर से हों या आत्मीयों से सारे जमाने के साथ भावात्मक संबन्ध केवल दु:ख ही देतें हैं. भावात्मक सम्बंध तो

बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!

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मेरा गधा, और मैं हम दौनों की स्थिति एक सी ही है अब करें तो क्या न करें तो क्या. सोचा जो भी सब मालिक के हवाले कर देतें हैं उसकी जो मरजी आवे कराए न हो मर्जी तो  न कराए. ज़्यादा दिमाग लगा के भी कौन सा  पुरस्कार मिलना है. मिलना उनको है जो उसके लायक होते हैं आज भतीजी आस्था को उसकी सहेली का एस एम एस मिला "अगर दुनियां में ईमानदार एवं मेहनतियों की इज्ज़त होती तो सबसे इज्ज़तदार प्राणी होता." सच यही है . आज के दौर में   इंसान और गधे की ज़िंदगी एक साथ प्रविष्ट हो रहे  साम्यवाद की आहट  से महसूस की जा सकती है. यकीन हो या न हो.यकीन न हो तो गधे से पूछ लीजिये. रात भर कलम घसीटी करने के बाद भी कोई फ़ायदा नहीं  एक गधे को भी क्या मिलता है कुम्हार की गालियाँ, या बैसाख नन्दन होने की तोहमत,.जिस दिन से  अपने राम के बुरे दिन शुरू हुए उसी दिन से मोहल्ले के हर आम और ख़ास के बीच हमको लेके सवाल उठते-उठाते रहे हैं . सुना था कि कुत्ता एक ऐसा जीव होता है कि स्वर्गारोहण में साथ रहा है किन्तु आजकल के मेरे पालित कुत्ते  पता नहीं किधर गम हो गए !  ! इन पे भरोसा कैसे और कित्ता करें ? बुरे दिन में हमारे पालतू ही सब