21.12.10

बोलने का अधिकार बनाम मेरा गधा, और मैं.......!!

मेरा गधा, और मैं हम दौनों की स्थिति एक सी ही है अब करें तो क्या न करें तो क्या. सोचा जो भी सब मालिक के हवाले कर देतें हैं उसकी जो मरजी आवे कराए न हो मर्जी तो  न कराए. ज़्यादा दिमाग लगा के भी कौन सा  पुरस्कार मिलना है. मिलना उनको है जो उसके लायक होते हैं आज भतीजी आस्था को उसकी सहेली का एस एम एस मिला "अगर दुनियां में ईमानदार एवं मेहनतियों की इज्ज़त होती तो सबसे इज्ज़तदार प्राणी होता." सच यही है . आज के दौर में   इंसान और गधे की ज़िंदगी एक साथ प्रविष्ट हो रहे  साम्यवाद की आहट  से महसूस की जा सकती है. यकीन हो या न हो.यकीन न हो तो गधे से पूछ लीजिये. रात भर कलम घसीटी करने के बाद भी कोई फ़ायदा नहीं  एक गधे को भी क्या मिलता है कुम्हार की गालियाँ, या बैसाख नन्दन होने की तोहमत,.जिस दिन से  अपने राम के बुरे दिन शुरू हुए उसी दिन से मोहल्ले के हर आम और ख़ास के बीच हमको लेके सवाल उठते-उठाते रहे हैं . सुना था कि कुत्ता एक ऐसा जीव होता है कि स्वर्गारोहण में साथ रहा है किन्तु आजकल के मेरे पालित कुत्ते  पता नहीं किधर गम हो गए !  ! इन पे भरोसा कैसे और कित्ता करें ? बुरे दिन में हमारे पालतू ही सबसे पहले हमारे लिए मरहम की ज़गह बदनामी दिया घर-घर रख-रखा आते हैं. पर अपने राम का गधा...? वो तो गधा ही ठहरा अपने जगजाहिर अतीत और स्वप्नहीन भविष्य के गणित से दूर अपने साथ है. अपने कुकर्म इतने हैं कि मैं और मेरा गधा जीवन को वैराग्य भाव से ही जीतें हैं न तो उसे धरती  का मोह है और न ही मुझे ही स्वर्ग से कोई आसक्ति . अब आप ही बताएं आज की ज़िंदगी से बढकर भी कोई नरक है कहीं.  हम दौनो की स्थित एक सी है जावेंगे तो बेहतर स्थिति में ही जावेंगे न ?  
 अब बताइये, अपन कोई युधिष्ठिर महाराज़ थोड़े न हैं जो सदा सच बोलें, धरमराज का ओहदा पाएं ! पाएं भी कैसे सच बोलेंगे तो गधे ही कहलाए न..?
और  ही कहोगे:-"का ज़रुरत थी  इत्ता बोलने की  फंस गए न फ़िज़ूल में ?
अगर हम सही  बोले  तो कोई भी झट से बोल देगा:-"क्या फ़िज़ूल में चिल्लाता गधा कहीं का ,चुपकर"       
Donkey Cons: Sex, Crime, and Corruption in the Democratic Party

इस बात को लिख ही रहा था कि एक आकाश वाणी हुई :-"सच..! बोलने का  अधिकार न तो तुझे है न तेरे गदहे को. सो भैया हम खामोशी से  बैठे नज़ारा कर रहे हैं. देख रहे रहें है उनको ही सुन रहें हैं जिनको कुछ भी कहीं भी कभी भी बोलने  का अधिकार है. हमारे मौन में छिपी क्रान्ति को सामझा सकते हो तो समझो.  
 

12 टिप्‍पणियां:

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

सही है भारत की प्रजा तो अब गधा बनकर ही रह गयी है। बस कुछ सत्‍यवादी बचे हैं जो सत्ता का सुख भोग रहे हैं और हम गधों के बारे में सारी दुनिया को बता रहे हैं कि हमारे यहाँ घोड़े और गधे समान है लेकिन गधा ज्‍यादा खतरनाक है क्‍योंकि दुलत्ती मारता है।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सही कहा आपने, आम आदमी को बोलने का अधिकार कहा हैं, वो अलग बात है कि वो बेचारा ब्‍लॉग पर आकर अपने मन की भडास निकाल लेता है।
:)
---------
आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

समयचक्र ने कहा…

आपका गधा तो जोरदार निकला..हा हा हा हा

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

मैं इस किताब के बारे में सोच रहा हूं..

Ram Krishna Gautam ने कहा…

Kitab Kahan Se milegi, Pat Chalega kya?



"RAM"

नीरज गोस्वामी ने कहा…

गधे की व्यथा पढ़ कर अच्छा लगा...सारे दुनिया के गधे जिस दिन एक हो गए इंसान दम दबाये भागते नज़र आयेंगे..गधों पर स्वर्गीय कथाकार कृष्ण चंदर ने तीन उपन्यास लिखे हैं १. एक गधे की आत्मकथा, २. एक गधे की वापसी ३. एक गधा नेफा में...तीनों उपन्यास अनूठे और बार बार पढ़ने लायक हैं...


नीरज

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Sabhee kaa aabhaar
kitaab on line magaa sakate hai

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Click on book & get way to order

Satish Saxena ने कहा…

यह कार्टून किसका है गिरीश भैया ?

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा हा... आजकल के कुत्ते !! कहां चक्कर में आ गये आप भी..

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

यहां मेरी और गदहे की स्थिति श्लेशित सी है

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

गधा चालीसा .............मजेदार लगा. दही कह रहे है आप. गहदे और हममे कोई खास अंतर नहीं क्योकि क्योकि आजकल कोई भी दोनों को झिनक देता है.......... .............मजेदार लगा.
इंतजार

Wow.....New

धर्म और संप्रदाय

What is the difference The between Dharm & Religion ?     English language has its own compulsions.. This language has a lot of difficu...