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अब बताइये, अपन कोई युधिष्ठिर महाराज़ थोड़े न हैं जो सदा सच बोलें, धरमराज का ओहदा पाएं ! पाएं भी कैसे सच बोलेंगे तो गधे ही कहलाए न..?
और ही कहोगे:-"का ज़रुरत थी इत्ता बोलने की फंस गए न फ़िज़ूल में ?
और ही कहोगे:-"का ज़रुरत थी इत्ता बोलने की फंस गए न फ़िज़ूल में ?
अगर हम सही बोले तो कोई भी झट से बोल देगा:-"क्या फ़िज़ूल में चिल्लाता गधा कहीं का ,चुपकर"