11.12.10

वेबकास्ट अमृतस्यनर्मदा : लेखक अमृतलाल वेगड़



              
जबलपुर संस्कारधानी के लेखक,कलाकार,श्रीयुत अमृतलाल वेगड़ की कृति  अमृतस्यनर्मदा का वेब कास्ट सुधि साथियों के लिये सादर प्रस्तुत है .
Secret Chants: A Trip to IndiaIndia - A Trip to the Taj Mahal 

10.12.10

माचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग

Landmann 28335 Big Sky Stars & Moons Fire Pit, Georgia Clay, 12.5-inches deepमाचिस की तीली के ऊपर बिटिया की से पलती आग
यौवन की दहलीज़ को पाके बनती संज्ञा जलती आग .
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एक शहर एक दावानल ने निगला नाते चूर हुए
मिलने वाले दिल बेबस थे अगुओं से मज़बूर हुए
झुलसा नगर खाक हुए दिल रोयाँ रोयाँ छलकी आग !
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युगदृष्टा से पूछ बावरे, पल-परिणाम युगों ने भोगा
महारथी भी बाद युद्ध के शोक हीन कहाँ तक होगा
Landmann USA 28925 Ball of Fire Outdoor Fireplaceहाँ अशोक भी शोकमग्न था,बुद्धं शरणम हलकी आग !
********
सुनो सियासी हथकंडे सब, जान रहे पहचान रहे
इतना मत करना धरती पे , ज़िंदा न-ईमान रहे !
अपने दिल में बस इस भय की सुनो ‘सियासी-पलती आग ?
********
तुमने मेरे मन में बस के , जीवन को इक मोड़ दिया.
मेरा नाता चुभन तपन से , अनजाने ही जोड़ दिया
तुलना कुंठा वृत्ति धाय से, इर्षा पलती बनती आग !
********
रेत भरी चलनी में उसने,चला सपन का महल बनाने
अंजुरी भर तालाब हाथ ले,कोशिश देखो कँवल उगा लें
दोष ज़हाँ पर डाल रही अंगुली आज उगलती आग !!
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
________________________
अब सुनिये  एक गीत

   सादर
   अर्चना-चावजी

9.12.10

फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह



से
Glass Bear In Box - Gift Of LoveLive, Love, Laugh Silver & Crystal Expressively Yours Braceletअर्चना चावजी की  आवाज़ में सुनिए...ग़ज़ल

चांदनी रात में कुछ भीगे ख्यालों की तरह
   मैंने चाहा है तुम्हें दिन के उजालों की तरह   साथ तेरे जो गुज़ारे थे कभी कुछ लम्हें
मेरी यादों में चमकते हैं मशालों की तरह
इक तेरा साथ क्या छूटा हयातभर के लिए
मैं भटकती रही बेचैन गज़ालों की तरह
फूल तुमने जो कभी मुझको दिए थे ख़त में
वो किताबों में सुलगते हैं सवालों की तरह
तेरे आने की ख़बर लाई हवा जब भी कभी
धूप छाई मेरे आंगन में दुशालों की तरह
कोई सहरा भी नहीं, कोई समंदर भी नहीं
अश्क आंखों में हैं वीरान शिवालों की तरह
पलटे औराक़ कभी हमने गुज़श्ता पल के
दूर होते गए ख़्वाबों से मिसालों की तरह
                                                                         -फ़िरदौस ख़ान
 

नाराज ना होना ..तकरार को दरार ना बनने देना

[Photo+on+2010-12-07+at+21.29.jpg]



 अंजना(गुड़िया) जी का आलेख यहाँ पढ़ें

किसी तकरार को दरार ना बनने देना

नाराज़ हो जाना, झगड़ लेना,
मेरी गलती पे चाहे जितना डांट देना,
पर अगली बार मिलो जो मुझसे,
बस एक बार दिल से मुस्कुरा देना
रंजिश ने हज़ारों दिलों में कब्रिस्तान बनाये हैं,
तुम अपने दिल में दोस्ती को धड़कने देना
बात होगी हो बात पे बात निकलेगी,
किसी तकरार को दरार ना बनने देना
नफरत, कड़वाहट, खुदगर्ज़ी नहीं मंज़ूर मुझे,
इन में से किसी की भी ना चलने देना
कुछ तो है जो हमारे खून का रंग मिलता है,
इसमें मज़हब-ओ-सरहदों का रंग ना मिलने देना

8.12.10

बार बार मुम्बई से बनारस तक चीख चीख के उभरती आवाज़ों से ना वाक़िफ़ तुम!!

http://www.bbc.co.uk/hindi/specials/images/1957_varanasi_blasts/334233_varanasi3_ap.jpg 

बार बार मुम्बई से बनारस तक
चीख चीख के उभरती आवाज़ों
से ना वाक़िफ़ तुम!!
किसे विश्व के सबसे बड़े प्रज़ातंत्र के
की दम्भोक्ति सुना रहे हो ?
किसे संप्रभुता सम्पन्न होने का
एहसास दिला रहे हो ?
कौन हो तुम
किस लिये हो तुम
सवाल ज़रूरी था सो पूछ बैठा !
माफ़ करना तुम्हारे खादी के रुमाल
से तुमको माथा पौंछने
बार बार मज़बूर कर देता हूं न ?
क्या करूं कवि जो हूं
तुम्हारा बयान आएगा जो तुम्हारा
कारकून टाईप कर लाएगा
तुम हरेक घायल से मरने वालों तक
मुआवज़ा दोगे सहानुभूति भरे रुदन के साथ     
तुम किसे क्या बताने जा रहे हो
नौकरी देने वाला भारत
सिरमौर भारत
कल की सर्वशक्तिमान भारत
एक फ़िर से ऊगता भारत
इन भ्रमों से कब तलक बहलाओगे 
बताओ और कब तक और रुलाओगे..?
  

7.12.10

मित्रो अब बहुत लोग साथ हैं एक सामूहिक ब्लाग बना लेते है "लिखिये सोचिये और परतें खोलिये "

                                                 कल की पोस्ट "भ्रष्टाचार मिटाने ब्लागर्स आगे आयॆं." से उत्साहित हूं सो शीघ्र ही एक सामूहिक ब्लाग की ज़रूरत है जिस पर  भ्रष्टाचार के खिलाफ़ एक जनांदोलन को हवा दी जावे. भ्रष्टाचार के विरुद्ध उपलब्ध विद्यमान कानूनों, संस्थानों, की मदद करने और पाने के लिये एक मंच पर सत्योदघाटन किया जावे. समाज़ की हर उस बुराई जो आर्थिक,शारीरिक,मानसिक भ्रष्ट-आचरणों को उज़ागर करेगा, इसकी ज़द प्रजातन्त्र सभी स्तम्भ हों. इस ब्लाग की अपनी एक नियमावली होगी. इसमें राजा रंक सभी एक पलड़े में हों.मित्र गण सहमत हों तो हम सब पवित्र संकल्प और भाव लेकर इस कार्य को अंजाम दें.इस ब्लाग का नाम "सोचिये लिखिये और परतें खोलिये " देना उचित होगा. अगर आप की राय मेरे विचार को आकार दे सकती है तो आइये हाथ से हाथ मिला कर एक चुनौती बन जाएं अपने इर्द-गिर्द के भ्रष्ट आचरणों को मिटाएं. सत्य को उजागर करें भ्रष्टाचारी को क़ानून के हवाले करने में सरकार के हाथ मज़बूत करें.... समाज को सुरक्षा दें. इस ब्लाग पर क्या और कैसे करना है काम सलाह आप ही तो देंगें मित्रो क्या सोचतें है आगे क़दम बढ़ाया जावे ? यदि कोई भारतीय /एन आर आई इस ब्लाग की सदस्यता चाहे तो मेल से अपना पूर्ण विवरण मय फ़ोन नम्बर एवम फ़ोटोग्राफ़ के  ब्लाग की आधिकारिक घोषणा के उपरांत प्रेषित कर सकता है यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं तो भी. किंतु व्यक्तिगत विद्वेष को इस ब्लाग पर कोई स्थान न होगा , पोस्ट तथ्यात्मक एवम भारतीय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने सरकार की भ्रष्टाचार संस्थाओं को मदद पहुंचाने के उदयेश्य से होगी.इस ब्लाग की ज़द में मिला कर सरकारी गैर सरकारी  मामलों को उज़ागर करना होगा.
    तो शुरु करें : सामूहिक ब्लाग " लिखिये सोचिये  और परतें खोलिये "

6.12.10

भ्रष्टाचार मिटाने ब्लागर्स आगे आयॆं.

  भ्रष्टाचार किस स्तर से समाप्त हो आज़ य सबसे बड़ा सवाल है ..? इसे कैसे समाप्त किया जावे यह दूसरा अहम सवाल है जबकि तीसरा सवाल न कह कर मैं कहूंगा कि :- भारत में-व्याप्त, भ्रष्टाचार न तो नीचे स्तर  चपरासी या बाबू करता है न ही शीर्ष पर बैठा कॊई भी व्यक्ति, बल्कि हम जो आम आदमी हैं वो उससे भ्रष्टाचार कराते हैं या हम वो जो व्यवसाई हैं. जो कम्पनीं हैं, जो अपराधी है, जो आरोपी हैं वही तो करवातें है इन बिना रीढ़ वालों से भ्रष्टाचार. यानी हमारी सोच येन केन प्रकारेण काम निकालने की सोच है.  मेरे एक परिचित बहुत दिनों से एक संकट से जूझ रहे हैं वे असफ़ल हैं वे आजकल के हुनर से नावाकिफ़ हैं दुनिया के लिये भले वे मिसफ़िट हों मेरी नज़र से वे सच्चे हिंदुस्तानी हैं. ऐसे लोग ही शेषनाग की तरह "सदाचार" को सर पर बैठा कर रखे हुए हैं,वरना  दुनियां से यह सदाचार भी रसातल में चला जाता. ऐसे ही लोगों को मदद कर सकते हैं. ब्लागर के रूप में सचाई को सामने लाएं. एक बार जब सब कुछ सामने आने लगेगा तो साथियो पक्का है पांचवां-स्तम्भ सबसे आगे होगा. पर पवित्रता होना इसकी प्राथमिक शर्त है.सही बात तथ्य आधारित कही जावे, झूठ मन रचित , केवल क्षवि हनन करने के भाव से प्रेरित न हो छद्म नाम से कुछ भी स्वीकार्य न हो . सब साफ़ साफ़  स्पष्ट और देश के हित के लिये न कि ... स्वयम के हित के लिये.भ्रष्टाचार के प्रेरक और प्रेरित दौनो को ही बेनक़ाब किया जा सकता है.  हिन्दी ब्लागिंग की ताक़त को समझने के लिये सबसे बेहतर अवसर है अगर भारत से भ्रष्टाचार  को ख़त्म करना है ब्लागिंग एक बेहतरीन और नायाब प्लेटफ़ार्म साबित हो सकता है. किंतु इस आह्वान के भीतर से भयानक  आहट निकल के आ रही है वो "यलो-सिटीज़न-जर्नलिज़्म". किंतु यदि एक संगठनात्मक संस्थागत तरीके से पूरी पवित्रता के साथ यह मुहिम छेड़ी जाए तो फ़िर  किसी भी स्थिति में   सफ़लता ही हाथ लगेगी यह तय है.चलिये आगे कदम बढ़ाएं सच्ची बात सबके सामने लाएं.    

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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