14.11.10

मिसफ़िट बालसभा :अर्चना चावजी द्वारा

                           बच्चो आज़ का दिन आपको मुबारक़ हो . हम बचपन से इस दिन पर चाचा नेहरू को याद करते हैं. पर हम ये नहीं सोच पाते की आज़कल कितने ही बच्चे पैसे के अभाव में न तो स्कूल जा पाते न ही कुछ सीख पाते. कुछ बच्चे तो जन्म से कुछ अन्य कारणों से अपाहिज़ हो जाते हैं. उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा जिसे दिखाई नही देता जबलपुर के पास एक गांव सोहड़ में रहता था. अपने गिरीश अंकल है न वो अपनी पर्यवेक्षक बहन माया मिश्रा जी के साथ गांव के दौरे पर गए मंगल से मिले मंगल इतना कुपोषित था कि बस कभी भी उसकी जीवन की कहानी खतम हो सकती थी. क्या खतम हो सकती थी
बच्चे: दीदी,जीवन की कहानी याने दीदी?
 दीदी:-यानी मंगल को कोई बीमारी घेरती तो वह सह न पाता और मर जाता.
बच्चे:फ़िर क्या हुआ अर्चना दीदी ?
 हुआ ये कि मंगल की मम्मी जो खेत पर मज़दूरी करती को समझाया गया. आंगनवाड़ी वाली दीदी प्रीता पटेल ने,माया मिश्रा ने गिरीश अंकल ने भी
बच्चे:-अच्छा..फ़िर...?
दीदी:-फ़िर क्या उसी दिन जबलपुर के सरकारी अस्पताल रानी दुर्गावती अस्पताल में "पोषण-पुनर्वास-केंद्र" में बच्चे को भर्ती किया पंद्रह दिन में मंगल की मम्मी ने सीखा कैसे सस्ते अनाज़ से बाल आहार को पौष्टिक बना के किस तरह बच्चे को खिला जाता है .
बच्चे:-अब कैसा है मंगल.....?
दीदी:-मंगल जून महीने में अंकल ने बता था था कि वो अब इतना भारी हो गया कि उसे उठाना मुश्किल.
बच्चे:-तो मंगल स्कूल जाता है क्या..?
दीदी:-न गांव में प्रीता दीदी आंगनवाड़ी है न वही आता है.स्कूल जाएगा पढ़ेगा भी. पता है गिरीश अंकल एक एलबम बनवा रहे हैं "जीभ-पलट गीतों का" जिसे गायेंगे आभास जोशी और बहुत सारे बच्चे शायद मैं भी..?. उसकी आमदनी से जो पैसा मिलेगा उसका एक हिस्सा जाएगा मंगल के खाते में
बच्चे:-दीदी  आप गाती भी हो?
दीदी:-हां कभी कभी
बच्चे:-तो सुनाओ न सुनाओ न सुनाओ न......(शोर इतना बढ़ा कि मुझे झुकना पड़ा और सुना दिये मैने उनके गिरीश अंकल के लिखे ये गीत) ---

कुछ ऊँट उँचा--


पीतल के पतीले में--



अपर रोलर लोअर रोलर---

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चलिये मिलते हैं छै: साल के छोकरे मास्टर निकुंज त्यागी से
नाम - निकुंज त्यागी उम्र - ६ साल
क्लास - पहली ग्रेड पर क्लास टीचर के हिसाब से तीसरी ग्रेड से भी ज्यादा की जानकारी पढ़ने में और गणित में
रूचि - किताबें पढ़ना , और जर्नल लिखना अपने अनुभवों के बारे में, स्टार वार्स और पॉवर रेंजर का दीवाना है, साथ ही क्यूंकि उसका नाम का एक अर्थ कृष्ण भगवान् भी होता है तो कृष्ण जी के बाल रूप का दीवाना है ! डांस में विशेष रूचि है !
टेनिस, soccer, और तैराकी में अभी तक तो अव्वल है ! साथ ही पिछली साल उसकी एक पेंटिंग का प्रदर्शन स्कूल की और से एक जिला स्तरीय प्रदर्शनी में हो चुका है
यू ट्यूब पर देखिये क्या ला ज़वाब वाह भई वा




http://www.youtube.com/watch?v=hghS1ZV3yQc
http://www.youtube.com/watch?v=V3vVOWTdE9M
http://www.youtube.com/watch?v=5UmIGS-fpUM
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13.11.10

"दो नहीं..... समीरलाल जी के साथ आईं थीं छै: तरुणियां !!"

                   जी सच है दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार समीर लाल जी के साथ जिनको देखा गया था दो नहीं पूरी छै: थीं छै: वे सभी कौन हैं उनका परिचय क्या है ? अपने  मिसफ़िट पर कल किये वादे के मुताबिक आपको बताना ज़रूरी था सो बता देता हूं सूची परिचय सहित पेश-ए-नज़र  है:-
  1. धैर्या =  यह कन्या समीर लाल उर्फ़ उड़नतश्तरी के साथ बरसों से रह रही है इनके गहरे अंतर्संबंध हैं. समीर का जीवन-दर्शन भी इसी से सुस्पष्ट होता है जो इनको जानतें हैं. समीर की रगों में बसती है धैर्या जिसे पुरुष वादी लोग  धीरज कहते हैं .
  2. कामना:- पंद्रह-सोलह के थे तबसे इनके उर जा बसी  खूब झेला दुनियादारी का रंग फ़िर भी सबके लिये कामना के हाथों  "मंगल" ही बांटते रहे
  3. क्षमा:- इस ने तो इनको बहुत बेकाम का इन्सान साबित करा दिया कई बार तो मैने भी कहा आप इग्नोर कर देते हो आप भी पलटवारी बनो भाई, हंस देते हैं कहते हैं ये क्षमा है न पलटवार करने से मना करती है
  4. स्नेहा:- यह युवती समीर को ब्लागिंग के समय मदद करती है. जाने-अनजाने. ब्लागर्स के हर पोस्ट पर स्नेह बिखेर आती है. 
  5. श्वेता:- समीर के  के व्यक्तित्व  से स्वच्छ श्वेत व्यक्तित्व का आभास देने में सहायक यह इनकी सबसे प्रिय है 
  6. गंभीरा:- सारी दुनिया के सारी खलबलियां एक साथ भी आभासित हों समीर का गम्भीरपना न जा पाये है 
                अब बताओ पूज्या भाभी को इन आभासी   बालाओं से काहे डाह होगी डाह भले ही भगवान ने शरीर-रचना के समय डाल भी दी हो तो भी कोई नर या मादा इन सुंदरी बालाओं से "डाह" नहीं कर सकता जो धैर्या,कामना,कामना,क्षमा,श्वेता,गंभीरा हों तथा व्यक्तित्व को निखारती हो कहो भाई कैसी रही ?
नोट:- इन बालाओं के सेल फ़ोन से लिये फ़ोटो आप मुझे मेल कीजिये ताकि़ पोस्ट के साथ लगा सकूं. सादर शुभ कामनाओं सहित आपका ही-गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"  
तुरंत रपट :- यूरेका पर  

 

                              (श्रीयुत एम. वर्मा साहब के सबसे तेज़ ब्लाग"यूयेका से " साभार ) 
कुछ और ताज़ा तस्वीरें अजय भैया के पास है "यहां"
अविनाश वाचस्पति की पोस्ट की प्रतीक्षा सब कर रहे हैं   

"दो सुन्दरीयों के साथ : उडनतश्तरी दिल्ली में उतरी..!!"


सारा ब्लाग जगत में कौतुक भरी नज़र से अविनाश वाचश्पति के ब्लागों पर क्लिक पे क्लिक मारे जा रहा था कि उडनतश्तरी के लैण्ड होने की क्या खबर है  कैमरे स्टिल-फ़्लैश सब चल पड़े थे कवरेज़ को पर पता चला कि एयर-पोर्ट पर सेन्सर-शिप लागू है. रक्षा मंत्रालय के सूत बताते हैं कि सुरक्षा कारणों से देश हित में ज़रूरी था. असल में  माज़ारा क्या है इस पर कोई न बोला ताऊ महाराज भी सुन्न दबा के बैठ गये , दिल्ली के अजय भाई ने भी चुप्पी ही रखी , जबलपुर के महेन भैया बवाल साब सब चुप्प यानी "गड़ा गुप्प चिड़ा चुप्प..!!" अब मेरे दिमाग में चैन कहां. तमाम भोपाली टांगे वालों ने अब मरियल घोड़ों को काला खिज़ाब लगवा लिया जबलपुर में भी खूब बिक रहा है गार्नियर भी दिल्ली में तो कनाट प्लेश की दुकान लुट गई इस चक्कर में इस वीकेण्ड हेयर कलर ब्लैक में भी मुश्किल है लोग बुढ़ापा कैसे छिपाएंगें ...दुनिया भर में खबर है उडनतश्तरी को काले घोड़े के दाएं अरे नहीं बाएं पैर की अपने आप निकली नाल चाहिये  सारे घोड़े काले कर दिये बूढ़े-खूसट सईसों ने. घोड़ियां हैं कि लत्ती मार मार कर अपने पति को दुत्त्कार रहीं हैं. धन्नो ने तो  भोपाल में सचिवालय के सामने धरना दे दिया कि हमारे पति बदल दिये गये हैं सरकार चुपचाप सो रही है. सी जी के  ललित शर्मा ने बयान जारी करना पड़ा  कि:-"कोई भी पत्नी जिस स्वरूप में पति का वरण करनी है उससे विलग छवि को स्वीकारना धर्म के विरुद्ध है घोड़ों को तलाक देने को बाध्य हैं घोड़ियां सतीत्व की रक्षार्थ न्यायोचित है." घोड़ा मालिकों की गिरफ़्तारी के आश्वासन के बाद धन्नो ने मोर्चा खुर्द-बुर्द किया.खैर अब रही बात कि कल के कार्यक्रम की तो तय शुदा वक़्त पर पूरे इत्मीनान से होगा . उडन तश्तरी के साथ जिन दो तारिकाओं का फ़ोटू छपा है इनके आने से वातावरण कैसा होगा कहना मुश्किल है  अत: मध्य-प्रदेश से आफ़िसियल रिपोर्ट तक फ़िलहाल दिल्ली प्रशासन ने इस बात की मंजूरी इन्तज़ाम अली एवम ब्लाग जगत के सूचना-प्रसारण मंत्री ज़नाब अविनाश वाचश्पति को  नहीं दी है.इतर जानकारी के लिये चौखट इधर है=>; {{([])}}
                                                      दिल्ली-ब्लागर्स-मीटिंग का एजेण्डा 
     "दिल्ली से जबलपुर तक समर जी की सत्रह घंटे की यात्रा के लिये आवश्यक सुझाव का मसौदा तैयार किया जावेगा जिसे रोहतक में अंतिम स्वीकृति मिलेगी "

डिस्क्लेमर
मित्रो:- यह आलेख केवल मनोविनोदन के लिये है
अत: आप  से  ठिलठिला के  हंसने की गुज़ारिश है
मिसफ़िट के लिये दिल्ली में अविनाश वाचस्पति, छत्तीसगढ में ललित शर्मा के साथ गिरीश बिल्लोरे मुकुल 
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  • विशेष सूचना :- अभी अभी पता चला है कि वे सुंदरियां कौन हैं उनका नाम क्या है आदि-आदि इस बारे में हमारी  टीम से आधिकारिक रिपोर्ट मिलते ही खुलासा कर दिया जावेगा
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12.11.10

बच्चन के बच्चा हुआ, नाम हो बच्चू सूर मां और बाप के नाम की छाप रहे भरपूर

बेहद विचित्रताओं भरा जीवन किंतु सपाट और तीखा-व्यंग करने वाले स्वर्गीय हरिशंकर परसाई जी का अनूठा और दुर्लभ चित्र प्रस्तुत करते हुए बेहद रोमांचित होता जा रहा हूं. आज लिखना चाह रहा हूं "दशद्वार से सोपान" पर किंतु उसी क़िताब में क्षेपक से छिपी इस तस्वीर को आप सबके सामने लाकर मन रोमांच से भर आया. यह करामात स्वर्गीय शशिन यादव की है, "करामात" शब्द का प्रयोग  क्यों कर रहा हूं इस विषय पर बाद में बात करूंगा. अभी बच्चनजी की कृति पर चर्चा ही करूंगा. अव्वल तो यह साफ़ कर देना चाहता हूं कि मैं कुछ भी नहीं पढ़ता और जब पढ़ता हूं तो उसे ही जो जीवनोपयोगी हो ..
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                             दशद्वार से सोपान तक  
"यह कृति की समीक्षा नहीं बल्कि सार्वकालिक कहने की कोशिश है"
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"तेज़ी जी  से शादी करने का अर्थ  अपमान से ज़्यादा उस युग में आंकना भी गलत था.  बच्चन जी का तेजि जी से विवाह एक पाप के तुल्य मानी गई सामान्य रूप से जीवन में आप देखें तो पाएंगे कि यदि आप पर ऐसा कोई आरोप झूठा ही सही लग जाए तो सबसे पहले रिश्तेदारी की गांठ जो कस के लगाई होती है जिसे मान-मनुहार से जोड़ा जाता है सबसे पहले "फ़्रीज़र में जमे बर्फ़ की तरह " रिसने लगती है. एकाध बार कोई मित्र मण्डली आपके संग साथ बैठी तो बैठी वरना जितना ज़ल्द से ज़ल्द  हो सके कन्नी काटने की कोशिश भी करती है और तो और काट भी लेती  है.मैं भी बच्चन जी की इस पीर को उस समय समझ पाया था जब परिवार के एक रिश्तेदार की पुत्र वधू ने उनको दहेज़ प्रताड़ना के मामले में जेल भिजवा दिया हम नार्मदेय-ब्राह्मणों में दहेज न तो मांगा जाता और न ही दिया जाता. बात फ़ैलते ही लोगों ने उनसे दू्री बनानी शुरु कर दी  . मेरे घर में बड़े भैया की शादी होने वाली थी... मेरी मां तो सच सव्यसाची थीं उन्हैं  सबसे स्नेह था जानतें हैं घर में बिराजे गणेश जी  सहित  पूजा-कक्ष से सारे आराध्यों को आमंत्रित कर सब से पहला कार्ड देने उसी  उपेक्षित परिवार में  गईं थी बाबूजी को साथ लेकर गईं. लौटने पर कौतुहल वश मैने पूछा :- क्या ज़रूरी था  उधर सबसे पहले जाना पहले अमुक को न्योता देते इस घर में तो बाद में भी जा सकते थे हम बच्चों मे से कोई दे आता (तब मैं बाईस बरस का बच्चा था) इस पर मां बाबूजी मेरी बात सुन कर मंद मंद मुस्कुराए मां ने कहा था:-"पप्पू,कैसा कवि है तू..?"
मेरे सवाल का ज़वाब मुझे मिला और आत्मकथा के इस भाग ने उसकी व्याख्या की . किसी ने  कुंठा वश  दो पंक्तियां लिखीं थी तब  शिशु अमिताभ को देखते हुए:-
बच्चन के बच्चा हुआ, नाम हो बच्चू सूर
मां और बाप के नाम की छाप रहे भरपूर
अपमानित करने लिखी गईं पंक्तियाँ सटीक थीं अमित जी आज सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरी और लोक प्रिय हैं इसमें कोई शक नहीं 
मधुशाला को लेकर हंगामे से सभी परिचित हैं  अब आप ही देखिये इस चतुष्पदी को कहां है मादकता -
क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला,
भरी हुई है जिसके अंदर कटु-मधु जीवन की हाला,
मृत्यु बनी है निर्दय साकी अपने शत-शत कर फैला,
काल प्रबल है पीनेवाला, संसृति है यह मधुशाला।(कविता कोष से समीक्षार्थ साभार)
मेरी नज़र में कोई गंदगी नहीं विशुद्ध अध्यात्म है मधुशाला मैं पीने वालों में से नहीं फ़िर भी साबित कर सकता हूं कि बच्चन हाला-के कवि न थे .बच्चन समग्र इधर  मिलेगा ० =>;"कविता-कोष में"
                 यहां एक बात साफ़ तौर पर कहना है कि किसी भी विक्टिम को अपराधी की तरह ट्रीट किया जाने से बड़ा अपराध और कोई नहीं  न तो आप-हम स्रजक और नियंता हैं न ही किसी के न्यायाधीश ही स्वयम प्रभू होने का दावा करना सत्ता का अहंकार मात्र होता है.
"एक बार एक एक धूर्त राजा जो चापलूसी पसंद अपने मंत्री को आईना देखने की सलाह दे रहा था  सउदाहरण   उसने धूर्त राजा ने बताया कि मंत्री तुम्हारे कितने अपराध हैं लोग तुमको राज्य में सबसे ज़्यादा नापसंद करतें हैं तुम्हारी छवि ठीक नहीं खुद का सुधार करो . मंत्री को समझ में आ गया कि राजा का अब अंत निकट है सो उसे बचाना भी ज़रूरी है. वरना पराधीनता भी तय है. सो उसने राजा से रात को जन रुचि परखने चला जावे वेष बदल कर. यदि सच हुआ तो मुझे देश निकाला दे दीजिये .
धूर्त राज़ा ने सोचा मंत्री उसे चुनौती दे रहा है फ़ौरन सूर्यास्त के पूर्व देश से प्रस्थान  के आदेश दे दिये. सुविज्ञ ज्ञानवान के राजा का छोटा भाई खुश हुआ. बस भाई को नज़र बंद कर अगले ही दिन मुकुट हथिया लिया . आशय साफ़ है कानों से मूर्ख और धूर्त देखते हैं आँखों से पढ़े-लिखे किंतु  सत्यान्वेषी अंतस-के नेत्रों से देखते हैं .
आज के परिदृश्य में उस राजा की तरह देखने वालों की संख्या सर्वाधिक है.
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                           अभी-अभी 
पोस्ट यथा संभव जटिल नहीं है . मुझे यकीन है किन्तु
अरविन्द  मिश्र जी के सर के ऊपर से सर्र से निकलना
यानी मुझे कुछ और सरल प्रवाह में लिखना होगा ताकि ...?
      बच्चन जी की आत्म-कथा चार भाग में

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11.11.10

खबरनवीसी कोई चुगल खोरी का धंधा नहीं मेरे दोस्त

भारतीय जनता पशु नहीं है

निजता के मोल लेख में डॉ॰ मोनिका शर्मा ने स्पष्ट किया कि महज़ टी आर पी के चक्कर में क्या कुछ जारी है. खास कर रियलिटी के नाम पर अंधाधुन्ध की जा रहीं कोशिशें उफ़्फ़ अब देखा नहीं जाता. उन्हैं जो खो रहे हैं पैसों के लिये अपना ज़मीर, अपना सोशल स्टेटस, यहां तक कि अपने वसन भी.  यही "उफ़्फ़"  उनके लिये भी जो कि अक्सर भूल जातें चौथे स्तंभ की गरिमा और प्रमुखता दे रहे होते हैं सनसनाती खबरों पर .
जब अखबार या चैनल किसी के पीछे पड़तें हैं. रिश्ते भी रिसने लगते हैं. तनाव से भर जाता है  ज़िंदगियों में इसे क्या कहा जावे.मेरे पत्रकार  एक मित्र का अचानक मुंह से निकला शब्द यहां कोड करना चाहूंगा:-"खबरनवीसी  कोई चुगल खोरी का धंधा नहीं मेरे दोस्त" यह वाक्य उसने तब कहा था जब कि वह एक अन्य पत्रकार मित्र से किसी नेता के विरुद्ध भ्रांति फ़ैलाने के उद्येश्य से स्टोरी तैयार कर रहा था के संदर्भ में कहे थे. आज़कल समाचार,समाचारों  की शक्ल में कहे लिखे जातें हैं ऐसी स्थिति नहीं है. जिसे देखिये वही हिंसक ख़बरनवीसी में जुटा है. निजता का हनन चाहे जैसे भी हो, हो ही जाता है. चाहे खबरनवीस करें या स्वयम हम स्वीकारें.यहां मानव अधिकारों की वक़ालत करने वाले खामोश क्यों....? यही सवाल सालता है बुद्धि-जीवियों को. एक बार मेरे बड़े भाईसाहब से उनके एक परिचित ने  पूछा:-"फ़लां स्टेशन पर प्लेट फ़ार्म की प्रकाश व्यवस्था ठीक नहीं है "
भाई साहब ने पूछा:-आप को कैसे मालूम ?
परिचित:-"अखबार में देखा "
भाई साहब:- "आज़ आपके घर का मेन गेट का लाईट बल्व बंद है क्या जलाया नहीं आपने ?"
   परिचित अवाक़ उनका मुंह ताकते कुछ देर बोला :- आज मंगलवार हैं न बाज़ार की छुट्टी थी सो मैं  ट्यूब-राड खरीदने न जा सका ...... ?
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बात तीन बरस पुरानी  है जब मैं अपने क्षेत्रीय दौरे के समय एक आंगन वाड़ी केंद्र पर रुका मेरा अधिकारी भी साथ साथ था, केंद्र पर दो कर्मचारी होते हैं उनमें से प्रमुख कार्यकर्ता गायब थी  केंद्र पर कुछेक बच्चे  मिले एक बच्चा तो ज़मीन में धूल खाता नज़र आया ऐसी स्थिति कई बार  मैने भी देखी थी सो मैनें उसका पिछला रिकार्ड देखते हुए उसे नोटिस दिये नियमानुसार कार्य से हटा भी दिया जो अमूमन मेरी रुचि के विरुद्ध है तीसरे या चौथे दिन राज्य स्तर के एक खबरिया चैनल पूरे दिन उस समाचार को इस तरह चलाया कि शायद मैं अपराधी हूं. क्या यही ज़वाब देही है हमारी ...?
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कुण्ठाएं समाज को घृणा से ज़्यादा और कुछ नहीं दे सकती हम उस दौर से गुज़र रहें हैं जो सकारात्मकता में नकारात्मकता खोज रहा है  हम उस दौर से निकल चुकें हैं जब नकारात्मकता से सकारात्मकता खोजी जाती थीं . अखबार न्यूज़ चैनल्स से बस इतनी अपेक्षा है कि इतना करें कि मानवता बची रहे  
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यह आलेख केवल सकारात्मकता के वातावरण को निर्मित करने का संकेत है जो डॉ॰ मोनिका शर्मा के आलेख से प्रेरित है .

10.11.10

अमिताभ बच्चन व्हाया बिग बी का ब्लाग

अमिताभ बच्चन
69 बरस के हो जाएंगें अगले 10 अक्टूबर को पर कमाल का सम्मोहन वाह इस खास इंसान को आम दिलों पे छा जाना  ईश्वर का कमाल ही तो है. मां शारदा की कृपा पात्र लता मंगेशकर जी  और अभिनय सम्राठ अमिताभ जी सच वो गंधर्व हैं जिनमे बेशकीमती  आभा झलकती है. इतना सम्मोहन अदभुत मैं अमिताभ जी की फ़िल्मों से अधिक उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हूं. जिस तरह का किरदार मेरी हीरो हो सकता है उसे अमिताभ के अलावा कोई और नाम न दे सकूंगा. मुझे मालूम है छोटा सा सैलेब्रिट्री भी जो ब्लागिंग कर रहा होगा शायद ही हिंदी ब्लागर्स के ब्लाग देखता हो यह कई कारणों से होता है मुझे उस बात के भीतर नहीं जाना . उनकी ताज़ा पोस्ट मुझे पसंद आई सोचा शेयर कर लूं
और मेरा पसंदीदा गीत भी फ़िल्म सिलसिला से मुझे बेहद पसंद है शायद आप को भी

भाग्य

भाग्य का निर्माता कौन इस बिन्दु पर महेंद्र मिश्र जी की पोस्ट जो समय चक्र पर प्रकाशित हुई है को अन देखा करना अनुचित होगा. मिश्र जी के आलेख में लिखतें हैं:-
                                     "मनुष्य कुछ इस तरह की धातु का बना होता है जिसकी संकल्प भरी शक्ति और साहसिकता के आगे कोई भी अवरोध टिक नहीं पाता है और न भविष्य में टिक पायेगा . इस तरह से यह कहा जा सकता है की मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है . दुनिया में मनुष्य के आगे असंभव कुछ भी नहीं है . आदमी के अच्छे या बुरे होने का निर्धारण स्वयं उसके कर्म करते हैं .".........
भाग्य और अगले जन्म में गहरा अंतर्संबध है. इस बारे में स्वामी शुद्धानंद नाथ ने एक प्रवचन के दौरान कहा था नियति का नियंता स्वयम इन्सान ही होता है. जो घट रहा है वो पूर्व-जन्म में किये गये कार्यों का परिणाम है.जो अगले जन्म में घटेगा उसका मार्ग आज से बनाना है तय करो कि क्या चाहते हो आज़ के कार्य कल के भाग्य को तय करेंगें. भाग्य को कोई दैव योग कहता है तो कोई ग्रहों की स्थिति जो सच नहीं है भाग्य इस जीवन में किये गये सत-असत कर्मों का परिणाम है. भाग्य को भाषित करने भारतीय ज्योतिष प्रयासरत है "भाग्य" कभी भी परिवर्तित नहीं होता. कोई उपाय कोई प्रबंध इससे विमुक्त नहीं कर सकता सब को अपना अपना किया भोगना ही होता है. यह तय है
                                           विज्ञान  इसे नही मानता कोई बात नहीं असल में विज्ञान में केवल भौतिक-विषयों का अध्ययन कर सकता है उसकी अपनी सीमाएं हैं.जब भी  परावैज्ञानिक विषयों पर अध्ययन होने लगेगा तो तय है कि लोग भाग्य के निर्माण की प्रक्रिया को सहज ही समझ पाएंगें  संजय ने युद्ध का वर्णन किया टी.वी. की कल्पना के पूर्व लोग उसे चमत्कार मानते थे. टी.वी . के आने के बाद बस उस क्रिया को सहज स्वीकार लिया. आज़ तेज़ वायरल के बावज़ूद लिखने का मन था सो लिख दिया विषय गम्भीर है कुछ विचार अभी मन में हैं किंतु शरीर साथ नहीं दे रहा शेष फिर कभी  तब तक सुनिए अर्चना  चावजी के स्वरों में ये पाडकास्ट स्वप्न लोक पर विवेक सिंह का  आलेख 



प्रमाणपत्र  यहाँ से मिलेगा ।

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
जन्म- 29नवंबर 1963 सालिचौका नरसिंहपुर म०प्र० में। शिक्षा- एम० कॉम०, एल एल बी छात्रसंघ मे विभिन्न पदों पर रहकर छात्रों के बीच सांस्कृतिक साहित्यिक आंदोलन को बढ़ावा मिला और वादविवाद प्रतियोगिताओं में सक्रियता व सफलता प्राप्त की। संस्कार शिक्षा के दौर मे सान्निध्य मिला स्व हरिशंकर परसाई, प्रो हनुमान वर्मा, प्रो हरिकृष्ण त्रिपाठी, प्रो अनिल जैन व प्रो अनिल धगट जैसे लोगों का। गीत कविता गद्य और कहानी विधाओं में लेखन तथा पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशन। म०प्र० लेखक संघ मिलन कहानीमंच से संबद्ध। मेलोडी ऑफ लाइफ़ का संपादन, नर्मदा अमृतवाणी, बावरे फ़कीरा, लाडो-मेरी-लाडो, (ऑडियो- कैसेट व सी डी), महिला सशक्तिकरण गीत लाड़ो पलकें झुकाना नहीं आडियो-विजुअल सीडी का प्रकाशन सम्प्रति : संचालक, (सहायक-संचालक स्तर ) बालभवन जबलपुर

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