30.12.14

परसाई जी बनाम आमिर खान और फुरसतिया वर्सेज़ मिसफिट

                    पी के ने तीन सौ  करोड़ से ज़्यादा रकम भीतर कर ली हंगामा तब मचा कि आमिर भाई एक तरफा बात करती है इस फिलम के भीतर ...... आमिर बाबू बोले भाई अपुन तो आर्टिस्ट है जे बात आप निर्माता निर्देशक से कहियों  !
           कोई कुछ भी कहे   एक बात तो स्वीकारनी  होगी कि इंसानी आस्थाओं के खिलाफ लोगबाग सदियों से आधी रोटी में दाल लेकर उचकते नज़र आते हैं ... हमाए बाबा परसाई जी कम न थे गणेशोत्सव हो या अन्य कोई उत्सव हिन्दू धर्म के खिलाफ वो लिखना न चूकते ऐसा जबलपुर वालों का मत रहा  है । परंतु परसाई जी कट्टर भगत लोग इस बात को अस्वीकारते हैं  सारे  भगत मानतें हैं कि - "परसाई जी सभी धर्मों की कट्टरताओं के खिलाफ थे । "
            तो भगत  भाई लोग  ये  बताओ कि - किसी भी प्रकार का धार्मिक  विद्वेष के लिए  ऐसे विषय औवेसी ब्रांड वक्तव्य अथवा किसी भड़काऊ विषय को सामने  लाना ज़रूरी है क्या ?
       "नहीं न................ तो समझ लो लोग निब्बू वाले प्रकाश में ( लाइम  लाइट में ) बने रहने अथवा नोट कमाने के लिए अथवा टी आर पी के चक्कर में ऐसा काम करने से चूकते नहीं ।
अब अपने अनूप जी को ही लीजिये वे पुलिया प्रकरणों प्रकाशनोपरांत  इन दिनों परसाई जी की उक्तियों की सीरीज़  फेसबुक पर सांट रहे  हैं उनकी मित्र मंडली में हम ही एक नालायक निकले जिसने ऐन उनकी फेसबुक वाल पे अंगुली कर दी .......... अब जुकर भाई ये फाइसेलिटी प्रोवायाडे हैं तो हम फायदा उठा लिए ।  
       परसाई ने केवल हिन्दुओं को निशाना बनाया था अनूप शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या आपके पास ?
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है ।
         भाई साहब को हमारा सवाल गलत अवश्य लगा पर चोखा सवाल है मित्रो दोषारोपण कर हम किस किस को और क्यों आहत करना चाहते हैं ? रही परसाई जी की बात तो जान लीजिये कि बावजूद उनसे गटागट की गोलियां खाने के हम उनके हर मुद्दे को हूबहू स्वीकार लें  तो यह भी एक  तरह की सांप्रदायिकता होगी ।  मुझे परसाई जी पसंद हैं पर उनका हर अक्षर स्वीकार लूँ मुझे स्वीकारी नहीं है ।
            परसाई ने  इस तरह की बात कह दी पता नहीं क्यों  धर्मों को दोष  दिया परसाई ने शायद उनने  धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के बाद एक भी अच्छी बात परसाई को न मिली उन में तो मुझे उनकी शैली में  ही कहना पड़ रहा है कि - परसाई भगत ने उनको गलत चश्मा पकड़ा दिया होगा ।
          कोई बात नहीं ..... होता रहता है बड़े बड़े शहरो में ऐसी छोटी छोटी बात होती ही हैं । हिन्दुत्व क्रिश्चियनिटी इस्लाम सबकी अच्छी एवं मानवता पोषक बातों को हाइलाइट कीजिए अनूप शुक्ल जी सहित उन सभी से मेरा निवेदन है जो  कि सनातन की ज़्यादा भद्द पीटने आमादा हैं कि भाई धर्म के नाम पर किसी को प्रोवोग न किया जावे .... दु:खी तो कतई न करें वरना इसके दुष्परिणाम ही सामने आएंगे ।
                   समय सदभाव को गति देने का है न कि फिजूल में मुद्दे उछालने का ।  आजकल  अधिकतर लेखक / फ़िल्मकार / सोशल-साइट वीर, ब्लागर, नेता धर्मगुरू  बिक जाने योग्य यानि सेलेबल मुद्दे उछलते है ।  मुद्दे उछालते हैं ।  
                    पी के फिल्म पी के की खिलाफत न होती अगर फिल्मकार समझदारी से मुद्दा उठाते , आप आज नहीं कल स्वीकारेंगे कि पी के एकतरफा फिल्म है ।     
मुद्दे पर आता हूँ मैंने फुरसतिया जी की वाल पर लिखा -
परसाई ने केवल हिन्दुओं को निशाना बनाया था अनूप शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या आपके पास ?
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है ।
          ये लिखने की वजह थी किसी  धर्म पर निशाना लगाने से क्या हो सकता है .... और देखना यह भी था कि वास्तव में केवल एक  समूह विशेष के बारे में लिखने वाले कितने साहसी हैं .......... मित्रो आगे के कुछ संवाद से आप समझ ही  जाएंगे


अनूप शुक्ल आप तो बचपन से परसाई जी से मिलते रहे हो। इत्ता ही जानते हो परसाई जी को। अफ़सोस हुआ आपकी टिप्पणी से। पढ़ो उनका लिखा हुआ।
  Mukul जी पढ़ा है पढ़ूँगा भी ...... उनके हाथ से गटागट की गोलियां भी खाईं हैं । मैं खुले तौर पर इस बात को सामने लाना चाहता हूँ कि परसाई कालीन परिस्थियों पर भी विमर्श हो ।
 Mukul आप अफसोस ज़ाहिर न करें मैं वो पहला व्यक्ति हूँ जिसने परसाई जी के भोला राम के जीव को पढ़कर संकल्प लिया था कि अफसर बना तो किसी भी मातहत को इस तरह दु:खी न होने दूंगा । ऐसा किया भी .... 1991 में मुझे अवसर मिला भी । इसका ये अर्थ नहीं कि " मैं टार्च बेचने वाले को स्वीकार लूँ "
अनूप शुक्ल परसाईजी ने हर धर्म की कट्टरता के खिलाफ लिखा है। लेकिन पिटे अपने धर्म के कट्टरपंथियों से हैं। अफ़सोस इसलिए कि आपने लिखा क़ि उन्होंने सिर्फ हिंदुओं को निशाना बनाया है । परसाई जी से परिचित व्यक्ति से यह तो अपेक्षा रखी जा सकती है कि वह उनके बारे में इतनी तो समझ रखे ।

 Mukul वही तो पूछ रहा हूँ कि परसाई जी ने अन्य के बारे जो लिखा उसे आप आज पोस्ट कर पाएंगे ............ मैं उन नज़ीरों को सामने लाने की बात ही तो कर रहा हूँ ......... जीनामे यूनाने अन्य सभी कुरीतियों को उजागर किया है अनूप शुक्ल जी
Mukul मैंने आपको अपनी राय नहीं दी वरन एक सवाल पूछा हा... ? चिन्ह के पहले ये ही लिखा है न .................. " परसाई ने केवल हिन्दुओं को निशाना बनाया था अनूप शुक्ल जी कोई और की नज़ीरें है क्या आपके पास ?
वैसे वे #रजनीश के खिलाफ एक प्रायोजित मुहिम के सूत्रधार थे ऐसा हमने सुना है । "
                  इसके बाद फुरसतिया जी ने कुछ भी नहीं कहा ......................   
आमिर भी मौन हैं ....................... सेंसर बोर्ड तो पहले ही नेत्र विकार से ग्रस्त है ......... कुल मिला के सबकी दुकान अपने अपने तरीके से चलती है चलती रहेगी ।

28.12.14

जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता- वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.


आप बोलोगें मुकुल जी, आपका तो जलजला है by girishbillore

फ़न उठा कर मुझको ही डसने चला है,
सपोला वो ही मेरी, आस्तीनों में पला है.!
वक़्त मिलता तो समझते आपसे तहज़ीब हम -
हरेक पल में व्यस्तता है तनावों का सिलसिला है.
जो कभी भी न मिला, न मैं उसको जानता-
वो भी पत्थर आया लेके जाने उसको क्या गिला है.
जीभ देखो इतनी लम्बी, कतरनी सी खचाखच्च -
आप अपनी सोचिये, बयानों में क्या रखा है .?
ये अभी तो ”मुकुल” ही है- पूरा खिलने दीजिये-
आप बोलोगें "मुकुल जी, आपका तो जलजला है..!!" 

22.12.14

हरदे वाला बाबूलाल

हरदे* वाला बाबूलाल 
एक टांग पर खड़ा 
एक हाथ उंचा आकाश को निहारता 
अक्सर देखा जाता था 
घंटाघर में 
जोर जोर से कुछ बोलता था 
जाने क्या कौन जाने 
काला  कम्बल 
कब सोता था उसे ओढ़कर 
कौन जाने ?
किसानों की छकड़ी से 
बाबूलाल को तकते बच्चे 
पूछते - "यो काई बोलच दाजी "
.... कुण जाणा  कई बोले है ....
पोरया, अ वो धसाढ़नई 
मुड़ो  भित्तर कर .......
बच्चे छिप जाते गाड़ी के भीतर 
हरदे वाला बाबूलाल 
एक टांग पर खड़ा 
एक हाथ उंचा आकाश को निहारता 
लोग कहते थे 
गरिया रहा है 
अंग्रेजों को.…………………। 
मेरे  घर के ऐन 
सामने वाला बूढ़ा भी  है 
रोज़िन्ना ......................
लोगों को गरियाता है मातृ-भगनी अलंकरण करता 
 पर वो बाबूलाल नहीं है हरदे वाला   


यह कविता श्रीमती जी से आज सुबह हुई चर्चा पर आधारित है   
*हरदे= हरदा   

20.12.14

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने पेशावर ट्रेजेडी पेंटिंग पर किए हस्ताक्षर

17.12.2014 रात्रि  08 : 00  बजे
बालभवन जबलपुर   
18 . 12. 2014  अपरान्ह   12 :00 बजे
मानसभवन जबलपुर 
 मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने  पेंटिंग
पर अपने हस्ताक्षर करते हुए  
संभागीय बालभवन जबलपुर के बच्चे  पाकिस्तान के पेशावर में 16 दिसंबर 2014 को स्कूली बच्चों पर हुए आतंकी हमले से बेहद दु:खी थे । सामूहिक प्रार्थना के उपरांत बच्चों ने विश्व में आतंक के खात्मे पर खुला के बातचीत की । सभी बच्चों  के मन में आक्रोश था ।  सभी दु:खी थे कुछ बच्चे भावुक भी थे आंखों में नमी लिए हमसे पूछा – “आतंक का अंत क्या है ?” 
      बच्चों को हमने बताया कि जितना अधिक से अधिक सकारात्मकता एवं तेजी से  को बढ़ावा दिया जाएगा उतना तीव्रता से आतंक का अंत होगा । हम एक महान देश के नागरिक हैं हमें विश्व को शांति का संदेश देते रहना होगा । अगर हम कलाकार हैं तो कला के जरिये, कवि हैं तो हमारी कविताएं सकारात्मक होनी चाहिए । सबसे पहले हम मन से कुंठा निकालें और विश्व को शांति का संदेश देने की कोशिश करें चित्रों से गीतों से कविताओं से साहित्य से ......... !!
            बस फिर क्या था किसी  ने कलम उठाई तो किसी ने ब्रश ......... रात आठ बजे जब मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रवास दिनांक 18 दिसंबर 2014  के लिए मिली ज़िम्मेदारी पूरी कर  वापस बालभवन पहुंचा तो कला-कक्ष में बच्चों और उनकी निर्देशिका को पेशावर-त्रासदी पर बनाई पेंटिंग को अंतिम रूप देते पाया । सारे अनुदेशक एवं समस्त स्टाफ उनके साथ था । यह पूछे जाने पर कि – आप लोग क्यों इतना कर रहे हो ..... बच्चे ज़रा झिझके पर फिर दृढ़ता से बोले- सर, जब कल हमें बाक़ी सारी पेंटिंग लगानी ही है तो हमने सोचा कि पेशावर ट्रेजेडी पर क्यों न संदेश दिया जाए । मैडम से हमने ज़िद कर इसे पूरा करवाने को कहा । बच्चों  के अभिभावक भी बालभवन में मौजूद थे । उन अभिभावकों का मानना था कि- नेक काम है आप नाराज़ न हों हमने काम करने की अनुमति दी है ।
            पेंटिंग अगले दिन यानी 18 दिसंबर 2014 को  माननीय मुख्यमंत्री जी के जबलपुर प्रवास के समय मानसभवन प्रेक्षागार के कारीडोर में प्रदर्शित हुई । माननीय मुख्यमंत्री जी पेंटिंग देखकर द्रवित हुए उन्हौने अनुदेशिका श्रीमती रेणु पांडे से पेंटिंग एवं बालभवन जबलपुर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त की , 
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने  पेंटिंग पर अपने हस्ताक्षर भी किए । 
इस अवसर पर स्वास्थ्य राज्य मंत्री शरद जैन सांसद राकेश सिंह,  जबलपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्माश्री विनोद गोंटिया, श्रीमती रीना  गुजराल  सहित अधिकारी गण उपस्थित थे । 


18.12.14

इन्द्रधनुष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को भेंट की गई बाल भवन, जबलपुर के बच्चों की पेंटिंग शक्तिरूपा

           

             निराश्रित बालिकाओं के उत्थान के लिए पहल की है  दिशा में जबलपुर प्रदेश का नेतृत्व कर रहा है : शिवराज सिंह
         
   मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जिले में निराश्रित बालिकाओं के उत्थान के लिए की जा रही पहल सराहनीय है। इस पहल से बेटियों के हित में किए जा रहे शासन के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ेगी ।
            श्री चौहान मानस भवन में आयोजित इन्द्रधनुष आओ रंग बिखेरें कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि वे प्रतिपालक बधाईके पात्र हैं जो निराश्रित अथवा जीविकोपार्जन के लिए श्रम करने को बाध्य बालिकाओं की जिम्मेदारी लेनेआगे आए हैं ।
 मुख्यमंत्री ने इस अभिनव पहल के लिए आईजी (महिला अपराध) श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की भी प्रशंसा की । श्री चौहान ने कहा कि बेटियां भगवान की अद्भुत कृति हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहाकि भारत राष्ट्र की हजारों वर्ष पुरानी परम्परा संस्कृत के इस श्लोक से उद्भासित होती रही है यत्रनार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: अर्थात् देवता वहीं निवास करते हैं जहां नारी का मान-सम्मान हो। श्री चौहान ने कहा कि युगों से चली आ रही इस महान परम्परा में अंजाने कारणों से परिवर्तन हुआ और बेटियों की तुलना में बेटों को श्रेष्ठ समझने की मानसिकता विकसित होने लगी । उन्होंने कहा कि सृष्टि का चक्र बेटियों के बिना नहीं चल सकता । बेटियां हैं तो ही हमारा कल है।
            मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बेटियों को आगे बढ़ाने के कार्य को सरकार और समाज मिलकर ही प्रभावी ढंग से अंजाम दे सकते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इन्द्रधनुष कार्यक्रम के शुभारंभ में आगे आए प्रतिपालकों से प्रेरणा पाकर अन्य लोग भी इस भूमिका को अंगीकार करेंगे जिसके चलते परिदृश्य में निश्चय ही सुखद बदलाव होगा। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन से भीअपेक्षा की कि वे जरूरतमंद बच्चों के पुनर्वास के लिए जरूरी पहल करेंगे। श्री चौहान ने इन्द्रधनुष कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि संस्कारधानी जबलपुर ने निराश्रित बालिकाओं के उत्थान के लिए पहल की है और निश्चय ही इस दिशा में जबलपुर प्रदेश का नेतृत्व कर सकता है।
            मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समाज में बेटियों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बेटियों को बचाना , उन्हें आगे बढ़ाना और पढ़ाना बेहद जरूरी है । मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियों के उत्थान के लिए सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी योजना, गांव की बेटी योजना तथा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना जैसी तमाम योजनाएं आरंभ की हैं। उन्होंने कहा कि केवल लाड़ली लक्ष्मी योजना में ही 18 लाख से ज्यादा बेटियों को लाभान्वित किया गया है। श्री चौहान ने कहा कि हमारा भरसक प्रयास है कि बेटी पढ़े और आगे बढ़े तथासामाजिक परिवेश में अपना अहम् स्थान बनाने में कामयाब हो । मुख्यमंत्री ने स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के पदों पर महिलाओं के लिए किए गए आरक्षण के प्रावधानों का भी उल्लेख किया । श्री चौहान ने पाकिस्तान में बच्चों पर की गई हिंसात्मक कार्यवाही को लेकर गहरा दु:ख व्यक्त: किया ।
            कार्यक्रम के आरंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 33 निराश्रित बालिकाओं की जिम्मेदारी लेने आगेआए 11 प्रतिपालकों से भेंट की। इस मौके पर पुलिस महानिरीक्षक महिला अपराध श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने कहा कि शासन की जन हितैषी योजनाओं का लाभ निराश्रित, अनाथ, अशिक्षित   तथा जीविका के लिए श्रम करने को बाध्य बालिकाओं तक पहुंचाने में इन्द्रधनुष कार्यक्रम एक सेतु के रूप में कार्य करेगा । उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यक्रम नागरिकों की सोच में बेटियों के प्रति सकारात्मक बदलाव का वाहक बन सकेगा । इस अवसर पर बाल भवन के बाल कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग शक्तिरूपा मुख्यमंत्री को भेंट की गई ।
            कार्यक्रम में लोक स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री शरद जैन, सांसद श्री राकेश सिंह, महापौर श्री प्रभातसाहू, विधायक श्री सुशील तिवारी इंदु, श्रीमती प्रतिभा सिंह, श्रीमती नंदिनी मरावीएल.बी. लोबो, पूर्वमंत्री श्री अजय विश्नोई व श्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू, प्रदेश महामंत्री श्री विनोद गोंटिया, भाजपा नगरअध्यक्ष डॉ. विनोद मिश्रा, पूर्व विधायक श्री निशिथ पटेल, जेडीए के पूर्व अध्यक्ष श्री अनिल शर्मा एवंअन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे । इस मौके पर कमिश्नर श्री दीपक खाण्डेकर एवं आईजी श्री डी . श्रीनिवासराव भी उपस्थित थे ।
जबलपुर में आयोजित इन्द्रधनुष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को बाल कलाकारों  द्वारा बनाई गई  पेंटिंग शक्तिरूपा”  भेंट  की  गई ।
 जबलपुर में आयोजित इन्द्रधनुष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को बाल कलाकारों  द्वारा बनाई गई  पेंटिंग “शक्तिरूपा”  भेंट  की  गई । 

इस पेंटिंग को संभागीय बाल भवन जबलपुर के बाल कलाकारों  द्वारा मिलकर बनाया गया है  । इसमें  नारी  को  “शक्तिरूपा”  के  रूप
में  प्रदर्शित किया गया है  पेंटिंग  बाल कलाकार तान्या बड़कुलरेशम ठाकुरशुभमराज अहिरवार एवं रिंकी राय द्वारा कला निर्देशिका  श्रीमती रेणु पाण्डे  के  मार्गदर्शन  में तैयार किया गया ।

पेशावर काण्ड पर पेंटिंग बनाई पेंटिंग देख भावुक हुए  मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान
           
बाल भवन के बच्चों द्वारा हाल ही में पाकिस्तान के पेशावर में आतंकवादियों द्वारा मासूम बच्चों की नृशंस हत्या पर बनाई गई पेंटिंग को देखकर मुख्यमंत्री ने संवेदना प्रकट की और पेंटिंग पर हस्ताक्षर किए ।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री शरद जैन,  महापौर प्रभात साहू, सांसद राकेश सिंह, विधायक अंचल सोनकर, श्रीमती प्रतिभा सिंह,  श्रीमती नंदिनी मरावी,अशोक रोहाणी, सुशील तिवारी इंदू, पूर्व मंत्री अजय विश्नाई, पूर्व मंत्री श्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू,मनोनीत विधायक श्रीमती लारेन बी. लोबोजबलपुर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा, श्री विनोद गोंटिया, डॉ. विनोद मिश्रा, श्री आशीष दुबे,   सोनू बचवानीसंभागायुक्त श्री  दीपक खाण्डेकर , पुलिस महानिरीक्षक डी. श्रीनिवास राव,आई जी श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव,   कलेक्टर श्री शिवनारायण रूपला,पुलिस अधीक्षक हरिनारायणचारी मिश्रा भी मौजूद थे ।

12.12.14

शिव की आँखें खुलीं थी उस रात में !


रास्ते खोजते भीगते भागते, जिसके दर पे  थे  उसने  बचाया  नहीं
कागज़ों पे लिखे गीत सी ज़िंदगी- जाने क्या क्या हुआ उस रात में ?
तेज़ धारा बहा ले गई ज़िंदगी रेत से बह रहे थे नगर के नगर  –
क्रुद्ध बूंदों ने छोड़ा नहीं एक भी, शिव की आँखें खुलीं थी उस रात में !
हर तरफ़ चीखतीं भयातुर देहों को तिनका भी मिला न था इक हाथ में-
बोलिये क्या लिखें क्या सुनें क्या कहें- जो बचा सोचता ! क्यूं बचा बाद में ?
जो कुछ भी हुआ था वज़ह हम ही थे- पर सियासत को मुद्दों पे मुद्दे मिले.
 बेरहम चैनलों पे लोग थे,   गिद्धों की तरह  आदमी थे जुटे-
 काटकर अंगुलियां मुद्रिका ले गये  हाथ काटे गये चूड़ियों के लिये
निर्दयी लोगों के इस नगर में कहो क्या लिखूं, शब्द छुपते हैं आघात में .
मत कहो गीत गीले होते नहीं, अबके गीले हुये हैं वो बरसात में...
                                                                          * गिरीश बिल्लोरे ”मुकुल”

  

8.12.14

Bhopal : A Prayer For Rain के निर्देशक हैं जबलपुर के डाक्टर रवि कुमार शकरगाए

इस वक्त में दुनियां की सबसे  चर्चित  फिल्म  "Bhopal : A Prayer For Rain " का निर्देशन   लेखन जबलपुर के अनिवासी भारतीय चिकित्सक ने किया है ।
         मुझे स्मरण हो आया अपने स्वर्गीय मित्र क्रिकेटर   स्व. डाक्टर संजय श्रीवास्तव का जिनके डा. रवि बाल सखा है ।  डा. रविकुमार राइट टाउन जबलपुर निवासरत शकरगाए परिवार सदस्य हैं यह परिवार नार्मदीय ब्राह्मण परिवारों में से एक है जो बहुधा संयुक्त परिवार की मिसाल होते हैं  ।      पिता श्री मदन मोहन शकरगाए स्वयं  सेवानि:वृत बुजुर्ग हैं परंतु वृद्ध होने का एहसास वे होने नहीं देते । नार्मदीय ब्राह्मण समाज में सतत सक्रिय शकरगाए दादा जी गायकी के शौकीन हैं आज भी गीत भजन गाते हैं , जब मन हुआ यात्रा पर कुल मिला कर आत्मसाहस के साथ ज़िंदादिली के साथ जीवन का आनंद लेते शकरगाए जी के मन में उत्साह का संचार होना स्वाभाविक है .... डा. रवि का जन्म 11 अक्टूबर 1961 को मध्यप्रदेश के  बैरागढ़ भोपाल में हुआ । प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा भी भोपाल में ही हुई । 
                  घर के मुखिया  की सरकारी नौकरी के चलते समूचा   परिवार को 1976 में जबलपुर आया । संस्कारधानी की तासीर ही कला साधना के सबसे अनुकूल है युवा विद्यार्थी रविकुमार की प्रतिभा को निखारने का मौका यहीं मिला ।
                मेरे  मित्र  स्व. ( डा.) संजय श्रीवास्तव मुझे इनकी रुचियों के बारे में बताया करते थे ।   मुझे पता था कि डा. रवि का नाता चिकित्सा से तो है ही पर वे थियेटर में भी रुचि रखते हैं किन्तु इंग्लैण्ड के सेंट मेरी एवं सेंट जांस हास्पिटल्स के  पीडियाट्रिशियन डा. रवि फिल्म निर्माण से अभी भी जुड़े हैं इस बात से अनभिज्ञ रहा हूँ । परिजनों के अनुसार नाटक एवं लेखन में डॉ. रवि की विशेष रूचि एवं वर्तमान कार्यों की पुष्टी हुई  है । माँ श्रीमती कुसुम ने बताया कि – “ रवि विश्व में अपनी फिल्म साधना को स्थापित करना चाहते हैं , रचनात्मकता उनके जीवन की  अभिन्न ज़रूरत है   ”
         डा. रवि शकरगाए ने नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कालेज से एम बी बी एस की डिग्री हासिल कर मूलचंद हास्पिटल दिल्ली में इटर्नशिप करने के बाद 1988 में M. D.  Pediatrics के लिए लन्दन गए । वहीं Child Heart Specialist की उपाधि प्राप्त की. डा. रवि की पत्नी श्रीमती मेरली भी जीवन साथी होने के साथ साथ उनके प्रतिभावान व्यक्तित्व की हमकदम हैं ।   
 भोपाल : ए प्रेयर फॉर रेन का निर्माण एवं प्रदर्शन  
            चर्चित  फिल्म भोपालः ए प्रेयर फॉर रेन को बनाने में आठ साल लगे यह फिल्म लगभग पांच बरस पहले बनके तैयार हो चुकी थी. इसका प्रदर्शन पहली बार  सितंबर 2014 को अमेरिका में किया गया । फिर 7 नवंबर 2014 को अमेरिका में छोटे पैमाने पर किया गया । वहां  इसे कैलिफोर्निया, लास एंजलिस, शिकागो सहित कई स्थानो पर प्रदर्शित करने की मांग की गई है ।  अमेरिकी फिल्म समीक्षक एवं दर्शक इस  फिल्म को टायटेनिक के समतुल्य मानते हैं ।
भारत में प्रदर्शन  : -  
            भारत में फिल्म का प्रदर्शन गैस हादसे की तीसवीं बरसी पर 3 दिसंबर 2014 को भोपाल के   आशिमा मॉल के सिनापोलिस थियेटर किया गया । अगले ही दिन यानी 4 दिसंबर 2014 को इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग में  सलमान खान , रितिक रौशन, रितेश देशमुख , महेश भट्ट आदि मौजूद थे । स्मरण हो की इस फिल्म को देखने के बाद मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने प्रदेश में कर मुक्त करने की घोषणा भी की है ।   

 समीक्षकों की नज़र में  
          एक अन्य फिल्म समीक्षक *स्टेसी यंट्स ने कहा कि – “मैं इस फिल्म को  कोई रेटिंग अंक नहीं दे रहा हूँ क्योंकि यह फिल्म रेटिंग वाले मानदंड से सर्वथा ऊपर है ।
काबिले गौर तथ्य आपके सामने लाना ज़रूरी है कि - कांस एवं टोकियो  फिल्म त्यौहारों  में ही नहीं वरन स्विटज़रलैंड में भी इसे अनूठी फिल्म माना है. यद्यपि हम अभी इसे देख नहीं पाए हैं. जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि अमेरिकी फिल्म समीक्षक एवं दर्शक इस  फिल्म को टायटेनिक के समतुल्य मानते हैं इस फिल्म को देखने के बाद मैं  निर्विवाद रूप से पुष्टि करता हूँ कि रवि भाई में  भविष्य में  निर्देशक के रूप में हालीवुड के चुनिन्दा श्रेष्ठ निर्देशकों में से एक होंगे । घटना के बाईस बरस बाद रवि जी के दिमाग में मिक बनाम भोपाल वाला घटनाक्रम तैर गया और उनने आर्थिक विकास की अंधी भागमभाग के दौर को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ सतर्क व्यवहार के लिए फिल्म के जरिये आगाह किया तो मान लेना चाहिए कि लेखक के रूप में  रवि जी का विज़न अधिक सक्रिय है ।  
          फ़िल्मकार रवि ने अपनी  फिल्मकारी की श्रेष्ठता  उत्कृष्ट  2001 में बनाई  लघु फिल्म  My other wheelchair is a porshe में  ही   सिद्ध कर दी है ।
          नियोमी केंटोन की नज़र में यह फिल्म – स्लम डाग मिलेनियर एवं ट्वेलव ईयर अ स्लेव से बेहतर है ।

*स्टेसी यंट्स : "I cannot g ive this film a rating, as it is so much more than that. I can only simply say it is important that everyone see this devastating tale, to learn, to know, to feel and to act." { देखें -  Stacey Yount's  Special Review – Bhopal: A Prayer For Rain } ]
          मैं भारतीयों को लेकर अत्यधिक आशावादी हूँ मुझे मालूम है कि पंद्रह वर्षों में भारत सम्पूर्णविश्व में अपनी सोच समझ एवं ज्ञान की शक्ति के सहारे सर्वोत्तम साबित होंगे । तब डा.रवि कुमार शकरगाए का अपना मुकाम हॉलीवुड में  सबसे अलग होना तय है ।  
डा. रविकुमार शकरगाए का  फिल्मों में योगदान
निर्देशक के रूप में
2001 : My other wheelchair is a porshe (Short Film )
2003 : Notting Hill Anxiety Festival (Short Film )
लेखक  के रूप में
2003 : Notting Hill Anxiety Festival (Short Film )
निर्माता 
Uproot (short film )
परिवार का परिचय
पिता -  श्री मदन मोहन शकरगाए, सेवा नि:वृत शासकीय अधिकारी, अधिवक्ता, एवं गायक
माता – श्रीमती कुसुम शकरगाए गृहणी
भाई –
v श्री ब्रजभूषण  शकरगाए, पत्रकार , जबलपुर,
v श्री चंद्रभूषण शकरगाए, पत्रकार एवं प्रबंधन क्षेत्र में , जबलपुर
v डा. रविकुमार पीडियाट्रिक्स एवं फ़िल्मकार , हालीवुड / लंदन
v श्री विवेक आनंद शकरगाए , टोरंटो
v श्री भारत भूषण शकरगाए, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के  प्रबंधकीय – विभाग में सेवारत


7.12.14

मेरा मानना है कि उच्च दर्जे की आय अर्जित कर सकेंगे हिन्दी ब्लागर : रवि रतलामी

हिन्दी के मशहूर ब्लागर श्री रविशंकर श्रीवास्तव   जिनको हम रविरतलामी के नाम से जानते  हैं  गूगल की विज्ञापन नीति से से उत्साहित हैं । उनका मानना है कि भविष्य में ब्लागिंग रोजगार का जरिया हो सकती है । इस सिलसिले में उनसे हुई बातचीत का पॉडकास्ट सुनिए .....

गूगल की हिन्दी ब्लागिंग के लिए विज्ञापन नीति पर अनूप शुक्ल फुरसतिया जी का वक्तव्य

 गूगल की हिन्दी ब्लागिंग के लिए विज्ञापन नीति पर अनूप शुक्ल फुरसतिया जी का वक्तव्य पॉडकास्ट के रूप में प्रस्तुत है -
SoundCloud Dot Com Cirish_Billore V/s Furasatiya

सुनो साक़ी ! अपनी पायलों में ताज़गी लाना ।

न मैखाने का पैमाना, न पैमाने का मैखाना
कोई नाता नहीं इनमें गर सूना हो मैखाना ।
यही समझाने आया हूँ कि हर रिश्ते में कारण है –
ये दुनियाँ इक तिजारत है इसे जब चाहो को अज़माना ।।
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मयकश आने वाला है सुराही सामने लाओ
सुनो साक़ी ! अपनी पायलों में ताज़गी लाना ।   
उसे जो हो  पसंदीदा - गज़ल वो साज पे गाओ -
उसी की हो यकीं ये  उसको हर कतरे से समझाना ।।
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बिना मयकश के मैखाना उजड़ी इक इबारत है
कौन साक़ी ? कैसा प्याला ? सुराही क्या ? क्या मैखाना ?
कवि कोई कैसे लिखता जीवन की मधुशाला ...?
मयकश है तो मधुशाला मयकश है तो पैमाना ।।   
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